Book Title: Bharat Jain Mahamandal ka 1899 Se 1947 Tak ka Sankshipta Itihas
Author(s): Ajit Prasad
Publisher: Bharat Jain Mahamandal

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Page 17
________________ (८) लाला खूबचन्द रईस सहारनपुर ने महासभा और ऐसोलियेशन को इस अवसर पर निमन्त्रित किया था । और मेहमानों के श्रादरसत्कार, सुविधा, भोजन का समुचित प्रबन्ध किया था। हिसार से जैन अनाथालय, मथुरा से महाविद्यालय भी श्राया था । इसतकवाल शानदार था, रेलवे प्लेटफार्म पर ही अभिनन्दन पत्र पढ़े गये, और रेशम पर छुपे हुए उनको भेट किये गये । प्लैटफार्म पर लाल फर्श बिछा था, हाथियों पर सभापति का जुलूस शहर में से निकला, घोड़े, रथ, फिटन, गाड़ियाँ, और अँग्रेजी बैंड बाजा श्रेणीबद्ध साथ में था । सभापति के निवास के लिये जैन बाग में प्रबन्ध किया गया था । इस अवसर पर जैनभूषण रायसाहेब फूलचंद राय इंजिनियर ने दो बरस तक १००) मासिक छात्रवृत्ति जैन युवक को देने की घोषणा की, जो जापान जाकर औद्योगिक शिक्षा ग्रहण करे । खेद के साथ लिखना पड़ता है कि किसी भी जैन युवक ने इस घोषणा से लाभ नहीं लिया । राय साहेब फूलचंदजी की छात्रवृत्ति घोषणा की सराहना करके जैन समाज ने समुद्र यात्रा का मार्ग खोल दिया । स्त्री शिक्षा प्रचारार्थं महिला समाज ने उदारतया दान दिया । पुरुषों ने स्त्री सभा में, और महिलाओं ने पुरुष समाज में व्याख्यान दिये । नेमीदासजी वकील सहारनपुर ने १०००) पाँच कन्याओं के विवाहार्थ प्रदान किये । ४० महाशयों ने छात्रवृत्ति देने की घोषणा की । गरीब जैन - पदक और करने की घोषणा की स्याद्वाद् महाविद्यालय बाबू देवकुमारजी ने एक छात्रवृत्ति प्रदान थी जो ऐसे जैन युवक को दी जायगी जो बनारस में रहकर कालिज में अध्ययन करे । उस समय एक भी ऐसा विद्यार्थी न मिला । अब कितने ही विद्यार्थी स्याद्वाद विद्यालय में रहकर कालिन और हिन्दू युनिवर्सिटी में अध्ययन करना चाहते हैं, किन्तु विद्यालय के प्रबन्धकर्ता उनको विद्यालय में नहीं रखना चाहते ।

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