Book Title: Saptasandhan Mahakavya Author(s): Meghvijay, Amrutchandracharya Publisher: Jain Sahitya Vardhak Sabha View full book textPage 3
________________ (३) अन्य काव्योमा शृङ्गार-बीभत्स आदि रसो एवा विचित्र अने विरूप-रूपे पोषण कराया होय छे, सज्जन सहृदयोने जे वांचतां घृणा थाय. ज्यारे आमां मर्यादित शृङ्गारादि रसोना पोषण पूर्वक शान्त रसने प्रधान राखी-शान्त रसमां तेनुं पर्यवसान करायेल छे. माटेज आकाव्य सर्व साधु पुरुषोने आदरणीय ने उपादेय छे. (४) अन्य काव्योमा अप्रस्तुत विषयोन लांबु लांबु वर्णन करी अतिशय ग्रन्थगौरव करायुं होय छे ज्यारे आ काव्यना ४४२ मूक्तोमा साते महापुरुषोना वर्णनीय विषयोने रमणीय शैलीथी वर्णव्या छे, (५) अन्य काव्योमा कोइमां शब्दालङ्कारो घणा होय तो अर्थालङ्कारोनो अभाव होय. अर्थालङ्कारो होय तो शब्दसौष्ठव ने मनो. हरता न होय, ज्यारे आमां शब्दालङ्कारो अर्थालङ्कारो विविधछन्दो ऋतुवर्णन आदि महाकाव्यने उपयोगि लगभग बधा लक्षणो योज्या छे. ते आ प्रमाणे-आरम्भना चार श्लोकमा मङ्गलाचरण पछी ११ श्लोकमां दुर्जनसज्जन-निन्दास्तुति-आ मजनदुनर्नु वर्णन पणुंज वशिष्ट विविध कल्पनाओथी भरपूर ने श्लेषालङ्कारथी सहित छे. त्यारबाद भरतखंडन ने तेमां पण आ साने महापुरुषो जे जे देशमा जे जे नगरमां उत्पन्न थया, ते ते देश नगर प्रजानी परिस्थितिनुं रमिक वर्णन के. पन्छी ते ते देश नगर पजाना स्वामी अने विवक्षित नायकोना पिताओना नाम दविवा पूर्वक मनामां रहेल विशिष्ट गुणो वगेरे दर्शाती तेमनी पट्टराणीओनुं वर्णन करी तेमनी कुतिमा चरित्र नायको अवत, ते वर्णवी ८२ मूक्तमां प्रथम सर्ग समाप्त करेल छे. ___ द्वितीय सर्गमा साते नायकोर्नु जन्म वर्णन आबेहुब करेल छे. ते समयनुं नैसर्गिकस्वरुप, देवताओए करेल जन्मोत्सव, सर्वत्र फेलायेल प्रमोद वगेरे वर्णन अतिशय मनोरम छे. आ सर्गमा एकPage Navigation
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