Book Title: Vipak Sutra
Author(s): Tribhagvan Vijay
Publisher: Calcutta Vishvavidyalaya
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org For Private and Personal Use Only 1 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir For Private and Personal Use Only Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra *** www.kobatirth.org श्रीयुक्त राय धनपतसिंहजी वाहादूरका आगमसंग्रह ११मा भाग । विपाकसूत्र | ११. एकादश अंग । गणधर सुधर्मास्वामीकृतमूल तत्र तदुपरि श्रीमदाभयदेवाचार्य सूरीनाटीका । श्रीमान् परमसंगी श्रीबुंटेरायजीतच्चरणरेणुदासानुद्वारा श्रीभगवान् विजयकृत भाषा संसोधीत । कलिकातानगर्यो नूतनसंस्कृतयंत्रे ११३३ संवत्सरे श्रीगोपालचन्द्र देवेन मुद्रितम् । For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ************* Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir For Private and Personal Use Only Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 米米米米米米米米米米米米米米米米米米 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ये पुस्तक छपावका कारण ये है के सर्वजेन धर्मावलंबि साधसाध्वी श्रावकश्राविका के पढ़णेसे ज्ञानकी टही होगा इस खातर ४५ आगमसूत्र और टीका और बालावबोधसहित ५०० पुस्तक छपाके ५०० ठीकाने भंडार कीया इस्म े महान् ज्ञानका वृद्धी होगा और पंडतजनोसे एही प्रार्थना हेके अच्छीतरेसे पढेपढावे शुणेगुणावे जयणाकर के और विनयकरके रख और यह श्रीसिद्धान्त पंचागौ प्रमाण संग्रहकीया और इसमे चरमचक्षु करके भूलचुक रहगया होय तो मिकामिदुकर्ड देताड और श्रीसंत्रसे यह विनति हे की जीस बखत बाचे उस बखत जो भुलचुक नौकसे तो पंडतजनोसे संसोधन कराय लेवे मेरेपर कृपा करके इह प्रार्थना अंगीकार करना और भंडारकरी भई पुस्तक कोइ बेचना नहीं कोइ खरीद करेनही करतो २४का गुनेगार संघका गुनागार होगा और मेरा परिचे के वास्ते अपना पूरव वंसावली लोखता ॐ पछिम देसमे किसनगढ़ के वासी प्रपिता श्रीलश्रीयुक्त दुगडगोत्री वृद्धशाखा श्रीलश्रीवीरदासजी संवत् १८० २की सालमे पूरबदेस मे आए तत्पुत्र श्रीश्रीयुक्त बुधसिंघ जौ तत्पुत्र श्रीलश्रीयुक्त प्रतापसिंघ जी चतुर्थ सहधर्मचारणिगोलाकार विभुशित श्रीमहताव कुबरवीवोद्वादश व्रतधारिका तत्पुत्र लघु श्रीरायधनपतसिंघ बहादुरने वडा परिश्रम से संसोधन कराया है और श्रीभगवान बीजेजीने संशोधन करा । संवत १६३३मिति भादो शुदी । मह अजीमगंज राय धनपतसिंहवाहादुर । For Private and Personal Use Only 米米米米米米米米米米米米米米米米米米 Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि०टी० 来業業業業業業業業需業業業業業業業業業 * नमः । नत्वाश्रीवर्वमानायबईमानश्रुतावने । विपाकश्रुतशास्त्रस्यत्तिकेयंविधास्यते ॥१॥ अधविपाकश्रुतमितिक:यबहार्य:उच्यतेवि पाक:पुण्यपापरूपकर्मफलतत्प्रतिपादनपरं श्रुतमागमोविपाकश्रुतं इदंचबादशाङ्गस्यप्रवचनपुरुषस्यकादशमङ्गमिश्चशिष्टममयपरिपा लनार्थमङ्गलसम्बन्धाभिधेयप्रयोजनानिकिलवाच्यानिभवन्तितत्रचाधिकृतथावस्यैवसकलकल्याणकारिसर्वधेदिप्रणीतश्रुतरूपतयाभा वनन्दीरूपन्वेनमङ्गलखरूपत्वात् नततोभिन्न मङ्गलमुपदर्शनीयं अभिधेयंचशुभाशुभकर्मणांविपाक:सचास्थनान वाभिक्ति:प्रयोजन तणंकालेणंतणंससएणं चंपाणामंणयरीहोत्थावस्पो तत्थणंचंपारणयरोएबहियाउत्तरपुरच्छिमे श्रीवीतरागायनमः। अथविपाकश्रुतकिस कहीयेविपाकक पुण्यपामरूपकमनो फलतेहनोविवरोजिणसिहातमाहेरतेभणी तेहनोनामविपाकश्रुतजाणिवो तेहादशांगोरूपप्रवचनपुरुषतेहनो इम्यारमोअंगकहियेविपाकश्रुत सूवसांभलतांप्राणीनेशुभाशुभ कर्मनाविपाकनोज्ञानऊपजेतेहथकीपापनौनिवृत्तिकरे पुन्यमे प्रवर्त्तएतलेदशमध्ययनपहिलादुक्खविपाकनादशागलाअध्ययनसुखवि पाकमाएवं२० अध्ययनतेकालसामान्यप्रकारेअवसर्पिणीनोचौथो चारोतेसमयविशेषथकीतेचौथाबारानोएकभागकपचंपानामामग 業辦業繼業諾米業業講業業業業諜諜諜諜業 For Private and Personal Use Only Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि टी० 而黑業樂業業需業選謊端縱深器默器端端業 मपित्रोटगतमनन्तरंकर्मविपाकावगमरूपंना वोक्तमस्थयत्किलकर्मविपाकावेदकश्रुतं तत्शृण्वताप्राय:कर्मविपाकावगमोभवत्येवेति # यत्तुनिश्रेयसावाप्तिरूपंपरम्परप्रयोजनमस्थतदानप्रणीततयैवप्रतीयतेनह्याप्तायत्कथञ्चिन्निःश्रेयसार्थनभवतितत्प्रणयनायोत्महन्त आ तत्वहानेरिति सम्बन्धोऽपिउपायोपेयभावलणोनाम्न वास्यप्रतीयतेतथाहीदंशास्त्रमुपायकर्मविपाकावगमस्तपेयमितियस्तुगुरुपर्वक्रमल क्षण सम्बन्धोस्यतत्प्रतिपादनायेदमाइतेणंकालेणमित्यादि अस्यव्याख्यातस्मिन्कालेतस्मिन्समयेणंकारोवाक्यालङ्कारार्थत्वात् एका रस्यचप्राकृतप्रभवत्वात्अथकालसमययोः कोविशेषउच्यतेसामान्योवर्तमानावसर्पिणीचतुर्थारकलक्षण:कालोविशिष्ट:पुनस्तदेकदेशभू त:समयइतिअथवातेनकालेन 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Mahavir Jain Aradhana Kendra वि.टी. ५ छत्र भाषा 茶類 ***** www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घोरेअ तवेप्रशस्ततपा वृहत्तपावाउराले भीमः अतिकष्टतपः कारितया पार्श्व वर्त्तिनामल्पसत्वानां भयजनकत्वात् उदारोवाप्रधानदूत्यर्थः घो रोनिर्घृणः निर्दयपरीषहाद्यरातिविनाशे घोरगुणे अन्यैर्दुरनुचरगुणः घोरतवस्त्रीघोरै स्तपोभिस्तपस्वी घोरवंभचेरवासी ल्पसत्वदुरनुचरत्वेन दारुणे ब्रह्मचर्ये वस्तु शीलं यस्यसतथा उच्छूढ़सरीरे उच्छ ढं उर्तिशरीरं येनतत्प्रतिकर्मत्यागात् उलते उलेसेसंक्षिप्ताशरीरान्तर्वर्त्तिनी त्वाद्विपुलाच विस्तीर्णा अनेकयोजनप्रमाणक्षेत्राश्रितवस्तु दहनसमर्थत्वात्तेजोलेश्याविशिष्ट तपोजन्यलब्धिविशेषप्रभवातेजोन्वाला यस्य सतथाउड्ढ जाणूशुद्दष्टथिव्यासनवर्णनात् चपग्रहिक निषद्याया अभावात्च उत्क टु कामनः सन्न पविश्यते उजानुनीयस्य सऊर्द्ध जानु: अहोसिरे अधोमुखोनोर्द्ध तिर्यग्वाविक्षिप्तदृष्टिरितिभावः ब्माणकोट्ठोवगएध्या नमेवकोष्टोध्यानकोष्टस्तमुपगतोय: सतथाविहरइति संजमे तव साअप्याणं भावेमाणेविहरत्य दृश्यं जायसड्ढे प्रवृत्तविवचि णकोट्ठोवगए विहरद्वतएणं ज्जजंबू णामं अणगारे जायसड जावनेणेव अन्नसुहम्म अणगारे तेणेव जिमगौतमस्वामी तिमजयावत् ध्यानरूपियोकोठलो तेहने उपगतडतोविचरेके तिवारपछी आर्यजंबू नामाअणगार जातश्रवाऊप For Private and Personal Use Only संवित्तवि 張黑業業業業鰵業醤業業業業業業業米米米米 Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विकी टी. तार्थश्रवणवाह: यावत्करणादिदं दृश्य जायसंसये प्रवृत्तानियरितार्थप्रत्यय: जायकोउहलेप्रवृत्तश्रवणोत्म क्य: उष्पन्नसड्ढेसंशयम यादुद्भूतश्रवणवाञ्छ: उत्पन्नश्रवणात् प्रवृत्तश्रवडत्य वंभूतः हेतुफलभावविवक्षणान्त्र पुनरुक्तिः एवं उप्पन्नसंसए उप्पन्चकोजयहले संजायसड्ढ संजायसंसए संजायको उहलेसमुष्यसड्ढे समुष्पमसंसए समुप्पणकोउहलेव्यक्तार्थानि नवरमेतेषु पदेष संसब्दाप्रक र्षादिवचन: अन्य त्वाः जातश्रहोजातप्रश्नवाछः कुतोयतोजातसंशयः सोपिकुतोयतो जातकुबूहलअनेन पदत्रयेणावग्रहउक्त: एव मन्य पदानां न येणई हावायधारणाउता भवन्तीति तिक्वत्तोत्ति विकत्व: बीन्वारान् आयाहिणत्ति आदक्षणात् दक्षणपाखो दारभ्यप्रदक्षिणो दक्षिणपार्ववर्ती आदक्षिणप्रदक्षणोतसं बंद इत्ति स्तुत्या नमसत्ति नमस्यतिप्रणामतः च्यावत्करणादिदंश्य 諾瞞器器端端端需業需牆擺端業業装 卷業業糕糕糕糕糕業养养業業养業养業养养养器 माषा उवागएतिक्खत्तो आयाहिणंपयाहिणंकरे करेत्तावंदणमंसवंदित्ता गमंसित्ताजावपज्ज वास . नीतत्वपक्वानी जिहांलगेजिहांआर्यसोधर्मनामाअणगार तिहांबावीनेत्रिणवारजीमणापासाथकी प्रारंभीने प्रदक्षिणाकरकरीने वचनेकरीगुणस्तयेपंचांगप्रणामकरे बांदीगुणस्तवीनेनमस्कारकरीनेयावविनयसंयुक्तसेवाभक्तिकरवालागापछेडूमकहेजोभगवंतहे For Private and Personal Use Only Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि.टो० सूत्र भाषा *業業業業業際業業業张张 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुम समाणे नर्मसमाणे विणएगं पंजलिउडे अभिमुन्ति व्यक्तच दुहविवागायन्ति दुःखविपाकापापकर्मफलानि दुःखानांवादुःख एवंवयासी जगणंभंतेसमणेणं भगवयामहावीरणं जावसंपत्तणं दसमस्त गरम पण्हावागरणा त्रयमठ्ठे पणत्ते एक्कारससमस्यणंभंते अंगस्मविवागस्यक्व धम्मस्मसमणेणं जावसंपत्ते के प पसत्तेतएणंचज्जसुहम्म अणगारे जंबू अणगारं एवं क्यासी एवंखलुजंबूसमणेणं जावसंपत्त एकार समस्मत्रंगस्मविवागसुयस्म दोसुयखंधापणत्ता तंजहाद हविवागाय सुहविवागायपढमस्मरण तेसु पूज्यश्रमणतपस्वीभगवंतमहावीरयावत् सुक्तिप्राप्तवातेणे दस मा गप्रश्नव्याकरणना एअर्थका इग्यारमाच' गना हे पूज्यविपाकस्तू त्रस्कंधनाश्रमणभगवंतमहावीरयावत्‌मोक्षपुङतातेणे किसा अर्थ कयातिवारेपछी आर्यसौधर्म अणगार जंबू अणगारप्रतेदूमकहता हवाइमनिश्चेहेजंबूश्रमण भगवंत यावत्‌मोक्षप्राप्तवातेणे ११ इग्यारमा गनाविपाकश्रुतना बेश्रुतस्कंध कह्यातेकहेछेदु:खविपाक शुखविपाक २ तेमध्ये पहिला हेपूज्य श्रुतस्कंधदुःखविपाकना श्रमण भगवंतयावत् मोक्षप्राप्तडता तेणे किसार्थकच्या तिवार पछीसौध For Private and Personal Use Only 帳蒸蒸蒸雜雜 Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि.टी. ८ सृत्र षाभा 米米業 FREE www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हेतुत्वात्पापकर्मणां विपाकास्तेयत्वाभिधेयतया सन्यसौवरणागरमिति न्यायेनदुःखविपाकाः प्रथमश्रुतस्कन्धः एवं द्वितीयसुखविपा काःतएणंति ततोनन्तरमित्यर्थः 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業業灘業業業業聚器辈辈辈業業業業業業業業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि०टी० स 柴漲漲漲漲漲叢叢鬃業業業漲漲漲漲漲漲漲漲 यथास्वयमध्ययनार्थवगमादवगम्य इति एवं खलुत्ति एवंवक्ष्यमाणप्रकारेण खल वाक्यालङ्कारेसव्वोऊयवन्नोति सर्वतु कं कुसुमसं तएणंसुहम्मे अणगारेजंबूणगारंएवंव० एवंखलुजंबूतणंकालेणं० मियागामेणगरहोत्यावरणश्रोत स्मणमियग्गामस्सणगरस्सबहिया उत्तरपुरच्छिमेदिसौभाए चंदणपायवेणामंउज्जाणेहोत्था सव्वउ यवस्मयो तत्थर्णचंदणपायवस्सबहुमज्भदेसभाए सुहमस्मजक्खस्म जक्खायतणेहोत्थाचिराईएजहा पुरणभद्दे तत्थणं मियगामेणगरे विजएणामखत्तिएरायापरिवसई वमो तस्मणविजयस्म खत्तियस्म । ननाहेपूज्य दुःखविपाकनाश्रमणभगवंत यावत्मोक्षप्राप्तवातेणे किसाअर्थकह्या तिवारपछीसुधर्माणगार जंबूअणगारप्रतेइम कहताहुवा इमनिश्चेहेजंबू तेकालतेसमानेविषे सगागामनामनगरहंतोतेहनोवर्णनजा तेस्गागामनामानगरथीवाहिरउत्तरने पूर्वनेविचालेईशानकूणे चंदनपादपनामाउद्यानहतो सगलौऋतुनाकुसमसहितवनतेहनोवर्णन तिहांसौधर्मयक्षनो यक्षायतनयक्ष नोथानकप्रसादडतो घणाकालनोजिमपूर्णभद्रनोजूनोछेथानकतिहांसगगांमनामानगरनेविषेविजयनामाक्षबीराजावसेछरहेछेव 業叢叢業業業業業業業業叢叢鬃漲薪叢叢凝器 भाषा For Private and Personal Use Only Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 業業業業需繼驚業業条業業狀紫器器業 छन्चे नंदणवणष्यगासेइत्यादि उद्यानवर्णकोवाच्यति चिराइएति चिरादिकं चिरकालिकमित्यादिवर्णकोपेतंवाच्य यथापूर्णभद्र चैत्यमोपपातिके अहीणवउत्तिबहीणपुरमपंचेंदियशरीरेत्यादिवर्णकोवाच्यःअतएत्तिात्मजःसुत:जायअंधेत्ति जात्यन्धोजन्मकाला दारम्यान्धएवान्ध डेयत्ति हुण्डाश्चमवयवप्रमाणविकल:वायब्वेतिवायुरस्यास्तीति वायवोवातिकइत्यर्थ: रहस्मियं सिराहसिकेजने मियाणामंदेवाहोत्था अहीणवणो तस्मणविजयखत्तियस्मपुत्त मियाएदेवीएअत्तए मियापुत्ते ___णामंदारएहोत्था जाझंधेजाइमूले जाइवहिरेजाइपंगुले हुडेय वायवेणत्थिणंतस्मदारगस्स हत्थावापायावाकणावा अच्छिवाणासावाकेवलमेतसिं अंगोवंगाणंागिती प्रागिमित्त तएणं र्णनजाणिवो तेविजयक्षत्रीराजानेमगावतीनामरांणीती एकद्रीहीननहीवर्णनजाणिवो विजयक्षत्रीराजानोपुनमगावतीदेवी प्र नोगजातसगापुत्रनामावालकडं तो जन्मकालथीअंध जन्मकालथीमूक जन्मकालथीवहिरो जन्मकालथीपांगलोहाथपगरहितस वातादिकवायनोरोगनथी तेहबालकनेहाथअथवापगकान आखिनासिकानि:केबलतेसगापुत्रबालकने अंगउपांगसर्वश्राकारमा 業器業器業業养業涨業兼差賺漲漲漲漲漲漲漲器 For Private and Personal Use Only Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandie वि०टी. सूत्र * ***WERMEMEWAR**WWW नाविदिते फुट्टहड़ाहडंसौमेत्तिफुट्ट ति स्फुटितकेशसञ्चयत्वेनविकीर्णकेशंहडाहडंति अत्यशिरोयस्यसतथामच्छियाचडयरपहयरे तिमक्षिकानां प्रसिद्वानांचटकरप्रधानो विस्तरवान् प्रसरकः समाः सतथाअथवामक्षिकानांचटकराणां तहदाबांय:प्रहरक: स सामियादेवीतंमियापुत्तदारगं रहस्मियंसिभूमिघरंसि रहसिएणभत्तपाणणं पडिजागरमाणौर ___ विहरदूतत्थणं मियागामे णगरेएगेजाबंधे पुरिसेपरिवसद् सेणंएगणंसचक्खुतेणं पुरिसेणपुर अोदंडएणंपगडिज्जमाखेर फुट्टहडाहडसीसे मच्छियाचडगरपहकरेणं अणिज्जमाणमग्गेमिया कारमाबजेछपरंप्रगटनथौतिवारेपछीतेमगादेवी तेवगापुत्वबालकनेएकांतनो भकिग्टह हरानेविषे प्रच्छनछानोभातपाणीदे तीसंभालकरतीथकीविचरे तिहांस गगांमनगरनेविषे एकअन्यकोईजन्मनोधपुरुषवसेरहेछ तेधपुरुषनेएकदेखतोपुरुष तेणे * रुषेपागलथकी लाकडीयेकरी होंडातौवांचतौथकोविचरेछे बौखस्वामोकलाकेशतेणेकरीमतिविस्तारके मस्तकजेहनोमाखीनावि स्तारतेहनादनोसमूहबणवणतीपंथमार्गेजातांठेजाइछे गग्रांमनगनेविषे घरघरनेविषे भिक्षाकरेदीनवृत्त करीभाजीविका 帐業兼差兼業業職業業業職業業業業养業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विटी 器業業業業業業斐樂業業業業器諜諜諜器 तथातेनअणिज्नमाणमग्गेत्ति अन्वीयमानमार्गोऽनुगम्यमानमार्गः मलाविलंवस्तुप्रायो मक्षिकाभिरनुगम्यतएवेति कालुणवडिया एतिकारुणहत्त्वाविति कप माणेत्ति जीविकांकुर्वाण: जावसमोसरिएत्ति रच्यावत्करणात् पुयाणुपुविचरमाणेगागाणुगामंदुर * * जमाणे इत्यादि वर्षकोहश्च: महाजणसह चेति सूत्रत्वान्महाजनशब्दचहयावत्कारचात् जणबहंचजणबोलंचेत्यादिश्च तत्र * गामेणयरेगिहेगिहेकालवडियाएवित्तिकप्पमाणेविहर तेणंकालेणं तेणंसमएणंसमणेभगवंमह बौरेजावसमोसरिएपरिसामिग्गया तएणंसेविजएखत्तिए इमोसेकहाएलसमाणे नहाकूणिएत हानिग्गएनावपज्जवासद् तएशंसबंधेपुरिसेतंमहाजणसहचजावणेत्तातंपुरिसंएवंव०किन्नदेवा करतोथकोविचरेछ तेकालतेसमानेविषे श्रमणाभगवंतमहावीर यावत्समोसया परिषदावांदिवानीकली तिवारपछीते विजयक्षत्री नेएहवीकथावानाअर्थलाधेयकेसांभल्येयकेनिमकोणिकांदिवानौसयातिमविजयराजावांदिवानीसस्योयावत्सेवाभक्तिकरिवाला गोतिवारपछौतेजातपंधपुरुषे तेमोटालोकनाशब्दएहवीतेकथासांभख्यासभिलौनेतेदेखपापुरुषप्रतेइमकहियोकिमोहेदेवाणुप्रियामा 悲業業諜器需諜業業業業業業業業業兼差業樂 भाषा For Private and Personal Use Only Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विष्टी० जनयू रञ्चकाद्याकारः समूहस्तस्य शब्दस्तदभेदाज्जनव्य हएवोच्यते अतस्तंबोलोव्यक्तवर्णोध्वनिरिति इंदमहेवत्ति इन्द्रोत्सवोवाइह * यावत्करणात्खंदमहेवा रुद्दमहेवा जावउज्जाण जत्ताइवा जन्नवहवे उग्गाभोगाजावएकदिसिं एगाभिमुहा इतिदृश्यंततोयहाक्य * तदेवमनुसत्त व्य सूत्र पुस्तकेसवाक्षराण्य वसन्तीति तएणंसेपुरिसेतंजाइ अंधपुरिस एवंवयासीनोखलु देवाणुप्पिया अज्जमियग्गा * णुप्पिया अज्जमियग्गामेइंदमहेतिवाजावनिगच्छतएणं सेपुरिसेतंजाईअंधपुरिसं एवंवयासिणो खलदेवाणुप्पियाईदमहेजावनिग्गए एवंखलुदे०समजावविहरइतएणंएएजावनिगच्छदूतएणसे अंधपुरिसेतंपुरिसंएवंव० गच्छामोणंदेवा० अम्हेविसमणेभगवंजावपज्जुवासामोतएणंसेजाबंधेषु जम्हगगांमनेविषेद्रमहोच्छवछनागमहोच्छवडूजेलोकएकदिसेजाइकोलाहलशब्दकरछेतिवारपछीतेपुरुषतेजानअंधपुरुषप्रतेइमक ह्योनहीनिचे हेदेवाणुप्रिय इंद्रमहोच्छवनागमहोच्छवने अर्वेनीकलेजाइ इमनिचे हेदेवानुप्रियत्रमणभगवंतश्रीमहावीरविचरेछे यावत्तेभणीएपरिषदावांदिवासारूनीसरेछे जायक तिवारपछीते अंधपुरुषतेदेखतापुरुषप्रते दूमकहेजाये देवानुप्रियापणपणि 紫紫蝶飛業業業業業業業業兼差賺賺賺聚聚, 长兼涨涨涨涨涨涨涨涨涨業業器暴涨涨涨涨 भाषा For Private and Personal Use Only Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि.