Book Title: Bharat Jain Mahamandal ka 1899 Se 1947 Tak ka Sankshipta Itihas
Author(s): Ajit Prasad
Publisher: Bharat Jain Mahamandal

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Page 89
________________ - ( ५९. ) ८१-सब फिरके अपने सामाजिक, और धार्मिक उत्सव पर एकत्रित होकर, एक ही जगह, मिलकर; एक विशाल जैन संघ के रूप में आयोजित करें। मण्डल सब जगह की पञ्चायतों को ऐसे कार्यों में यथाशक्ति सहयोग देता रहेगा। ५२-कांग्रेस को देश को एक मात्र प्रतिनिधि संस्था मानता हुआ, जैन जनता से यह मण्डल अनुरोध करता है कि कांग्रेस कार्य में यथाशक्ति पूर्ण सहयोग दे।

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