Book Title: Sursundari Chariyam
Author(s): Dhaneshwarmuni
Publisher: 

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Page 265
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandie गयणेणं भाणुवेगो सो // 155 / / अह मयरकेउराया भणिओ तारण पुत्त ! अजेव / किजउ विगालसमए सोहणवेलामुहुत्तम्मि // | // 156 // जणणिजणयाण दंसणमिय भणिए सयलखयरनियरेण / अह काउं पारद्धा तक्खणमागमणसामग्गी // 157 // युग्मम् / / एत्थंतरम्मि अहमवि तायं आपुच्छिऊण वेगेण / सुरसुंदरितुह पासे पउत्तिकहणत्थमायाया // 158 / / एवं पियवयाए वयणं सोऊण दासचेडीहिं / गंतुं रनो सिट्ठ अह राया हरिसपडिहत्थो // 159 // वरगीयविहियवाइयरवेण वर| विलयनजुत्तेणं / कयविविहकोउएहिं य जणयंतो पउरसंखोहं // 160 // नीहरिओ नयराओ चउरंगबलेण गयवरारूढो / सव्वाए | विभूईए अंतोगइयाए तणयस्स // 161 // तिसृभिः विशेषकम् // विजाहरसेनपि हु उम्मिट्ट ताव गयणमग्गम्मि / धयछत्तचिंधपउरं नाणाविहवाहणारूढं // 162 / / तम्मज्झे य विमाणं पुरओ धावंतखयरसंघायं / मणिमयखभसणाहं विचित्तवररूवयाइन्नं // 163 / / | खयरेसमयरकेऊ पुरओ दवण नरवई सहसा / अवयरिउं गयणाओ पडिओ पाएसु जणयस्स / / 164 / / अह अमरकेउराया तणयं आलिंगिऊण ससिणेहं / आणंदवाहसलिल मुंचंतो चुंबइ सिरम्मि // 165 // संभासिऊण सव्वं जहारिहं पूइऊण खयरवरे / अह नयरम्मि पविट्ठो धुव्वंतो मागहसएहिं // 166 / / कयमंगलोवयारो पवेसिओ निययमंदिरे रना / सेसखयराण दिना जहोचियं पवर| आवासा // 167 / / कइवयखयरसमेओ नीओ अंतेउरम्मि नरवइणा / सुयदसणूसुयाए पडिओ जणणीइ चलणेसु // 168 // कोमल| करेहिं घेत्तुं निवेसिओ तीइ निययउच्छंगे / आलिंगिओ य बहुसो य चुंबिओ उत्तिमंगम्मि // 169 // आणंदबाहसलिलं मुंचती भणइ |वजयडिय ते / जणणीह पुत्त ! हिययं जीवइ जा तुज्झ विरहम्मि // 170 / / तो भणइ मयरकेऊ किं कीरइ अंब! विविहललियस्स / 1 परवनितानाव्ययुक्तेन / 2 संमुखगमनार्थमित्यर्थः / 3 अवतीर्य / 4 ऊसुया उत्सुका / For Private and Personal Use Only

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