Book Title: Jain Darshan aur Vigyan Author(s): Mahendramuni, Jethalal S Zaveri Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 8
________________ अनुक्रम १. दर्शन और विज्ञान : तुलनात्मक अध्ययन.... ...१-४२ (१) दर्शन और विज्ञान में निकटताउच्चस्तरीय समन्विति की अपेक्षा १-क्या वैज्ञानिक सिद्धान्त अन्तिम सत्य का उच्चारण है? ४-तुलनात्मक अध्ययन का लाभ ६ (२) आधुनिक विज्ञान का दर्शन ८-४२ (क) वैज्ञानिकों का आदर्शवाद और जैन दर्शन ८-२८ एडिंग्टन का दर्शन और जैन दर्शन १२-जीन्स का दर्शन और जैन दर्शन २०-अन्य आदर्शवादी वैज्ञानिक और जैन दर्शन २५ (ख) वास्तविकता और जैन दर्शन २८-४१ भौतिकवाद और जैन दर्शन २८-बट्टैण्ड रसल का दर्शन और जैन दर्शन ३४-समीक्षात्मक वास्तविकतावाद और जैन दर्शन ३६-हाइजनबर्ग का दर्शन और जैन दर्शन ३८उपसंहार ३९ अभ्यास-४२ २. अध्यात्म और विज्ञान...... ४३-८१ अध्यात्म और विज्ञान द्वारा नियमों की खोज ४४-धर्म और विज्ञान की महानता ४५-जैन आगम के सूक्ष्म सत्य ४९-एस्ट्रल प्रोजेक्शन समुद्घात ५१-अतीन्द्रिय ज्ञान ५५ प्राण-शक्ति का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्त्व.......... ५५-६७ शरीर-शास्त्र ५५-सूक्ष्म का साक्षात्कार ५५-शरीर की शक्तियों का दोहन ५७अध्यात्म-विज्ञान में शरीर का महत्त्व ५९-कुंडलिनी : स्वरूप और जागरण ६०-कुंडलिनी-जागरण के मार्ग ६१-प्राण-शक्ति की विद्युत् का चमत्कार ६२ (३) आध्यात्मिक वैज्ञानिक व्यक्तित्व का निर्माण.............. ६७-८० अध्यात्म स्वयं एक विज्ञान ६७-वैज्ञानिक विकास : वरदान या अभिशाप ६८-फिर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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