Book Title: Vyakhyapragnapti Sutra Part 04 Author(s): Sudharmaswami, Publisher: View full book textPage 3
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyarmandir 9 शतके उद्देशा & leta जावपरिक्खित्ते जेणेव खत्तियकुंडग्गामे नयरे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता खत्तियकुंडग्गामं नगरं व्याख्या-18 मज्झमझेणं जेणेव सए गिहे जेणेव बाहिरिया उचट्ठाणसाला तेणेव उचागच्छह तेणेच उवागच्छित्ता तुरए निप्राप्तिः गिण्हइ तुरए निगिण्हित्ता रहं ठवेइ रहं ठवेत्ता रहाओ पचोरुहइ रहाओ पञ्चोरुहित्ता जेणेव अभितरिया उव11८३८॥ ट्ठाणसाला जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छद तेणेव उवागच्छित्ता अम्मापियरो जएणं विजएणं वदावेड़ वद्धावेत्ता एवं बयासी-एवं खलु अम्मताओ! मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मे निसंते, सेवि य मे धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिमइए, तए ण तं जमालिं वत्तियकुमारं अम्मापियरो एवं वयासी-धन्नेसि गं तुम जाया! कयस्थेसि णं तुम जाया! कयपुन्नेसि णं तुम जाया ! कयलक्खणेसि णं तुम जाया! जन्नं तुमे समणस्म भगवओ महावीरस्स अंतिय धम्मे निसंते सेवि य धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए, ज्यारे श्रमण भगवंत महावीरे जमालिने ए प्रमाणे कात्यारे ते प्रसन्न अने संतुष्ट थइ श्रमण भगवंत महावीरने त्रणवार प्रदक्षिणा करी यावत् नमस्कार करीने चारघंटाबाळा अश्वरथ उपर चढे छे, चढीने श्रमण भगवंत महावीरनी पासेथी अने बहुशालक | चैत्यथी नीकळे छे. नीकळीने माथे धराता यावत् कोरंटपुष्पनी मालाबाळा छत्रसहित, मोटा मुभोभटोना समूहथी बींटायलो ते जमालि ज्यां क्षत्रियकुंडग्राम नामे नगर छे त्यां आवे छे. आवीने क्षत्रियकुंडग्राम नामे नगरनी मध्यभागमा थइने जे स्थळे पोतार्नु घर छे | अने ज्यां बह्मरनी उपस्थानशाला छे त्यां आवे छे. त्या आवीने घोडाओने रोकीने रथने उभो राखे छे. उभो राखीने रथयी नीचे | उतरे छे. उतरीने ज्यां अंदरनी उपस्थानशाला छे, ज्यां माता-पिता (बेठा) छे त्यां आवे छे, आवीने माता-पिताने जय अने विज For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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