Book Title: Laghu Kshetra Samasa athwa Jain Bhugol
Author(s): Ratnashekharsuri, Pratapvijay, Dharmvijay
Publisher: Muktikamal Jain Mohan Mala
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श्री लघुक्षेत्रसमासप्रकरणम् । अग्गेआइसु पयाहि-णेण सिअरत्तपीयनीलाभा। सोमणसविज्जुप्पह-गंधमायणमालवंतक्खा ॥१२७ ॥ अहलोगवासिणीओ, दिसाकुमारीउ अट्ठ एएसिं । गयदंतगिरिवराणं, हिट्ठा चिट्ठति भवणेसु ॥१२८ ॥ धुरि अंते चउपणसय, उच्चत्ति पिहुत्ति पणसयाऽसिसमा । दीहत्ति इमे छकला, दुसय नवुत्तर सहसतीसं ॥ १२९ ॥ ताणं तो देवुत्तर-कुराओ चंदद्धसंठिआ उ दुवे। दससहसविसुद्धमहा-विदेहदलमाणपिहुलाओ ॥ १३० ॥ नइपूवावरकूले, कणगमया बलसमा गिरी दो दो । उत्तरकुराइ जमगा, विचित्तचित्ता य इअरीए ॥ १३१ ॥ नइवहदीहा पण पण हरया दुदुदारया इमे कमसो । निसहो तह देवकुरू, सूरो सुलेसो य विज्जुंपभो ॥ १३२ ॥ तह नीलवंत उत्तर-कुरु चंदेरवय मालवंतुं त्ति । पउमदहसमा नवरं, एएसु सुरा दहसनामा ॥ १३३ ॥ अडसय चउतीस जोअ-णाई तह सेगसत्तभागाओ। इकारस य कलाओ गिरिजमलदहाणमंतरयं ॥ १३४ ॥ दहपुवावरदसजो-अणेहि दस दस विअड्डकूडाणं । सोलसगुणप्पमाणा, कंचणगिरिणो दुसय सव्वे ॥ १३५ ॥ उत्तरकुरुपुव्वद्धे, जंबूणयजंबूपीढमतेसु। कोसदुगुच्चं कमि व-डमाणु, चउवीसगुणं मज्झे ॥ १३६ ॥
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