टी. - * मेणगरेदमहेवा जावहसमागतेइह संपत्ते इहेवमियग्गामेणगरेमिगवणुज्जाणे अहापडिरूवं उग्गहंउगिणहर संजमेणंतव * साप्पाणंभावेमाणे विहर तएणसे अंधपुरिमेतं पुरिसं एवंवयासीइति विजयस्मतीसेयधम्मति इदमेवदृश्य विजयस्मरसोतीसेय रिसेपुरोदंडएणंपगडिज्जमाणेश्जेणेवसमणेभगवंमहावीरेतेणेवउवागच्छईश्त्ता तिक्खुत्तोत्राया हिणंपयाहिणकरेइश्त्ता वंदईनमंसईश्त्ताजावपज्जुवासईतएणंसमणेश्विजयस्मतीसेयधम्परिकह दूजावपरिमापडिग्गया विजएविगएतेणंकाले०३ समणस्म जे अंतेवासौदणामं० जावविह श्रमणभगवंतमहावीरने वांदीनेयावत्सेवाकरीये तिवारपछी ते जन्मअंधपुरुषनेपागले दांड़ करीने हौड़ाड़तोयकोजिहाश्रमणभग *वंतमहावीरदेव तिहासावेघावीने त्रिणवारजीमणापासाथकी प्रारंभीने प्रदक्षिणाकरकरीने वादेनमस्कारकरकरीने यावत्पर्यु पासनासेवाकर तिवारपछोश्रमणभगवंतमहावीरविजयराजा तेपरिषदाप्रते धर्मकथाकहे यावत् धर्मसांभलीपरिषदापाकीवलीवि जयराजापणिपाछोवल्योतेकालतेसमानेविषे श्रमणभगवंतमहावीरनोबड़ोथिष्यद्रभतिनामा अणगारनपसंयमेकरीपोतानोमामा भाषा 器需紫米器器課業課紫紫器器器業 業業業業業業漲漲漲漲漲漲漲漲漲漲兼業养 For Private and Personal Use Only Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि टी. 聚器器兼器兼器器崇崇凝器業業業業業業 महमहालियाएपरिसाए विचित्तंधम्ममाइक्खडूजहाजीवाबका तीत्यादिपरिसाजावपरिगतयाजाअंतिजारारभ्यांधोजात्यन्धः रइतएणंसेभगवंगोयमेतं जाइअंधंपुरिसंपासईश्त्ता जायसड्डेजावएवंव०अत्थिणभंतेकेईपुरिसेजाइ अंधेजा धारूवे हंतात्थिकहिणंभंतेसेपुरिसेजाबंधे जाधारू वेएवंखलुगो० इहेवमिया गामेणयरविजयस्मखत्तियस्म पुत्तेमियादेवीएअत्तए मियापुत्तेणामंदारए जाधे जाइबंधा रुवेनस्थिणंतस्सदारगस्स जावागितिमित्तेतएणंसामियादेवी जावपडिजागरमाणोर विहरतए भावतोयकोविचरेके तिवारपछीतेभगवंतगोतमे तेजातिअंधपुरुषनेदेखेदेखीनेएहवीबहाउपनीएतावता एहवोसंदेहजपनोळे यावत् दूमकहेले हेपज्यकोई पुरुषजन्मान्ध जातिधपुरुषऊपनो तिहांछे किहांके हेपूज्यतेपुरुषजाति आंधोजांण्यो जातिमधऊपनो इमनिचे हेगोतम इहांगगामनगरनेविषे विजयक्षत्रीनो पुनमगादेवीनो अंगजात मुगापुत्रनामावालक जन्मांधण्योजातिबंध अपनो नयी बालकने हाथपगउपांगादिकशेषपूर्ववत् जिहांलगे आकारमात्र द्रौके तिवारपछौ तेसगावतीराणी यावत्थब्दयकी 辦辦講業業業需業業器業業器器業需继器器 भाषा For Private and Personal Use Only Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि.टी. सचचक्षुरुपघातादपि भवतीत्यत आहजायमंधारूवेत्ति जातमुत्पन्नमन्धकं नयनयोरादितएवानिध्यत्त: कुत्सितानकपंयस्थासौ * जातान्धरूपक: अतुरियंति अत्वरितमन: स्थर्यात् यावत्करणादिदं दृश्य अचवलमसंभंतेजुतंतरपलोयणादिहीए पुरोरियडू तवा चपलंकायचापल्याभावात् क्रियाविशेषणादौ तथाअसम्भ्रान्तो भ्रमरहित: जुगंयूपस्तत्प्रमाणो भूभागोपियुगस्तस्थान्तर मध्य प्रलो सेभगवंगोयमे समणंभगवंमहावीरंवंदणमंसद एवंवयासिइच्छामिणंभंते अहंतुम्भेहिंअम्भ गपाएसमाणे मियापुतं दारयंपासित्तए अहासुदेवाणु० तएणंसेभगवंगोयमे समणेणंभगवया अभ्भणुपाएसमाणे हट्टतु समणस्मभगवो अंतियाोपडिनिक्खमईर अतुरियंजावसोहेमाणे २ भाषा * * भूयरांनेविषे भातपाणीपोषतीथको विचरेके तिवारपछीभगवंतगोतमखामी श्रमणभगवंतमहावीरने बांदीनमस्कारकरकरीने इम कहेबांकुछ हेभगवंतहं तुम्हारीआज्ञाहुयेथकेसगापुत्रबालकनेदेखिवाजा जिमसुखहोइतिमकरो अहोदेवानुप्रियातिवारपछी भगवंतगोतम श्रमणभगवंतम हावीरतीरे अज्ञापाम्य थके हर्षसंतोषपाम्यो श्रमणभगवंतमहावीरना समीपथकी नीकलेनीकली 標業業灘業業職業業業業業業兼兼業兼職兼器器 WHEREKKERMANENEWHENKHERI For Private and Personal Use Only Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि. टी० १८ सूत्र भाषा GE www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कनंयस्याः सातथातयादृथा चक्षुषारियंति ईर्यागमनं तद्विषयोमार्गोपीर्या अतस्तां जेणेवेत्ति यस्मिन्देशे तेोषतस्मिन् देशेहजा जेणेवमियागामेणयरे तेणेव उवा० मियागामंण्यरं मन्यमणं पविसर जेणेव मियादेवी एगिहेतेणेवडवा॰ तएणं सामियादेवीभगवं गोयमं एज्नमाणंपासई २ हट्ठनावएवंव० संदिसंतु देवा० किमागमणपयोयण तरण भगवंगो० मियादेविंएवं हम देवाणु० तवपुत्त पासियहव्यमागए तरण' सामियादेविमियापुत्तस्म दारयस्मा गुमग्गजायए चत्तारिपुत्त सव्यालंकारविभूसिएकरेद्रश् नेतावलानही यावत्र्यासु मितिसोधताथका जिहांमियग्रामनगर तिहांचवे आवीने मियगामनगर नेमध्यमध्यविचालेविचाले प्रवेशकरेकरीने जिहांम्टगादेवीनोघर तिहांआवेचावीने तिवारपछी तेम्गावतीदेवी भगवंतगोतमे भावतादेखेदेखीने हरषीयावत् इमवोली आदेशो अहोदेवानुप्रिया किस तुम्हारो प्रयोजनचयवानो तिवारीभगवंतगोतम बगावतीदेवीने इमबोल्याड' हे देवानु प्रियतेताहरोपुत्रजोवाने उतावलोभाव्योक तिवारपीतेष्टगावतीदेवी मृगापुत्रबालकतेहनेपूटे जय्यादेतेएतले अनुक्रमेकेड़ जाया For Private and Personal Use Only 示米米米米米米米米米米米 Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि•टी० सूत्र 業兼職骤業蒸蒸糕業業器業蒸蒸業業業職業 वत्तिहहहतहमाणं इत्यादिदृश्य एकार्थाश्चैते शब्दा: हब्बतिशीघ्र जाउणंति यस्यात् जावावाविहोबाजाताचाप्यभवत् इत्यर्थः ताभगवनोगोयसम्म पाएसुपाडेदृश्एवंव० एएणभंतेममपुत्त पासह तएण सेभगवंगोयमेमियंदेविं एवंवयासीणोखलदेवाण अहंएएतवपुत्ते पासिउंमागए तत्थण जेसैतवजे पुत्त मियापुत्त दारए जाधेजाइ अंधारूवे जन्नतमरहमियं भूमिधरंसिरहस्मिएण भत्तपाणण पडिजागरमाशी शविहरइतन्न अहंपासिउंहब्बमागए तएण सामियादेवीभगवंगो एवंव० सेकेण गोयमासेतहार च्यारिपुत्रसर्वअलंकार आभरणादिकेसिणगारकरावीलगड़ापहिरावीने२ भगवंतगोतमने पगेलगाड़ लगाडीनेश्मकहे एकहपज्य म्हारापुत्रदेखो तिवारपछीतेगोतमस्वामी सगादेवीनेइमकहे नहीनिश्चयहे देवानुप्रियेडंएताहरो पुत्रदेखवाउतावलुं प्राथोनथी तिहांजतेताहरोवड़ोपुत्वहगापुत्रवालक जातिधजण्यो जन्मांधोकपऊपनो तुम्हें प्रच्छन्नछानोराखोलों भयरामाघरनेविषेश छन्नछानो भातपाणी येकरीसंभालकरती पोषतीयको विचरेछे तेहने देखिवाउतावलो आव्योछतिवारपीते एगावतीदेवी भाषा For Private and Personal Use Only Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि.सु. वेणाणीवा तवस्थिवाजण तावएसम ममतावरहस्सकहे तेतुभ्भहब्बमक्खाए उण तुम्भेजाण हतएण भगवंगोयमेमियंदेविएवंव० एवंखलदेवा० ममधम्मायरिए समणेभगवंमहावीरे जावज ओण अहंजाणामि जावंचण मियाभगवयागोयमेणसद्धिएयमसंलवद् तावंचणं मियापुत्तस्स दा रगस्सभत्तवेलाजाययाविहोत्था तएण सामियादेवी भगवंगोयमं एवंवतुभमेण भंतेइहचेवचिह षाभा 炭業养暴漲漲漲漲漲漲漲漲漲漲漲漲漲漲漲漲 भगवंतगोतमप्रते इमकहेतेकुणतुम्हारेगोतम तेयथा रूपकुणग्यांनी अतिशयज्ञानेकरी संयुक्तके वलीतपनौलब्धिकरौजेणे तुझप्रतेए अर्थम्हारोतुम्ने गुप्तकह्योछे तुम्हे तेभणीशीघ्राथाइमकहे जेथकौतुम्हेजाणोछो तिवारपछीभगवंतगोतम मुगादेवीप्रतेमकहे इमनिशेहेदेवानुप्रिये माहरेधर्माचार्यधर्मनाउपदेशक श्रमणभगवंतमहाबीरसर्वजांणेसर्वदेखतेणे कह्योयावत्जमाटे जाणंछना ताईनेतलेमगादेवी भगवंतगोतमसंघाते एअर्थवातकोथके तेतले तिणिवेलापापणीमगादेवी भूमिधरनोकमाड़ उघाड़ के एतले गोतमनेकाई दोषनलागोइसोजांणीश्रीमहावीरगोतमने आदेशदीधो जेगोतमने दूषणलागतोजाणतातोश्रीजगन्नाथाज्ञानदेता 猴業業諜罪米米米業器器諜諜諜器講器業業 For Private and Personal Use Only Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०सू० २१ भाषा 業 無 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जहाण अहंतुम्भ मियापुत्तं दारयंउवदं सेमित्तिकट्ट जेणेवभत्तपाण घरए तेणेव वा वत्थ परिय करे इश्कट्ठसगडियंगेगृहद् विपुलस्म असणपाणखाइमसाद्मस्यभरे२तंकट्ठस गडियं श्रणुकट्टमाणौ २ जेणे वभगवंगोयमेतेणेवडवा • भगवंगोयमंएवंवया • एहिण तुम्भेभंतेममं अणु गच्छ हनहाण अतुम्भ' मियापुत्त दारयंउवदंसेमि तरण' सेभगवं गोयमेमियंदेविपि समयुगच्छदूतएण सामियादेवी म्मृगापुत्रबालकने भातनीवेलानो अवसरथयो तिवारपछीतेम्टगादेवी भगवंतगोतमप्रते दूमबोली तुम्ह हेपूज्य इहांउभारहो जिम डं तुम्हने म्टगापुत्रबालकदेखा तिवारपछीतेदूमक हे जिहांभातपांणीनोघर तिहांचा वेचावीने पहिरवानावस्त्रपालय्या काष्ठनी गाड़लीपईडासहित लेईलेईने विस्तीर्णभातपांणी खादमखादमभरभरीने तेकाष्ठनीगाड़ली जिम्बालकड़ोरड़ बांधीनेगाड़लीतांणे तेहनीपरे तांणतीतांणती जिहां भगवंतगोतम तिहांचवे आवीने भगवंतगोतमप्रमेदूमबोली आवोतुम्ह भगवनमुझकेड़ जिमड तुमनेम्टगापुत्रबालकदेखाडुं तिवारपछीतेगोतमस्वामी म्हगावतीरांणीकेड़ चाल्यातिवारपछीते बगावती देवी तेका उनीगाड़ली For Private and Personal Use Only 米米米米米米米米米 Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie विष्टी 岸業業業器業業業業業業業業業業業業業業業养 बत्थपरिय'ति वस्त्र परिवर्तनं मे जहानामेएत्ति तद्यथा नामेतिवाक्यालङ्कारे अहिमडेडूवा सयकडेवरेड्वा दूच्यावत्करणात् गोम तंकटसगडियंअणुकट्टमाणौर जेणेवभ मिघर तेणेवउवागच्छद्र चउप्पडणवत्थ णमुहबंधमाणी भगवंगोयमंएवंव. तुभ्भेबिण भंतेमुहपोत्तियाएमुहबंधह तएण से भगवंगोयमेमियादेवीएएवं त्त समाणेमुहपोत्तियाएमुहबंधेइश्त्ता तएणंसामियादेवीपरंमुहीभूमिघरस्म दुवारविहाडेइतो ण गंधोनिगच्छद्र सेजहाणामएअहिमडेइवा जावतोविण अणितराएचेव जावगंधेपपत्तत ताणतीतांणती जिहां यरानाघर तिहांआवेधावीने चिडंपड़िवस्त्र करीनेमुखांधतीथको भगवंतगोतमप्रते इमवोली तुम्हें पिण भदंतपूज्य मुखवस्त्रकांइमुखबांधो तिवारपछीते गोतमस्वामीटगादेवी एहवोवचनकोथके मुखवस्त्रकायेकरीमुखबांधे बांधौनेतिवा *रपलौतेसगादेवी उपराठीथईने हराघरनावारकमाडउघाद्या पछतिहाथकोगधनीकलेनीकलने तेजिमनामसंभावनायेसर्पनाम डाजिमगंधाइतिमगंधनीसरी यावत् तेथकीपुणअनिष्टतर अधिकीयावत् गंधपरूपीछे तिवारतेसगावती सगापुत्रवालकतेविपुलवि 叢叢叢叢鬃業辦業業業蒸养养养养器器漲漲漲 भाषा For Private and Personal Use Only Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि टो तममा * हेवामुणसमडेवा इत्यादिद्रष्टव्य ततोविणंतिततोपि अहिकडेवरादिगन्धादपि अणिहतराए चेवत्तिमणिष्टतरएवगंध इतिगम्यते * इच्यावत्कारणात् अकंततराए चेव अपीइतराएचेव अमानतराएचेवत्ति दृश्य एकार्थाश्च तेमुच्छिएइत्यत्नगढिएगिअनोवपन्ने इतिपदत्रयमन्यदृश्यमेकार्थान्येतानि चत्वार्यपीति अज्झथिएइत्यत्वचिंतिए कप्पिएपस्थि एमणोगए संकष्य इतिद्रष्टव्य एतान्यष्य कार्थि एणंसेमियापुत्त दारएतस्मविपुलस्स असणपाणखाइममाइमस्मगंधेणंअभि णतं सिविपुलं ___ सणंटमुच्छिए तंविपुलं असणंठ पासएण आहारे खिप्पामेवविद्धंसेइर तत्रोपच्छापूयत्ताएसोणिय त्तापरिणामेइ तंपियण पूयंचसोणियंच आहारेइतरण भगवोगोयमस्स तंमियापुत्तदारयंपा स्तीर्णप्रसनपाणखादमस्खादिमइत्यादि कनीगंधेकरी पौड्योथको तेविस्तीर्ण असनादिकनेविषेमू पाम्योछे तेविस्तीर्ण असनादिक४ मुखेकरीआहाराहारीने तत्कालविव'सबिनासपामेपामीनेतिवारपछीपरूपणेने तथासोणियलोहीपणेथईतेयाहारपरिणमे तेवलीपीरूअनेसोणितलोहीपणि पाहारेतिवारपछी भगवंतगोतमने तेसगापुत्वबालकने देखीने एतादृशरूपएहवोमनमांहिवरा 業業需業業諾業樂器業狀器業業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir XMMMMEREKKKKKAKEKENKHEWIKHE कानि पुरापोराणाणं इत्यक्षरघटनापुराणानांजठराणांक टीभतानामित्यर्थः पुरापूर्वकालेदुचीर्णानां प्राणातिपातादिषु दुश्चरित हेतुकानांदुष्पड़िकंताणंति दुःशब्दोभावार्थस्तेन प्रायश्चित्तप्रतिपत्त्यादिनाअप्रतिकातांनां अनिवर्तितविपाकानामित्यर्थः पसभापति * सित्ताअयमेयारूवे अज्झथिएपत्थोएचिंतौएमणोगएसंकप्म समुप्पज्जित्या अहोण इमेदारएपुरा पोराणाण'टुच्चिस्माण दुप्पडिकंताण असुभाण पावाण कडाणंकम्माण पावगंफलवित्तिविसेसंपञ्च गम्भवमाणेबिहरणमेदिहाणरगावाणेरड्यावापच्चक्खं खल अर्थपुरिसे परयपडिरूवियंवेयवएई म्यभाये अध्यवसायपरिणामअभिलाषाई एकाश्रितचिंतामनोविकाररूप एहवोसंकल्पऊपनो महोएहवोविस्मयकरी एल्गापुत्व बालकपूर्वलेजन्मान्तरे पुराणाषणाकालनादुश्चौर्णप्राथातिपातादिकेकरीदुष्टपणेचाचया पशुभनाकारणएहवा पापकर्मनोविपाक कोधानानावरणादिककर्मनेहनो अशुभविपाकफलरूपत्तिहनोविशेष भोगवतोथको विचरले में नथीदौठा प्रत्यक्षभावेनारको वासानारकौनादु:खभोगवताधका दौठानथोपिण प्रत्यक्षनिचे एपुरुष नरकसरीपौवेदनाडु:खभोगवेछे मकहीने बगादेवीनेपले KaM*EKHEKHEWIMREKENIWERENEKENENIWAMIN भाषा For Private and Personal Use Only Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि०० त्तिकडुमियदेविंधापुच्छर मियाएदेवीएगिहाअोपडिनिक्खमईर मियग्गामंणयरमझमज्झणं निगच्छरजेणेवसमणेभगवंमहारौरे तेणेवउवासमणभगवंमहावीरांतिक्खुत्तोत्रायाहिणंपयाहि णकरेइर वंदहणमंसदरत्ताएवंब०एवंखलुअतुम्भेहिंअग्भगुमाएसमाणे मियग्गामण यरं मज्भम उझणअणुपविसामिजेणेव मियादेवीएगिहे तेणेवउवागए तएणंसामियादेवीमम एज्नमाणपास दूर हद्वतंचेवसब्बंजावपूयंच सोणियंचचाहारेइतएणममइमे अउझथिएपत्थोएचिंतीएमणोगएसं * पूछोरने व गादेवीनापरथकी नीसरेनोसरीने मियगामनगरने मध्यमध्यविचाले विचालेनीकलेनीकलीनेर जिहाश्रमणभगवंत भाषा श्रीमहावीरदेवतिहाआवेत्रावीने श्रमणभगवंतमहावीरदेवने त्रिणवारजीमणापासाथकी प्रारंभीमे प्रदक्षिणाकरकरीनेर वांदीन मस्कारकरकरीने इमकहेड्मनिश्चहुं तुमारीमानापाम्य थके मियगांमनगरनेमध्यमध्यविचाले प्रवेशकरीने जिहांहगादेवीनो घरतिहांगयो तिवारपछीते सगादेवी सुझनेपावतोदेखेदेखीने हर्षसंतोषपांमी तेसर्वपूर्वलीवातजिमदीठीतिमकहीपीरूराधप्रमुख 業業業業業器業寨器蒸养养業鬆滌需業業叢叢書 業樂器器器器器器需柴柴業業器器蒸差點講 For Private and Personal Use Only Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि०टी० असुखहेतूनां पावाणंति पापानां दुष्टखभावानां कम्माणंति ज्ञानावरणादीनां पुवभवेकेासि इत्यतएवाबाध्य किनामएवाकि गोत्तएवान नामयादृच्छकमभिधानं गोवंतयथार्थ कुलंवाकयरंसि गामंसिवा किंवादच्चा किंवाभोच्चाकिंवासमायरित्ता केसिंवापुरा कप्पेसमुप्पज्जित्ता अहोणंड्मेदारए पुराजावविहरडू सणंभंतेपुरिसेपुवभवेकेासीकिंणामेएवाकिं गोएवाकयरंसिगामंसिवाणयरंसिवाकिंवादच्चाकिंवाभोच्चाकिंवासमायरित्ता कैसिंवापुरापोराणा णंदच्चिरमाणंदप्पडिकंताणंसुभाणंपावाणंकम्माणंपावगंफलवित्ति विसेसंपच्चमा म्भवमाणे विहरद सोणितलोही आधारगिले तिवारपछीमुझने एहयो अध्यवसायअध्यात्मएकमात्माआश्रित एहवीअभिलाषा चितस्मरणरूपमनो भाषा * गतएहवोसंकल्पऊपनोअहोएहवे विस्थयकरी एमृगापुत्ववालकपूर्वलाजन्मान्तरनाकीधा कर्मभोगवतोविचरे तेहेपूज्यए पुरुषमृगापुत्र पूर्व लेभवेकोणतो स्योंनामहंतोस्योगोत्रहंतो कोणगांमेहंतो कोणनगरेवसतो कुणअशुद्धकुपात्रदानदीधा कोणअभक्षमांसादि कभोगव्याकाईकुव्यसनादिककीधा केहवापुराणाषणाकालनादुश्चीर्णप्राणातिपातादिकरोदुष्टपणेवाचस्या तेहनाप्रायश्चित्तपडिव 傑羅號號號狀兼職兼差業業兼業業涨涨涨涨涨業 辦諜諜諜諜誰議米辦講洲諜諜諜諜諜調調 - For Private and Personal Use Only Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि टी. 黑業業業業業蒸蒸業業茶業蒸蒸器業業業業 #पोराणाणं दुच्चि पाणंदुष्पड़िकंताणं असुहाणंपावाणंकम्माणं पावर्गफलवित्तिविसेसं पच्चणुभवमाणेविहरत्तिगोयमाइत्ति गोतम इतिएवं आमन्त्र्य तिगम्यतेऋष्ट्वित्यिमियत्ति ऋद्धिप्रधानं स्तिमितंचनिर्भयं यत्तत्तथावस्त्रोत्तिनगरवर्णकः सचौपपातिकवंद्रष्टव्यः दूरसामंतेत्ति नातिदूरेनचसमीपेइत्यर्थः खेडत्तिधूलीप्राकारंरिवत्यित्ति रिहत्थमितसमिचे इतिद्रष्टव्य आभोएन्ति विस्तार रहउ गोयमाईसमणेभगवमहावीरेभगवंगोयमंएवंव०एवंखलुगोयमातेणंकालेणंतेणं समएणंदूहेवजंबूद्दी वेभारहेवासे सयदुवारणामणयरेहोत्थारिडत्यमिएसमिद्धावस्पो तत्थणंसयदुवारणयरे धणवती णामंरायाहोत्था वो तस्मणंसयदुवारमणयरस्म अदूरसामंते दाहिणपुरथिमेदिसिभाएवि जीपड़िकम्यानथी अशुभना हेतु पापकर्मसावध अनुष्ठानकमतेहनो अशुभविपाककर्मतेहनो फलरूपत्तितेहनोविशेष भोगवतो थकोविचरेके गोतमादिदेईने श्रमणभगवंतमहावीरदेव भगवंतगोतमप्रतेमकहे इमनिश्चय हे गोतम तेकालसमानेविषे एजंबू नामाहीपेभरतक्षेत्रनेविषे शतदुवारएहवे नामेनगरतो तथा१०० हारतेणेकरीशतहारकहीये ऋद्धिकरीप्रधानतथामिभावास 流業業業器器諜諜諜諜諜狀黑黑黑黑黑黑業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 需諾瞞業業講講講講講講業需器端 डेत्तिराष्ट्रकूटोमंडलोपजीवीराजनियोगिक: अहम्मिएत्ति अधर्मिकोयावत्करणादिदं दृश्य अधम्माणुएअधम्मिढे अधम्मक्खाई महम्म जयवतमाणेणामखेडेहोत्था रिद्धथमियवस्मयो तस्मणविजयवद्धमाणस्मखेडस्म पंचगामसवाई'श्रा भोएयाविहोत्या तस्मणविजयवद्धमाणखेडे एकाईणामंरकूडेहोत्था अहम्मिए जावदुप्पडियाणंदे सेणंएकाईणामरकूडे विजयवतमाणस्म खेडस्म पंचण्हंगामसयाणंबाहेवच्चं पोरेवच्चंसामित्त भट्टि भवरहितधनधान्यादिसम्बवंत वर्णनजाणिवो तिहांशतहारनगरविषे धनपतीनामारानाहतो तेहनोवर्णनजाणिवो सेयतहार नगरथको घणुंबेगलोनहीषणोंढकड़ोनही दक्षिणपूर्वने विचे अग्निकूणे विजययईमानसेनांमखेड़कहतां जिहांधुलनाप्राकारहोस् तेखेड़नेवलीचिणदूमकरता भूमिकाथकी चादीसेतेहवाठामते खेड़कहीये भोमावासभयरहित तेहनोवर्णनजाणिवो तेहवि * जयवईमाननामाखेड़नेकेड़े पांचसेगांमछे तेइनेविस्तारएतलेपांचसेग्रामनोभोगतिहा आवतोतिहाविजयवईमाननामाखेड़ानेविषे एकाईनामेरदेशनोअधिकारीनावकडंतोपिणकेहवो अधर्मीयावत्पाड येकौधेाणंदपामे तेएकाईरट्ठकूडनामा विजयवई मान KWIKKRWWXXXREKHWARENEW For Private and Personal Use Only Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि.