Book Title: Chatvara Karmgranth
Author(s): Chaturvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 266
________________ are जो गिन्हे तत्थ ताव उदारं उरालं arrtदारमुरालं तदसंखगुणविहीणं तदसंखेज्जगुणाए ares प्रदीपस्य तम्मि मओ जाइ दिवं तम्मि य तइय चउरथे तसदस चवनाई तस्माजगाद भगवान् तह महसुयनाणावरण निगुणा तिरुव अहिया तितीसयर चत्यं तिथं भंते! तिन्थं fareerसमीवासे freयरेण बिहीण तित्थि त्ति नियमओ चिय तिरिनरसुराट उच् तिरियं जाव अंतो मणु १३१ | दण्डं प्रथमे समये १५२दर्शने धार्मिकाणां च १५३ | दवाईय अभिग्गह ७६ - १६२ | दानपुण्यकृता कीर्तिः ७७ - १६३ | दिहंतस्सोवणओ ३० | दीर्घ स्वौ मिथो वृत्ती १३८ | दुःखशोकवधास्ताप१३९ | देवपूजागुरूपास्ति३१) देवायं च इक १३० | देशादिदर्शनौत्सुक्यं २६ | देसे य देसविर १७४ दो य सया छनउया grat संवरसीलो दंसणसीले जीबे दंडकवाडे समर्थ ruarat मः ११९ दो वारे विजयाइसु ५४ | द्विवचनस्य बहुवचनं १३२ १२ | धम्मम्मि हो बुढी १३३ धम्माधम्मागासा ३१ धम्माधम्मागासा २२ | धर्मशो धर्मकर्ता च ध निविहे विहु सम्म (प० ल० कृ० प० ३२) ११८ नीए विथोमित्ते ६९-१३९ १५५ तुच्छा गारवबहुला तुदादिभ्योऽनुको ७-१२९ मुल्ला जहमठाणा १३२ ते ज्ञानदर्शनावार 昔 नरयतिग जाइ थावर ते णं भंते! असन्नि *ક્ नरयाउयस्स उदए ५२ ते लुग्वा तेवट्टि पमत्ते सोग नरयाणुपुच्चियाए ४०२ ते व असंखा होगा न सम्ममीसो कुणइ कालं १३३ न सम्ममिच्छो कुण तेसि णं भंते! पुप्फफ कालं न हु किंचि लभिज सुहुम २४ ९. तेसु बिय मइपुग्वयं सुर्य नाऊण वेयणिजं नाकर्मणो हि वीर्य थ धूला लोहखंडाण (१० ल० वृ० प० ३२) ११८ | नागासं उवघायं धोवा नरा नरेहि य १७२ | नाणतिय दंसणतिगं धोबा य तसा तत्तो १७४ नाणंतराय पण पण न नाणं पंचविहं पक्ष ११४ | नाणम्मि दंसणस्मि य २७ नाणास समूहं १६४ | नाणुदियं निजरए ११९९ | नामनाम्नैकार्थ्यं समासो १६० ६४ १३५ ५७ ११३ २८-९४-११५ ६० ६० ८१ ६१ १९८ १६८ ८ ५८ ११४ ३१ ર્ ३३ न किरसमुग्धायगओ नवंत संकि लिट्टासु नम्म उ छाउमन्थिए नाणे ७-१७-१२९-१४९ १६१ १३४ १६६-१८६ १०२ ५३ 64 ८५ १५८-१७९-१८६ १०४ १५९ १६२ ३ १५८ ३१ ६ १२२ १३ १४१ ११

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