Book Title: Chatvara Karmgranth
Author(s): Chaturvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 274
________________ शब्द चूलिका चूलिकाङ्ग छेदोपस्थापनीय जघन्यसङ्ख्यात जातिचतुष्क जातिनाम जातिस्मरण जीवस्थान जिनपञ्चक जिनैकादश जुगुप्सा ज्ञान ज्ञानत्रिक ज्ञानावरण तनुनाम तिक्तरस तिर्यवित्रक तिर्यगानुपूर्वी तिर्यगायुः तिर्यग्गतिनाम free तीर्थकरनाम तुर्योध तुर्यमद तुर्यमान तुर्यमाया सूर्यलोभ तृतीयकषायाः तैजस तैजसात नाम सचतुष्क सत्रिक श्रसदशक वसनवक वसनाम ३८ | दानान्तराय ९१-१२७-१२९ दीर्घकालिकी १६६ | दुरभिगन्ध ४-६०७०८ दुर्भगत्रिक ३९-४४-७८ | दुर्भगनाम जसकार्मणबन्धननाम तेजसतैजसबन्धननाम तैजसशरीरबन्धननाम पत्र. शब्द १९५ | त्रुटिताङ्ग १९५ दण्ड १३० | दर्शन २०० दर्शन ७९. दर्शनचतुष्क ३९-४४-७८ | दर्शनत्रिक १३ | दर्शनत्रिक ११२ - ११६ | दर्शनहिक १०५ | दर्शनमोह १०५ | दर्शनावरण श्रीन्द्रियजातिनाम त्रुटित ४३-१२८ ९३-५२ देवगतिनाम ४०-५६ | देवत्रिक ९४ देवकि ८० निरयत्रिक ४६-५८ निरयद्विक ४१-५८ | निरयानुपूर्वी ५० दुस्स्वरनाम ८०-५२ दृष्टिवादोपदेशिकी १५ | निर्माणनाम ८६-९३ | निर्विशमानक ५२ द्वितीयकषायाः ३९ | द्वीन्द्रियजातिनाम ४४-११६- निर्विष्टकायिक ८६-९३ | धारणा ९४ देवानुपूर्वी ९४ देवायुः ९४ | देशविरतिगुणस्थान ८८ देशसंयम ४५ ध्रुव ४८ | नपुंसकचतुष्क ४८ नपुंसक वेद ४६ नयुत १३ ४७ | नयुताङ्ग ४१ नरकगतिनाम पत्र. शब्द १९५ नरत्रिक १६० नरद्विक ४- २७ नरानुपूर्वी ९९-१२७-१३७ | नलिन ७९-९५ | नरकत्रिक ४१-७८ नरकद्विक ८२ नरकषोडश ४०-५५ नरकानुपूर्वी ४४- ११६ | नरकायुः १९५ नरकगतिनाम २७-८८ | नलिनाङ्ग ३०-७८ नवनोकपाय १६६ नामकर्म १६५ नाराच ३० निद्रा ४-२७-७८ | निद्राद्विक ५८ निद्रानिद्रा १५. निद्रापञ्चक ५० निरयगतिनाम १२८ निश्रित २३ | निःश्वास ५२ | नीचे ९४-५२ | नीलवर्ण ५२ नोकषाय ३८ / नोकपायनवक ७० न्यग्रोधपरिमण्डल ९९-१३७ पक्ष ३८-१२९ पदश्रुत १९५ पदसमासश्रुत १९५ पद्म पत्र. ५२ ५२-९९ ५२ १९५ १९५ ३७-७८ ५-३८-७८ ४३-१२८ पद्माङ्ग ५२-७९ पराघातनाम ५२-९३ | परिहारविशुद्धिक ५०९ | परीत्तानन्तक उत्कृष्ट ५२ | परीतानन्तकजघन्य ३९ | परीतानन्तकमध्यम ४३ | परीत्तासङ्ख्यातक ४९ २८ ८२ २८ २७ ४३ ५० १९५ ३४-७८ १२ पञ्चविंशतिकषाय १३ पञ्चेन्द्रियजातिनाम ४४-३३६ १०० ५२-७९ ५२-९३ ५२ ४०-५४ १३१ १३१ १३ १९५ ५८ ५० ૨૪ ३७-७८ १२८ १८ १८ १९५ १९५ ४०-५३ १३१ २०८ २०८ २०८ २०७

Loading...

Page Navigation
1 ... 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289