टी. 黑業蒸蒸業蒸蒸蒸养業業聚器恭業蒸蒸器業 पलोईयधम्मपलज्जणे अधम्मसमुदायारे अधम्म णंचेववित्तिकष्य माणे दुस्मीलेदुव्वएत्तितत्र अधार्मिकत्वप्रपंचनायोच्यते अधम्माणुए * * अधर्म श्रुतचारित्राभावं अनुगच्छतीत्यधर्मानुगत: कुतएतदेवमित्याह अधर्मएवइष्टोवल्लभः पूरितोवायस्यस अधर्मेष्टः अतिशयेनवा अधर्मीधर्मवजितइत्यर्थः अतएवाधर्माख्यायी अधर्मप्रतिपादकअधर्मख्यातिर्वा अविद्यमानधर्मोयमित्य व प्रसिद्दिक: तथाअधर्म मेव प्रलोकयत्प ण्यादेयतया प्रेक्षते यस्मतथाअतएवअधर्मप्ररजनो अधर्मरागी अतएव अधर्मः समुदाचारो यस्य सतथाअतएवा * धर्मेण हिंसादिना रत्तिजीविकां कल्पयन् दुःशील: शुभखभावहीन: दुर्वतश्च व्रतवजित: दुःप्रत्यानन्दः साधुदर्शनादिनानन्धत * इतिहेवच्चंतिअधिपतिकर्मयावत्करणादिददृश्य पोरेवच्चसामित्तं भट्टितमहत्तरगत्तं आणाईसरसेणावच्च कारेमाणेति तनपुरो वर्तित्वमग्रसरतां खामित्वं नायकत्वं भटत्व पोषकत्व महत्तरकत्वं उत्तमत्व आश्चरस्थाज्ञाप्रधानस्य यमनत्वंतदानेश्वरसेना सूत्र महत्तरगतंत्राणाईसरसेणावच्चंकारेमाणेपालेमाणेविहरतएणसेएका विजयवव०पंचगामसया भाषा नामाखेड़ाने पांचसेगांमसहितनोअधिपतिणो अग्रेसरपणोस्वामीपणोभरणपोषणनोकरणहार पांचसेगांमनोमोटाईपणोकरतो For Private and Personal Use Only Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि-टी. 森茉器業器器業業器器業業器器装器器器器器器 * पत्य कारयन्नियोगिकैविधापयन् पालयन् स्खयमेवेत्तिकरहियत्ति करैःक्षेत्रादावाश्रित्य राजदेवद्रव्यैः भरेहियत्ति तेषामेवप्राचुर्यै: वि हीहियत्ति द्धिभिःकुटविनां वितीर्णस्यधान्यस्यद्विगुणादेग्रहणै हिभिरिति कचित्तत्रत्तयोराजादेशकारिणां जीविका:उक्कोडाहि यत्ति लंचाभिःपराभएहियत्ति पराभवैः विज हियत्ति अनाभवहातव्य ः भिज्ज हियत्तियानिपुरुषमारणाद्यपराधमाश्रित्यग्रामादिषु दण्डद्रव्याणि निपतन्तिकोटुखिकान् प्रतिचभेदेनोद्ग्राह्यन्ते तानिभेद्यानि अतस्त कुतेहियत्ति कुतकएतावद्व्यं त्वयादेयं इत्येवं बहुहिकरहियभारेहियविद्यौहियउबोडाहियपराभवेहियदिज्जेहियभज्जेहिय कुतेहियलंछपो सेहियालोवणहिय पंथकोहियउवोलेमाणे विहिंसेमाणेश् तज्ज माण तालेमाणे निडणेक आचाईखर्यनायकपणोमेनापतिपणो करतोथकोकरावतोथकोपालतोथकोपलावतोथकोविचरे तिवारपछीतेएकाईरट्ठकूड़विजेवर्ड माननामाखेड़ाना पांचसेगांमने घणोकरलेवेकरी प्रचुरकरनोकरबोतथाकरमणीपासेषणोधानलीये करविकरेलांचनेलेवेकरी लोकनेपराभवनोकरिवोतेणेकरी मयतुझकन लहणोतेणेकरी एकनोडंडधणानेमाथेपाड़े तेणेकरी अधिकोद्रव्यवधारग्रामादिके 那諜職業諾器業業業業業業業業業業器器器器采 माषा For Private and Personal Use Only Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विटी सूत्र 業养業業業業業業業养業業業業業業業業業, * नियन्त्रणंयानियोगिकस्य देगादेयत्समर्पणमिति लंछपोसेहियत्ति लंका:चौरविशेषाः सम्भाव्यन्त तेषांपोषाः पोषणानित: आली वणेहियन्ति व्याकुललोकानां मोषणार्थ ग्रामादिप्रदीपनैः पंथकोहहियत्ति सार्थघातैः उब्बौलमाणे अचपीलयन् बाधयन् विहम्म * माणत्ति विधर्मयन्खाचारभ्रष्टान् कुर्वन्तज्जमाणेत्ति कृतावष्टम्भातर्जयन्नास्वथरेयन्ममदंवचनं दत्खेत्य व भेषयन् तालेमाणेत्ति रेमाणे२ विहरतएणंसेएक्काईरट्ट विजयवद्धमा० बहुणंराईसरजाबसत्थवाहाणं अपेसिंचबहु णंगामेल्लगपुरिसाणं बहुसुकज सुयकारणेसुय मंतेसुयगुज्झसुथ निच्छ सुयववहारेसुय सुण एकचोरनेवालबुएकचोरनेपोषे गांमनेवालेलुंटवानेअर्थे वाटपड़ावेएकपाहिदूपीड़तोडतोपौड़तोथको खपाचारयौनष्टकरतोथको * तर्जेलोकनेवीहावे जाणिसरेजेतुमुझनेनथी देतोइत्यादिक चपेटादिकेकरीताड़तोथको निईनकरतोथकोर विचरेके तिवारपछीते एकाइरहकूड़विजयवईमानखेड़ानेविषे घणाराजायुवराजाप्रमुखसार्थवाहनेयावत् अनेसार्थवाहने अनेरापणिवणागामनापुरुषनेष कार्यनेविषे कार्यनाथतकरतोकराबतो आलोचननुकरवोतेहने विधे गुह्यलजामणीवातनेविषेवस्तुनोनिर्णयतेहनेविषे अनिश्चयार्थ 業兼職業聚器業器業寨寨寨業業業器業躲躲躲器 भाषा For Private and Personal Use Only Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie SENE EHEKHAKEWWWEREKKKEENNEKEKEKINER कशचपेटादिभिस्ताड्यन् कुर्बाणोविहरति तएणएक्काईरट्ठ कूड़ेविजयवड्वमाणखेड़म सक्कानां बहूणराईसरतलवरमाडंपियकोडुवि यसेडिसत्यवाहाणं इहतलवरा राजप्रसादवन्तो राजोत्वासनिकाः माटंबिकाः मडंबाधिपतयो मंडवंच योजनयाभ्यन्तरेऽविद्यमा नग्रामादिनिवेश: संनिवेशविशेषयेषाः प्रसिद्धाःकज्ज सुत्ति कार्येषप्रयोजनेषु निष्यन्वष कारणेमुत्ति सिसाधयिषित प्रयोजनोपायेष माणेभणड्नसुणे असुणमाणेभणमुणे एवंपस्समाणे भासमाणे गिणहमाणे जाणमाणेतएणं सेएकाई एयकम्म एयपहाणे एयविज्जेएयसमायारेसुय बहुपावकसं कलिकलसंसमज्जिणमा विवादनेविषेतथाव्यापारनेर्थे स्वामीसमकोकार्यकरोछोएहवो संभलाव्योपछे धमकहेसांभलतोथकोजकिंजमनसाभल्यो अणसां भल्य थकेडूमकहे इंसांभलुंछ एतलेअणसांभल्योसांभल्योकहे इमदौठोअणदौठोकहे आपणे एकाकार्यकरवोजेहयोविषे इमबोल्यो अणबोल्योकरेलीधोषणलीधोकरेजाणतोअजाणथाइतिवारपछीतेएकाईरहकूड एकमतीवकरीकर्मशब्देमाचारव्यापारएहजप्रधान भलोप्रधानमाहेमसुभकर्म एचजविज्ञानजेहनो एहनसमाचरणषणपापकर्मअशुभनानादिकरणादिककलहनोहतकारणतेणेकरी 层裴寨縣辦業聽聽業業器業辦職業暴涨業器兼器 For Private and Personal Use Only Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि टी. सूत्र 業器業業業業業茶業業業業業業業業業業 * विषयभूतेषु येमन्त्रादयो व्यवहारातेषु तत्रमन्त्राः पर्यालोचनानिगुह्यानिरहस्यानि निश्चयावस्तुनिर्णयाव्यवहाराविवादास्त घु विषयेएयकम्मे एतद्यापारः एतदेवचकाम्य' कमनीयंयस्यसतथा एयष्यहाणेत्ति एतत्प्रधानः एतनिष्टइत्यर्थः एयविज्जत्ति एवविद्या * विज्ञानंयस्य सतथाएयसमायारेत्ति एतज्जीतकल्पत्यर्थः पावकम्मति असमंज्ञानावरणादिकलिकलुसंति कलहहे तकलुषं मलीमस णेविहरदूतएणंतस्मए कायस्सरकूडस्स अस्पयाकयाईसरोरगंसिजमगसमगमेवसोलसरोगाई कापाउम्भूया तंजहासासे१ खासेर जरे३ दाहे४ कुच्छिसूले५ भगंदरे६ अरिसे७ अजीरे८ दिवीर मुद्धसूले१० अरोए११ अक्खिवेयणा१२ करणवेयणा१३ कंडू१४ उदरे१५ कोड १६ तएकसेएक्काईसो । मेलोपार्जतोथकोविचरले तिवारपछीतेएकाईरहकूड़ने एकदाप्रस्तावेशरीनेविषे समकालसायजसोलरोगातकशूलादिकप्रगटथया तेकहेछे सासखासरवर३ दाघ४ कविपूल५ भगंदर हरदूझे अजीर्ण दृष्टिमूला मस्तकपूल१० अरुचिअन्नहष११ भांखि वेदना१२ कानेवेदना १३ वाज१४ जलोदर१५ गलतकुष्ठ१६ तिवारपछीतेएकाईर?कूड़सोलेरोगमातंकसूलादिकेकरीपराभव्यो 業業業業業業業業紧紧器業灘業業業業業業業, भाषा For Private and Personal Use Only Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विटी 擺業業業業職業業業業涨涨涨器業業業涨器 *मित्यर्थः जमगसमगंति युगपत्रोगार्थकत्ति रोगाव्याधयस्तएवातंकाकष्टजीवितकारिण: सासेत्यादिलोकः १ जोणीसूलेति अप __लसहिरोयातंकेहिं अभिभूएसमाणे कोडुबियपुरिसेसद्दावेदर एवंव० गच्छहणंतुम्भेदेवाणु प्पिया विजयवतमाणे सिंघाडगतियचउक्चच्चरमहापहेसु महया ३ सद्देणं उघोसेमाणे ३ एवंव० एवंखलु दे०एकाई०सरीरगंसि सोलसरोयंकापाउम्भूया तंजहासासेखासे जावकोड़े तंजोणंइच्छई देवाणु प्पियाविज्जोवाविज्जपुत्त वा जाणअोवाजाण पुत्तोवातइच्छौथोषातइच्छीयपुत्तोवाएकाईरहकुडस्म थको कोविकपुरुषतेड़ावेतेड़ावीने इमकह्योजाज्योतन्ह महोदेवाणुप्रिया विजयवईमाननामखेड़ानेविषे विपंथमिले विकचउक चाचरमोटापंथनेविषे मोटे मोटे शब्देकरी उदघोषणापाडोपाडीने इमकह्यो इमनिश्च अहोदेवानुषिया एकाईनागरीरनेविषेसोल रोगपातकादिक प्रगटथया तेकहेले सासखासयावत्सोलकोकुष्ठ तेजोवांछे अहोदेवानुप्रिया वैद्यकशास्त्रमने वैद्यनापुत्ववैद्यकशास्त्र नाजाणतथाशास्त्रविशरूपनाजागाणभणजेशास्त्रनाजाणनीप्रवृत्तिनिवृतिथको रोगतिगिछानाजांणाएतलेप्रतीकारपच्यादिकराखि WWWXWWIKEKXIXENEWHEWIKIKH For Private and Personal Use Only Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 端業業業需梁器需辦業業將器器器器:朱器業 पाठः कुच्छिसलेइत्यस्यान्यनदर्शनात् भगंदलेत्तिभगंदर: अरोएएत्ति अरोचक: अच्छिवेयणेत्यादिलोकातिरिक्त उदरेत्तिजलोदरं नाटकादय:स्थानविशेषाः विज्जोवेत्ति वैद्यशास्त्र चिकित्सायांचकुशलोविज्जपुत्तो वेत्तितत्म वः जाणुबत्तिज्ञायक:केवलशास्त्रकुशल: एसिसोलसराहंरोगायंकाणंएगमविरोगायंकउवसामित्तएतस्मण ईकाईकूडेविपुलं पत्थसंपयाणंदल यइदोच्चंपितञ्चंपि उग्धोसेहर एयमाणत्तियंपन्चप्पिणह तएणतकोडिंबियपुरिसा जावपचप्पिणंति तएणंसेविजय० मंएयारवंउग्बोसेणं सोचाणिसम्मबहवेविज्जयाई सत्थकोसहत्थगया सएहिर वाकुसलतिगिच्छानापुत्र एकाईरट्ठकूड़तेहना सोलरोगआतंकतेमाहे एकरोगातंकादिकउपशमावे तेहरट्ठकूड़राठोड़घणं अर्थल मोसंपदाऋहिदेस्य वेवारविणवार उधोषणाकरोकरीने एाज्ञामाहरीपाछौ आणीआपोतिवारपछीते कोटं विकपुरुषकांमक रीनेयावतआज्ञापाछीमापे तिवारपछीते विजयवई मानखेडेनेविषे एहवोएतादृशरूप उद्घोषणानाशब्द सांभलीनेहीयेधारीने पोषणावैद्यनापुत्रछरोनहरणी आदिशस्त्रनोभाजन आदिलेईनेपोतापोतानाघरथको नौसरेनीसरीने विजयवईमानखेड़ने मध्य 鉴業寨寨米業業業紧器紧器業業蒸蒸凝聚著 For Private and Personal Use Only Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org वि०टी० 紧紧業業業器兼業兼辦業养养業業職業業業叢業 चिगिछि उवत्ति चिकित्मामात्र कुशल: अत्यसंपयाणंदलयत्ति अर्थदानं करोतीत्यर्थः सत्यकोसहयगयत्ति शस्त्रकोशोनखरच्छेदना दिभाजनं हस्तेगतोव्यवस्थितो येषांतेतथा अवदाहणाहियत्तितथाविदंभनैः अवशहाणेहियत्ति तथाविधव्यसंस्कृतजलेन स्नान:अणु _ गिहाअोपडिनिक्खमइर विजयवड्व मझमझणं जेणेवएक्काईरटकूडस्मगिहे तेणेवउ०एगाईसरी रयंपरामुसइ तेसिंरोगाणंनियाणपुच्छ एकाईरहकूडस्सबहिंअभंगहियउवट्टणाहियसेणेहंपा णेहियवमणेहिय विरेयणेहियसिंचणेहिय अवद्दहणेहिय अणुवासणाहिय वत्थिकम्म हियनि मध्यविचालेजिहां एकाईरहकूड़नोघरछे तिहांबावेमावीने एकेवैद्य नाडिग्रहणादिफरिसवाएतलेनाडिकादिग्रहणकर तेरोगनोनि दानपर तेस्य भक्षपांनकीधुंइत्यादिक एकाईरहकूड़ने घणोएकपरतैलादिके मर्दनकरायो उगटणविशेष द्रव्यविशेषतेपाकोतेहथौ तेसहितपाणीपावे वमनने कराविवे विरेचपषालनेदेवेकरे सोचतोतथासेकवेकरी डांभनोदेवोषणाऔषधमेलौनानकराविवोचर नोजन्त्रतेचने जोगेकरीमापानेतेलचोपड़वो वटिकाचर्मवीटीतेवाटीतेलेभरीगुदामांहिवाटघाले वासदेवो भीरम् के हुराडू करीत्व भाषा For Private and Personal Use Only Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir XEXNEW MEWWE************ वासणाहियत्ति अपानेनजठरेतैलप्रवेशनै: वत्थिकम्भेहियत्ति चर्मवेष्टनप्रयोगेणशिरः प्रभृतीनांस्नेहपूरणैः गुदेवाादिक्षेपण: निरु हेहियत्तिनिरहे अनुवासएवकेवलं द्रव्यकृतोविशेष: शिरावेहेहियत्तिनाड़ीवेधैःतच्छणहियत्ति क्षुरादिनात्वचस्तन करणैःपच्छणेहि यत्ति खैस्वचोविदारण: सिरोवच्छोहियत्ति शिरोवर्तिभिः शिरशिवहस्य चर्म कोशस्य द्रव्यसंस्कृततेलाद्यापरणलक्षणाभिः प्रागु क्लबस्तिकर्माणि सामान्यानि अनुवासनानि रुहशिरोवस्तयस्तुतङ्गेदाः तप्पणेहियत्ति तर्पण: हादिभिः शरीर' हणैः पुटपागेहि यत्ति पुटपाका: पाकविशेषनिष्यन्ना औषधीविशेषाः छल्लीहियत्ति छल्लयोरोहिणीप्रमतय: सिलावाहियत्ति शिलाका:किराततिक्त रहेहियसिरावेहेहिय तच्छणेहियपच्छणहियसिरवत्थोहियतप्पणेहियपुडपाहिय छल्लौहियम् लेहियकंदेहियपुप्फेहिय पत्त हियफलेहिय बोएहियसिलियाहिय गुलियाहिय श्रोसहेहियभस चानोफाडिवो नाम्हातेपाछणाजाणिवा गचर्मेवांधावीतेलपर तेलादिकसू छाटवो पानादिकाड़ाकरीसेकवो रोहिणीप्रमुखना छालेकरोअनेकवनस्पतीनामूलतेणेकरी कंदसूरणादिकेकरी फूलवांधवेकरीर पांनड़ाकरीसेके फलहडे प्रमुखतेणेकरी असालीया 器紫器米米米米米諾諾諜罪業器器鉴器 For Private and Personal Use Only Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विल्टो 業辦業养涨器装業業業蒸蒸米米米米米 कप्रतिकाः गुलियाहियत्ति व्यवटिका: उसहेहियन्ति औषधानिएकद्रव्यरूपाणि भेसज्जे हियत्ति भैषज्यानि अनेकद्रव्ययोगरूपा ज्न हियइच्छंति तेणिसोलसण्हरोगायंकाणं एगमविरोगातंकंउवसामित्तएणोचेवर्णसंचाएइउव सामित्तएतएणतेबहवेविज्जोवा विज्जपुत्तोवा) जहाणोसंचाए तेसिसोलसरहंरोगायंकाणंएगम विरोगायंकंउवसामित्तएताहेसंतातंतापरितंताजामेदिसिंपाउम्भूया तामेवदिसिंपडिगयातएणएका दूविज्जेविपडियाक्खिए परियारगंपरिच्चएनिविणोसहभिसज्ज सोलसरोगायंकेअभिभ दिकबीजेकरी चिरीयायतोपायवेकरी गोलीनिगडूप्रमुखखाइवेकरी श्रोषधएकद्रव्यरूपतेणेकरी भेषजअनेकद्रव्यरूपतेणेकरोवांच्यो कीधो तेसोलरोगआतंकादिकतेमांहिथको एकपिणरोगअातंकादिक उपसमाववाने समर्थाईनहीउपशमावीनसके विवारपछीतेष * णावैद्यवैद्यनापुत्रप्रमुख५ जिमनहीसमर्थतेसोलरोगातंकादिमांहिलो एकपुणरोगातंगादिकउपशमाववा तिवारदेहनोखेदमन नोखेद देहमनवेनोखेद जेणौदिशथको आयाङतातेणीदिसेपायागया तिवारपछीतेएकाईनेवैद्यपणिहाथझाटको अलगाड्यासा गार 米諾諾諾需辦業繼器業端端端米業需光器器 भाया For Private and Personal Use Only Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra बि.टी. ३१ सूत्र भाषा 「米米米米米 黑黑黑黑黑黑 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir णिपथ्यानि वेतिसंतत्ति श्रांतादेहखेदेनतंतत्ति तांतामनः खेदेनपरितंतत्ति उभयखेदेनेति रज्ज यरट्ठ यदूत्यत्त्रयावत्करणादिदंदृश्यं कोसेयकोट्ठागारेय बलेयवाहणेयचं ते उरे यत्तिमुच्छि एगढ़िएगिद्ध अज्मोववस यत्तिएकार्था: आसायमाणेत्यादयः एकार्था: अट्टदुहट्ट ज्न यरट्टे यजावत्र्त्रंतेउरेयमुच्छिए रज्न चचासायमाणे पत्थ माणेपौहेमाणे अभिलसमाणे अट्टह ट्टवसअड्डाइज्जाद् वासस्याद् परमाड पालद्त्ता कालमासेकालंकिच्चा मी सेरयणप्पभाएपुटवी एउक्कोसेणंसागरोव मट्ठिएसुणरएसुणेरइयत्ताए उववस्पेसेणंतश्रणंतरं वट्टित्ता हे मियगामे रनाकरणहारतेपिण्थाका ओषधभेषजकरीथाका सोलरोग आतंकछते तेणेकरीपीड्य थके राज्यनेविषे देशनेविषे यावत् अंतेउरने विषेमूर्च्छाणोथको४ राज्यप्रते आखादतोयको प्रार्थतोड तोबांछतो अभिलाषाकर तो आर्त्तते मननेदुखे दुक्खितदुःखार्त्तदेह नेदुखेदुखि तवसदृतेदू ंद्रीबसेपौड़ित आढ़ाईसेवरसनो परम उत्क टोचाउखोपालीने कालसमेकालकरीने एरन्नप्रभाटथिवीनेविषे उत्कट रोपमनीके स्थिति हने एवहवानरकने विषे नारकीपणे उपनो तेतिहांयकी आंतरारहितनीसरीने एहजब गगामनगर नेविषेविज For Private and Personal Use Only ************ Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 流業器黑業樂器器器端點器需器器器器器需諾號 सट्टेयत्ति आत्तोमनसादुःखितो दु:खा देहेन वास्तु इन्द्रियवशेनपीड़ित: तत:कर्मधारयः उज्जलाइयावत्करणादिदं दृश्य णयरेविजयत्तियस्म मियादेवीएकुच्छि सिपुत्ताएउववरण तएणतौसेमियादेवीए सरीरवेयणापाउ भभूया उज्जलाजावजलंता जप्यभिचणंमियापुत्तेदारए मियादेवीएकुच्छिंसिगभ्भत्ताएरववस्त प्पभिर्चाचणंमियादेवी विजयस्मखत्तियस्स अणिट्टा अकंताअप्पियाश्रमणुरमा अमणामाजायाविहो स्थातएणंतीसेमियादेवीए अस्पयाकयाईपुव्यरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुबजागरियाए जागरमा यक्षवीराजाने मुगादेवीनौ कुखिनेविषे पुत्रपणेऊपनो तिवारपछीते मुगादेवीने शरीरनेविषे वेदनाप्रगटथडू उच्च लजावत्ज्वलत् देदीप्यमान जेदिवसथकीमाडीने मुगादेवीने कुखेगर्भपणे उपनो तेदिवसथकी मांडीनेहगादेवी विजयक्षत्रीराजाने अनिष्टहईय भिलाषाअयोग्यहुई अप्रीतिकारीहुई अमनोज्ञहुई मननेअणगमतौडई तिवारपछी तेमृगावतीदेवी एकदाप्रस्तावेमध्यरात्रिना कालरात्रिनोपाइलोभागतेजनेविषे कुटवनीजागरिकाने चिंतवेथके एहवोअध्यवसायऊपनो इमनिनेछ' विजयक्षत्रीराजाने पर्व' EEKENDEMEMENTRENERIMENEWHERWWWHY भाषा For Private and Personal Use Only Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विटी 萧業業業業需諜器業業業業需默默業装 विपुलाककसापगाढ़ाचंडादुहातिवादुरहियासन्ति एकार्थाः एवअणिहायता