Book Title: Sursundari Chariyam
Author(s): Dhaneshwarmuni
Publisher: 

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Page 221
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharva Shri Kailassagarsuri Gyanmandir B-%888888888-%88-%*& यपत्तीए // 5 / / अत्रं च मएवि सुयं कुसम्गनयराओ आगयनरेण / कमलावइदेवीए पुरओ एवं कहिअंतं // 6 // सत्तुंजयनरवइणा रुद्धे नयरम्मि आउले लोए। नहवाहणनरनाहे संसहभूए ससामंते // 7 // पासिंधणहाणीए किच्छेणच्छंतयम्मि पुरलोए / जैतविमुक्कमहो| वलनिहायनिवडंतपायारे॥ापटउडिविवरसंठियकोदालिगखयपडंतखंडीसुधिणुसु(मु)हविणिग्गयाणेयपतिपच्छाइयनहग्गे।।९॥ इय नयरम्मि कुसग्गे निवडंतभडोहरुहिरर्चिक्खल्ले / सहसा फुरंतखग्गो समागओ खेयरो एगो // 10 // तेण य गइंदपरिसंठियस्स सत्तुं-IT जयस्स खग्गेण / सहसा सीसं छिन फुरंतरोसारुणच्छेण // 11 // हतूण य तं सत्तुं रनो नरवाहणस्स पासम्मि। आगम्म तेण भणियं निहओ सत्तू तुह नरिंद ! // 12 // विजाहरहरियाए रयणद्दीवे ठियाए धूयाए / तुझ सुरसुंदरीए वयणाओ आगओ अहयं // 13 // | सिरिचित्तवेगतणओ खयरो हं मयरकेउनामोति / पासे पियवयाए तुह धूया अच्छइ सुहेण // 14 // इय भणिऊण गओ सो रमा|| उण हरिसिएण निग्गंतुं / सबलेण सत्तुसिन्ने पलायमाणम्मि पैडुरहिए // 15 // गयरहतुरंगमाई गहियं सव्वंपि दव्वसारं से / ता सुर| सुंदरि ! पियसहि ! तत्थत्थे कुणसु मा चिंतं // 16 // युग्मम् / / जम्हा सो तुह जणओ तुज्झ पिएणेव निभओ विहिओ। अहिणव| साहियविजस्स तस्स किं काहिइ पिसाओ? // 17 // जायं हविज अह कारणंतरं किंपि तुज्झ दइयस्स / तव्वसओ सो पियसहि !न | आगओ झत्ति तं दीवं // 18 // एमाइनिउणवयणेहिं तीए आसासिया नरिंदसुया। जाया विमुक्कगुरुसोगवेगियाऽऽणंदपंडिहत्था // // 19 // अह हंसियाए सव्वं गंतुं कमलावईए देवीए / सिट्ठ तीएवि रमो जहडियं साहियं सव्वं // 20 // 1 पत्ती-पत्नी। 2 संशयितभूते विजये शतितमनसीत्यर्थः / 3 पास-तृणम् / 4 कृच्छ्रेणासीने / 5 यन्त्रविमुक्कमहोपलसमूहनिपतत्प्राकारे / 6 रिक्खल्लो= | कर्दमः / 7 प्रभुरहिते। 8 निर्भयः। 9 तं द्वीप-रत्नद्वीपम् / 1. पटिहत्या पूर्णा / For Private and Personal Use Only

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