Book Title: Laghu Kshetra Samasa athwa Jain Bhugol
Author(s): Ratnashekharsuri, Pratapvijay, Dharmvijay
Publisher: Muktikamal Jain Mohan Mala
View full book text ________________
श्री लघुक्षेत्रसमासप्रकरणम् । वप्पु सैंवप्पो य महाँ-पोवप्पावई त्ति य। व तहा सुवैग्गू य, गंधिलो गंधिलावई ॥१५७ ॥ एए पुव्वावरगय-विअड्वदलिय त्ति नइदिसि दलेसु । भरहद्धपुरिसमाओ, इमहिं नामहिं नयरीओ ॥ १५८ ॥ खेमा खेमपुरा वि अ, अरिदै रिट्ठावई य नायव्वा । खेग्गी मंजूसा वि य, ओसहिपुरि पुंडरिगिणी य ॥१५९॥ सुसीमों कुंडेला चेव, अवरोइय पहंकैरा । अंकोवइ पम्हावइ, सुभा रयणसंचया ॥ १६० ॥ आसपुरा सीहपुरा, महापुरा चेव हवइ विजयपुरा । अवरोंइया य अवरा, असोगा तह वीर्यसोगा य ॥१६१॥ विजया य वेजेयंति, जयंति अपराँजिया य बोद्धव्वा । चक्केपुरा खंग्गपुरा, होइ अवज्झा अउज्झा य ॥१६२॥ कुंडुब्भवा उ गंगा-सिंधूओ कच्छपम्हपमुहेसु। अट्ठट्ठसु विजएसुं सेसेसु य रत्त रत्तवई ॥ १६३ ॥ अविवक्खिऊण जगई, सवेइवणमुहचउक्कपिहुलत्तं । गुणतीसँसय दुवीसा, नइंति गिरिअंति एगकला ॥ १६४ ॥ पणतीससहस चउसय, छडुत्तरा सयलविजयविक्खंभो। वणमुहदुगविक्खंभो, अडवन्नसया य चउआला ॥ १६५ ॥ सगसय पन्नासा नइ-पिहुत्ति चउवन्नसहस मेरुवणे । गिरिवित्थरि चउसहसा, सबसमासो हवइ लक्खं ॥१६६॥
Loading... Page Navigation 1 ... 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669