अप्पियाअमणुनाश्रमणामाएतेपितथैव पुव्वरत्ताव रत्तावरत्तकालसमयंसित्ति पूर्वराबोराने पूर्वभाग: अपररात्रोराः पश्चिमोभाग: तल्लक्षणोय:कालः समय:कालरूपः काल:समय: सतथातत्रकुट वजागरियाएत्ति कुट बचिंतयेत्यर्थ: अमथिएत्ति अध्यात्मिकमात्मविषयः इहचान्यान्यपिपदानिदृश्यानि तद्यथाचिंत णोएड्मेअझथिए३ समुप्पन्न एवंखलुअहं विजयत्तियमपुब्बिंट्टा३ धज्जाविसासियाअणमयोत्रा सौजप्पभिचणंममंमेगम्भेकुच्छिसिगम्भत्ताएउववरण तप्पभिचणंविजयस्मखत्तियस्सअहंअणि द्वाश्जावमणामाजायाविहोत्थानेच्छणविजएखत्तिए ममंणामंवागोतंवागिगिहत्तएकिमंगपुण दृष्टवल्लभहंती३ माहरोनामदेवरतोतथा मुझनेराजाध्यातोविस्खासनोकारणडंतीधीठपणिवल्लभविपरीतकरतोहीयले वल्लभपरं जेदिवसथकी मांडीने माहरेआगर्भ कुखिनेविषेगर्भपणेअपनो तेदिवसथकौमांडीने विजयक्षत्रीराजाने अनिष्टथईश्यावत् मनसेविषे अणगमतीहुई नवांछ विजयक्षवीराजा माहरु' नाम गोत्रलेवोतोकिमवली दर्शनदेखवो परिभोगकरतोयनिश्चमुक 聚器業养業蒸蒸养業業蒸蒸業蒸蒸業蒸蒸蒸蒸著 भाषा For Private and Personal Use Only Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir ETTE FFER विटी ४२ 諾器器器業業器需器器業狀器器器器需 * यत्ति स्मृतरूप: कपिएत्तिबुद्ध्याव्यवस्थापित: पथिएत्तिप्रार्थित: प्रार्थनारूपः मणोगएत्ति मनस्येववृत्तोबहिरप्रकाशितः सङ्कल्प:पर्या लोच: इत्यादीनिपंचकार्थिकानि प्राग्वत् धिज्जतिध्ये यावेसासियत्ति विश्वसनीया अणुमयत्ति ब्रिप्रियदर्शनस्य पश्चादनुमताअनुम तेति नामंतिपारिभाषकीसंज्ञागोतंयंगोत्रमात्वर्थिकौसंज्ञावेति किमंगपुणत्ति किंपुनःअंगइत्यामन्त्रणेगम्भसाड़णाहियत्ति शातना * दंसवापरिभोगंवा तंसेयंखलममंएवंगभंबहुहिंगभ्भसाडणाहिय पाडणाहियगालणाहियमार णाहियसाडेत्तएवाधएवंसंपेहेइश्बहुणिखाराणियकस्याणियतूबराणिय गम्भसाडणाणियष्ठखाय माणोपियमाणोइच्छा तंगम्भंसाडितएवा४ णोचेवणंसैगम्भेसवा४ तएणंसामियादवौजाहणोसं. नेएगर्भधणेऔषधेकरीगर्भसडेतेयोषधकर गर्भपड़े तिमकर जिणेशोषगर्भगलेढीलोथईने पडेसवागगलौजाइ जेणेोषधेतत्का लमरण पामे सडीजाइपड़ीजाडू गलौजा मरणपामेतिमकहे इमविचारीने अनेकप्रकारनाखार जोकडुईवस्तुतेसर्व जेतुरीवस्तुते * सर्वतेगर्भनेज्यानहोइतेणे४ ओषधखातीपाणीखारादिकतथा मन्त्रीरपौतीहंतीवांछे तेगर्भनेसाडिवापाडिवागालिबामारिवापणि ४ 美涨涨涨兼器器类器業業職業業养業涨涨器 माषा For Private and Personal Use Only Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandie विटी HERE सूख HENREEEREY MEMEEREN गर्भस्य खण्डशोभवनेन पतनहेतवः पाडिणाहियत्ति पातमायरुपायैरखण्डएवगर्भः पततति गालणाहियत्ति यगर्भोद्रवीभयचरति * मरणाहियत्ति मरणहेतवः अकामियत्ति निरभिलाषा अयंवसत्तिमश्वायंवशा अट्ठनाडियोति अष्टौनाड्यःशिराः अभिंतरप्रवाहा मोत्तिशरीरस्याभ्यन्तरएव रुधिरादिखवन्ति यास्तास्तथोच्यन्ते बाहिरप्पवहायोति शरीराइहिः पूयादिक्षरन्ति वास्तास्तथोक्ता:एता एवषोड़शविभिद्यले अहेत्यादिकथमित्याह दुवेत्ति हे पूयप्रवाहे हे चशोणितप्रवाहेतेचक्क त्याच कन्नतरेस श्रोत्ररंधयोरेवमेताच चाएतंगभभंसाडत्तएवा४ तहेवसंतातंतापरितंता अकामियाअवसयंवा संगमभंदुहंदहेणंपरिवसरत स्मणंदारगम गभगयम्म चेवअट्टनालौनो अम्भितरपवाहात्रोअनालीअोबाहिरप्पवहात्रोत्र तेगर्भसड़े नहीपडेनहीगलेनहीमरेनही तिवारपछीतेमृगादेवौजिमनचाल्यो तेगर्भसाडिवापाडिवा४मारिवागालिवातिमजमननेवि घेखेदपांमीकायाकरी मनकाया विईने विषखेद अभिलाषारहितहईपोतानेवसिनही तेगर्भदुखेदुखेनिर्वहेछ तेबालकने गर्भमा हिलताईज पाठनाडिनाशिरा अभिंतरशरीरमांहिवाहेतरुधिरश्रये आठनाडिवाहिरशरीरथकी प्रबहेभरेएवं१६ आठनाडिपीरू 諜諜業業器器業諧器業業業業需諾諾器装 भाषा For Private and Personal Use Only Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि.टी. ४४ सृत्र षाभा www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तस्वःएवमन्याअपिव्याख्य या नवरंधमन्यः कोष्टकहृद्यन्तराणि अग्गियएत्ति अग्निको भस्मकाभिधानोवायुविकार: जादूचंधदूत्यत्रयाव ट्ठपूयष्पवन्हाओ अट्टसोणियप्पपहाचटुवेश करण ंतरेस्टु वेश् अक्खि तरेसुटुवे‍ नंतरेसुटुवेश् धम णिअंतरेसुत्रभिक्खणंपूयं चसोणियंच परस्सवमाणीओ चिट्ठ' तितरणंतस्सदारगस्मगभ्मगयस्मचेवत्र ग्गिएणामेवाही पाउम्भूए जेसेदारए आहारइसेणंखिप्पामेव विद्धं संसमागच्छ इश्पूयत्ताएयसो णियत्ताएयपरिणमद् तंपियसेपूयं चसोणियंच तं चहारेदूतएणंसामियादेवी अण्याकयाईणवरहं राधवहेएवं ३२ आठनाड़िलोहीवहे एवं३२ दोयदोयकांनने अांतरे एव ४ वेवेखिने अांतरे एवं वेवेनासिकाने आतरेएवं४ वेवेध मणीनेचांतरेएवंसर्बमिलीने १६ थईवारवारपीरूराधलोही वह तेथके रहेके तिवारपछीतेवालकने गर्भमांहिछतां अग्निदूसेनामे एतावताभस्मनामवायुनाविकारगर्भमांहिछते ऊपनोते हथको जिवा देतेवालक आहारकरे ते आहारतत्कालविध्वंसपांमेपांमीनेर पीरू पणेमधिरपणे परिणमे तेपिणयाहारकरे पीरुरुधिरतेआहारे तिवारपछीतेमृगादेवी एकदाप्रस्तावे नवमासदाड़ावज्डप्रतिपूर्णथ ये For Private and Personal Use Only ********* Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir विष्टी. 长業業兼差賺黑柴裴裴業業漲漲漲漲漲業業叢飛 त्करणादिदंदृश्य जायमूएइत्यादि इंडेत्ति अव्यवस्थितां गावयवं अधारूवंति अंधाकृति भीयाइत्यत्रैतहण्य तत्याउविग्गासंजाय* मासाणंबहुपडिपुरणाणं दारयंपयायाजाइबंधे जावागितिमित्ततएणंमामियादेवीतंदारयंहुडं अंधारुवंपासर भौयाठ अम्मधाइसहावर एवंवयासी गच्छहणंदेवातुमएयंदारगंएगंतउक्करडि याउझाडितएणंसाअम्मयाधाइ मियाएदेवौएतहत्ति एयम पडिसुणईश्जेणेवविजएखत्तिएतेणेव उ०२ करयलपरिग्गहियंजावएवंव०एवंखलसामोमियादेवौणवण्हं जावागितिमित्ततएणंसामि थकबालकप्रसव्योजातिअंधगंगोपांगरहितइंद्रौविना यावत्इंद्रीनाआकारमावळे तिवारपछीतेमुगावतीदेवीतेबालकने इंद्रीये करौरहितहुयो अंधरूपनेदेखेदेखीने बीहतीवासपामीछे ४ धायमातानेसादकरावेकरावीने इमकहे जाओहेदेवानुप्रियेतुम्ह ए बालकनेएकांत उकरड़ेनांखो तिवारपछौते धायमातायेमुगादेखौनोवचनतहत्तिकौधुंएअर्थवचनसांभलेसांभलीने जिहांविजयरा जाक्षत्रीछे तिहांबावेत्रावीनेर वेहाथएकट्ठाकरीमाथेचढावीने यावत्मकहे इमनिचे हेस्वामी मृगादेवी नवमामेबालकजन्म्योया 紧紧凝聚聚器業業業器凝器采凝聚業業業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir www.kobatirth.org विटी 漏器需牆牆體 器業業業業暴涨涨涨涨涨器 भयाभयप्रकर्षाभिधानायैकार्थाः शब्दा: करयलेत्यत्र करयलपरिग्गहियंदसणई अंजलिमत्यएकट्ठतिहम्य नवराहमित्यत्र मासाप यादेवोतंहुंडंअंधारूवंपासदर भीया४ ममंसद्दावेदर एवंव० गच्छणंतुमदे० एयंदारयंएगंएउक्कर डियाएउज्माहिं संदिसहणंसामौतंदारगं अहंएगंतउज्मामिउदाहुमा तएणंसेविजएतौसेअम्म धाईएअंतिएसोच्चा तहेवससंभंतेउट्टाएउट्टे उठूत्ताजेणेवमियादेवौतणेव०३ मियदेविएवंव० देवा णप्पि. तुम्म पढमंगम्भे तंजणंतुझं एयंदारगं एगंतेउवाडियाएउभामि तोणंतुम्म पयाणोथिरा वत्जन्मांधद्रीनाकारमावळे पिण'द्रौनयी तिवारपछौतेमगादेवी तेहडइंद्रौरहितगंधरूपने देखेदेखोनेवासपांमीवीहनौछ। मुजनेतेडावेतेडावीने इमकह्योजामोतुमेदेवानुप्रियेएबालकएकांतउकरडे नांखोतेखामौतमेसहिस्थोखमस्यो तेवालक एकांतनां खोअथवाकहोनहौख्मोतिवारपछतेविजयराजातेधायमातानेसमीपे सांभलीनेतिमजससंचातउतावलाऊठवानेविखेसावधानथाइ उद्योउठीनेजिहामगादेवी तिहांआवेधावीने मगादेवीप्रतेइमकह्यो हेदेवानुप्रिये तुम्हारोपहिलोगर्भ तेजोतुम्ह एवालकनेएकाते 希器端端業新聚點業講業器器蘿業講業業紫 For Private and Personal Use Only Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि.टी. सूत्र * 諜器業樂器鬆樂器業装器端器器繼器能器 डिपुरमाणमित्यादिदृश्य तथाजाअधमित्यादिविवसंभंतेत्तिउत्म क: उट्ठातेउट्ठिति उत्थानेनोतिष्ठति पयत्तिप्रजा अपत्यानिरहसि यगंमत्तिराहसिकेविजनेइत्यर्थः पुरापोराणाणंति पुरापूर्वकालेकतानामितिगम्य अतएवपुराणानां चिरंतनानांदूहचयावत्कर णात्दुञ्चिन्नाणं दुष्पडिकंताणमित्यादि पावर्गफलवित्तिविसेसमित्यन्त द्रष्टव्य अहम्मिएइत्यत्वयावत्करणादिदंदृश्य तथाजाइरनिग्ग भविस्मइतेणंतुमंएयंदारगंरहस्मियगंसि भूमिघरंसिरहस्सिएणं भत्तपाणेणं पडिजागरमाणीविह रामितोणंतुम्म पयाथिराभविसई तएणंसामियादेवी विजयस्म खत्तियस्मत हत्तिएयम विणएणंप डिमुणेइर तंदारगंरहभूमिधरं भत्तपडिविहर एवंखलगोयमामियापुत्तेदारए पुरापोराणाणंजा ऊकरडेनाखिस्यो तोतुम्हारसंतानस्थिर नहीडइतिणेएपुत्रननांखस्यो तेमाटेतुम्ह एवालकनेप्रच्छन्नराखो भंहराघरमांहिप्रच्छन्न भातपाणीपोषतीथकोविचरों तोताहरासंतानरूपप्रजास्थिरहस्ये तिवारपछीतेसगावतीराणी विजयक्षत्रीराजानाबचनतहत्तिए अर्थविनयसहितसांभलेसांभलीने तेवालनेप्रच्छन्नभूहरानाघरमाहिराखे भातपाणीपोषतीयकोविचरेके इमनिचे हेगोतममगा 紫凝聚器業職業業蒸蒸糕叢叢叢業業蒸蒸業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandie विटी ४८ सूब 號號號號號號號涨涨涨涨涨涨業業業職業辦 यजसेसूरेदढष्पहारीतिव्यक्त'चकालमामेत्ति मरणावसाणेसागरोजावत्तिसागरोवमट्टितीएणरइयत्ताए द्रष्टव्य जाइकुलकोडीयो वपच्चणुम्भवमाविहर मियापुत्तणभंतेदारए इअोकालमासकालंकिच्चाकहिंगमिहिंतिकहिंउ ववज्जिहितिगोयमा मियापुत्त दारए वत्तीसंवासाइपरमाउंपालत्ता कालमासेकालंकिच्चाइहे व०भारहेवासेवेवडगिरिपाइमूलेसौहकुलसिसौहत्ताएपच्चायाहिंति सेणंतत्थसोहेभविस्मअह म्मिएजावसाहस्सीएवहुपावं जावसमज्जिणइर कालमासेकालकिच्चा इमीसेरयणप्पभाएउकोसंसा पुत्ववालकपर्वभवेषणाकालनाकर्मसंच्याते यावत्भोगवतोथको विचरेगापुत्र हेभदंतवालक हांधकीकालनेसमेकालकरीनेकिहां जास्य किहांउपजस्य हेगोतमगापुत्रबालकवत्तीस ३१ वरषनोप्रतिपूर्णायुपालीने कालसमेकालकरीने एहजवूद्दीपनेभरत क्षेत्रनेविषेवताहापर्वतनेसमीपे सोहनाकुलनेविषे सौहपणे उपजस्य तेतिहां सौहपणेउपजस्य सौषयास्ये अधर्मी पापीयावत्साहसी कपापकरतोअवीहकवणुपापयावत्उपार्जेउपार्जीने कालनेसमेकालकरीनेआरत्नप्रभाष्टथिवीपहिलीनरकेउत्कृष्टोएकसागरोपमनी 難雜养养業業業灘業業業業辦業蒸养养業辦業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०टी० 82 खूब भाषा ◎業業業業 www.kobatirth.org जोणिष्पसुहसयस हस्मा तिजाती पंचेंद्रियजाती कुलकोटीनांयोनिप्रमुखाणियोनिद्वारकाणि योनिशतसहखापितानितथाजोगी गरोनावडववज्जहिंति सेतो अणंतर उवट्टित्ता सिरीसिवेसुडववन्नहिंतितत्य कालं किञ्चादो चाउकोसिया तिणिसागरोसेणंतच अणंतरंउबट्टित्ता पक्खीसुडववन्नदूतत्थ णं कालं किञ्चातञ्चास त्तसागरोवमेतओसौहेसुतयाणंतरं चउत्थौए उरगोपंचमीइत्थीओ कूट्टीए मणुओ सत्तमा तत्रअयंतरंउवट्टित्ता सेजाइ इमाइ जलयरपंचें दियतिरिक्खनोगियाणंमच्छकत्थभगाहामगर स्थितेयावत्पजस्ये तेतिहांथोषांतरारहितनोसरीने नकुलपणे उपणस्य तिहांथी कालकरीनेवीजी नरके उतकृष्ट त्रिणिसागरनी स्थितितेहांथोआंतरारहितनीसरीने पंखीनेविषेपनस्य तिहांथीपणिकालकरीने वीजीनरके सातसागरनीस्थितियांमा तिहां निसरौनेसिंघथास्य तिवार पक्कीतिहाथो मरीने आंतरारहित चौथोनरके पकेसर्पथास्य पांचमीनरके स्त्रीथास्य कट्ठीनरकेमनुष्यथा स्व श्वातमीनरकेतिहांथोआंतरहितनोसरीने तेहजएहनलचरपंचें द्रीतिर्यंचनीयोने मालाकाछवाग्राहमगर सुसमारादिकजलच ५ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only ********** Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विटी विहाणंसित्ति योनिभेदेखलीणमट्टियत्तिखलीनामाकाशस्थां छिन्नतटोपरिवर्तिनौं मत्तिकामितिउम्म कजावत्ति उम्मुक्कबालभावेवि सुसुमारादोणं अवतरसजाइकुलकोडोजोणिपमुहसयसहस्साई तत्थणं एगमेगंसिजोणीविहाणं सित्रणेगसयसहस्मखुत्तोउदाइत्ता तत्थ वभुज्जोर पच्चायाइस्मसेणंतत्रोउवट्टित्ता एवंचउप्पएसु उरपरिसप्मेसु भुयपरिसप्पेसुखहयरेसु चउरिदिएसुत दिएसु बेईदिएसुवणप्पडूकडुयरुक्खेसु कडुयदुद्धिएसुवाउतेकाऊ पुढविणेगसयसहस्सक्खुत्तो सेणंतोत्रणंतरंउव्यट्टित्ता सुपट्टपुरे रविशेषमाढीवारेंलाखपंचेंद्रियजातिनीकुलकोडियोनिप्रमुखएतले साढीवारेलाखकुलकोडिनेविषउपजस्य तिहां एकेकीयोनिनेभेदें * तेहनेविषेअनेकघणाशतनासहएतलेअनेकवारलाखवारमरेमरीनेतिहांहिंतिहांजवलीउपजस्य नेतिहाथीनीसरीनेएमचोपदनेवि घेउरपरिसम नेविषे इमभजपरिसर्पनेविषे पंखीनेविषेमचोरौंद्रीनेविषे तेई द्रीनेविषेमवेंद्रौने विषेवनस्पतिमाहे कडवाहक्षने विधेकडुवादूधनेविषेवायुकाय अग्निकायचपकायष्टथिवीनेविषे अनेकघणालाखघणावारमरीनेतिहांजविहांउपस्य पडतेतिहाथकी 驚業灘業兼兼業業养業养業蒸蒸業叢叢养業 諾諾業罪業諜諜諜器業器需胀講業業辦業 घामा For Private and Personal Use Only Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विटी० 狀器器業樂業業樂器器器業業業狀器器器 रसायपरिणयमेत्तेजोवणगमणुप्यत्तेत्तिदृश्य तत्रविज्ञएवविज्ञकः सचासौपरिणतमात्रश्च वुयादिपरिणामापत्रएखवितकपरिणतमा गोणत्ताएपच्चायाहिंति सेणंतत्थउम्मकबालभावे जोवणगमणुपत्ते अपयाकयाई पढमापाउसंमि गंगाएमहाणईए खलीणमट्टियं खणमाणे तडीएपल्लिएसमाणे कालंगएतत्थ वसुपपुरेणयरेसेट्टि कुलंसिपुत्तत्ताए पञ्चायाइस्मद् सेणंतत्थउम्मकबालभावे जावजोवणगमणुपत्तेतहारवाणंथेराणं तिएधम्मंसोच्चाणिसम्ममुडेभवित्ता आगारात्रोत्रणगारिय पव्वदूस्मई सेणंतत्थअणगारेभविस्सईद प्रांतरारहितउपजस्येसप्रतिष्टनगरनेविषेसांडपणेउपजस्खेतेतिहांबालभांवथकोमकास्ये योवनगमननीप्राप्तस्ये अत्यदाप्रस्तावप्रथम वरसालोश्रावणमासगंगामहानदीनोतटतटनीमाढीखणीहोइतेखणतोथकोउपरथकीभडकवटीपडीतेचंपाणोथकोकालप्राप्तस्ये पछे तिहांजसुप्रतिष्टनगरनेविषे सेठनाकुलनेविषेपुत्त्रपणे ऊपजस्थ तेतिहांबालभावथकीमुकास्य यावत्योवनवयप्राप्तहस्य तथारू पथिवराचार्यने समीपेधर्मसांभलीने हियेधारीनेमुडभावथईनेग्रहस्थावासछांडीने अणगारनीप्रव्रज्यालेस्य तेतिहासणगारथा 萧器業業業諜諜業業職業誰熊諜諜諜業器器 भाषा For Private and Personal Use Only Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir ** वि टी. ***** * नाणंतरंचयंचइत्तत्ति अनन्तरंशरीरंत्यकाच्यवनवाकृत्वा जहादढपत्ति औपपातिकेयथादृढप्रतिनाभिधानो भव्योवर्णितस्तथा यमपिचवाच्यः कस्यादेवमित्याह साचेवत्तिसैव दृढप्रतिज्ञसंबंधिनी अस्यापिवक्तव्यतेति तामेवस्मारयवाह कलामोत्तिकलालेन ग्रहीष्यन्त दृढप्रतिज्ञेनेवयावत्करणाच्च प्रबज्याग्रहणादितस्येवास्यवाच्यं यावत्मत्स्थतीत्यादिपदपञ्चकमिति ततःसेत्स्यतिकृतकृत्योभ रियासमिए जावबंभयारीसेणंतत्थबहुवासासामपपरियागंपाउणित्ता आलोइयपडिक्वंतेस माहिपत्त कालमासेकालंकिचासोहम्म कप्मेदेवत्ताए उववजिहितिसेणंतत्रो अणंतरंचयंच तामहाविदेहेवासेसेजाई कुलाई भवंतिअड्डाइजहादडपसे सव्ववत्तव्वयाकलाओ नावसिजिम * स्व र्यादिकपांचसमितिविणगुप्तवंतहइयावत्ब्रह्मचारीतेतिहांधणावरसनीचारित्र प्रव्रज्यापालीने आलोयपडिकमीसमाधिपांमी कालसमेकालकरीने सोधर्मकल्प देवतापणे उपजस्य तेतिहाथकोआंतरारहितदेवतानोशरीरछाडीने महाविदेहक्षेत्रनेविषेजेउत्त * मकुलस्य ससवंतजिमढ़ प्रतिज्ञवडश्रावकनोजीवथास्य उववाईउपांगेतिमांचकहयोवडत्तरकलासीखस्य पछेयावतदी 業养漲漲漲漲漲漲牆养灘灘業蒸蒸养养業業業 REKKIMEREKAX** भाषा For Private and Personal Use Only Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि.टी. MEHHREEMEWHEREHEREK HEREKHERWA विष्यतिभोत्स्यते केवलज्ञानेनसकलंज्ञेयं जास्यतिमोच्यते सकलकर्म विमुक्तोभविष्यति परिनिर्वास्थति सकलकर्मशतसन्तापरहितो * भविष्यतिकिमुक्त भवति सर्वदुःखानामन्त करिष्यतीति प्रथमाध्ययनविवरणजातमिति ॥ द्वितीयेकिंचिलिख्यते। तस्मिन्काले * तस्मिन्समये अहीणत्तिमहीनपूर्णपंचेंद्रियशरीरेत्यर्थ:यावत्करणात्लक्षणवंजणगुणोवेयामाणुम्माणपमाणपडिपुन्नसुजायसवंग हितिएवंखलजबसमणेणं भगवयामहावीरेणं जावसंपत्तणंदुहविवागाणं पढमस्सअभयणस्य अय म पस्पतत्तिबेमि दुहविवागाणंपढ मंअभयणंसम्मत जणभंतसमणणं जावसंपत्तणंदुहविवा गाणंपढमस्मअभायणस्म अयमट्ठ पत्तेदोच्चस्मणभंत अझयणस्सदुहविवागाणं समणणंजावसंप क्षालेईमुक्तिजास्येइमनिश्चेहेजबचमणतपस्मीभगवंतञानवंतमहावीरदेवयावत्मुक्तिप्राप्तिडवातेणेदुखविपाकनापहिलाअध्ययननाए * अर्थकह्योइतित्रवीमिदुःखविपाकप्रथमअध्ययनादुक्खविपाकना जोहेभदंतहेपूज्यत्रमणभगवंतयावत्मोक्षप्राप्तडवातेणेदुःख विपाक नापहिलाअध्ययननाएअर्थकह्यो वीजाहेपज्यअध्ययननादुखविपाकना अमणभगवंतयावत्मोक्षप्राप्तहुवातेणे किसोअर्थकह्योतिवार 紫兼聽兼業業業業業养業業業業業業聽器聽聽器 भाषा For Private and Personal Use Only Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि.