Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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आस्था की ओर बढ़ते कदा सम्पादक डा० उनुपम जैन से परिचय हुआ। ....
लेखों के लिए मेरे धर्म भ्राता रविन्द्र जैन ने पंजाब, दिल्ली व राजस्थान का दौरा किया था। श्री महावीर जी जैन शोध संस्थान से संपर्क किया। श्री पार्श्वनाथ जैन विद्यापीठ वाराणसी के प्रमुख डा० सागर मल जी जैन का हमें अच्छा सहयोग मिला। जैन विश्वभारती लाडनु से भी संपर्क किया। श्री देवकुमार जैन शोध संस्थान आगरा से संपर्क किया। इसी प्रकार एल. डी. शोध संस्थान अहमदावाद से संपर्क किया। सव ओर से अच्छा सहयोग प्राप्त होने लगा।
अव लेखों की व्यवस्थित करने का कटोर कार्य था। हम ने इस कार्य को वांट लिया। साध्वी संतोष जी को साध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज के प्रवचनों का संकलन करने को कहा गया। साध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज का शिष्य परिवार वर्षों से प्रवचन . लिखता आ रहा है। इन प्रवचनों में जो जैन धर्म से संबंधित प्रवचन थे, उनका संकलन साध्वी श्री संतोष जी ने एक महीने में पूरा कर दिया। साध्वी स्वर्णकांता जी महाराज की परम्परा के वारे में लिखने का कार्य मुख्य संपादिका साध्वी डा० स्मृति जी महाराज को संभाला गया।
सस्मरण इकट्ठे करने का कार्य साध्वी किरणा __ जी व साध्वी श्री चन्द्र प्रभा जी महाराज ने किया। इसका
कारण यह था कि पहले तो विशाल साध्वी मंडल अपने अपने अनुभव लिखेगा। दूसरा अनेकों श्रावक इन्हें अपने अनुभव बताते रहते हैं। तीसरे सभी साध्वीयों ने गुरूणी श्री स्वर्णकांता जी महाराज को नजदीक से देखा है। उन्हें सुना है, उनकी आज्ञा का हर प्रकार से पालन किया है। उनकी सेवा की है। इन बातों को ध्यान में रख कर इन खण्डों का
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