Book Title: Khartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Akhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
View full book text
________________
गए। जब वे यथा समय उपाश्रय में धर्म-क्रिया करने के लिए नहीं आए तो अभयदेव स्वयं उनके आवास गृहों में गए। अभयदेव ने पूछा, क्या बात है ? वन्दन-वेला का अतिक्रम कैसे हुआ ? श्रावकों ने जहाज डूबने की बात बताई तो अभयदेव ने क्षणभर ध्यान करके कहा, आप किसी प्रकार की चिन्ता न करें। धर्म के प्रभाव से परिस्थिति आपके अनुकूल रहेगी।
आचार्य के इस कथन से सब सन्तुष्ट हुए। दूसरे दिन उनके जहाज जब सुरक्षित आ गए तो वे आचार्य से अत्यधिक प्रभावित हुए और कहा कि इस माल के विक्रय से जो लाभ होगा, उसका आधा भाग टीका - साहित्य लेखन में व्यय करेंगे । '
उपाध्याय जिनपाल के अनुसार पाल्हउद्रा ग्रामवासियों ने इस प्रकार टीका-साहित्य-लेखन में अर्थ - सौजन्य प्रदान किया । वास्तव में श्रावक वर्ग के सक्रिय अनुदान के कारण ही आचार्य अभयदेव के टीका - साहित्य का प्रसारण हो सका ।
1
आचार्य अभयदेवसूरि की भावी गति के सन्दर्भ में युगप्रधानाचार्य गुर्वावली में एक घटना उल्लिखित है । उसमें लिखा है कि आचार्य अभयदेवसूरि ने श्रुतसाधना काल में दो गृहस्थों को प्रतिबोध देकर सम्यक्त्वमूल द्वादशव्रतधारी बनाया। वे दोनों धर्म का पालन करते हुए अन्त में मरकर देव बने और देवलोक से तीर्थ कर वन्दन के लिए महाविदेह क्षेत्र में गये । वहाँ पर उन्होंने सीमन्धर स्वामी की धर्मदेशना श्रवण कर पूछा कि हमारे गुरुदेव आचार्य प्रवर अभयदेवसूरि
१ यावल्लाभः क्रयाणकेन भविष्यति, तदर्धेन सिद्धान्त लेखनं कारयिष्यामः । — युग प्रधानाचार्य गुर्वावली, पृष्ठ ८
१३२