Book Title: Vruttabodh
Author(s): Shwetambar Sadhumargi Jain Hitkarini Samstha
Publisher: Shwetambar Sadhumargi Jain Hitkarini Samstha

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Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org (१४) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दो गुरुओं से बनता हो उसे दोधकवृत्त कहते हैं। इसके प्रतिचरण की स्वरसंख्या-- (SIS ISIS ) इस प्रकार है ॥ १६ ॥ इन्द्रवज्रा अत्याहतायां कविभिः प्रसिद्धैः, प्रत्यङ्घि यस्यां ततजा गयुग्मम् । बाणे रसैर्लब्धविरामयोगां, तामिन्द्रवज्रां कथयन्ति धीराः ॥ १७॥ (अन्वयः) प्रसिद्धः कविभिः प्रत्याहतायां यस्यां प्रत्यनि ततजाः युग्मम्, वागणैः रसैः लब्धविरामयोगां तां धीराइन्द्रवज्रां कथयन्ति || ( टीका) महद्भिः कविभिरतिशयेनाऽऽदृतायां यस्यां प्रतिचरणं ततजा अर्थात् तगा-तगण जगणास्ततो गुरुद्वयं च स्युः मादितः पञ्चभिस्ततोऽग्रे च षडभिर्वर्णैः प्राप्तविश्रमां तां चीराइन्द्रवज्रां कथयन्ति । अत्र प्रतिचरणम् ( SS SS IIS/SS ) इत्येकादश स्वरवर्णाः । - ( प्रति०) प्रत्यङ्घ्रि=प्रतिचरणम् । बाणैः=पञ्चभिः । रसैभिः । लब्धविरामयोगां= प्राप्तविश्रामसम्बन्धाम् । ( भाषा) प्रसिद्ध कवियों के प्रिय जिस छन्द के प्रत्येक चरण में तगण तगण जगण और दो गुरु हो, तथा पहले से लेकर पाँचवें एवं सातवें से लेकर छठे अक्षर पर विश्राम हो For Private And Personal Use Only

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