Book Title: Bharat Jain Mahamandal ka 1899 Se 1947 Tak ka Sankshipta Itihas
Author(s): Ajit Prasad
Publisher: Bharat Jain Mahamandal
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१५६ प्रतिनिधि विविध प्रान्तों से पधारे थे जिनकी सूची जैन गजेट में प्रकाशित है । १५ प्रस्ताव निश्चित हुए थे, जिनमें से निम्न उल्लेखनीय है:
प्र० न०६-समय आ पहुँचा है जब जैन समाज में प्रचलित कुरीतियों का नाश या सुधार जोर के साथ किया बाय; नीचे लिखी दिशाओं में विशेष ध्यान दिया जाय
(१) २० बरस से कम की उमर में लड़कों का, और १४ से कम लड़कियों का विवाह न होने पाये।
(२) ५५ से ऊपर पुरुष का, और जिसके पुत्र हो उसका ४५ बरस के ऊपर की उमर में पुनर्विवाह न होने पाये।
(३) जैन जातियों में पारस्परिक विवाह तथा भोजन का प्रचार किया जाये।
(४) विवाह और देहान्त सम्बन्धित रिवाजों में यथा सम्भव सादगी बरती जावे और अनावश्यक रीतियाँ बन्द की बायें।
(५) लड़का या लड़की वाले को किसी प्रकार भी बहुमूल्य नकद या द्रव्य का प्रदेशन करने से रोका जाये।
(६) विवाह या मौत के अवसरों पर अपनी शक्ति से अधिक खर्च का रिवाज, और मरने पर बिरादरी का भोजन, रोका जाय ।
(७) विवाह के अवसर पर रंडी का नाच बन्द कर दिया जाय ।
मंडल का प्रत्येक सदस्य ऊपर लिखे सुधारों का यथाशक्ति पालन करेगा।
(८) जैन तीर्थो', मन्दिरों और संस्थाओं का हिसाब जाँच किया बाकर जैन समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जाय । ___इसी अवसर पर श्रीयुत उग्रसैन वकील हिसार ने १०,०००) का दान सेन्ट्रल जैन कालिज स्थापित करने के लिये घोषित किया। खेद है कि ऐसा कालिज अब तक नहीं बन सका, यद्यपि आरे में श्री हरप्रसाद