Book Title: Yoga kosha Part 2
Author(s): Mohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
Publisher: Jain Darshan Prakashan

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Page 17
________________ ( 16 ) (४) वर्धमान जीवन कोश, प्रथम खण्ड - प्रस्तुतः ग्रन्थ जैन दर्शन समिति की कोश प्रकाशन की कड़ी में एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है इसमें भगवान महावीर का च्यवन गर्भ जन्म, दीक्षा, केवल ज्ञान तथा परिनिर्वाण आदि का विस्तृत विवेचन है । अर्थात गर्भ से परिनिर्वाण तक का जीवन संकलित है । (५) वर्धमान जीव कोश, द्वितीय खण्ड - इस खण्ड में भगवान महावीर के पूर्व भवों के अतिरिक्त ११ गणधर, आर्य चन्दना का पृथक-पृथक विवरण आदि संकलित है । (६) वर्धमान जीवन कोश, तृतीय खण्ड — इस महत्वपूर्ण पुस्तक में भगवान महावीर के चतुविध धर्म की स्थापना एवं समकालीन राजाओं के विवेचन है । (७) योग कोश प्रथम खण्ड - इस उपयोगी ग्रन्थ में योग के पन्द्रह भेदों का विवेचन हुआ है । जीव में कितने योग होते हैं आदि का क्रमवार विवेचन है । (८) योग कोश द्वितीय खण्ड - यह ग्रन्थ जो अभी ने जीव के विविध विषयों को लेकर विवेचन किया है। ग्रन्थ पाठकों के लिये उपयोगी सिद्ध होता । प्रकाशित हुआ है इस में लेखक मुझे पूरा विश्वास है कि यह इस प्रकार जैन दर्शन समिति अपने सिमित दायरे में जैन दर्शन के पारिभाषिक विषयों पर आगमों में आये हुए पाठों का संकलन कर प्रकाशन का कार्य कर रही है । संस्था के शैशव काल में जोधपुर निवासी स्व० जबरमलजी भण्डारी से जैन दर्शन समिति के प्रत्येक ग्रन्थ के प्रकाशन में उनके बहुमूल्य सुझाव मिलते रहते थे । ग्रन्थों के प्रकाशन में भी उनका सहरानीय आर्थिक सहयोग रहा। प्रस्तुत ग्रन्थ श्री फतेहचन्द जी चैनरूप जी भन्साली के आर्थिक सहयोग से प्रकाशित हुआ है। समिति उनके प्रति आभार व्यक्त करती है । जैन दर्मन समिति का प्रमुख उद्देश्य जैन दर्शन को उजागर करना है स्व० मोहनलालजी बाँठिया एवं श्री श्रीचन्द जी चोरड़िया के जैन दर्शन के तलस्पर्शी अध्ययन द्वारा तैयार किये हुए कोष कार्य को प्रकाशित कर जन मानस तक पहुँचाना है । इस समिति के कार्य को सुचारु चलाने में श्री फतेहचन्दजी भन्साली, श्री मांगीलालजी लूणीया श्री केवलचन्दजी नाहटा, श्री नवरतनमलजी सुराणा, श्री श्रीचन्दजी चोरड़िया एवं श्री पद्मचन्दजी रायजादा का विशेष योगदान रहा है । मेरी यह मंगलकामना है कि ज्यादा से ज्यादा लोग समिति द्वारा प्रकाशित ग्रन्थों से लाभान्वित हो । पाठकों से मेरा सविनय अनुरोध है कि अगर वे समिति के सदस्य न हो तो सदस्य बनकर हमें प्रोत्साहित करें । Jain Education International For Private & Personal Use Only गुलाबमल भण्डारी, अध्यक्ष जैन दर्शन समिति www.jainelibrary.org

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