Book Title: Collection of Kalka Story Part 02
Author(s): Ambalal P Shah
Publisher: Sarabhai Manilal Nawab
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कालिकाचार्यकथा
(६) जीवाइभाववाओ, बंधाइपसाहगो इहं तावो ।
एएहि सुपरिसुद्धो, धम्मो धम्मत्तणमुवेइ ॥६॥ (७) एएहि जो न सुद्धो, अन्नयरम्मि वि न सुटु णिव्वडिओ।
सो तारिसओ धम्मो, णियमेण फले विसंवयइ ॥७॥ (८) एसो य उत्तमो जं, पुरिसत्थो एत्य वंचिओ णियमा ।
वंचेजइ सयलेलं, कल्लाणेसुं न संदेहो ॥८॥ (९) एत्य य अवंचओ ण हि, वंचिज्जइ तेसु जेण जेण तेणेसो।
सम्म परिक्खियब्वो, चुहेहि सइ निउणदिट्ठीए ॥९॥ (१०) इय गुरुवयणं सोउं, कुमरो विगैलतकम्मपन्भारो ।
संजायचरणभावो, एवं भणिउं समाढत्तो ॥१०॥ (११) मिच्छत्तमोहिओ है, जबटियधम्मरूवकहणेण ।
पदिवोहिओ महायस !, संपइ आइससु करणेज्ज ॥११॥ (१२) तो भगवं तब्भावं, णाउं आइसइ साहुवरधम्म ।
सो वि तयं पडिवजिये, गओ तो णिवसमीवम्मि ॥१२॥ (१३) अह महया कटेणं, मोयाविय जणय-जणणिमाईए ।
बहुरायउत्तसहिओ, जाओ समणो समियपावो ॥१३॥ (१४) अह गहियदुविहसिक्खो, गीयत्यो जाव भाविओ नाओ ।
तो गुरुणा णियपए, ठविओ गच्छाहिवत्तेण ॥१४॥ (१५) पंचसयसाहुपरिवारपरिघुडो भवियकमलवणसंडे ।
परिबोहितो कमसो, पत्तो उज्जेणिणगरीए ॥१५॥ (१५) नयरस्स उत्तरदिसौसंठियवणसंडमज्झयारम्मि ।
आवासिओ महप्पा, जइजोग्गे फामुयपएसे ॥१६॥ (१७) तं णाऊणं लोगो, बंदणैवडिगाइ णिग्गओ झत्ति ।
पणमेत्तु सूरिपाए, उवविठ्ठो सुद्धमहिवढे ॥१७॥ (१८) तो कालयमरीहिं, दुहतरुवणगहणदहणसारिच्छो ।
धम्मो जिणपण्णत्तो, कहिओ गंभीरसदेण ॥१८॥ (१९) तं सोऊणं परिसा, सव्वा संवेगमागया अहियं ।
वण्णंती सूरिगुणे, णियणियठाणेसु संपत्ता ॥१९॥
१४ धम्मो प.H। १५ वियलं • EFGH | १६ • य, जाइ तओ CDEFI १७ • यपुत्त • EFOHI CDOI १९ °य उज्जाणमा • CDEFH | २० •णपडियाएँ CD I
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