टी. ५४ सृत्र भाषा ************* www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुदरंगोइत्यादिद्रव्यं तवलचणानिस्वस्तिकलचणादीनि व्यजनानिमषीतिलकादीनिगुणाः सोभाग्यादयः मानं जलद्रोणमानता त्त शंके अठ्ठे पण्णत्त तरणंसे सुहम्म अणगारेजंबू अणगारं एवं वयासौएवंखलु जंबू तेणंकालेणंतेणं समरणं वाणौयगामेणामंणयरेहोत्थारि३ तस्मर्णवाणियगामस्य उत्तरपुरत्थिमेदिसौभाए दुईप्पलासेणामं उज्जाणेहोत्था तत्थणंदुइपलासे सुहमस्मनक्वस्वनक्वायतणे होत्थावणच तत्थ संवाणियगामेमित्त णामंरायाहोत्था तत्थणंमित्तस्मर खोसिरीणामंदेवी होत्या वस्पयो तत्थणंवाणियगामेकामभया पछीसुधर्मअणगारजंबूअणगार प्रतेइमकहे इमनिश्चयहेजंबू तेकाल तेसमांनेविषेषाणीयगामनामानगरडतो सप्तभूमौयाप्रसादादि वाणीयगामनगरथको उत्तरपूर्वने विचाले ईशानकूणे दूतपलासनामाउद्यानङ' तोतिहांदूतला उद्याने सोधर्शयचनोयचायतनप्रा सादड तोते हनोवर्णवजांणवोतिहांवांणीयगांमने विषेमिलीनामाराजा तो तिहांमित्रीनामाराजाने श्री देवीनामाभार्याच्ड' तीतेह नोवर्णनतिहांवाणियगामनगरने विषेकामध्वजाएहवेनामेवेश्याड तौइ ंद्री येकरी प्रतिपूर्णयावत्षणुसुरूप०२ कलालिखितआदिदेई For Private and Personal Use Only EEEEEEEEEEEEEEEE雜 Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra विष्टी MEREKEMEMEMMMMENER उन्मानमई भारप्रमाणताप्रमाणताष्टोत्तरशतांगुलोच्यतेति बावत्तरीकलापंडियत्ति लेखाद्या:शकुनरुतपर्यंता:गणितप्रधानाःकला: प्राय:पुरुषाणामेवाभ्यासयोग्याः स्त्रीणांतविज्ञेयाएवप्रायः इतिचउसहिगणियागुणोववेया गीतऋत्यादीनिविशेषतः पण्यनीजनोचि * * तातानिचतुःषष्टिविज्ञानानिगणिकागुणा: अथवावात्स्यायनोक्तानि आलिङ्गनादीन्यष्टौवस्तुनि तानिचप्रत्य कमष्टभेदत्वाच्चतुष्टि * भवन्तौतिचतुःषयागणिकागुणैरुपेता यासा तथाएकोनविंशविशेषाः एकविंशतौरतिगुणाः हानिशच्चपुरुषोपचाराः कामशास्त्र प्रसिद्दा:नवंगसत्तपडिबोहियत्ति हे श्रोत्र हे चक्षुषी हे घाणेएकाजिहा एकात्वक् एकंचमन इत्य तानिनवांगानिसुप्तानिइवसप्तानियो वनेनप्रतियोधितानिखार्थग्रहणपट तांप्रापितानि यस्थासातथाअट्ठारसदेसौभासाविसारयत्ति रूढिगम्य सिंगारागारचारवेसत्ति ___णामंगणियाहोत्था अहीणजावसुरूवावावत्तरीकलापंडिया चउसट्टिगणियागुणोववेयाएकूणती सर्वजीवनीभाषानोजाणिवोएछेहलीए७२ कलापुरुषनेभणिवाअभ्यासिवायोग्यछेस्त्रीने एजाणवायोग्यछे कलागीतनृतवाजिनकला स्सीसंबंधिनीविशेषथकीवेश्यानागुण8 वात्स्यायनशास्त्रोक्तमालिंगनहस्तादिकगुणप्तेएकेकनाआठरप्रकारडूमकरतापगणिकाना 狀器業器器業寨器米業樂業樂業器黑業業業學 For Private and Personal Use Only Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 業業需器器樂業業業業業業業業業諜諜諜業 श्रृंगारस्थरसविशेषस्थागारमिवचारवेषोयस्थाः सातथागीयरडूगंधब्बनट्टकुसलत्ति गीतरतिश्चासौगंधर्वनाश्यकुसलाचेतिसमास:गंध वृत्तबुक्तगीतनाश्चतुवृतमेवेति संगयगयभणियविहियविलासललियसलावनिउणजुत्तोववारकुशलेत्ति दृश्य संगतानिगतादीनिव सेविसेसेरममाणोएकतीसरगुणप्पहाणा बत्तीसपुरिसोवयारकुशला णवंगसुत्तपडिबोहियाअट्ठा रसदेसीभासाविसारयासिंगारागारचारुवेसाइ गौयरगंधब्बणट्टकुसलासंगयगयभणियविहिय विलासललियसंलावनिउणजुत्तोवयारकुसला सुदरपणाजहणवयणकरचरणलावपविलासकलि गुणजाणिवाउगुणतीसविषयनागुणतेहनेविषेरमंती एकतीसरतिनागुणभोगनाछे तेहनेविषे प्रधानवत्नीसपुरुषनाउपचारजेणेपुरु घरौंतेहनेविषेडांहीछे कर्णर नेवरनासिकार जिहाशरीरत्वचा १ मन एवंचंग एबालकभावेसूतातेयुवानिये प्रतिबोध्याछे जेह नाअट्ठारदेशनीभाषातेहनौजांणछे श्रृंगाररसविशेष तेइनो आगारघरएवहो चारुमबोहरवेशले जेहनोएतावतातेहनोवेशदेखी लोकने ङ्गाररसजागे आकारनोसुदरपणो स्मीनोचेष्टाविशेषएतलेकरीसहितछे उचौकीधीध्वजाजेहनेघरै महसनाणानोलाभ 業業業紧紧業聚聚業業業業業聚器業業業業署 For Private and Personal Use Only Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०टी० ५७ खूव भाषा 張黑米黑米米米米米米米米米米米米米米米 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्याःसातथासललिताः सुप्रसन्वतोपेता ये संलापास्तेषु निपुणायासातथायुक्ताः संगताये उपचाराव्यवहारास्तेषु कुशलायासातथाततः पदत्त्रयस्थकर्मधारयः सु ंदरथयन्ति एतेनेदंदृश्य सु ंदरथणजघणवयणकरचरणयग्लावयविलासकलियत्तिव्यक्त' नवरं जघनं पूर्व: क टी भागलावण्यमाकारस्यस्प, हणीयताविलासः स्त्रीणांचेष्टाविशेषः ऊसियमयन्ति ऊर्डीकृतजय पताकास हमलाभेतिव्यक्तं विदिवछत्त चामरवालवीयणियत्तिविती राजाप्रसादतोदत्तं छतञ्चामर रूपावालव्यजनिकायस्यैसा तथा कन्वीरप्ययायाविहोत्यत्ति कर्णीरथः प्रवहणं तेनप्रयातं गमनं यस्याः सातथा वापीतिसमुचये होत्यन्ति अभवदितिआहेवचंति आधिपत्यं अधिपतिक दूहयावत्करणा याऊसियधयासहस्मलंभा विदिछत्तचामरवालवेयणिकया कणीरहम्मयाया होत्या बजगणि यासहस्माणंआहेवञ्चं पोरेवञ्चं सामित्तं भट्टित्त महत्तरगत्तं आणाईस र सेणावचंकरेमाणीपालेमाणी छेजेहने रानावेप्रसादकरीनेदीवाके जेहनेकवचामरवालव्यजन प्रवहन तेहनेविषे सदाचढ़ीचालेके पालखीयेवेसेघणीगणिकानास नो अधिपतिपणोअग्रे सरपणोधणयाणीपणोपोषकपरमो मोटिकापयोत्री जोगणिका नो अपेक्षापणोअग्र सरमान्नाप्रवन्तविनपयो For Private and Personal Use Only EEEE Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि.टी. सूत्र 張米米米米米米米米米米米米米米米米米米 भाषा www.kobatirth.org सेनापत्यमिवचा दिदंदृश्यं पोरेवचं पुरोवर्त्तित्वं अग्रे खरत्वमित्यर्थः भट्टित्वंभर्तुत्वं पोषकत्वं सामित्तं स्वस्वामिसंबंधमात्र' महन्तरगत्तं ५८ यामहत्तरत्वं आणाईसर सेणावञ्च' आज्ञेश्वर याज्ञाप्रधानोयः सेनापतिः सैन्यनायकस्तस्यभाव: कवा आज्ञेश्वर खरसेनापत्य' कारेमाणाकारयंती परैः पालेमाणापालयंती स्वयमिति हीणन्ति श्रहीणपुण पंचेंदिवस रोरेक्तिव्यक्त' चयावत्करणा विहरद् तत्थणंवाणियग्गामेविजय मित्त णामं सत्थवाहे परिवसद् अड्ड तस्वणंबिजयस्वमित्तसुभद्दाणा मंभारियाहोत्थाअहौण तस्मणंविजय मित्तस्मपुत्त सुभद्दाएभारियाएअत्तएउज्झिएणामंदारए होत्था अहोणजाव सुरूवातेर्णकालेणं तेणं समएणं समणेभगवंजावसमोसड परिसानिग्गयारायाविनिग्गया एहबोजे सेनापतिसेनानायक ते हनोभाव करतीकरावती ती अनेकने पालतीच्ड' तोविचरे के तेगणिकानोवर्णनजिहां वाणियगाम नेविषे विजयमित्त्रनामासार्थया हरहेके ऋद्धिवंत तेविजयमित्र ने सुभद्रानामाभार्याड' ती इंट्रोयेकरीप्रतिपूर्णतेच विजयमित्रनो पुत्र सुभद्राभार्यानो अंगजातन्तिनामा बालकडं तो इंद्रीयेकरी प्रतिपूर्ण यावत्सरूपतेकाल ते समानेविषे श्रमण भगवंतमहावीर Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only शेषवेश्याजनापेक्ष 米米米米米米米米米米米米米米米米米米 Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra बि.टी० सूत्र E*************** भाषा www.kobatirth.org ५८ दिदंदृश्य' लक्खणवंजणगुणोववेएइत्यादि इंदभूईइत्य त्वयावत्करणातॄणामंअणगारे गोयमगोत्तेणमित्यादि संखित्तविचलतेयलेसे इत्येतदंतंदृश्य हट्ट गांज हापसत्तीएत्तियथाभगवत्यां तथैवं वाच्य' तच वंट्ठ गांणक्खिते तवोकम्म रदूतएांसेभगवं गोयमेकट्टखमणपारणगंसिपढमाइत्यत्र यावत्करणादिदं दृश्यं पदमाएपोरसिएसन्कार्यंकरे बीयाएपोर सिएन्फान्ि याइतइयाएपोरसीएअचवलमसंभंते मुहपोत्तियं पडिलेह वत्याद् पडिले हे दूभायणा णिपमज्जद् भायणाणिग्गाहे जेणे व समणेभ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only अप्पाणभाषेमायेविह जहाकूंणिओनिग्गऒोधम्मो हि श्रोपरिमारायापडिगयातेयंकालेणंतेणंसमरणंसमणस्यभगवोमहा वीरस्म अंतेवासीद्र दभूइजावतेयले से कट्ट गांजहापत्ती एपटमंजाव जेणेववाणियगामे तेणेव देवयावत्समोसख्यापरिषदावांदिवानीसरी राजापणिनीसस्यो जिमकोणिकनी सस्योतिम धर्मकथाकही परिखदा राजापाकावल्या तेकालतेसमानेविषेश्रमण भगवंतश्री महावीर देव नो ज्येष्ठवड़ोशिष्य इ ंद्रभूतिगोतम यावत्तेजोलेस्यासहित छुट्टछट्टनोपारणोकरेछेजिम भगवतीसूत्रेकह्यो पहिलोपोरसीएस कायकरे जिन्हांवाणियगामनगर तिहां आवेद्यावीने वांणियगामन येड' चनीचकुलनेविषे अट 米業米米米米米米 Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विष्टी * गवंमहावीरेतेणामेवउवागच्छडू समर्णवंदडूनमंस एवं वयासौछामिभंतेतुम्भेहिंअणुमाएछट्टनमणपारणगंसिवाणियगामेणय रेउच्चणीयमझमाईकुलाई घरसमुदाणम्म भिक्खायरियाए अडित्तएग्रहेषुभिक्षाचर्यायाभेच्यसमाचारेण अटितमितिवाक्यार्थ:च हासुहं देवाणुप्पियामा पडिबंधंस्खलनांमाकुर्वित्यर्थः तएणंभगवंगोयमेसमणेणं३ अभणुपाएसमाग्रेसमभम अंतियाघोपडिनिक्स मरत्ताअतरियमचवलमसंभंते जुगंतरपलोवणाएदिट्ठीए पुरओइरियंसोहेमाणेत्तिसन्चबादम्मियगुडियत्तिसबवासनहन्यात सम्बाहास्तथावड्ववर्मणविशेषोयेषांतेवड्ववर्माणस्त एववववम्भि का:तथा गुडामहास्तनुप्राणाविशेष: सासंजातायेषांतेगुडितास्तत: उ.वाणियउच्चनीयकुलाई अडमाणेजेणेवरायमग्गे तेणेवउ.श्तत्थणंबहवहत्यीपासई सणवद्ध वम्भियगुडिए उप्पोलियकयत्थे उदामियघंटेणाणामणिरयणविविहगेवेज्जे उत्तरकंचुइज्ज पडिक णकरताजिहांराजमार्गतिहाआवेधावीने तिहांधणाहाथीदौठा सनाहसहितसनाहकसणा बांध्यावखतरसहित पाश्चरसहितकूष सूवाध्याछे घंटानीचीमेहलीछे नानाप्रकारनामणिरत्नम विविध प्रकारना कंठनापाभरणवीजापाथरनो विशेषतेणेकरीसबाहा WINENEWEREMEWIKERWHEREHEMENERMIRE For Private and Personal Use Only Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०टी० ६ १ सूत्र भाषा 紅茶鮮雜雜然然鮮 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कर्मधारयःउप्पौलियकक्ख त्ति उत्पीडितागाढतरबडाकक्षा उरोबंधनं येषां ते तथा तान्उद्दामिवर्षटत्तिउहामिता अपनीतबंधनां : प्रलं बिताइत्यर्थोघण्टायेषां तेतथातान् णाणामणिरयणविविहगेविउत्तरकं चुएत्तिनानामणिरत्नानि विविधानि ग्रैवेयकानिग्रीवाभ रणानिउत्तरकं चुकाश्चतनुत्राणविशेषाः सन्तियेषां तेतथा अतएव पड़िकप्पिएत्ति कृतसन्नाहादिसामग्रीकान् झयपड़ागबरपॅचामेल आरूढ़हत्यारोहेध्वजागरुड़ादिध्वजाः पताकागरुड़ादिवर्जितास्ताभिवरायेतेतथा पंचच्चामेलका: शेखरकायेषांतेतथा आरूढाह स्त्यारोहामहामात्रायेषुतेतयाततः पदत्रयस्थकर्मधारयो अतस्तान् गहियाउहप्पहरणाग्टहीतान्यायुधानि प्रहरणायेषु अथवा आयु धान्यचेष्याणि] प्रहरणानितुचेष्याणीति सन्नद्धबद्धवप्रियगुड़िएत्ति एतदेयव्याख्याति आविद्धगुड़े ओसारियपक्चरेत्ति आविद्दापरि प्पिएभयपडागवरपंचामेल आरूढ हत्थारोहेगहियाउहपहरणे अण यतत्थबहवे आसेपासई दिसर्वसामग्रीसहित गाया ध्वजाते जेहने विषेगड़ादिक अहिनागसहितपंचशिखर चामरचाकार वड्याचे गरुड़ादिक अहिनायर हितहाथौनापोतारचलाबहार हथीयारसहितआयुधखड़गादिक अनेकति हांघणां घोड़ादीठा सन्त्रासहितसन्बाहना कसणावांच्या For Private and Personal Use Only ************ Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विष्टी 業業業業器器業养繁業辈辈辈辈辈業業养業 हितागुड़ायेषांते तथागुड़ावयद्दापिहस्तिनां तनुवाणं रूढ़ापदार्थापदेशविशेषापेक्षया धमपिसम्भवतीति अवसारिताचवलम्बिताः पक्खरास्तत्राणविशेषोयेषांतेतथातान् उत्तरकं चयचलामुहचंडाधरचामरथासगपरिमंडियकडीएत्ति उत्तरकंचुफस्तनुत्नाणविशेष एवयेषामति तथाअवचलकर्मखं चंड़ाधरं रौद्राधरोष्ठ येषांतेतथा चामरेखासकैनदर्पणैः परिमंडिताकटीयेषां तेतथातत:कर्म धारयोऽतस्तान् उप्पीलियसरासणपट्टिएत्ति उत्पीड़िताप्रत्यञ्चारोपेणसरासनपट्टिका धनुष्ठिवाड पट्टिकावायैस तघातान् पिणच सम्पमद्धवम्पियगुडिए श्राविद्धगुडेउसारियपक्खरे उत्तरकंचुदउचलमुहचंडाधरचामरघासकपरि मंडियकडीए आरूढअस्मारोहेगहियाउहप्पहरणे तेसिंचणंपुरिसाणंमझगयंएगपुरिसंपास अंगसभीद्योपाखरमतिपहिरावी गुड़ातेपाखरयद्यपिगुड़ाशब्द हाथीयानीपाखरकहौई तथापिदेवि घेषगीअपेक्षायेघोड़ानेसंभ बेधटानीचौमसगलामो परपाषतीरजेहनेपहिरावीके जेहनेलगामेकरीहोठरोद्रछे एहयोमुखचामरकरी भारीमातेणे करीपरि मंचितछे कडिजेसम्वघोडानीचढयाके असवार ग्रह्याळेचायधखेडादिकाहरणखड़गादिकतेपुरुष लसकरसमतमध्यगतपुरुषनेदीठो 长業業养業業業胀器業業業業影業業器業叢業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie FTE 諜諜諜業業諾講講講講講講器器業業狀 गेवेज्जति पिमईपरिहितं वेयकंवैत तथातान् विमलवरबद्धचिंधपट्टे विमलोवरोवचितपट्टोवरत्नादिमयो येस्सेतथातान्अवउडग * बंधणंति अवकोटककेन सकाटिकाया अधोनयनेन बंधनंयस्यसतथा तंउक्वित्तकन्ननासंतिउत्पाटितकर्णनासिकानेडतप्पियगतंति स्नेहने हितशरीरंवण्या करकडिंजयणियवत्यंति बड्यश्चासौ करयोहस्तयो: कसकटीदेशयुगयुग्मंनिवसितबनिवसितश्चेति समासोऽत संअथवावध्यस्य यत्करकटिकायुगं निंद्यचीवरिकाद्वयं तन्निवसितो यासतथाकंठे गुणरत्तमलदामं कंठेगलेगुणवकंठसूत्रमिवरक्त वउडगबंधणंउक्त्तकपणासंणेहतप्पियगयंबज्भकरकडिंजुयणियत्य कंठेगुणरत्तमल्लदामंचुपगुडिय गायंचुपयंवम्भपाणीपीयंतिलंश्चेवछिज्जमाणंकाकणिमंसाहू'खावियंणवीककरसएहिम्ममाणं परेवाहेबांध्योछे फायाकाननाकएतले काननांकछ द्याछे चौगटोथरीरएतलेपरसेवेकरीमाप्रथयोशरीर चोरनाहाथकडिनेपासेवां ध्या चोरयोग्यवस्मपहिरायागलेकणवरनाराताफूलतेहनौमालाघालौछे जेहनेगेका करीखरयोगात्रसरीरहनो वाह्यप्राणते जेहनेप्रियवल्लभके तिलरप्रमाणमांसोदताङता तेहनाशरीरकापौतेहनोमांसतेहनेखवरावे तेपापीचोरनेकरकसवचनेकरीसाटे 柴柴柴柴柴柴業業業業养养業業業器業樂業路 भाषा For Private and Personal Use Only Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir www.kobatirth.org SH वि टी. 開業需器器端需器器需講講器器業 लोहितमाल्वदामपुष्पमालायस्य सतथातंचवगुडियगायं गरिकक्षोदावगुडितशरीरं चस्मयंति सन्त्र स्तं बक्रपाणपोयंति बह्यावा* ह्यावाप्राणाउच्छासादयः प्रीता:प्रियायस्यसतथा तंतिलंतिलंचेव छिज्जमाणंति तिलाशग्छिद्यमानमित्यर्थः कागणिमंसाडू खावियं तंकाकिणीमांसानि तह होत्कृत्तङ्गखमांसखण्डानि खाद्यमानंपापिष्ठंतितोसी अश्वानासनायचर्ममयावस्तुविशेषाः स्फटितवंथा * * वातन्यमानं ताद्यमानंता अष्मणोसेसयाइंति आत्मनःआत्मीयानिसेतस्य स्वकानिस्वकृतानि अञ्झथिए आत्मगत: इहैवमन्यदपि दृश्य कप्पिएकल्पितो भेदवान् कल्पिकान्वा उचित:चिंतिए स्मृतिरूपः पविएप्रार्थितो भगवदुत्तरप्रार्थनाविषयः मणोगएत्ति अप्रका अणेगणरणारिसंपरिबुडेचच्चरेचच्चरेखंडपडहएणंउग्धोसिज्जमाणंइमंचणंपयारूबंउग्घोसणंसुणे णोखलुदेउभियगस्सदारगस्म केईरायारायपुत्तोवा अवरज्जईअप्परोसेसयाई कम्मा अवरज्ज करीतथावांसेकरीहणेछ अनेकनरनारीनेपरिवारेपरिवस्यो चाचरेचाचरेखोखरेढोलढे ढेरेवाजते वजाइनिर्घोषदोड़ताएहवोएता दृशरूपपड़वानोघोषसुणे नहीनिश्चे हेदेवानुप्रिया उभियावालकऊपर के ईराजाने राजनापुत्रनो अपराधनथीजेएकदर्थीयेछ 業業躲躲躲業業業業業器業聚聚鬆滌器糕: भाषा For Private and Personal Use Only Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 情黑漲漲漲罪業賺賺賺賺業業养業叢叢叢繼離器 सितइत्यर्थः सङ्कल्पोविकल्पः समुत्पन्नवान् अहोणमेपुरिसे पुरापोराणाणं कम्पाणंदुच्चिचाणंदुष्पड़िकंताणं असुभाणंपावाणंकड़ा इतएणसेभगवंगोयमस्म तंपुरिसंपासित्ताईमे अज्झथिए४ अहोणंदूमेपुरिसे जावणिरयपडिरूवयं वेयणवेएसित्तिकवाणियगामेणयरेउच्चणीयकुलेर जावअडमाणेअहापज्जत समुदाणंगणहवा णियगामंणयरमझमझणं जाबपडिदंसेइसमणंभगवंमहावीरवंदणमंसदएवंव एवंखलअहंभ तेतुम्भेहिं अम्भणुणाएसमाणे वाणियगामंजावतहेवनिवेए सेणंभंतेपुरिसे पुकभवेकासिजावप पोतानाजेस्वयंकृतकर्मने हणाइछ तिवारपछीते भगवंतगोतमस्वामीतेपुरुषनेदेखीने एहचिंतवालागोअहोहाहाइतिखेदेएपुरुष जावत्नरकसरीखी वेदनावेदेछे मकरीविचारीने वाणियगामनगरनेविषे उचनीचकुलनेविषे यावत्अटणकरतोथको पापणी मर्यादाप्रमाणभाहारसामुदाणीभिक्षालेईने वाणियगांमनगरनेमध्यमध्यविचालेविचालेनीसरीने यावत्भगवंतनेाहारदेखाड़ीने श्रमणभगवंतमहावीरने वांदीनमस्कारकरेकरीने दूमकहेड्मनिश्चर्ड हेपज्यतुम्हारीयाज्ञापामी थके वाणियगांमनेविषेगयोछे 器器器器業業業業需辦業業業業諜諜紫器器器 भाषा For Private and Personal Use Only Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 器器器業器器器需器器器器業器業 शंकम्मापावर्गफलवित्तिविसेसंपच्चणुभ्भवमाणेविहरणमेदिट्ठावाणरयावापञ्चक्खं खलुअयंपुरिसेनिरयपडिरूवियंवेवणंवेएत्तिकट्ठ इत्येतत्प्रथमाध्ययनोक्तवाक्यमाश्रित्याधिकृत्याक्षराणि गमनौयानौति रिवत्तिरियमियसमिवेत्यादिदृश्य तत्रभवनादिभिर्टडि मुपगतस्तिमितंभयवर्जितं धनादियुक्तमिति महयाहिमत्ति