Book Title: Prakrit Gadya Sopan
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
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(क) प्राकृत व्याकरण-अभ्यास
पाठ । : कारक एवं विभक्ति
1. गिह-उववनं [षष्ठी विभक्ति] तं मज्झ गिहं अस्थि । इमं तुझ गिहं अत्थि । तस्स गिहं तत्थ अस्थि । तान गिहं अत्थ रण अस्थि । इमस्स गिहं कत्थ अस्थि ? कस्स गिहं दूरं अस्थि ? गिहस्स सामी मज्झ जणो अस्थि । मज्झ जणणी तत्थ वसइ । मज्झ वहिणी तत्थ पढइ। मज्झ भायरो तुज्झ मित्तं अस्थि । अहं तस्स पोत्थयं णेमि ।
इमं अम्हारण उववनं अस्थि । तुम्हाण मित्तारिण अत्थ खेलन्ति । तारण पुत्ता तत्थ धावन्ति । इमारण भायरा तत्थ रण गच्छन्ति । काण मित्ताणि तत्थ जीमन्ति ? उबवनस्स इमे रुक्खा सन्ति । इमाणि ताण पूष्फाणि सन्ति । इमं रणयरस्स सूदेरं उववनं अत्यि । अत्थ कमलस्स पुप्फ अत्थि । पुप्फस्स ला अस्थि । कमलाण पुप्फारण माला सोहइ । अत्थ वारिणो गई ण अत्थि । अम्हारण गिहस्स अण अरो वत्थुगो मुल्लं पुच्छइ । तस्स वत्थूण आवरणो अस्थि ।
अभ्यास
(क( हिन्दी में अर्थ लिखो :
शब्द
अर्थ
(ख) षष्ठी के रूप लिखो : शब्द
ब.व. (सर्व.ए.व.) बालअ बालअस्स बालआण
कवि
मज्भ
मेरा
तुज्झ
साहु
बाला
........
तस्स ताअ कस्स गिहस्स
........
नई
प्राकृत गद्य-सोपान
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