Book Title: Bharat Jain Mahamandal ka 1899 Se 1947 Tak ka Sankshipta Itihas
Author(s): Ajit Prasad
Publisher: Bharat Jain Mahamandal
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५४-बीस बरस से कम उमर के लड़के का, और १४ से कम की लड़की का विवाह न किया जाय ।
१६१६ १५-पचपन बरस से ऊपर पुरुष का, और जिसके पुत्र हो उसका ...४५ बरस से ऊपर की उमर में पुनर्विवाह न हो ।
५६-जैन जातियों में पारस्परिक विवाह तथा भोजन प्रचार किया ... जाय। ५७-विवाह और देहान्त सम्बन्धित रिवाजों में यथा सम्भव सादगी
बरती बाय; और अनावश्यक रीतियाँ बन्द की जाय। ५८-लड़का या लड़की वाले को, किसी प्रकार भी बहुमूल्य नकद या
द्रव्य का प्रदर्शन करने से रोका जाय । ५१-विवाह या मौत के अवसरों पर अपनी शक्ति से अधिक खर्च का
रिवाज, और मरने पर बिरादरी का भोजन रोका जाय । ६०-जैन तीर्थों, मन्दिरों, और संस्थाओं का हिसाब जाँच किया जाकर
जैन समाचार-पत्रों में प्रकाशित किया जाय । ६१-हिसार निवासी श्री० उग्रसेन वकील ने सेट्रल जैन कालिज स्थापन करने के लिये १००००) दान की घोषणा की।
१९१७ .६२-लोकमान्य तिलक महाराज और माननीय खापर्डे कलकत्ता अधिवेशन में पधारे, और भाषण दिये।
- १६१८ ६३-महामंडल का प्रत्येक सदस्य पूर्ण शक्तितः प्रयत्न करेगा कि
तीर्थक्षेत्र-सम्बन्धी विवादों का पारस्परिक समझौते से पंचों द्वारा
निर्णय कर दिया जाय। ६३-अ-प्रत्येक सदस्य पूर्ण प्रयत्न करेगा कि मिन्न जैन जातियों और
सम्प्रदायों में विवाहादि सामाजिक सम्बन्ध किये जावें।