इहमहयाहिमवंतमलयमंदरमहिंदसारेइत्यादिदृश्य तत्वमहाहिमव चणुभ्भवमाणेविहरदूएवंखलुगोयमातेणंकालेणंतेणंसमएणं इहेवनंबूद्दीवेश्भारहेवासेहत्थिणाउरे णामंणयरेहोत्था रिद्धतत्थणंहत्थिणाउरणयरे मुणंदेणामंरायाहोत्था महियाहिमवंतमलयमंद रतत्थणंहत्थिणाउरेणयरे बहुमझदेसभाए तत्थणमहंएगेगोमंडवेहोत्था अणेगखंभसयससिवि यावत्तिमजदौठोहंतोतिमजनिर्वेदकह्यो तेहेभदंतपुरुषपूर्वलेभवेकुणतोपूर्ववत् यावत्दुःखभोगवतोयकोविचरे इमनि गौतम तेकालतेसमानेविषे एहजजंवूहीपनामाहीपनेविषे भरतक्षेत्रनेविषे हस्तिनागपुरनामानगरहुतो ऋद्धिवंततिहांहस्तिनागपुरनगर नेविषे सुनंदनामाराजाडतो मोटोहिमवंतगिरीमलयाचलगिरीमंदरगिरी तिहांहस्तिनागपुरनगरनेविषे धणुमध्यदेशभागनेविषे 業業器業詳業業装業業業業業器業業器默器器 For Private and Personal Use Only Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir दादयः पर्वतास्तहत्यार: प्रधानोयः सतथापामाइत्यवपासाइएदरसणिज्ज अभिरुपडिकवेत्तिदृश्य तत्रप्रासादीयोमन: प्रसन्नता हेतःदर्शनीयोयं पश्यच्चक्षुर्नत्राम्यति अभिरूपः अभिमतरूपः द्रटारप्रतिरूपं यस्येतिनगरवलीवर्दावहितगवा:पड्डिकाखमहिषा इखगोस्त्रियो वाषा:सामगावाकूड़गाहियत्ति कूटेनजीवान्टङ्गातीति कूटग्राह: अहम्मिएत्ति धर्मेणचरतिव्यवहरतिवाधार्मिकस्त पासाईए४ तत्थणंबहवेणयरेगोरुवासणाहाय अणाहायणयरगावौउय णयरवलौवहाय णयर पडियाउयणयरमहिसउयणयरवसभाय परतणपाणियणिभ्भयाणिरुबिया सुहंमुहणंपरिवस इतत्थणंहत्थिणाउरे भौमणामकूडग्गाहेहोत्था अहम्मिए जावटुप्पडियाणंदे तस्मणंभीमस्मकूडगा तिहमोटीएकगायनीथालाहंती अनेकघणास्त भनेसतेकरौथापौधेशाला जोडूवायोग्यछे तिहांधणाएकनगरना चौपदसनाथते धशीवायतामनायते अधणीयाइतानगरनौगायाणगरनाखसीकोधाबलदणगरनौपाडीतेलघुभेसनगरनाभैसानगरनावृषभतेमोटा सांडप्रचुरपयोषासप्रचुरघणोपाणीभयरहितउपदेसरहितसुखेसुखेरहेछेवसेछेतिहाथिणापुरनगरनेविषे भीमनामाकूडग्राहीकूड़े 旅業樂器器器需默默業樂業業業業業器默默 For Private and Personal Use Only Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि०टी० - - 業競業業業 器器器器鬆鬆滌器業器業業 विषेधादधार्मिको यावत्करणादिदंदृश्य अधम्माणुए अधन न् पापलोकाननुगच्छतीति अधर्मानुगः अधम्मिटेअतिशयेनाधर्योधर्मर हितोऽधर्मेष्ट: अधम्मकलाई अधर्मभाषणशील: अधार्मिकप्रसिद्धकोवा महम्मपलोईअधर्मेणैव परसम्बन्धिदोषानेव प्रलोकयति प्रेहाते इत्य वंगीलोधर्मप्रलोकीति अहम्मपलज्जणे अधर्मएवहिंसादौ प्ररज्य तेऽनुरागवान् भवतीत्य धर्मप्ररजन: अधर्मसमुदाचारो गधर्म रूप:समुदाचार: समाचारोवस्य सतथा अहम्मेणचेववित्तिकप्येमाणेत्ति अधर्मेणपापकर्मणात्तिं जीविकांकल्पयमानः कुर्वाणत छौलइत्यर्थःदुस्मीलोदुष्टशील: दुव्वलोअविद्यमाननियमइति दुप्पड़ियाणंदेदुःप्रत्यानंदो बहुभिरपिसंतापकारणैरनुत्पद्यमानसन्तोष हस्सउप्पलाणामभारियाहोत्था अहोणतएणसाउप्पलाकूडग्गाहिणी अपयाकयाईश्रावणसत्ताजा यायाविहोत्था तएणंतौसेउप्पलाए कूडग्गाहिणोएतिगहमासाणं बहुपडिपुरणाणं अयमेयारोह करीजीवनग्रहतेडं तो अधर्मेकरीवर्ते यावत्पाडुर्कीधेआणंदथाइ तेहभीमनामाकूड़ग्राहीनी उपलानामाभारियोती समय दूद्री प्रतिपूर्ण तिवारपछीतेउपलाकूड़ग्राहिणी एकदाप्रस्तावेप्राधानेसहितसगर्भथई तिवारपछीतेउपलाकूड़ग्राहिणी तिणमास 器器端端樂器器器新職業器器器 For Private and Personal Use Only Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विन्टौ. 裝業業叢叢叢叢叢叢叢叢叢叢叢鬃業聚聚器 * इत्यर्थ:अहीणत्तिबहीणपुस्मपंचेंद्रियसरौरेत्यादिदृश्य आवनसत्तत्तिगर्भसमापन्नजीवेत्यर्थः धमाउणताउअम्मियाउत्तिअंबाजनन्यडू हयावत्करणादिदंदृश्य पुस्याओअम्मयाओकयथार्थतामोअम्मयाओकयलक्खणाश्रोणंताओअम्मयाओतासिंअम्मयाणं सुलझे जम्मजी वियफलेत्तिव्यक्त चउहेहियत्तिगवादीनांस्तनोपरिभागैः थणेहितत्तिव्यक्त वसणेहियत्तिषणैरण्डैः केप्याड़ियत्तिपुच्छःकुकुहेहियत्ति लेपाउम्भूए धमाउणंतानोअम्मयाअोष्ट जावसुलखे जाउणबहुणंणयरगोरुवाणं समाहाणयजावव सभाणयऊहेहियथणेहिय बसणेहियछिप्याहियकुकुहेहियवहहिय कण हियअक्सिहियणासा हियजिम्भाहियो?हिय कंबलेहियसोलेहिय तलंतेहियभज्जिएहिय परिमुक्के हियलावणेहिय बहुप्रतिपूर्णथयेहुते एतादृशरूपएहवो गर्भप्रभावेच्छारूपमनोर्थडोहलो प्रगटथयोधन्य तेमाता४ जावत् तेहनोमनुष्यभवभलेलाधो जेधणानगरनाचोपदगायवलदसनाथधणीयाता अधणीयातायावत्कृषभगायप्रमुखजहाड़ोगायनास्तवनोउपरलोभागस्तन वृषणअंड पूंछषभनावंधनोशिखरतेथुई कंधकांनआंखिनासिका जिल्लाहोठगलाहेठलोकांवलनी मलाकरीनेतैलादिकेकरीतलीने भुंजीने 装器兼养業業叢叢叢業叢叢叢叢叢叢叢叢叢業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०टी० ७० सूत्र भाषा *米米米米米米 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ककुदैः स्कन्धशिखारैः बेहे हियन्त्तिवहैः स्कन्धः कर्णादीनिव्यक्तानि कंवलेहियत्ति मात्राभि: सोल्लिएहियत्ति पक्कै तलिए हियत्तिलेहेम पक्कै भिज्जिएहियत्ति स्वष्टेः परिकखेहियन्ति स्वतः शोषमुपगतैः लावणिएडियन्ति लवणसंस्कृतेः सुरातंडुलधवादिकलोनिष्यन्नामधुं चमाक्षिकानिष्पन्न' मेरकंतालफल निष्यन्नं जातिश्चजातिकुसुमव मद्य मेव सौधुंच गुड़धातुकीसम्भवं प्रसन्नाद्राचादिद्रव्यजन्यामनः प्रस त्तिहेतुरिति यसाएमाथ्योउत्ति ईषत्स्वादयन्त्यो वहत्यजंत्यइक्षु खण्डादेरिव विसाएमापोउत्तिविशेषेण स्वादयन्त्योन चत्यजन्त्यः खर्ज रादेरिव परिभाएमाणीउत्तिददत्यः परिभुंजे मागणीउत्तिसर्वमुपभुंजाना अल्पमध्यपरित्यजन्त्यः सुकत्तिशुष्का शुष्के चशुष्कारुधिरक्षयात् सुरंचमह ं चमेगरं चजाइच सिधु चपसा च आसाएमाणीओ विसाएमाणीयोपरिभाएमाणी परिमाण दोहलविणज्ज' ति तंजायिणाहमविवद्ध गंणयरजावविणन्नामित्तिक द्रुतंसि एतलेसेकौनेअग्निने तापेतथातावड़ा कर्कराकरीने सर्वसंस्कारलवण मरचादिसंयुक्तधवनीकालीनोनीपनो मद्यमधुताड़नाफलनोनी पनोकरगमेकहौये विशेषेआखादतीखातीहुई शालिसूपादिदेती ती सर्वथाप्रकारे भोगवतीच्ड' ती डोइलोखमनोर्थ संपूर्ण करती For Private and Personal Use Only 米米米米米米米米米米米米米米米米米米 Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie 業業業業業業業霖業業業業蒸蒸業業業器 भुक्त्त भोजना करणाइलयलतयावुभुक्षायुक्तच बभुक्षाअतएवनिमांसाउभुग्गतिअवरुग्रामग्नमनोवृत्ति: उलग्गसरीराभग्नदेहाणि त्यतिगतकांति: दीणविमणत्तिदीनादैन्यवतीविमनाः शून्यचित्तादीणविमणेति कर्मधारयः दौणविमणवयणत्ति पाठान्तरंतत्रवि मनसइवविगतचेतसइववदनयस्याः सातथादीनाचासौ विमनोवदनाचेति समासः पंडुल्लयसुहीपांडुकितमुखी पांडरीभूतवदनेत्यर्थः उमंथियणवयणकमलेत्ति उतवियत्ति अधोमुखीकृतानिनयनवदनरूपाणि कमलानि ययासातथा उयसत्ति उहयमणसंकष्याविगत दोहलंसिविणिज्नमाणंसि सुक्कामुक्खानिसाउलग्गाउलग्गसरौरा नित्तयादौणंचमणवयणा पंडुल्ल इयमुहौइमंचणंभीमेकूडग्गाहे जेणेवउप्पलाकूडग्गाहणीए तेणेवउवा०२ उहयजावपासवर धन्य धन्य इमकरीनेमननेसंतापेलोहीसकोभोजनने अणकरवेकरीरहितहुतीगिलाणभागीमननी क्षुधाकांतसरिखीहतीमांस त्तिजीर्णनीपरिचितडयो जीर्णपरिंधरीरगलाणहुई शरीरनौकांतितेजरहित दोनत्तिकीड़ादिरहित मननेमुखदीनथया मुखे पाडुरीहईएतलेमुखवर्णपालथ्यो एणेअवसरेभीमकूड़ग्राही जिहांउपलानामाकूड़ग्राहिणी तिहांबावेमावीरने मार्तध्यानकरती 米米米米米米器業講講米米米米米米米米米 For Private and Personal Use Only Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir बि.टी. सूत्व 繼器器器業業器業器業諜諜鬆業業 युक्तायुक्तविवेचनेत्यर्थः दूच्यावत्करणादिदं दृश्य करतलपलहत्यमुहीकरतले पर्यस्त निवेसितं मुख्यस्था: सातथाअट्टल्याणोवगयाभू मौगयदिट्ठीयाक्रियायत्ति ध्यायतिचिंतयतीति इमंचणत्ति इमञ्च त्यर्थ: भौमेकूड़ग्गाहेजेणेवउप्पलाकूडग्गाहिणीतेणेवउवागच्छदूर ताउप्पलकूड़म्गाहिंउहयमाणसंकप्प इत्यादितं प्राराक्तमत्वानुसारेणपरिपूर्णकृत्वा अयंसूत्रमात्रत्वात्पुस्तकस्यताहिंदूट्टाहिंदूत्यत्रयाब एवंव० किम्मतुर्मदेवाउहयभियाहिंसि तएणसाउप्पलाभारियाभोमकूडग्गाहंएवंव एवंखलुदेवा ममंतिण्हमासाणंबहुपडिपुराणं दोहलंपाउम्भूएधरमाणं४ जाउणंबहुणंगोरुवाणंऊहेहियजावला वणएहियसुरंच आसाएमाणीत्रोष्ठ दोहलंविणिंतितएणंअहंदेवा० तसिदोहलंसिअविणिज्ज देखेदेखिनेइमकहे किमतुमेहेदेवानुप्रिये आर्तध्यानध्यावेके तिवारपछीते उपलाभार्या भीमकूड़ग्राहीप्रते इमकहे इमनिश्शेहेदेवा * सुप्रियामाहरविणमास बहुप्रतिपूर्णथयेथके दोहलोप्रगटथयो धन्यमाताते8 जेहनेघणागायवलदना उहाड़ोसन यावत्लवणमिर चादिकेसंस्कृतसंयुक्तमद्यादिसंघातेपास्वादतीथोड़ोसोजीमतीथकी४ दोहिलोनिवर्तावेतिधन्य तिवारपछी'हे देवानुप्रियतेदोहलो 器業業器業業業需業業業諜業辦業 धाभा For Private and Personal Use Only Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 業業蒸蒸糕漿凝聚聚聚器暴漲漲漲漲暴涨暴, करणादिदंदृश्यं ताहिंपियामिणुमाहिं मणामाहिति एकार्याश्चैत्य वग्गहिति वाग्भिः एगेत्तिसहायाभावात् अबौएत्तिधर्म माणंसिजावज्भियामि तएणसेभौमकूडग्गाहे उप्पलभारियंएवंव० माणंतुमंदेवा० उहभियासि अहस्पतंतहाकरिस्वामि जहाणंतवदोहलस्म संपत्तीभविस्मइताहिं इठ्ठाहिकंताहिंजावसमासासे इतएणसेभीमेकडग्गाहे अवरत्तकालसमयंसि एगेनबीएसपवजावपहरणे सानोगेहाश्रोणिगच्छद्र हित्थिणारंमज्जमज्झणं जेणेवगोमंडवतेणेवउवा०३ बहुण्णयरगोस्वाएं जाववसभाणयअप्प संपूर्णपणपुहते ते यावत्मार्तध्यानध्यावुछ तिवारपछी तेभीमकूड़ग्राही उपलाभार्याप्रतेमकहे मकरोतुमेदेवानुप्रिये भार्तध्यान पूरोजोसी तिमजकरीसजिमताहरोदोचलो संपूर्णस्य ते इष्टवल्लभकमनीकएहवेवचनेकरी यावतमंतोषी तिवारपछी तेभीम कूड़ग्राहीमध्यरात्रिकालसमानेविषे एकलोसखाईरहितधर्मरूपीसखाई रहितसन्चाहपहरीने यावत्थीवारपहरीने पोतानाघर यकीनीसरेनीसरीनेहथिणाउरपुरनगरनेमध्यमध्यजिहांगायनोमंडपमांडवोतिहांबावेमावीनेश्षणानगरनागोरुवाचउपदयावत् 来諜諜諜素業辦業業業職業業樂業講報 For Private and Personal Use Only Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि टी. 6 स्वसहायावाभात् सबववववम्मियकवते पर्ववत् यावत्करणात् उप्पीलियसरासणपट्टीएइत्यादि गहियाउहपहरणे इत्येतदन्त दृश्य गइयाणंऊहेच्छिद अप्प गइयाणकंबलएविंद अमग अणमणाणं अंगोवंगाइविहूगेदर जे । णवसएगिहेतेणेवउ०३ उप्पलाएकूडग्गाहणीए ववरण इतएणसाउप्पलाभारिया तेहिंबहुहिंगोमं सेहिंसोल्ल हिंसुरंच आसाएमाणोए४ तंदोहलंविणइतएणसाउप्पलाकूडग्गाहणी संपुम्पदोहला समाणियदोहला विच्छिपदोहलासंपदोहला तंगम्भंसुहंसुहेणंपरिवस तएणसाउप्पलाकूड दृषभगायप्रमुखनाएकेकना उहाड़ाळेद्या पपिएकनाकंबलछेद्या, एकेकना अन्योअन्यनामंगउपांगछेद्याले दीनेजिहां पोतानोधर तिहांआवेघावीने उपलाकूड़ग्राहणीने पाप्योतेमामतिवारपछीते उप्पलाभार्या तेषणाईप्रकारे गायनामांसनामलाकरीने मद्यसं पातेयांखादतीजीमतीथकी४ तेड़ोहलोसंपूर्णनिवर्ताव्यो तिवारपछी तेउपलाकूड़ग्राहणी समस्तवांछितार्थपरतीती बांछानिव ती वांछितनोकारणविदथयाङती संपूर्ण डोहलोथयेयके तेगर्भनेमुख्नेसुखौधरीराखे तिवारपछीते उपलाकूटग्राहिणीएक 器器器端點點點點點器需辦業業器需器擺業 熊課業課米米諾諾黑米諾雅米樂米 सूत्व भाषा For Private and Personal Use Only Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि. टी. ७५ सूत्र भाषा *業業業謊米米米米米米米米米米 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संपुषदोहलेत्ति समस्तवांछितार्थपूरणात् सम्माणियदोहलत्ति वांछितार्थसमानयनात् विणीयदोहलत्ति वांछाविनयनात् विच्छिन्न ग्गाही अपयाकयाई नवराहं मासां वहुपडिपुराणं दारगंपयायातरणंतेणंदारएणं जायमित्तणं चेवमन्हयाश्सद्देणं विषुट्टै बिसरेआरसिए तरणंतस्सदारगस्म आरोयसद्द सोचा णिसम्महत्थिणा उरेणयरेवहवेण्यरगोरूवा जाववसभाणयभोया४ उव्विगासव्वओोसम्म तानिप्पलाइत्ता तरणंत स्मदारगस्मअम्मापियरो श्रयमेयारूवे णामवेज्जं करे जम्हाणं म्हं इमेदारएणंजायामेत्त चैव दाप्रस्तावेनवमास बहुप्रतिपूर्णथ येथके बालकजनम्यो तिवारेपछीतेबालके जन्मथयेथके मोट े २ शब्द करी चौसकरीविखरपाडु ख करीअरड़ाटशब्द रोयो तिवारपछीतेचालक रोयानोशब्दसांभली हो येधारी हथिणापुरनगरनेविषे षण्णानगरनाचो पदयावत्वलद गायवनाउद्वेगपायासगलीदिशिविदिशने विषेनाठा तिवारपछीतेबालकनो मातापिताये एतादृशरूपएहवो नामकरिस्य जिवा रेअन्हारेएवालकनो जनमथयोतिवारे मोटे मोटे शब्देकरीचीसपाड़ी पाडूहू खरे अरड़ाटशब्द रोयो तिवारपछीएवालकरोयानो For Private and Personal Use Only Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 张識器器業業需器需器端調需繼需繼器 दोहलत्तिविविक्षितार्थवांछानुबंधविच्छ दात् संपन्नदोहलत्ति विविक्षितार्थभोगसंपद्यानंदप्राप्त रिति भीयातस्थासियासंजायभवाति महयाश्सहणंविधु विस्सरे श्रारस्मिएतएणएयस्मदारगस्म आरसियसमोच्चा णिसम्महत्थिणा उरेबहवेणयरेगोरुवा जावभीया४ सवोसमंताविपलाइत्ता तमाणंहोउ अह्म दारएगोत्तासे णामेणंतएणंसेगोत्तासेदारए उम्मु कबालभावेजावजाएयाविहोत्था तएणसेभीमेकूडग्गाहे अमायाक याई कालधम्म णासंजुत्ते तएणंसेगोत्तासेदारए बहुणमित्तणाईणियगसयणसंबंधिपरिजणेस शब्दसांभलीने हीयेधारीनेहथिणापुरनगरना घणाणगरनाचौपद यावत्वीहना४ सर्वदियिविदिशीनाठाजेमाटे हौंसम्हारेवालक नोगोलासीयोनाम तिवारपछी गोवासीयोनाम बालभावथकीमुकाणो यावत्योवनप्रतेपूर्णहुमो तिवारपछीते भीमकूड़ग्राहीअन्य दाप्रस्तावे कालप्राप्तहो तिवारपछी तेगोत्रासौयोबालकवणामित्रसहजाति आदिजातीलागोत्रीपोतानाखजनमातापितादिविवा हीप्रमुखवाणउत्तरदासदासी प्रमुखसंघाते परिवस्योहुतो रोताशब्दविनाकंदमानथको विलापसब्दसहितदनकरतो भीमकूड़ग्राही 業業業業業業業業兼差兼器兼業業养業業养業 For Private and Personal Use Only Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie संपुरपदोहलत्ति समस्तभवोत्कर्षप्रतिपादनां परान्येकार्थिकानि चैतानि सव्वोत्ति सर्वदिक्षुसमंतत्ति विदिक्षुचेत्यर्थः विपलाइच्छति ट्विं संपरिवुडेरोयमाणेकंदमाणे वियवमाणेभौमस्सकूडग्गाहस्सणौहरणकरेइर बहुइलोइयमयकि चाइकरदूर तएणंसेमुणंदराया गोत्तासंदारयंअस्पया० सयमेवकूडग्गाहेत्ताएटवेइ तएणंसेगोत्तासे दारएकूडग्गाहेजाएयाविहोत्था अहम्मिएजावटुप्पडियाणंदे तएणसेगोत्तासेदारएकूडग्गाहेकल्लाक ल्लिअद्धरत्तकालसमयंसिएगे अबीएसपद्धबलकवर जावगहियाउहपहरणेसाोगिहारोणिज्जा नोनीहरणकरेकरीने घणालोकाचार शतकनाकार्यकरेकरौने तिवारपछीते सुनंदराजा गोसासीयावालकने अन्यदाप्रस्तावेपोते चाड़ीयापणेथाप्यो तिवारपछीगोवासीयोबालक कूडग्राहीचाड़ीयोथयो अधर्मीपापी यावत्पाडु कीधेपाणंदपामे तिवारपछीतेगो वासीयो बालकचाड़ीयो दिनदिनप्रते मध्यराविनाकालसमानेविषे एकलोधर्भरूपौयोसखाईवीजोनहीमन्नारुपहरीनेकसणावांध्या * कवचपहिरीने यावत्ग्रह्याखडाखड़गादिक पोतानाघरथको नौसरीने जिहांगायनोमंडपतिहां आवेधावीने घणानगरनागोरुप 業業繼業养業業業蒸蒸养养業業業業涨涨涨涨 For Private and Personal Use Only Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विटी० विपलायियभवतीति अयमेयारूवंति इदमेवंप्रकारंवक्ष्य माणस्वरूपमित्यर्थः महयार चिच्चीपारसिनि महतर चिच्चीत्येवंचीत्कारे इजेणेवगोमंडवे तेणेवउवा०२ बहुणंणयरगोरुवाणं सणाहायजाववियंगत्तेरजेणेवसएगिहेतेणेव उतएणंसेगोत्तासेकूडग्गाहे तेसिंबहुहिंगोमंसेहिंसोल्ल हिंसुरंच आसाएमाणे विहरतएणंसे गोत्तासकूडग्गाहे एयकम्मेएयपहाणे एयविज्ज एयसमायारेसुबहपावंकम्म समज्जिणित्ता पंचवास सयाई परमाउपालदत्ता अट्टहट्टोबगएकालमासे कालंकिच्चादोच्चाएपुढवीए उकोसंतिसागरोणेर चोपदसनाथनायावत् अंगउपांगले देछेदीने जिहांपोतानोघर तिहांबाव्यो तिवारपछीतेगोत्रासीयोचाड़ीयो तिहांषणागोमांसना मलाकरीनेमद्यपानसं आस्वादतोयको विचरले तिवारपछीगोवासीयोचाड़ीओ एकमतीवकरीकर्मशब्दाचारव्यापारएहजप्र धानभलोप्रधानमाहिशुभकर्मएहजविज्ञानजेहनोएहजसमाचारघणु पापकर्मअशुभउपार्जीने पांचवर्षनोपरमोत्क टाऊपाली नेआर्तध्यांनरौद्रध्याननेवसगयेथकेकालनेसमेकालकरीनेवीजीनरकष्टथिवीउत्कटोत्रिणसागरनीस्थितेनारकीपणे उपनोतिवारपछी 器默默器器業樂業業業業業業業樂業業業業 माषा For Private and Personal Use Only Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 寨养养業兼差兼業業職業器諜業業業業業業業 * होत्यर्थः पारभितमारटिस सोच्चति अवधार्यएयकामेइत्यत्र ददृश्य एयपहाणेण्यविज्ज एयसमायारेति अदुहोवत्तिएतिया इयत्ताएउववरसे तएणसाविजयमित्तस्मसत्थवाहस्ससुभद्दाभारियाजाइणिंदुयाविहोत्था जायादार गाविणिहायमावज्जति तएणंसेगोतासेकूडग्गाहेदोच्चायोपुढवीत्रो अणंतरंउबट्टित्ता इहेववाणिय