Book Title: Vipak Sutra
Author(s): Tribhagvan Vijay
Publisher: Calcutta Vishvavidyalaya

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Page 197
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie विटी 着雅諾羅羅諾雅蒂器業業张张张義器兼器 मकठोर उन्मीलितं दलानां नयनयोश्चोन्म षो यत्रतत्तथा तवशेष व्यक्त जायंचत्ति यागंपूजायात्रां वादायवदानभायंच लाभस्यांशंथ सत्थवाहंापुच्छित्ता सुबहुपुष्फवस्थगंधमल्लालंकारंगहायबहिमित्तणाइणियगसयणसंबंधि परिजणमहिलासद्धिं पाडलिसंडाओमयरात्रो पडिणिक्वमित्ता बहियाजेणेवउंबरदत्तस्मजक्ख स्मजक्वायतणे तेणेवउ०२ तत्थणंउंबरदत्तस्मनक्खस्स महरिहंपुप्फचणकरेइर जाणुपायवडियाए उवाएत्तए जणंअहंदेवाणुप्पिया दारगंवादारियवा पयामितोणंअहंजावंचदायंचभाय चअक्ख कालसर्यऊगेथके सागरदत्तवार्थवाहनेपछीने अतिषणाफलवस्त्रगंधमालाचलंकार ग्रहीनेषणामित्वनीन्यातनीपोतानीखजननीविवा होनीबीजाईजननीस्त्रीसंघाते पाड़लीसंडनगरथकी नीसरीने बाहिरजिहां उवरदत्तयक्ष अनेयवनोथांनकतिहां आवेधावीनेति काउ'बरदत्तयक्षने महायोग्यपुष्कनी अर्चाकरेकरीने गोड़ाभूमिस्थापीनेपगेलागीने उपायकरू जोह अहोदेवानुप्रियापुत्रपुत्री जणस्यतोहंतम्हारीमाज्ञाकरीपूजाअर्थयात्रादानपर्वदिनादिलाभनोभोगमक्षयदेवभंडारभरस्युंजीर्थ उद्धारकरवेतथावधारस्युएइ 器樂業籌器器業業業業業業業業業課業器業 भाषा For Private and Personal Use Only

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