Book Title: Jain Lakshanavali Part 2
Author(s): Balchandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 445
________________ ग्रन्थानुक्रमणिका १७ संख्या संकेत ग्रन्थ नाम ग्रन्थकार प्रकाशक प्रकाशन काल वीरसेनाचार्य ३४० धव. पु. षट्खण्डागम टीका (धवला) ३४१ षडशी. | षडशीति च. कर्मग्रन्थ ३४२ षडशी.हरि.व. षडशीति वृत्ति ३४३ षडशी.मलय. जैन साहित्योद्धारक फण्ड, | ई. १६३६ मे अमरावती १९५८ आत्मानन्द सभा, भावनगर | वि. सं. १९७२ जिनवल्लभगणि हरिभद्र मलयगिरि ई. १९३४ जैनधर्म प्रसारक सभा भावनगर वि. १९६४ वि. सं. १९६८ | षडशी. दे. | षडशीति (चतुर्थ क.प्र.) | देवेन्द्रसूरि ३४५ ,स्वो. बृ. षडशीति वृत्ति | षड्द. स. | षड्दर्शनसमुच्चय हरिभद्रसूरि षष्ठ. क. | षष्ठ कर्मग्रन्थ (सप्ततिका), चन्द्रर्षि महत्तर ३४८ षष्ठ.क.मलय. , वृत्ति मलयगिरि ३४६ | षोडश. | षोडशकप्रकरण । हरिभद्र सूरि ३५० | षोडश. वृ. | , वृत्ति | यशोभद्रसूरि ३५१ | सन्मति. | सन्मतितर्कप्रकरण (१, सिद्धसेन दिवाकर २, ३, ४, ५ विभाग) ३५२ | सन्मति. व. सन्मतितर्कप्रकरण टीका | अभयदेव सरि जैन श्वे. संस्था, रत्नपुर | वि. सं. १९९२ | गुजरात पुरातत्व मन्दिर अहमदाबाद सं. १९८०-८७ ३५३ | सप्तति. सप्ततिकाप्रकरण चन्द्रषि महत्तर ई.१६४० जैन प्रात्मानन्द सभा, भावनगर , वृत्ति | मलयगिरि ३५४| सप्तति. मलय. वू. ३५५ सप्तभ. सप्तभंगीतरंगिणी विमलदास | परमश्रुत प्रभावक मण्डल, | वी. नि. २४३१ बम्बई भा. जैन सिद्धांत प्रकाशिनी ई.१९१५ संस्था, काशी कुन्दकुन्दाचार्य अमृतचन्द्र सूरि समयप्रा. समयप्राभृत समयप्रा. | समयप्राभृत वृत्ति अमृत. वृ. समयप्रा. , वृत्ति जय. वृ. समय. क. | समयसारकलश (प्रथम गुच्छक) ३६० समवा. | समवायांग सूत्र प्रा. जयसेन | अमृतचन्द्र सूरि निर्णय सागर यन्त्रालय बम्बई| ई. १६०५ झवेरचन्द ठे. भट्टीनीवारी, ई. १९३८ अहमदाबाद ३६१ समवा.अभ. " . वृत्ति | अभयदेव सूरि ३६२/ समाधि. समाधितन्त्र समाधि.टी. समाधितन्त्र टीका ३६४/ सम्बो. स. | सम्बोधसप्तति ३६५ । सम्वो.स.टी.] , टीका पूज्यपाद प्रभाचन्द्राचार्य रत्नशेखर सूरि गुणविनयवाचक वीरसेवामन्दिर, सरसावा | ई. १६३६ प्रात्मानन्द जैन सभा, भावनगर वि. १९७२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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