Book Title: Bharat Jain Mahamandal ka 1899 Se 1947 Tak ka Sankshipta Itihas
Author(s): Ajit Prasad
Publisher: Bharat Jain Mahamandal

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Page 78
________________ १२] जैन धर्म की रक्षा और प्रचार है । इन दो उद्देश्यों की पूर्ति में महामंडल पिछले ४७ वर्ष से विभिन्न प्रकार प्रयत्न करता आ रहा है जैसा इसके उन प्रस्तावों से विदित होगा जो उल्लिखित किये गए हैं। प्रस्तावों का युग गया। काय करने का समय आ गया । साहसी युवकों का धर्म है कि जो मार्मिक प्रस्ताव मंडल ने स्वीकृत या घोषित किये हैं, उनको कार्यरूप में परिणनमन करके दिखा दें। रूढ़ियों का युग भी बीत चुका ! युवक-संघ, द्रव्य, क्षेत्र, काल भाव पर दृष्टि रखते हुए समय की गति, विधि, माँग के अनुसार बढ़ता चले। मंडल की नीति उदार है। उसका कार्यक्षेत्र व्यापक है। उसका मार्ग सीधा, स्पष्ट, उज्ज्वल है। उसका वक्तव्य स्पष्ट है। छोटी निमूल बातों में मेद बुद्धि को त्यागो । मूल सिद्धान्तों में एकता पर जोर दो। मिलकर, एकदिल होकर, एक साथ काम में लग जाओ, विजय तुम्हारे हाथ में हैं। जैन जयतु शासनम् लखनऊ अजितप्रसाद फाल्गुण पूर्णिमा । । अजिताभम

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