Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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- आस्था की ओर बढ़ते कदम __ इस आगम में भगवान महावीर के १० श्रावकों का वर्णन है। इसके १० अध्ययन हैं। यह आगम में प्रत्येक श्रावक भगवान महावीर से १२ व्रत ग्रहण करता है। इस ग्रंथ के लिए आर्शीवाद उपाध्याय श्री अमर मुनि जी महाराज ने भेजा था। आचार्य श्री सुशील कुमार जी महाराज व आचार्य श्री विजय इन्द्रदिन्न सूरीश्वर जी महाराज का आशीवाद भी प्राप्त हुआ। इस ग्रंथ की भूमिका श्री अगर चन्द्र नाहटा जी ने लिखी थी। दस अध्ययनों का सार इस प्रकार है :
१. प्रथम अध्ययन में आनंद श्रावक के १२ व्रत गहण करने का वर्णन है। इस अध्ययन में आनंद श्रावक की अथाह सम्पदा का वर्णन है। खेती, पशु, जहाज, स्वर्ण मुद्राओं का वर्णन है। इस अध्ययन में आनंद श्रावक को अवधि ज्ञान की प्राप्ति का वर्णन है। अवधि ज्ञान के विषय में आनंद श्रावक ने गौतम स्वामी की चर्चा का वर्णन है। गौतम जैसे महान् गणधर द्वारा अपनी गलती का श्रावक आनंद से क्षमा याचाना की प्रार्थना का मार्मिक वर्णन है। इस अध्ययन में १२ व्रतों, अतिचारों का विधि विधान है। श्रावक क्षरा प्रतिमा धारण करने का वर्णन है। (२) द्वितिय अध्ययन कामदेव श्रावक के जीवन का वर्णन, देवता द्वारा परिषह : कामदेव का व्रत में अडोल रहने का वर्णन है। इस में भी श्रावक द्वारा अणुव्रत ग्रहण करने का वर्णन, व प्रतिमा अराधना का वर्णन है।। (३) तृतीय अध्ययन में चुल्नीपिता श्रावक के वैभव पूर्ण जीवन का वर्णन है। चुल्नीपिता के जीवन में एक देव रात्री में उपसर्ग कर उसके तीन पुत्रों को मार डालता है, क्योंकि वह देवता की धमकी को प्रवाह नहीं करता। फिर देव माता भद्रा को मारने की धमकी देता है। जिस कारण श्रावक साध
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