Book Title: Chatvara Karmgranth
Author(s): Chaturvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 277
________________ पञ्चमं परिशिष्टम् । कर्मग्रन्थान्तर्वर्तिनां पिण्डप्रकृतिसूचकानां शब्दानां कोशः। MSM शब्द पत्र. शब्द अगुरुलघुचतुष्क ५२-८२ तुर्यक्रोध अज्ञानन्त्रिक १४७ तुर्यमद अनन्तानुबन्धिचतुर्विंशति १०१ नुर्यमान अनन्तानुबन्धिचतुष्क ८० नुर्यमाया अनन्तानुबन्ध्येकत्रिंशत् १०१ नुर्यलोभ अनादेयहिक ८६ तृतीयकषायाः अपर्याप्तषट्क १२५ त्रसचतुष्क अवधिद्विक १४२--१४८ बमत्रिक मस्थिरद्विक ८१ सदशक अस्थिरषद ४१-९५ त्रसनवक आतपद्विक ९३ दर्शनचतुष्क आहारकद्विक ५२-८५-१५५ दर्शनत्रिक आहारकषट्क १०५ दर्शनत्रिक उद्योतचतुष्क १०३ दर्शनद्विक उपाङ्गत्रिक ९५ दुर्भगत्रिक एकेन्द्रियत्रिक १०३ द्वितीयकपायाः औदारिकहिक ५२-८०-१५६ दवत्रिक कपायपञ्चविंशति ३४-७८ देवद्विक कषायषोडशक ३४-७८ नपुंसकचतुष्क केवलद्विक १४५--१५७. नरकत्रिक गन्धद्विक ९४ नरकद्विक चतुर्थक्रोध ९४ नरकपोडश चतुर्थमद ९४ नरनिक चतुर्थमान ५४ नरद्विक चतुर्थमाया ५४ नवनोकषाय चतुर्थलोभ ८८ निद्राद्विक जातिचतुष्क ७९ निद्रापञ्चक जिनपञ्चक १०५ निरयत्रिक जिनकादशक १०१ निस्यद्विक ज्ञानत्रिक १६६ नोकपायनवक तिर्यक्त्रिक ८०-५२ पञ्चविंशतिकषाय तिर्यग्द्विक ९३-५२ मध्यसंस्थानचतुष्क पत्र. शब्द पत्र. ९४ मध्यसंहननचतुष्क ८० ९४ मनुष्यत्रिक ५२-१५ ९४ मनुप्यद्विक ५४ मिथ्यात्वद्विक ८८ वर्णचतुष्क ८६-९३ विकलत्रिक ४१ विकलनिक ७१-९५ विहायोगतिद्विक ८९-९४ ४१-७८ वेदनिक ३८-७८-८७ ८२ वैफियद्विक ५२-२९-१५६ २७-८८ वैक्रियपद्ध वैक्रियाष्टक पोडशकपाय मंस्थानपद संहननपद ८६-१३ संजिद्रिक सज्वलनचनुष्क ९४-५२ १०० मञ्चलननिक सम्यक्त्वत्रिक ५२-२३ सम्यक्त्वनिक १५५ सुभगत्रिक सुरत्रिक ५२-५९ मुरद्विक ३७-७८ सूक्ष्मप्रयोदशक १०४ ८२ सूक्ष्मत्रिक ४१-८४ २७ /स्त्यानईित्रिक ५२-७९ स्थावरचतुष्क ५२-५३ स्थावरदशक ३७-७८ स्थावरद्विक ९३ ३४-७८ स्थावरषद ८०/हास्यषद ३७-७८-८७ १४२ 0 0 win

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