Book Title: Sursundari Chariyam
Author(s): Dhaneshwarmuni
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagersuri Gyanmandie सुरसुंदरी चरिअं // 126 // तुम्ह // 76 // संसिद्धसयलविजो पब्बइउमणेण चित्तवेगेण / अहिसित्तो निययपए तुम्ह सुओ मयरकेउत्ति // 77 // सो खयरविंदस कपण्णरहमो हिओ तुम्हाणं पायवंदओ एही / इह नयरे अज्जेव य इय तुम्ह पियं निवेऐमि // 78 // तब्बयण सोऊणं हरिसवसूससियरोमकूवेण / परिच्छेओ | दिन्नं अंगविलग्गं पभूयदव्वं च से रना // 79 // आणदिया य देवी ओयारयणं करेइ खयरस्स / अंगम्मि अमायंत हरिसं सुरसुंदरी | | पत्ता / / 80 // पणमिय सूरिं राया पुरं पविट्ठो सपरियणो ताहे / आणवेइ कुट्टैवाले सिग्धं नयरं विसोहेह // 81 // अवणीय कयवराओ सिग्धं सारवह सयलसरणीओ। मयणाहिकुंकुमुम्मीसिएणं नीरेण सिंचेह // 82 // विरएह सरसतामरसमीसकुसुमोवयारमणवजं / पच्छाइयगयणाओ करेह वरहट्टसोहाओ // 83 // पइमंदिरं च बंधह बंदणमालाओ विविहरूवाओ। धवलहरमालियाओ विचित्तवन्नेहिं | भूसेह // 84 // निम्मलजलपडिपुग्ने कंचणकलसे ठवेहँ दारेसु / उम्मेह वेजयंतीओ भवणदारेसु विविहाओ // 85 // वरफुल्लतोरणाई | मंचाई करेह एयमग्गम्मि / गोरोयणसिद्धत्थयदुव्वाजुयसोत्थियालिहणं // 86 // अनं च एवमाई करेह कारेह पउरलोएण | इय ते रना भणिया सविसेसं करिउमाढत्ता // 87 // हल्लुत्तावलपउरे इओ तओ संचरंतभिच्चयणे / अंतेउरम्मि रन्नो पियंवया झत्ति संपत्ता | // 88 // सुरसुंदरीइ दिट्ठा उर्वगूढा हरिसनिम्भरंगीए / दिन्नासणोवविट्ठा अह पुट्ठा पुव्ववुत्ततं / / 89 / / भणियं पियंवयाए अस्थि तुम | ताव तेण उक्खित्ता / वेयालेण अहं पुय पडिया मुच्छाइ भूमीए // 10 // | // 126 // 1 पादवन्दकः / 2 निवेदयामि / 3 को नगरम् कोट्टवालो-नगराऽऽरक्षकः / 4 कयवरो=तृणाद्युत्करः। 5 समारचयत / 6 मृगनाभिः कस्तूरिका। . स्थापयत / 8 ऊर्वीकुरुत / 9 गोरोचनसिद्धार्थकदूर्वायुतस्वस्तिकालेखनम् / 10 आलिझिता / 11 वेतालेन / * त्वरा / For Private and Personal Use Only

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