Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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आस्था की ओर बढ़ते कदम में सभी केन्द्रों की आप देख रेख कर रही हैं। आचार्य श्री की बरसी हर साल मनाई जाती है । आप की विद्वता से प्रसन्न होकर आप को इंटरनैशनल पावर्ती जैन अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। आप महान विभूति हैं । सरलात्मा हैं । जैन शाषण की प्रभाविका साध्वी हैं। आप का आर्शीवाद हमें १६७४ से प्राप्त हो रहा है। आप कर्मट साध्वी हैं। जब भी मैं दिल्ली जाता हूं, आप के दर्शन करना अपना परम कर्तव्य समझता हूं। साध्वी श्री साधना जी महाराज हम दोनों के परिवार की सदस्य साध्वी हैं। वह व्यवहार कुशल साध्वी हैं। आप महान विदूषी वक्ता लेखिका हैं। आचार्य श्री सुशील कुमार जी महारज की हर गतिविधीयों से आप जुडी रहती हैं। उनके स्वर्गारोहण के बाद उनकी परम्परा को आप ने संभाला हैं। आप महान हैं अपनी वजुरग गुरूणी की सेवा करना अपना कर्तव्य समझती हैं। आश्रम के विकास के लिए सदैव तत्पर रहती हैं। दिल्ली के राजनेतिक जगत में उनकी अपनी पहचान है। धर्म नेता, भारत सरकार व राज्य सरकारों के धर्मगुरू व राजनेता आश्रम में आकर आप से विचार विमर्श करते रहते हैं । आप का सारा जीवन देव गुरू धर्म को समर्पित है ।
वह विदेशों में धर्म प्रचार करने के लिए जाती रहती हैं। वह गुरूदेव श्री सुशील कुमार जी महाराज के मिशन को आगे बढ़ा रही हैं। वह हर कार्यक्रम में हमें सहभागी बनाती हैं। जीव दया के कार्यों में उनका जीवन समर्पित है। उनकी शिष्या गुरूछाया भी ध्यान व समाधि में प्रवीण समर्पित साध्दी हैं । उनके परिवार से उपाचार्य साध्वी सरलात्मा व नवदीक्षित एक साध्वी और हैं। सभी साध्वीयों में परस्पर प्रेम अविस्मरणीय है।
इस बार भी आश्रम में उनके दर्शन करने गए ।
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