ग्गामेणयरेविजयमित्तस्स सत्थवाहस्स सुभद्दाभारिया कुच्छिंसिपुत्तत्ताए उववस तएणंसासुभद्दा सत्यवाहीअस्पया० णवण्हमासाणंबहुपडिपुरखाणं दारयंपयायातएणंसा सुभद्दासत्थवाही तंदार तेविजयमित्रसार्थवाहनौसुभद्राभार्या मूवामूवावालकजणेछ तिवारपछीतेगोत्रासचाडोओ बीजौष्टथिवीनरकथकी आंतरारहितनी सरीने एहजवाणियगामनगरनेविषे विजयमित्रसार्थवाहनी सुभद्राभार्यानी कुखिनेविषेपुत्रपणेऊपनोतिवारपछौसभद्रासार्थवाची * एकदाप्रस्तानवमासवडप्रतिपर्णथयेथके बालकजनम्यो तिवारपछी ते सुभद्रासार्थवाहीतेबालकने जन्म थके एकांतऊकरडेनखायो नवावीनेपके वीजीवारधोईलेवेलेईने अनुक्रमे अपायतीराखतीतथा आहारादिकेराखतीवस्त्रादिके गोपवतीहती तथाशीतो 業躲躲器業業業業業業業業叢業業職業業業器 For Private and Personal Use Only Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie EXWWIKEMININEKINERIKEKINMENEMINEHEME मार्तध्यानदुर्घटदुःखस्थगनीयंदुर्वामित्वर्थःउपगतःप्राप्तोय:सतथाजायणिंदुयायावित्ति जातान्यपत्यानिनिङ्गीतानि निर्यानौत्यर्थों यस्याःसाजातनिहतावापीति समर्थनार्थः एतदेवाह जातानातादारकाविधातोतापद्यन्तेतस्थाइति गम्यंसारक्खमाणीपायेभ्यःसं गेवेमाणौतिवनाच्छादनगर्भग्टहप्रवेशनादिभिः ठिवडियवत्तिस्थितिपतितां कुलक्रमागतां बईमानकादिकां पुत्रजन्मक्रियां चंदसूर * गंजायमेवयंचव एगतेउकुरुडियाएउभावेदर दोच्चंपिगिराहावेदर प्राणपुवेणं सारक्खमाणीसं गोवेमाणीसंवडर तयोणंतस्सदारगस्व अम्मापियरो एक्कारसमेदिवसेणिवत्ते संपत्तबारसाहेअय मेयारूवेगोणंगुणणिप्पसंणामधेज्ज करे जमाणंअझेदमंदारए जायमेत्तएचेवएगते उबरुडिया णादिसर्पादियको वध्यारतीयको तिवारपछौते बालकमातापिताये इग्यारमोदिवसगयेथके वारमेदिवसपुतेवके एतादृशरूपएह वोगुणेकरोनीपनोएहवोनामकरस्यों जेभणीचन्हारेएखालक जनम्योतिवारे एकांतेजकरड़े नखायो तेमाटेहोज्यो अम्हारेबालक उधिनामकुमार तिवारपछी ते उचितबालकपंचधावेग्रोथको तेकहेर्छ दूधधवरावे तेमातापमंजनादिकरावेतमाताश्चरीरेमंड 黑業講器黑米黑米黑米黑米米米米業辦業 For Private and Personal Use Only Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie HEN वि टी. HEEMEENEMEREMEMEWHEREMA* पासणियंवत्ति अन्वर्थानुसारिणं टतीयदिवसोत्सवं जागरियंचत्ति षष्ठीजागरणप्रधानमुत्मवं गोसगुणनिष्पन्नत्ति गौणप्रधानमपि एउभिए तमाणंहोउंमंदारएउभियणामेणं तएणसेउभिएदारए पंचधाईपरिग्गहिएतंजहा खीरधाई१ मज्जणधाईर मंडणधाई३ कोलामणधाई४ अंकधाई। जहादड्डपम जावणिब्वायणि बापायगिरिकंदरमल्लीणेव चंपगपायवे मुहंसुहेणंविहरड् तएणंसेविजयमित्त सत्यवाहेअन्या. गणिमंचधरिमंचमेज्जचपारिच्छज्जच चउविहभंडगंगहाय लवणसमुह पोय वहणेणंउवगए नतथाअलंकारकरावे ३ क्रौड़ाकरावेतमाता ४ खोलेवैसारेकांधेकरे तेमाता ५ यथादृढ़पडूनोतिमजनिर्वातप्रतिकूलवायरहित व्या * धातविनरहित पर्वतनीगुफादिस्थानकसमीपे चंपकक्षनीपरे सुखेसुखे विचरेछ तिवारपछीते विजयमित्रसार्थवाह एकदाप्रस्तावे जेवस्तुगणीयेनालेरजेधड़ीये तोलीयेगड़ादिवस्त्रादिगजेपामौजे जेपरखीयेरत्नादिक च्यारप्रकारनोकिरीयाणोग्रहीने लवणसमुद्र बालगोकरीगयेने तिवारपवीते विजयमित्रतिहालवणासमुद्रनेविषे वाहोभागेथके बयोसर्ववस्तुरूपलक्ष्मीभांडसार प्रधानवसत HTUT For Private and Personal Use Only Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 業業職業器繼柴柴囂業辦業兼聽兼職兼業職業 स्वदतऊक्त गुणनिष्पन्नमिति जहादढ़पत्ति औपपातिकेयथा दृढ़प्रतिनोवर्णितस्तथा यमपीहवाच्य किमवधिकतत्मत्रमित्याच तएणंसेविजयमित्त तत्थलवणसमुह पोतषिवत्तए णिबडंभंडस्मारअत्ताणे असरणेकालधम्म णासं जुत्ततएणतंविजयसत्यवाहं जेजहाबहवेईसर तलवरकोड बियम्भसैट्टि सत्थवाहालवणसमुद्दो पोयविवत्तियंनिवडभंडसारं कालधमणासंजुत्त सुणे तेतहाहत्यणिक्ख वंचबाहिरभंडसारंचग हाइएगंतंबकम तएणंसासुभद्दासत्थवाहीविजयमित्त सत्यवाहं लवणसमुह पोएविवित्तिणिवु सहितापदानोराखणहारतेथौरहित धर्मनासरणारहित सत्यधर्मप्राप्तहुवा तिवारपछीते विजयमित्रसार्थवाहनो जेजिहांद्रव्य घणोहंतो युवराजकोटवालमाडंबीया कोडंबीया गजांतलखमीसेठ सार्थवाह लवणसमुद्रमांहेवाहणभागेहुतेबद्योभंडसारसहित कालधर्मप्राप्तहवासांभलीने तेणेतिहांजेहनेहाथ छांनीथापणती जेवाद्यवस्तु भंडसारतेलेईग्रहीने एकांतेगयाएतलेजेईखरादि कनेहाथेद्रव्यतिवारपछौसुभद्रासार्थवाही विजयमित्र सार्थवाहने लवणसमुद्रमांहेवाहणभागो बूयो सत्यधर्मपाम्यासाभलेसांभली 業課業器器需器器業業業業器器器器紫器 For Private and Personal Use Only Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विटी * यावन्निवायनिबाघागिरिकंदरमल्लीणेचंपबषादवसहंसुहेणविहरवृत्ति कालधम्म रणत्तिमरणेनलबलसमुद्र पोतविपत्तिर्यस्यसतथा * तांबुड्डभंडसारंनिर्गतभांडमित्यर्थः कालधम्म णासंजुत्तत्ति सतमित्यर्थः घटण्य तितेतथैति ययेत्येतदपेक्षं हत्यनिखेवत्तिहस्तनिक्षेपो * न्यासः समर्पणंयस्य द्रव्यस्खतहस्तनिक्षेपोवाहिर भंडसारंच हस्तनिक्षेपव्यतिरिक्त चभंडभंडसारंभंडंग्टहीत्वा एकांतदूरमपिकामति विजयमित्रसार्थवाहमायास्तत्य त्वस्यचदर्शनदंति तदर्थमपहरन्ति यावत् परिसणियत्ताई'च परशुनिकलेव कुठारविन्द वचंपकल * तेत्तिमित्तइत्यत्नयावत्करणादिदं दृश्यणाइणियसंबंधित्तितत्रमित्राणिसुहृदःजातयःसमाननातयः निजकाः पिटव्यादयः संबंधिन: * बुडंकालधम्मुणासंजुत्तंसुणेइर महयापइसोएणं आपणाममाणीपरसुनियताविव चंपगलयाधस इधरणीतलंसिसब्बंगहिंससिपडिया तएणसासुभद्दामुत्ततरेणं आसत्थासमाणी बहिमित्त नेमोटोपतिभरितेहने सोगेकरौप्यापीहती जिमफरसौछेदोहंती चांपानौवेलतत्कालभ्रसेपड़ भमिकाइतिमसवागेपड़ी तिवार पछीतेसुभद्रामुहत्तांतरे स्वस्थहुईधकौघणामित्रचातीलातेणे परवरोहंतीमांसू नाखतौड़ती आकंदमोट सादेकर विलापार 张器器業諾器需器黑米諾諾業業需業業業業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Y *KIWAKER KENNEHEKH****REMEENERY खसरपाक्षिका: रोयमाणीअश्रूणिमुञ्चन्ती कंदमाणीति आक्रंदमहाध्वनि कुर्बाणाविलवमाणीति पार्तस्वरकुर्वाणा अणोहट्टएत्ति जावपरिवुडारोयमाणीकंदमाणीविलवमाणोविजयमित्त सत्यवाहलोइयाई मयंकिञ्चाइ करेइश्तए शंसासुभद्दाअस्पया० लवणसमुद्दोतरंचलच्छिविणासंचपोतविणासंचपतिमरणंच अणुचिंतमाणौ २कालधम्मुणासंजुत्तातएणणयरगुत्तियासुभई सत्थवाहिकालगयंजाणित्ताउभियगंदारगंसानो गिहाश्रोणिकुभंतिर तंगिहंअपस्मदलयंति तएणसेउभियदारए सयाोगिहाअोनिछुढेसमाणे तिखरकरे विजयमित्रसार्थवाहनो लोकसंबधीयामूवानाकार्यकीधाकरकरीने तिवारपछीतेसुभद्रा एकदाप्रस्ताबे जिमलवणसमुद्र माहिप्रवेशकीधोडतोलक्ष्मीनो जेनासहुओ जेवाहणनो विनासमोजे भरिनुमरणोते चिंतवतीदुक्खधरतीथकौर कालध मप्राप्तहुई तिवारपछीतेनगरनु'जेकोटवाल सुभद्रासार्यवाहणीने कालप्राप्तहईजाणीने उझियाबालकने पोतानाघरथकीकाढीने * तेघरअनेरानेदीधु तिवारपछी उब्जियाबालकने पोतानाघरथको काटेयकेवाणियगांमनगरने बेमार्गविकचोकचच्चरमोटापंथने *** K******* For Private and Personal Use Only Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ***** ************** योवलावस्तादौ ग्टहीत्वाचवर्तमानं निवारयति सोपघट्टकस्तदभावादनपघट्टकः अणिवारिएत्तिनिषेधकरहित: अतएवमच्छ दमत्ति स्ववशास्ववशेनवामतिरस्य ति सच्छंदमति: अतएवसुरदूरप्पयारे खरमनिवारितप्रसरो यस्यतथासदारपसंगीति वेश्याप्रसङ्गीकल नप्रसंगीइत्यर्थः अथवावेश्यारूपायेदारास्तत्प्रसंगी भोगाइतिभोजनंभोगः भुज्यतति भोगा: शब्दादयोभोगार्हाभोगाभोगामनोज्ञाः वाणियग्गामेणयरे सिंघाडगजावपहेसु जूयखलएसुवेसियाघरएसु पाणागारेसुयसुहंमुहेणंपरिवड इतएणसेउवभिएदारए अणोहट्टएअणिवारए सच्छदमईसयरप्पयारे मज्जप्पसंगीचोरजूयवेस दारप्पसंगीजाएयाविहोत्थातएणसेउभिएअण्ण्या कामभिथाएगणियाएसद्धि संपलिग्गजाएया * विषेजवटीनाखलानेविषे एतलेरमेतिहाधेश्यानाघरनेविषे मद्यपांणीनाकरणहारतेणे घरनेविष सुखेमुखेबाधेके तिवारपछीतेउल्कि यावालकने जेकोईयांहदेईग्रहीनेराखेतेरहितजेकोई वचनेकरीवारेतेणे रहितपोतानेछांदे प्रवर्तवे पापणीच्छायेप्रवर्तसौवर्णका रादिसंगे मद्यनोप्रसंगी चोरजवटावे भ्यापरास्त्रीप्रमुखनो प्रसंगीथयोतो तिवारपछीतेउमियो एकदाप्रसावे कांमध्वजागणिका 器端器杂器端誰講課業辦課輔識課講課 For Private and Personal Use Only Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - 諾器器業器器業需器誤器器器業 शब्दादयइत्यर्थमुच्छिएत्ति मूच्छितो मूढ़ोदोषेष्वपि गुणाधारोपात् गिवेत्तितथाकांक्षावानगढ़िएतिग्रथितस्तद्विषयस्त्र इतंतुसंदर्भित: विहोत्याकामझियाएगणियाएसडिउरालाई'माणस्मगाइ भोगभोगाइ जमाणविहरइतएणंत स्ममित्तस्सरसोअस्पयासिरौएदेवीएजोणोसूलेपाउभ्भूएयाविहोत्थाणोसंचाएमित्तेरायासिरोए देवौएसचिउरालाइमाणुसगाई भोगभोगाइ भुजमाणेविहरदत्तएतएणसेमित्तेरायाअपया उ भियएदारए कामझियाएगणियाए गिहाश्रोणिच्छभावेदर कामभियंगणियंअम्भिंतरचंवेद संघातेसंबन्धहवो पछेकामभियागणिका संघाते उदारप्रधानभलाभोगभोगवतो थकोविचरेके तिवारपछीते मित्रराजानी एकदा प्रस्तावेसिरीदेवीने जोनिनेविषे सलउपजतोहओ नसके मित्र राजासिरीदेवीसंघाते उदारप्रधानमनुष्यसंबंधी भोगभोगवतोयको विचरीनसके तिवारपछीते मित्रराजा एकदाप्रस्तावे उभियावाल कनेकाममियागणिकाना घरथकीकढ़ावे कढ़ावानेकामभियाग णिनाने घरमांहिस्थापीराखी काममियागणिकासंघाते उदारप्रधानभोगभोगवतो थकोविचरेके तिवारपछीते उझियाबालक 諾諾諾諾諾端需業業器器器講講課業 ME* For Private and Personal Use Only Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie 業兼差兼差兼業業業業業器暴涨器器; अभोववपत्ति आधिक्य नतदेकाग्रतां गतोय पपन्नः अतएवअन्यत्र कुवापिवस्त्वंतरेस वत्ति स्पतिवरणर बत्तिरतिमाशक्तिचिडू वत्तिरतिवाचित्त स्वास्थ्यं अविंदमाणत्ति अलभमानः तच्चित्तेति तस्यामेवचित्तं नाममनसामान्य न वामनो यस्य सतथातम्मणेत्तिद्र व्यमन:प्रवीत्यविशेषोपयोगंवा तल्ल सत्तिकामध्वजागता शुभात्मपरिणामविशेषालेण्याहिकृष्णादिद्रव्यसाचिव्य जनित आत्मपरिणाम कामझियाएगणियाएसचिउगला जावविहर तएणंसेउभियदारए कामज्याएगणियाए गिहाबोणिकभावेसमाणे कामझियाएगणियाएमुच्छिए गिद्ध गडिएअज्झोववरण अपत्थकत्थन् सुयंचरत्तिचधितिंच अबिंदमाणेतच्चित्ते तम्मन तल्ल सेतदझवसाणे तदट्टोवउत्तयप्पियकरणे काममियागणिकानाघरथकीकाथ्यापछे कामज्झियागणिकानेविषे मूळपाम्यो मूछतेअभिलाषवंततेहने विषेभोगकरितत्परते हनेन हम किवानवांछे तेहनेविषएकाग्रपणो अतिहीबासक्तअनेकरेकिहाईअनेरेकेणेस्थानके समतचित्तनेविषे रतिप्रमोदमुखपति चित्तनोस्वस्थपणो अणलाभतो अणपामतो नेहजगणिकानेचित्तछे जेहनोतेहनेविषेमनभोगकरिवाभणी तेहनेविषेत्रात्मानोपरि 業業業業業器黑米米米米業杀器器器業 For Private and Personal Use Only Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 器叢叢叢叢叢叢叢叢叢叢叢鬃業 इतितदझवसाणेत्ति तस्थामेवाध्यवसानं भोगक्रियाप्रयत्नविशेषरूपं यस्यसतथा तदडोवउतेत्ति तदर्थंचतत्प्राप्तये उपयुक्तउपयोगवान् यसनथातथातयप्रियकरणेत्ति तस्यामेवार्पितानि ढौकितानि करणानीन्द्रियाणियेनसतथा तम्भावणाभाविएत्ति तसावनयाकामध्व जाचिंतयाभावितोवासितोयः सतथाकामध्वजायागणि कायाबहून्य तराणि राजागमनस्यान्तराणि छिद्दाणियति छिद्राणिराजव्या तम्भावणाभाविए कामझियाएगणियाए बहुणिअंतराणियछिद्दाणिय विवराणियपडिजागरमा णविहरड्तएणसेउभिएयदारएअरण्या० कामझियंगणिय अंतरंलभेडू कामभियंगणियं णामतेजेहनो तेहजगवेषतो तेहजअध्यवसायमैथनकियारूप तेहनीप्राप्तिभणीउपयोगवर्नेछ तेहनोएकिवारेपांमस्ये तेहिजनेविषेत्र पितचाप्याकरण'द्रौजेणे तेहनीभावना-भाव्योएतावताएकक्षणचित्तधकी विसारतोनथी कामझियागणिकाना घणाअंतररा जाजावाना अवसरएतावताराजाकिवारेनथीजातो राजानोपरिवारथोड़ोकिवारेथायेछे किवारेबीजो कोई लोकतेसमीपे नथी इंतोएहअवसरजोतोगवेषतोडतो विचरेके तिवारपछीते उज्झिवोबालक अन्यदाप्रस्तावेकामझियागणिकानो अंतरश्चवसरलही 装叢叢業業職業職業業業業叢叢叢叢叢鬃業 For Private and Personal Use Only Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 紫器諾諾器器器器業器器器器器器蒸米蝶 पारविरलत्वानि विवराणियत्ति शेषजनविरक्षात् पडिजागरमाणेत्ति गवेषयन्चिति इमंचणंति इतच त्यर्थः एहायाइत्ययावत्कर णादिदंदृश्य कयवलिकम्मादेवतानां विहितवलिविधान: कयकोउयमंगलपायच्छित्ते कृतानिविहितानि कौतुकानिमषीपर्बादीनिमं गलानिचसिद्धार्थकदध्यक्षतादीनि प्रायच्छित्तानिच दुःस्वप्नादिप्रतिघातहेतुत्वेनावश्य करणीयत्वाद्येन सतथामणुमवागुरापरिक्वि गहिरहस्मद्गंअणुप्मविसइर कामझियाएगणियाएसचिउरालाइजावविहर इमंचणंमित्तरा यागहाएजावकयवलिकम्माकयकोउयमंगलपायच्छितेसव्यालंकारविभूसिएमाणस्मवगुराएपरिखि त्त जेणेवकामगणियाएगिहे तेणेवउवा०२ तत्थणंउभियएदारए कामज्भयाएगणियाएसचिउरा पांमीने कामझियागणिकानाघरमांहि एकांतछानोपे सेप्रवेशकरे करीनेकामध्वजागणिका संघाते उदारप्रधानभोगभोगवतोथको विचरेके एहवेअवसरेमिवराजामानकरी यावत्वलिकर्मकीधा अनेकौतुककीधामांगलिकनिमित्तअनेकप्रायश्चित्तलीधापके सर्वअलं कारग्रहिणातेणेविभषाकरीपहिरोने मनुष्यने परिवारवीश्योथको जिहांकांमध्वजागणिकानोवर तिहांआवेत्रावीने तिहांउन्कि 端端器業器業器需諾端端帶紫米米器架業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir MKHERWHENEWHWEENEMINEKEERTHI तेतिमनुष्यवागुरेवस गबंधनमिव सर्वतो भवनात्तया परिक्षिप्तोय:सतथाआसुरत्तेत्ति आशुशीघ्रं रुष्टः क्रोधेनविमोहितोय:सासुस्त्त * आसुरवा असुरसत्क कोपनं वारुणत्वादुक्तं भणितंयस्यस आसुरोक्त: 5ष्ट:रोषवान् कुविएत्ति मनसाकोपवान् चंडक्किएत्ति चंडिकि तोदारुणोभूतोमिसिमिसौमाणेत्ति क्रोधञ्चालन्तिविलिंभिउडिणिडालेसादृत्ति त्रिवलीचकुटिलोचनविकारविशेषं ललाटेसंहृत्य विधायेति अवउडगबंधणंति अबकोट केनग्रीवाया:पश्चाद्भाग:नयनेन बंधनंयस्यसतथापुरापोराणाणं इत्यत्रयावत्करणात् दुच्चिन्नाणं लाइजावविहरमाणंपासर आसुरुत्त तिवलिंभिउडिणिलाडेसाह उभियं दारयं पुरिसेहिं गिराहावेइर अटिमुट्ठिजाणुकोप्परप्पहाणं संभग्गमहियमत्त करेइर अवउडगबंधएंकरेइर एएणं योबालककामध्वजा गणिकासंघाते उदारप्रधानयावत् भोगभोगवतोविचरे देखेदेखीने शीघ्रकोधेकरीमोहांधथको तथाक्रोधेकरीरु द्राकार त्रिणभकुटीक्रोधरेखानिलाडमस्तकचढावीने उमियावालकने पुरुषसेवकपासे ग्रहाव्योग्राहीने अस्थीमुष्ट करी गोडाढ़ौंच णकुहणीतिणप्रहारेकरी भाग्योमथ्योदहीनीपरे गात्रशरीरदूमकरकरीने पाछेवाहीवंधणकिधो एणेप्रकारेमारवानीयाज्ञादीधी 装器器器業業業养業叢叢叢器業業賺賺賺賺賺器 For Private and Personal Use Only Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि०हुं० 兆業漲業業業業業業職業業张暴涨業職業業 विहारेणंबउमंत्रणावेह एवंखलुगोयमाउझियएदारएपुरापोराणाणंजावपच्चणु विहर उज्झ एणभंतेदारएपणवीसंवासाईपरमाउंपालइत्ताअज्जवभागावसेसेदिवसेसूलभित्र कएसमाणेकाल मासेकालंकिचाकहिंगमिहिंतिकहिंउक्वज्जिहितिगोयमाउभियएदारए पणवीसंवासापर० अन्न वद् भागावसेसेदिवसेसूलभिख कएसमाणे कालमासे० इमीसेरयणप्मभाएपुढवीएणेरड्यत्ता एउवनिहिंतिसेणंतत्रोअणंतरंउवट्टित्ता इहेवजंवूहीवेश्भारहेवासेवेयडगिरिपायमलेकाणरकुलं तेभणीवधेछे मारे मनिचे हेगोतम उभियानामावालक पुरापूर्वलाकर्मयावत् भोगभोगवतो यकोविचरेछे उभियनामाहेभ गवंतबालकपचवीसवरसनो उत्कृष्टो आउखोपालीने आजदिवसनेत्रीजेभागेशेषथाकते सूलीयेभेद्य धकेतिहांकालनेसमेकालकरीने किहांजांस्य किहांउपजस्ये हेगोतमउजियनामावालक पचवीसवरसनो उत्क टोआजपालौने आजजदिवसने बीजेभागेथेषधाक तेसूलीये भेद्य थके तिहां कालनेसमेकालकरीने आरत्नप्रभारथिवी पहिलीनरकनेविषे नारकीपणे उपजस्य तेतिहाथी पांतरा 誰誰器器器器器装課業業業業器器辈業業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 業業業業業器業業業業業業業器器器業紧器 दुष्पडिकंताणइति दृष्यं वानरडिभान् तंएयकम्मति तदितितस्मात् एतत्कर्महेदमपरं दृश्य एवष्य हाणेएयविणे एयसमुदायारेत्ति सिवाणरत्ताए उववज्जिहिंतिसेणंतत्थउम्म कबालभावेतिरियभोएसुमुछिएगिद्ध गढिएअभोवव स्प जाएवाणरपल्ल एवहेदू एयकम्मे ४ कालमासे० इहेवजंबू० भारहेवासे इंदपुरणयरेगणियाकु लंसिपुत्तत्ताएपच्चायाहिति तएणंदारगं अम्मापियरोजायमेत कंवद्धेहिति तएणतस्सदारगमन म्मापियरोणिवत्तवारसाइदिवसे इभएयारुवंणामधेनं करेहिति होउणंपियसेणेणपुंसए तएणं रहितनीसरीने एहजजंबद्दीपनामाहौपनेविषे भरतक्षेत्रनेविषे बैतादापर्वतनेपासे वानरानाकुलने विषेवानरपणे ऊपजस्य तेति हांबालकभावथौमुकास्ये योवनप्राप्तहस्य