Book Title: Prakrit Gadya Sopan
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur

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Page 6
________________ प्रस्तावना प्राकृत भाषा में गद्य एव पद्य दोनों में पर्याप्त साहित्य उपलब्ध हैं । प्राकृत के इस साहित्य को प्रकाश में लाने एवं विभिन्न स्तरों पर उसके शिक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग, सुखाड़िया दि वविद्य लय, ने प्राकृत शिक्षण योजना' के अन्तर्गत कुछ पुस्तकें तैयार करने की योजना बनायी है। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर, की माध्यमिक कक्षाओं के लिए स्वीकृत प्राकृत पाठ्यक्रम के अनुसार प्राकृत काव्य-मंजरी एवं प्राकृत गद्य-सोपान इन दो पुस्तकों को तैयार करना विभाग का दायित्व था । प्रसन्नता है कि राजस्थान प्राकृत भारती संस्थान, जयपुर के सहयोग से ये दोनों पुस्तके पाठकों के समक्ष समय पर प्रस्तुत हैं । ___ इस प्राकृत गद्य-सोपान में प्राकृत गद्य साहित्य के प्रतिनिधि ग्रन्थों के गद्यांश प्राय: कालक्रम से प्रस्तुत किये गये हैं। इन गद्य-पाठों में कथात्मक स्वरूप को सुरक्षित रखने का प्रयत्न किया है । चुने हुए पाठ सरल, सार्वभौमिक एवं शिक्षा-परक हैं । इनके पठन-पाठन से प्राकृत साहित्य की लोक-चेतना उजागर होगी एवं पाठक सदाचरण के मूल्यों से सहज ही परिचित हो सकेगा । इस पुस्तक में प्राकृत आगम ग्रन्थों के प्रेरक प्रसंग हैं, महापुरुषों एवं शीलवती, साहनी और करूणामयी महिलाओं के उद्बोधक वर्णन हैं तथा लोक-जीवन की सरल अभिव्यक्तियां हैं । अहिंसा, मैत्री, परोपकार, साहस, पुरुषार्थ आदि जीवन-मूल्यों को सबल बनाने वाले पाठ भी इस संकलन में हैं। इस तरह यह पुस्तक केवल स्कूली शिक्षा के लिए ही उपयोगी नहीं है, अपितु विभिन्न स्तर के पाठक भी इससे लाभान्वित हो सकेंगे और प्राकृत साहित्य का रसास्वादन कर सकेंगे। प्राकृत कथा एवं चरित माहित्य के ग्रन्थों में गद्य का प्रयोग अधिक हुआ है, किन्तु आगम-साहित्य गटक साहित्य एवं शिनालेखों में भी प्राकृत गद्य के नमूने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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