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1.
वर
मलकर्मों के गुणस्थानों मे सत्व
ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय और अन्तराय कर्म का सत्व पहले गुणस्थान से बारहवें
गुणस्थान तक पाया जाता है। 2- मोहनीयकर्म का सत्व पहले गुणस्थान से ग्यारहवें गुणस्थान तक पाया जाता है। 3- वेदनीय, आयु, नाम, और गोत्र कर्म का सत्व पहले गुणस्थान से चौदहवें गुणस्थान
तक पाया जाता है। मोहनीय कर्म से होने वाले गणस्थानदर्शन मोह के निमित्त से प्रथम
न तक होते हैं। 2- चारित्र मोह के निमित्त से पंचम से द्वादश गुणस्थान तक होते हैं। 3- योग के निमित्त से 13वां और 14वां गुणस्थान होता है। गणस्थानों में जीवों की संख्या1- प्रथम गुणस्थान में जीवों की संख्या अनंतानंत है। 2- द्वितीय गुणस्थान में जीवों की संख्या पल्य के असंख्यातवे भाग प्रमाण है। तृतीय गणस्थान में जीवों की संख्या पल्य के असंख्यातवे भाग प्रमाण है।
थान में जीवों की संख्या पल्य के असंख्यातवे भाग प्रमाण है।
स्थान मे जीवों की संख्या पल्य के असंख्यातवे भाग प्रमाण है। प्रथम गुणस्थान में मनुष्यों की अपेक्षा संख्या जगत श्रेणी के असंख्यातवें भाग प्रमाण
द्वितीय गुणस्थान में मनुष्यों की अपेक्षा संख्याबावन (52) करोड़ है।
तृतीय गुणस्थान में मनुष्यों की अपेक्षा संख्या एक सौ चार (104) करोड़ है। 9- चतुर्थ गुणस्थान में मनुष्यों की अपेक्षा संख्या सातसौ (700) करोड़ है। 10- पंचम गणस्थान में मनुष्यों की अपेक्षा संख्या तेरह( 13) करोड़ है। 11- छठवें गुणस्थान में जीवों की संख्या पाँच करोड़ तिरानवे लाख अठानवे हजार दो सौ
छः है(5,93,98,206)। 12- सातवें गुणस्थान में जीवों की संख्या दो करोड़ छियानवे लाखनिन्यानवे हजार एक सौ
तीन (2,96,99,103) है। 13- उपशम श्रेणी आठवें, नवमें, दशवें, ग्यारहवें गणस्थान में 299,299,299,299जीव हैं। 14. उपशम श्रेणी में चारों गुणस्थानों में जीवों की संख्या 2196 है। 15- क्षपकश्रेणी आठवें, नोंवें, दशवें बारह वें गुणस्थानों में जीवों की संख्या
598,598,598,598 प्रमाण है। 16- क्षपकश्रेणी के चारों गुणस्थानों में जीवों की संख्या 2392 है। 17- तेरहवें गणस्थान में जीवों की संख्या आठलाख अठानवे हजार पाँच सौ दो
(8,98,502) है। 18- चौदहवें गुणस्थान में जीवों की संख्या 598 है।
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