Book Title: Jain Lakshanavali Part 2
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 435
________________ ग्रन्थानुक्रमणिका संस्था संकेत ग्रन्थ नाम ग्रन्थकार प्रकाशक प्रकाशन काल , १९८६ । वृ. ई. १६४६ १ ३६ १२६ ज्योतिष्क. ज्योतिष्करण्डक ऋषभदेव केशरीमल श्वेता. | ई. १९२८ संस्था, रतलाम १२७ ज्योतिष्क. | ज्योतिष्करण्डक वृत्ति मलयगिरि प्राचार्य मलय. वृ. त. सा. तत्त्वसार श्री देवसेन मा. दि. जैन ग्रन्थमाला, बम्बई वि. सं. १९७५ १२६ तत्त्वानु. तत्त्वानुशासन रामसेन मुनि १३० त. भा. तत्त्वार्थाधिगम भाष्य स्वोपज्ञ (उमास्वाति) दे. ला. जैन पुस्तको. फंड, बंबई वि. १९८२, (भाग १, २) भा. सिद्ध. तत्त्वार्थभाष्यवृत्ति सिद्धसेन गणी वृ. १३२ त. भा. हरि भा. हरि " हरिभद्र सूरि ऋषभदेव केशरीमल श्वे. वि.१९९२ संस्था, रतलाम १३३ | त. वा. तत्त्वार्थवार्तिक (भा. १,२) अकलंकदेव । भारतीय ज्ञानपीठ, काशी १९५७ १३४ | त. वृत्ति श्रुत. तत्त्वार्थवृत्ति श्रुतसागर सूरि १३५ त. श्लो. | तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक विद्यानन्द प्राचार्य | नि. सागर यन्त्रालय, बम्बई | ई. १९१८ सा. | तत्त्वार्थसार (प्र. गुच्छक) अमृतचन्द्र सूरि ई. १६०५ त. सूत्र सुखबोधा वृत्ति | भास्करनन्दी ओरियण्टल लायब्रेरी मैसूर | ई. १९४४ तत्त्वार्थसूत्र (प्र. गुच्छक) उमास्वामी निर्णय सागर यन्त्रालय ई. १६०५ १३६ ति. | तिलोयपण्णत्ती (प्र. भाग) यतिवृषभाचार्य जैन संस्कृति संरक्षक संघ, ई. १९४३ सोलापुर " (द्वितीय भाग) " ई. १९५१ | त्रिलोकसार नमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रव. मा. दि. जन ग्रन्थमाला, बंबई | वी. नि. २४४४ | त्रिलोकसार टीका माधवचन्द्र विद्यदेव | त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र हेमचन्द्राचार्य जैनधर्म प्रसारक सभा, वि. सं. १९६१ (पर्व १, आदीश्वरचरित्र) भावनगर | त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र (पर्व २, अजितनाथचरित्र) | पर्व ३-६(३-१६ तीर्थंकरों वि. सं. १९६२ का चरित्र) पर्व ७ (जैन रामायण, नमि वि. सं. १९६३ | नाथ आदि का चरित्र) पर्व ८,९ (नेमिनाथ आदि वि. सं. १९६४ का चरित्र) १३८ .सा. वृ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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