Book Title: Vyavahar Ratnam
Author(s): Bhanunath
Publisher: Bhanunath

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Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -5.11. . युग्मकम् ॥ पूर्वादिक्रमतो ज्ञेयं वर्गोपरि दिगष्टके ॥ २०॥ अथ वास्तौ कस्यान्दिशि वस्तव्यं तदाह ॥ ग्रामस्यापि दिशः पुंसोवर्गाङ्क वर्तुलोकतं ॥ वसुना भाग माहृत्य सूर्याय दिक्फलं । वदेत् ॥ २१॥ सौम्या दशा प्रशस्ता स्यादसौम्या गहिंता सदा॥ एवं दशाविचारः स्यान्मध्यमागोष्पतेः स्मृता ॥ २२ ॥ अथ गृहारम्भे मासविचारः॥ वैशाखे श्रावणे मार्गे फाल्गुने च विशेषतः ॥ गृहारम्भः प्रशस्तः स्यान्मध्यमः कार्तिके शुचौ ॥ २३ ॥ परिशेषास्तु ये मासा ये च। न्यूनाधिमासकाः ॥ ते सर्वे वर्जनीयाः स्युट हारम्भे विचक्षणैः ॥ २४ ॥ निषिद्धपि हि मासा-16 दो सानुकूले शुभे दिने ॥ तृणवत्रगृहारम्भे मासदोषो न विद्यते ॥ २५॥ अथ पक्षशुद्धिः ॥1 शुक्लपक्षे भवेत्सौख्यं, कृष्णे तस्करतो भयम् ॥ इति सामान्यतः प्रोक्ता पक्षशुद्धिर्मनीषिभिः॥२६॥ वस्तुतः पंचमों यावत्कृष्णपक्षस्य धीमता ॥ गृहारम्भः प्रकर्त्तव्यस्तृणदारुमृदादिभिः ॥२७॥ SIOfrd-a0-65.H.C-04-16- - o-CD-SHO:- 07--5-16 For Private and Personal Use Only

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