Book Title: Shishupal vadha Mahakavyam
Author(s): Gajanan Shastri Musalgavkar
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 12
________________ [ 10 ] पितामह सुप्रभदेव के आश्रयदाता राजा वर्मल ( वर्मलात ) थे । अत: सुप्रभदेव का समय ७६० ई० के आसपास होना चाहिए और उनके पौत्र कविमाघ का शैशवकाल सन् ७८० के आसपास । इतना तो निश्चित है कि माघ आनन्दवर्धन के पश्चात् वर्ती नहीं थे और उनकी स्थिति ८वीं और ९वीं शताब्दियों के बीच में होनी चाहिए । वस्तुत: कवि अपने समाज से प्रभावित रहता है । कुशल कवि जिस अतीत के इतिवृत्त को अपने काव्य का कथानक बनाता है, उसी अतीत की अन्य स्थितियाँ भी चित्रांकित करने का भरसक प्रयत्न करता है । किन्तु सूक्ष्मेक्षिकया देखा जाय तो वहाँ भी उसका वर्तमान समाज झाँकता परिलक्षित होता है । क्योंकि उसका अतीत या भविष्य से सम्बद्ध संपूर्ण कल्पनाओं का आधार वर्तमान ही रहता है । कवि की कल्पना वर्तमान की नींव पर अतीत तथा भविष्य के प्रासादों का निर्माण किया करती है । इसलिए माघ में अंकित रोतिबद्धता की बढ़ी हुई प्रवृत्ति तथा समाज का शृङ्गारिक वातावरण भी हमें माघ की उक्त तिथि निश्चित करने में सहायक है । संक्षेप में माघ एक ऐसे युग की देन है जिसके प्रमुख लक्षण शृंङ्गारिकता, साजबाज के कार्यों में अत्यधिक रुचि और चमत्कार एवं विद्वता प्रदर्शन की प्रवृत्ति आदि है । मदिरा एवं प्रमदा का जो साहचर्य माघ काव्य में देखने को मिलता है वह आठवीं से दसवीं शताब्दी के उत्तर भारतीय राजपूत जीवन का प्रतिबिंब है । इस तरह माघ का काल प्राय: ८वीं और ९वीं शताब्दियों के बीच स्थिर होता है। इसमें सन्देह नहीं किया जा सकता । माघ का जन्मस्थान कविवर माघ के समय की तरह ही उनके जन्मस्थान के विषय में भी विद्वानों का मतैक्य नहीं है । (१ ) कुछ विद्वान् उन्हें गुजरात प्रान्त में आबूपर्वत के निकट स्थित भीनमाल के निवासी मानते हैं । (२) भोजप्रबन्ध, प्रबन्धचिन्तामणि, प्रभावकचरित तथा माघ काव्य की कुछ प्रतियों में उल्लिखित - "इति श्री भिन्नमालव-वास्तव्य" - आदि के अनुसार माघ राजस्थान के प्रान्तान्तर्गत भीनमाल के ( जो पूर्व में श्रीमाल के नाम से प्रसिद्ध था ) निवासी थे । ( ३ ) डॉ० भोलाशंकरव्यास माघ कवि को भीनामाल के निवासी नहीं मानते वे उन्हें राजस्थान के पर्वतीय प्रदेश डुंगरपुर, बांसवाड़ा के समीप का निवासी मानते हैं । ( ४ ) इसके विपरीत डॉ. मनमोहन लाल शर्मा, डॉ० व्यास के विचारे :: सहमत नहीं हैं । उनके विचार में माघ की जन्मभूमि प्राचीन गुजरात प्रान्त के अन्तर्गत भीनमाल ही है । जो आज राजस्थान के सिरोही जिले के निकट एक तहसील है

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