Book Title: Bharat Jain Mahamandal ka 1899 Se 1947 Tak ka Sankshipta Itihas
Author(s): Ajit Prasad
Publisher: Bharat Jain Mahamandal
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( ३८ ) कराने की व्यवस्था की जावे । जहाँ तक हो सके मण्डल के अधिवेशन के साथ ही वह कार्य सम्पन्न किया जाय ।
न.६-समस्त जैन समाज में स्नेह, एकता, संगठन तथा अभ्युदय का विशेष ध्यान रखते हुए यह महामण्डल नीचे लिखे बोर्ड, केन्द्रीय, प्रान्तीय, तथा विविध रजवाड़ों में स्थापित करने का प्रस्ताव करता है ।
१. बैन प्रोवर सीज़ बोर्ड, २. एजुकेशन बोर्ड, ३. एकोनोमिक रिलीफ बोर्ड ४. पोलिटिकल बोर्ड, ५. वालन्टियर बोर्ड, ६. मेडिकल बोर्ड ।
महामण्डल के अनुशासन में इनको स्थापित करने तथा उनका कार्य सुचारु रूप से चलाने का अधिकार श्री० एम० बी० महाजन वकील श्राकोला को दिया जाता है। अखिल भारत जैन समाज की सर्व संस्थाओं से आशा है कि, वे इस कार्य में पूर्ण सहयोग देंगी।
नं.७-मण्डल अनभव करता है कि, समय और परिस्थितियों को देखते हुए हमें अपने बहुत से धार्मिक कर्मकांडों में काफी मितव्ययता की जरूरत है। इस दृष्टि से यह आवश्यक है कि, जहाँ तक बने, पंचकल्याणक प्रतिष्ठा, गजरथ, आदि बन्द किये जाएँ, और जहाँ कहीं भी नये मन्दिर बनाये जायें वहाँ पूर्वप्रतिष्ठित मूर्ति किसी अन्य मन्दिर से लेकर विराजमान कर दी जाय । पूर्व स्थापित मन्दिर के पंचों को नये मन्दिर के लिये मूति देने में गर्व का अनुभव करना चाहिए । - नं.८-अप्रेल महीने में भोपाल रियासत के गुंडों द्वारा जैन व अन्य समाज और उनके मन्दिरों पर घोर अत्याचार को सुनकर महामण्डल को बड़ा दुःख हुआ है। वह उम्मीद करता है कि रियासत के अधिकारी इस अत्याचार पर विशेष खयाल रखते हुए जल्द से जल्द प्रभावशाली प्रबन्ध करेंगे । जिससे यह अविवेकशाली परिस्थिति जल्दी दूर हो ।
नं.-देश में भयानक अन्न की कमी को यह अधिवेशन चिन्ता की दृष्टिसे देखता हुआ जनता से अनुरोध करता है, कि खेती, व गोपालन के उद्योग को अपनाकर शुद्ध खाद्य और अन्य उपयोगी वस्तुएँ अधिकाधिक उपजावें।