Book Title: Jain Lakshanavali Part 2
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 448
________________ २० जैन-लक्षणावली संख्या ग्रन्थकार समय (बिक्रम संवत्) | संख्या ग्रन्थकार समय (विक्रम संवत) ३७ जटासिंह नन्दी ८वीं शती ६० नेमिचन्द्र (द्रव्यसं.) ११-१२वीं शती ३८ जयतिलक १५वीं शती का प्रारम्भ ६१ नेमिचन्द्र (गो. के १६वीं शती ३६ जयसेन १२वीं शती टीकाकार) ६२ नेमिचन्द्र (देवेन्द्रगणी) १२वीं शती (वि. ११२६ में ४० जिनदत्तसूरि (विवेकवि.) १३वीं शती उदयसिंह के (उत्तरा. टी.) टीका समाप्त की) के राज्य में ई. १२३१) | ६३ नेमिचन्द्र (प्रव. सारो.) १२वीं शती (आम्रदेव के ४१ जिनदास गणि महत्तर ६५ ०-७५० (जिनभद्र के. शिष्य और जिनचन्द्र पश्चात् व हरिभद्र के पूर्व) सूरि के प्रशिष्य) ४२ जिनभद्र क्षम | ६४ पद्मनन्दी (धम्मरसा.) अज्ञात (भाष्यकार) के पूर्व) ६५ पद्मनन्दी (जम्बूद्वीप.) सम्भवतः ११वीं शती ४३ जिनमण्डन सूरि . १५वीं शती (१४६६) ४४ जिनवल्लभ गणि , १२वीं शती ६६ पद्मनन्दी (पद्म. पञ्च.) १२वीं शती ६७ पद्मप्रभ मलघारी १३वीं शती (१२४२) ४५. जिनसेन (हरि. पु.) .. ६वीं शती (शक सं. ७०५) ६८ पद्मसिंह मुनि ११वीं शती (१०८६) ४६ जिनसेन (महापुराण). ६वीं शती (शकसं. ७०० से | ४७ जिनेश्वर सूरि ७६०) | ६६ परमानन्द सूरि १२-१३वीं शती | ७० पादलिप्त सूरि अज्ञात ४८ दानशेखर अज्ञात ७१ पुष्पदन्त प्रथम शती ४६ देवगुप्त सूरि ११वीं शती (१०७३) ७२ पुष्पदन्त कवि १०वीं शती ५०देवनन्दी (पूज्यपाद) ५-६वीं शती ७३ पूज्यपाद (उपा.) १६वीं शती ५१ देवभद्र सूरि १३वीं शती (श्रीचन्द्र सूरि के शिष्य) ७४ प्रभाचन्द्र (प्र. क. मा.) ११वीं शती (ई. १८० से ५२ देवद्धिगणी ५वीं शती (इन्होंने वी. नि. १०६५). ... ६८० के पश्चात् श्रुत का | ७५ प्रभाचन्द्र (र. क. आदि १३वीं शती (आशाधर के संकलन किया) .. के टीकाकार . पूर्व) ५३ देववाचक गणि छठी शताब्दी (५२३ के पूर्व)| ७६ प्रभाचन्द्र (श्रुतभ. टीका) अज्ञात ५४ देवसेन १०वीं शती (E६० में दर्शन- ७७ ब्रह्मदेव . ११-१२वीं शती ५५ देवेन्द्रसूरि १३-१४वीं शती (वि. सं. | ७८ ब्रह्म हेमचन्द्र (श्रुतस्कन्ध सम्भवतः १२-१३वीं शती ३३२७ में स्वर्गवास) के कर्ता) ५६ द्रोणाचार्य ।।... ११-१२वीं शंती ... | ७६ भद्रबाहु (द्वितीय) छठी शती (वराहमिहिर के. सहोदर) ५७ धर्मदास गणि १३ के पूर्व . ८० भास्करनन्दी, १३-१४वीं शती ५८ धर्मभूषण यति १४-१५वीं शती | ८१ भूतबलि प्रथम शती ५६ नेमिचन्द्र सिद्धान्तच. ११वीं शती , ८२ भोजकवि १८वी शती (१७८५ से (गोम्मटसार) १८०६) सार रचा) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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