Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 13 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
४२६
भगवतीसूत्रे इत्यर्थः । 'नेरइया गंभंते' नैरयिकाणां भदन्त ! कइविहा कम्मनिवत्ती पन्नत्ता' कतिविधा कर्मनिवतिः मज्ञता, हे भदन्त ! नारकजीवानां कति कर्मनिवृत्तियो भवन्तीति प्रश्नः । भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'अविहा कमनिवत्ती पमत्ता' अष्टविधा कर्मनिर्वृत्तिः प्रज्ञप्ता, 'तं जहा' र द्यथा-नाणावरणिज्जकम्मनिवत्ती जाव अंतराइयकम्मनिबत्ती' ज्ञानावरणीयकर्मनिवृतियौवदन्तरायिककर्मनिर्वृत्तिः, अत्र यावत्पदेन-दर्शनावरणीयादीनां संग्रहः, 'एवं वरणीय आदि के भेद से वह कर्मनिर्वृत्ति आठ प्रकार की कही गई है ऐसा जानना चाहिये। ____ अब गौतम यह कर्मनिवृत्ति नारकादि जीवों के कितने प्रकार होती है ऐसा प्रश्न 'नेरयाणं भते! कइविहा कम्मनिव्वत्ती पन्नत्ता' इस सूत्र द्वारा प्रभु से पूछ रहे हैं-हे भदन्त ! नैरयिक जीवों के कर्मनिवृत्ति कितने प्रकार की कही गई हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा ! अट्टविहा०' हे गौतम ! नैरयिक जीवों के कर्मनिवृत्ति आठ प्रकार की ही कही गई है अर्थात् कर्मनिवृत्ति के जो भेद कहे गये हैं-वे सब ही नैरयिक जीवों के होते हैं एक भी कम भेद वहां नहीं होता है यही बात त जहा' जैसे'नाणाचरणिज्जकम्मनिव्वत्ती जाव अंतराइयकम्मनिव्वत्ती' ज्ञानावरणीयकर्मनिवृत्ति यावत् अन्तरायकर्मनिवृत्ति-इस सूत्रपाठ द्वारा व्यक्त की गई है यहां यावत्पद से दर्शनावरणीयादि कर्मों की निवृत्ति का ग्रहण અંતરાયકર્મનિવૃત્તિ આ રીતે જ્ઞાનાવરણીય, દર્શનાવરણીય વિગેરે ભેદથી આ કર્મનિવૃત્તિ આઠ પ્રકારની કહી છે તેમ સમજવું.
હવે ગૌતમસ્વામી આ કર્મનિવૃત્તિ નારકાદિ છેને કેટલા પ્રકારની डाय छ १ प्रमाणे प्रश्न मान्ने पूछे छे. 'नेरइया ण भते! कइविहा कम्मनिव्वत्ती पण्णत्ता' भन्ना२४ीयवान ८२नी भनिवृत्ति D१ नेना उत्तरमा प्रभु ४९ छ -'गोयमा ! अट्टविहा' 8 गौतम! नैयि જેને આઠ પ્રકારની કર્મનિર્વત્તિ કહેવામાં આવી છે. અર્થાત્ કર્મનિવૃત્તિના જે આઠ ભેદ કહ્યા છે તે બધા જ નરયિક જીને થાય છે. એજ વાત 'नंजहाभ है-'नाणावरणिज्जकम्मनिबत्ती जाव अंतराइयकम्मनिव्वत्ती' ज्ञानाવરણીય કર્મનિવૃત્તિ યાવત્ અંતરાય કર્મનિર્વત્તિ આ સૂત્રપાઠ દ્વારા
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૩