तियंचनाभोगनेविषे मूच्छिततेहनेविघटष्ट्वअतिहिआसक्त तेहनेविषे एकाग्रपणोजेजेवा नरीपुरुषलिंगेनणिस्ये तेहनेनाम्हाजथकानेवधस्य तेएणकर्मेकरोने कालनेसमे कालकरीनेएहजजंबद्दीपनामाद्वीपने विषेभरतक्षे बनेविषेर्दपुरनगरनेविषे गणिकानाकुलनेविषे पुत्त्रपणेऊपजस्ये तिवारपछीतेबालकने मातापिताजन्मथयेथके बालपणेलिंगका 器蒸業器器業齡繼業諾諾諾器業 - For Private and Personal Use Only Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 歌崇器器器器器需點器需諜諜諜器器業器器 बहितिवहितकं करिष्यत: उकिट्ठति उत्कर्षवान् किमुक्त भवति उकिट्ठसरीरेति विद्यामन्त्रप्रयोग: किंविधै रित्याहहियवुड्डा वणेहियत्ति हृदयोड्डापन:सुन्यचित्तकारकैः निङ्गवणेहियत्तिअपहृतधनादिपरधनपहारादिकंवैरपङ्गतेनप्रकाशयति तेपङ्गवना * सेपियसेणेणपुंसए उमुक्कबालभावेजोवणुगमणुपत्तविणयपरिणयमित्तेरुवेणयजोवणेणयलावण णयउक्कि उक्किसरीराभविस्मद् तएणसेपियसेणेणपुंसए इंदपुरेणयरेबहवेराई सरजावपभियो बहहियविज्जापउगेहिय मंतचुहियउड्डावणेहिय णिवणेहियपणहवणेहिय वसीकरणेहिय पीनेनपंसककरिस्य नपुंसक चेष्टारूपकुकर्मशिखावे तिवारपछीतेवालकने मातापिताये अनुक्रमेवारमेदिने एहबोएतादृशरूपएह वोनामकरस्य हो पियसेणनपुंसक तिवारपछोते पियसेणनपुंसक बालभावथकीमुकावस्ये जोवनवयपामस्य तदविज्ञानप्राप्तड स्य रूपेकरी जोवनेकरी लावणबोलावणोतिगरीचतुराई येउत्कृष्टीशरीरहस्य तिवारपुछो तेपियसेननपुंसक इंदपुरनगरनेविषे घणाराजाईसरयुवराजाईखर्यादिप्रतिप्रमुखने घणाप्रकारेविद्याजेदेवतादिसाधनेकरीप्रणामहई मंत्रचूर्णने प्रयोगकरोहीयाना 米諾器架器謠米諾諾業器樂器業業業業業業 For Private and Personal Use Only Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir । अतस्तैः पण्हवणेहियत्ति प्रश्रवणेयः परःप्रस्तुतिभजति प्रतीभवतीत्यर्थः वशीकरणेहियत्तिवश्यताकारकैःकिमुक्त भवतियाभियोगि एहिति अभियोग: पारवश्य प्रयोजनं येषां तेऽभियोगिकातस्त : अभियोगिकै: अमियोगश्च धायदाह दुविहोखलअभियोगदव्वभावे अभिप्रोगेहिय वाभियोगित्ता उरालाइमाणस्मएभोगभोगाई भंजमाणेविहरिस्मइ तएणसपियसे णेणपुंसए एयकम्मे सुबहुपावकम्मसमज्जिणित्ता इक्वीसंवाससयंपरमाउपालइत्ता कालमासे० 而米器器器器器需繼諜業器器器驚驚 業業紫器装 उद्रावणहारएतलेस्यं भावचित्तनेसन्यपणानाकरणहारयद्यपितेहने घणो धनदौधोतेकन्हाकरनोपूले तेस्योदीधुं तोपुणकहेनहीएत लेप्रांणांतकष्टलगौपुणनकहे घणोप्रदाताकठिन कृपणहुई तोपुनते जकांमागेते आपेमंत्रविद्यानेप्रमाणे आपणेवस्यकीधा किंक रनौपरे प्रवर्तएहवामन्वादियोगआगलानेसोभाग्यदोर्भाग्यषणेकरी दुविहोखलअभियोगोदव्व भावेयहोइनायव्वोदव्यं मिडं तिजोगा विज्जामंतायभाव मिति उदारप्रधानमनुष्यसंबंधीया भोगभोगवतोथको विचरेछे तिवारपछीपियसेणनपुंसक एहवाकर्मकरवतकरी ने अतिघणु पापकर्मउपार्जीने एकसोइकवीस १२१ वरसनोपरमउत्कृष्टो आउखोपालीने कालनेसमेकालकरीने आरत्नप्रभारथि 需滿繁業業蒸業業業講講業器器需器樂業 For Private and Personal Use Only Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वहोइनायबोदवमिति जोगाविज्जामंतायभावंमि अभितोगित्तंति वशीकृत्यनिख्वोत्ति निगमनंवाच्य तद्यथाएवं खलुजंबूसम इमीसेरयणप्पभाएपुढवीएणेरड्यत्ताएउववज्जिहिंतितोसिरिसिवेसुसंसारोतहेवजावपटमोजाव पुढविसेणंतत्रोअणंतरंउपट्टित्ता इहेवनंबू०भार० चंपारणयरीए महिसत्ताएपच्चायाहिंतिसेणंतत्थ अस्पया० गोट्टेल्लएहिं जीवियाओविवरोविसमाणे तत्थ वचं पाएणयरोए सेडिकुलसिपुत्तत्ताएपञ्चा याहितिसेणंतत्थउमुक्कबालभावे तहारूवाणंथेराणंअंतिए केवलंबोहियअणगारे सोहकमेकमेज वीपहिलीनरकेनारकीपणे उपजस्य तिहाथीनीसरीनेगोहतथानकुलथास्य तिहाथीसंसारमादि भमस्य तिमजप्रथमसगापुबनी परेयावत्ष्टथिव्यादिके उपजस्य तेतिहाथी अांतरारहितनीसरीने एहजजंबूहीपने भरतक्षेत्रे चंपानगरीनेविषे भंसापणेअपजस्य * तेतिहांअन्यदाप्रसावे गोहिल्ल पुरुष जीवितव्ययकी चूकेय के तिहांजचंपानगरीनेविधे सेठनाकुलनेविधेपुवपणो उपजस्य नेतिहांबाल भावथकीमुकास्य तथारूपस्थिवरनेसमीपे केवलसम्यक्तपामस्य अणगारथास्थ पछे चारित्रपालीसोधर्मसोधउपजस्व देवपणेजिम 米米器器器器米諾諾諾諾器黑業業器架業諾米 For Private and Personal Use Only Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org वि.टी. 業業職業辦辦業業業業職兼職兼業兼業業 णेणंभगवयामहवीरेणं जावसंपत्तेणंदुहविवागाणंबियस्म अभयणस्म अयमट्टेपमत्तेत्तिवेमि अत्नचइतिशब्दः समाप्तौब्रवीमित्रवी म्यई भगवतउपश्रुत्यनयथा कथंचिदितिविपाकश्रुते हितीयाध्ययनविवरणंच अथटतीवकंलिख्यतेटतीयाध्ययनस्योत्क्षेपप्रस्तावनावा च्यासाचैवं जइर्णभंतेसमणणं भगवयामहावीरेणं जावसंपत्तणंदुहविवागाणं दोच्चस्य अज्मायणस्मययममुपपत्ते एवंखलत्तिएवंवक्ष्य हापढमोजावतंकरहिंति णिक्वेवोविय अज्झयणंसम्मत्तं ३ तच्चस्मउक्स वोएवंखलुजंबू० तेणं कालेणंतणंसमएणं पुरिमतालणामंणयरहोत्था रिवः तस्मणपुरिमतालस्मणयरस्म उत्तरपुरत्थि मेदिसौभाए एत्थणंअमोहदंसीउज्जाणे तत्थणंअमोहदंसीस्म जक्खस्मजक्खायतणेहोत्था तत्थणंषु प्रधमाध्यवनकहियो यावत्कर्मनोअंतकरिस्य मुक्तिजास्य बीजाअध्ययननाअर्थसंपूर्णकह्या ।।। त्रीजानोअधिकारकहेछड्मनि चेहेजबूतेकालतेसमानेविषे पुरिमतालनामानगरहुतो ऋहिवंततेपुरिमतालनगरथको उत्तरपूर्वनेविचालेईशानकूणेहांसमोह दंसौनामाउद्यान तो तिहांसमोहदंसी यक्षनोयक्षायतनईतो तिहांपुरिमतालनगरनेविषे महब्बलनामाराजाहतो तेपुरिम 然翡業講器需器器需器業業業業器業需業需器 For Private and Personal Use Only Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir K विल्टो 器業業器諜諜諜諜器器需羔器業辦業蒸業 * माणप्रकारेणार्थ: प्रचप्तःखलवाक्यालंकारे जंबुत्तिमामंत्रणेदेसम तेत्ति मंडलप्रांतेविसमदुगिरिकंदरेकोलंबसन्निविट्ठाविषमयगिरेः कंदरंकुहरंतस्य य:कोलंब:प्रांतस्तस्य सन्निविष्टासन्निवेशिता यासातथा कोलंबोहिलोके अवनतं वृक्षशाखाग्रमुच्यते इहोपचारतः कन्दरंप्राप्नः कोलंबोव्याख्यात: वसीकलंकपागारपरिक्वित्ता वंशीकलंकावंशजालीमयोटत्तिः सैवप्राकारस्तेन परिक्षिप्तावेष्टिताया सातथा छिन्नसेलविसमष्यवायफरिहोवगढ़ाचित्रो विभक्तोवयवांतरापेक्षायाय: शैलस्तस्यसंबंधिनो येविषमप्रपातागर्ता:तएवपरि खातयोपगूढावेष्टितावासातथा अम्भितरपाणीयत्ति व्यक्त सुदुल्लभजलपेरंतामुष्ट दुर्लभंजलंपर्यंतेयस्या:सायथा अणेगखंडीअनेकानां रिमतालेमहब्बलेणामंरायाहोत्था तत्थणंपुरिमतालस्मनगरस्मउत्तरपुरच्छिमेदिसिभाएदेसप्पंतत्र डवीसंसयाएत्थणसालाड़ीणामंचोरपल्लीहोत्थाविसमगिरिकंदरकोलंबसणि विठ्ठावंसीकलंकपागा 器需繼諾諾諾諾講業諜諜諧器諜業業 भाषा तालनगरथको उत्तरपूर्वनेविचालेईशांनकूणे देशमांडलानेछेहड़े अटवीधाश्रीअटवीमध्यइत्यर्थ:इहांसालाटवीएस नामेचोरपल्ली नोस्थानकडं तो विषमगिरिपर्वतनो कुहरतेहनाकंदरगुफा प्रांतछहडोतिहांपल्लीनिवेसीछे वंसजालनोगढ़फिरतोचौफेरवीटीछेके For Private and Personal Use Only Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir E 業兼職漲漲漲漲养業業業繼兼業業業兼器 नश्यतानराणांमार्गभूता:खंडयो अपहाराणि ययां अनेकखंडीति विदिजणदिन्ननिग्गमष्यवेसाविदितानामेव प्रत्यभिज्ञातांनांज नानादत्तोनिर्गम: प्रवेशश्चयस्यां सातथा सुबहु यस्मविकुवियजणस्म दुप्प वेसायाविहोत्या सुबहोरपिव्यक्तविजयजणस्मविमोच्याबन कलोकस्य दुःप्रधसाचाप्यभवत् अधम्मिएत्ति अधर्मेण चरतीत्यधर्मिक: यावत्करणात् अधम्मिद्वेत्ति अतिगयेननिर्धर्मः अधर्मिष्टोनि स्त्रिशकर्मकारित्वात् अधम्मक्खाईअधर्ममाख्यातुशीलं यस्यसतथा अधम्माणुए अधर्मकर्तव्य अनुज्ञातुमोदनं यस्यासावधर्मानुजः रपरिक्खित्ताकिणसेलविसमप्पवायफरिहोवगूढा अम्भिंतरपाणीयासदुल्लभजलपरंताअणेगखंडी विदितजणदिमणिग्गममवेसासुबहुयस्मविकूवियस्मजणस्मदुप्पवेसायाविहोत्थातत्थणंसालाडवीएचो द्योपर्वततेहनेअंतरेविषमप्रपातग खाड़तेहजखाई तेणेकरीप्रगढ़वीटौंछे अभितरकहतांमाहिसुलभ वाहिरपाणीदुर्लभअनेरा * आवेतेहनेगवेषतापिणनलाभे अनेकघणीनासिवानीमेरीअपहार तिहांजाणीताजणनेनीकलवापेसवाद्य अनेराने पेसवानद्य अति हीषणोकोपवंतजनबाहिरलोलोकपेसीनसकेएहवीहंती तिहांसालाटवीचोरपल्लीनेविषेविजयनामाचोरमेनामेवसेकेअधर्मेजचाले 器業兼养業業業職業鬆滌器鬆滌業蒸蒸業 For Private and Personal Use Only Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विटी 器器器器器繼器器器器器器狀器深紫器器業 अधर्मानुगोवाअधम्मपलोई अधर्मप्रलोकयितशीलयस्थासावधर्म प्रलोकीअधम्मपलज्जणे अधर्मप्रायेषकर्ममुप्रकर्षणरज्यतइति अधर्भ प्ररचनःरलयोरैक्य इतिकृत्वारस्यस्थानेलकार: अधम्मसौलसमुदायारे अधर्मशील स्वभावः समुदाचारस्ययत्किञ्चिनानुष्टानंयस्यसत था अधमणचेववित्तिकप्रेमाणेविहर अधर्मेणपापेनसावद्यानुष्ठानेनैवदहनांकननिलंछिनादिनाकर्मणात्तिं वर्तनंकल्पयन्कुर्वा णोविहरतीति आस्तेस्महणहछिंदभिंदवियत्तपहनविनासचिंतित्वंद्विधाकुरुभिंधि कुतादिनाभेदं विधेहीत्य वंपरानपिनरयन्प्राणि * * नोविकंतीतिहनदिभिंदविकर्तयः हनेत्यादयःशब्दा:संस्क तेपिन विरुड्डा:अनुकरणरूपत्वादेषां लोहियपाणीप्राणिविकर्तनेनलोहि तौरक्तरक्ततयापाणीहस्तौ यस्यसतथा बहुण्यरविणिग्गयजसो बहुषुनगरेषुनिर्गतंयशोयस्यसतथा इतोविशेषणचतुष्क व्यक्त सिल रएल्लोविजएणामंचोरसेणावपरिवसअहम्मिएजावलोहियपाणीवहुणयरणिग्गयजसेसूरदट्टप्पहा 卷業業議兼業業茶業养職業器業業茶業業業業 यावत्जीवविणासवे लोहीखरद्याहाथयावत् शब्दथकीअधर्मजइष्टके जेहनेअधर्मजकहे लोकपागलेअधर्मनेजकेड़े चाले अधर्मनेज देखेअधर्मनेजविशेषे अधर्मनोजमाचारअधर्मजाजीविकाकरे घणानगरनेविषेविस्तस्योदयशमरवीरहढ़प्रहारनो मूकणहारसा For Private and Personal Use Only Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विटी KIKIWREMERIKE सूत्र 業業業兼差兼業辈業業業業業养業养器器業养等 * ट्ठिपढममल्ल असियष्टिः खङ्गलतातस्यां प्रथमयाद्यःप्रधानइत्यर्थः मल्लोयोवाय:सतथा आहेवच्च तियधिपतिकर्मयावत्करणात् पोरेव * सामित्त भट्टितंगणाईसरसेणावच्चंति दृश्य व्याख्याचपूर्ववत्गंठिभेयगाणयत्ति घुघुरादिनाथौंविंदंति तेग्रंथिभेदकासंधिय गाणययेभित्तिसंधौन्भिदंतितेसंधिभेदगा खंडपट्टाणयत्ति खंडोअपरिपूर्ण:पःपरिधानपट्टोयेषांते ताभिव्यसनाभिभूततयापरि पूर्णपरिधानांप्राप्तास्तेखंडपट्टाः हा तकारादयः अन्यायव्यवहारिण:इत्यन्ये धू इत्यपि एंडपाडयाणक्वचिदितिछिन्नभिन्नवाहिरा रेसाहस्सिएसहवेहीअसिलडिपढममल्ल सेणं तत्थसालाडवीचोरपल्लोएपंचण्हंचोरसयाणंबाहेवच्चं जावविहरइतएणंसेविजएचोरसेणावईबहुणंचोराणयपारदारियाणय गंठिभयाणयसंधिछयाणय हसीकाकार्यकरिवाने सब्दवेधीखड़गपने लष्टितेणेकरी प्रथमप्रधानयोधपकेघाडूमारे तेतिहासालाटवी चोरपल्लीनेविषे पांचमे * चोरनोअधिपतिपणोकरतोथको यावत्विचरेके तिवारपछी विजयचोरसेनानोपतिनायक घणाचोरतेसामान्यवस्तुग्राही परस्त्री । लंपटनेराखे गांठदौलीयेषधरादिकसो घरनीसंधिभौतिविदारीने लीयेएतलेखानदालिनेयेपाटोपगादिकेवांधौलोकनेठगेवर्तवतत्र EMEWATER*#*#*#* UTET For Private and Personal Use Only Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि टी. 器諜業养業業業業業業業業器業業業亲 हियाणं छिन्त्रास्तादिषुभिन्नानासिकादिषु बाहिरादिहियत्ति नगरादे ह्याःकृताः अथवाहिरत्तिबाह्याखाचारपरिन थाद्वि शिष्टजनवहिवर्तिनः अहियत्तिअहिताग्रामादिदाहकत्वादतो हंइस्ततस्तेषां कुडंगवंशादिगहनं तहद्योदुर्गमत्वेनरक्षार्थमात्रणीयत्व * साधात्मतथा उबीलेमाणेत्तिउपौडयन् विधम्ममाणेत्तिविधर्मयन् विगतधर्मकुर्वन् अर्थापहारोहिदानादिधर्माभाव: स्यादेवेति * तज्जमाणेत्तितर्जन् चास्यसिरे इत्यादिभणत: तालेमाणेत्तिताड़यन् कशादिधातैः णिच्छाणति प्राकृतत्वान्त्रिस्थानंस्थानवर्जितंनिव खंडप्पट्टाणयअमसिंचबहुणं किणभिपवाहिराहियाणं कुडंगयाविहोत्था तएणविजयचोरसेणा वइपुरिमतालस्मणयरस्मउत्तरपुरथिमिल्ल जणवयंबहुहिंगामधाएहियणयरघाएहिय गोग्गहणेहि नेराईवलीजेलोक छेद्याहस्तादिकभेद्यानासिकादिकनगरादिकथौवाहिरकीधानेएसर्वनेबंसजालसरीखोरखवालतोडतोतिवारपछी विजयचोरसेनापतिमेनानोनायक पुरिमतालनगरथको ईशानकूणेजनपददेसछेतेहनाघणागांमनेघातकरेनगरनौघातकरे गायने * ग्रहवेलेई ने आवेवंदौग्रहवेझालौआणेवाटपाड़वे सत्यवाड़ालूरे खातरखणवेकरीलोकनपीड़ाउपजावतो विध्वंसतोलोकनीवस्तुलेतो 需諾牆驚業業業業業業茉縣器端器 भाषा For Private and Personal Use Only Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि.टी. १०२ छत्र भाषा 米米米米米米米業業業業業業業業業業 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्तिनि नंगोमहिष्यादिरहितं कुर्व्व तिकल्याउचितोचयः प्रजातोद्रव्यलाभः कल्यायोऽतस्तं अहोगा पुणपचें दियसरीरे लक्खणवंज यवं दिग्गहणेहियपंथकोट्टे हियखत्तखणणेहियउवाले माणेरे विद्धं सेमाणे तज्जेमाणेश्तालेमाणेऽणि त्याणे२ णिडणेणिकणेकरेमाणेविहरद् महव्वलस्मरणो अभिक्वश्कप्पा दूं गिरहदूतत्थणं विजयस्म चोरसेणावद्स्म खंधसिरौणामंभारिया होत्याच हौणतत्थणंविजय चोरसेणावद्स्यपुत्तेखंधसिरौए भारियाएअन्तएअभग्गसेणंणा मंदारए होत्या अही यंतणंका लेणंतेयं समरणंसमणे३पुरिमतालणा तथाधर्मरहितकरतो तोबीहावतोकसादिके मारतोतथाताड़तोवचनादिके स्थानकरहितलोकने करतोएतलेग्रामादिकनाड़तो निर्धनकरतोगाइभैंसादिरहित कणरहितकरतोलोकने एहबोथको विचरे के महबलनामाराजा बलीराजानोद्रव्यनो भागली येछेतिहां विजयचोरसेनानोपतिठाकुर ने खंधसिरीनामाभारज्याङती इंद्रियादिसर्वगुणेसहिततिहांविजयचोर सेनापनीनोपुत्र बंधसिरी भार्यानोअंगजात अभंगमेण नामावालकडं तो इंद्रीयाप्रतिपूर्ण तेकालतेसमानेविषे श्रमण भगवंतमहावीरदेव बड़ो शिष्यगौतमया For Private and Personal Use Only Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandie 器器器業需器端端業業器端辦業 *णगुणोषवेएइत्यादिद्रष्टव्य अवउड़यडूत्यत्र यावत्करणात् बहउक्खित्तकन्ननासंतुन तप्पियगत्तं इत्यादिद्रष्टव्य व्याख्याप्राग्वदितिपढ़ मंसिचच्चरंसित्ति प्रथमेचत्वरे स्थानविशेषेनिसियातित्ति अटुचुल्लपिउएत्ति अष्टौ लघुपितुर्लधुभ्रातृन्इत्यर्थः कलुणंतिकरुणंकरुणा स्पदंतपुरुषं क्रियाविशेषणंचेदं काकिणिमसांडूति मांसलक्षणखंडानि दोच्चंसिचच्चरंसित्ति हितीयेचत्वरेचुल्लमाउयाओत्तिपिटल णयरेजेणेवअमोहदंसीउज्जाणेतेणेवसमोसढे परिसारायानिग्गोधम्मो कहियोपरिसारायाविग श्रोतणंकालेणंतेणंसमएणंसमणस्स जे अतेवासौगोयमेजावरायमग्ग'समोवगादेतत्थणंबहवेहत्थी पासइतएणतंपुरिसंरायापुरिसा पढमंसिचच्चरंसिणिसियावितिश्अट्टचुल्लपिउए अग्गज्याए कस वतशब्दथीभगवंतनी आज्ञागांममांहे गोचरीजांताराजमार्गपुहतोतिहांषणाहस्तीदोठासम्बाहपाखरसहित तिवारपछीतेपुरुषने राजपुरुषपहिलेचाचरेविकचोकादिकनेविषे वेसारेवेसारीने आठवापनालघुभाई पितरीयाकाकाचोरागलेमारकसप्रहारे तावड़े करीकरुणाशब्दकरताकाकशीसरीषापोतानामांसना कटकाकरीखवरावे तेहनोलोहीकाढीरुधिरपाणीपीवता तिवारपछीबीजाचा 施需諾論諜諜器業講業業業業業講端需辦業 For Private and Personal Use Only Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir वि.टी. १.४ धुम्राटजायाः अथवामातुर्लघुसपत्नीएवंतच्चिति टतीयेचत्वरे अट्ठमहापिउएत्ति अष्टौमहापितॄन् पितुज्येष्ठमातृन् एवंकरणात् अग्गोधायंतीति वाच्य चउच्छति चतुर्थे चत्वरे अट्ठमहामाउयाउत्ति पितु ठचाटजाया: अथवामातुज्येष्ठाः सपत्नीएवं मेवचत्वरे पुत्वनामग्रतो घातयंतिषष्ठेनुषा:बधूः सप्तमेजामाटकान् दुहिटभर्तन् अष्टमेधूयाउत्ति नवमेनत्यत्ति नप्त नपौत्रा दौहित्रान्वादशी मेनत्तु उत्ति नप्त : पौत्रीदोहिनी: एकादशेनतुपापत्ति नप्त कादीन् पौत्रीणांदौहित्रीणांबाझर्टन्हादशेनत शौउत्तिनात दिनी: * * पौत्रदोहित्रभार्याः त्रयोदशेपि उसियपइयत्ति पिटवसापतिकान् तत्रपितुःखसारो भगिन्यः तासांपतयएव पतिकाभारः चतुर्द प्पहारेहितालेमाणे कलुणंकाकणिमसाईखावेदश्रुहिरपाणिंचपायत्तितयाणंतरंचणं दोचंपि चचरंसिअल हमाउयाश्रो अग्गयोघाएयतिर एवंतच्चेअट्टमहापिउए चउत्थे अट्टमहामाउय पंच चरानेविषे आठलघुपीतराणीकाकी आगलमारेमारीने दूमतीजेचाचरेआठवडापीतरीयामारीने चौथेचाचरे आठवडीपीतरां # गोमारेपांचमेचाचरेपोतानापुत्रछ? चाचरेआठबहुसातमेचाचरेट आठजमाइ आठमेचाचरे पाठबेटी नवमेआठदोहिनीवे सूल 職糕蒸熟叢叢叢叢黑蒜羅叢叢鬃器兼職兼職 भाषा For Private and Personal Use Only Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 聽聽聽器聚聚器聚聚器業業漲漲漲漲器兼器器 शेपिउसियत्ति पिटखटजनकभगिनी: पंचदशे माउसियाएडूयत्ति मानवसपतिकान् जननीभगिनीभर्टन् षोड़शमाउसियाउ त्ति मादृष्वस्त्र: जननीभगिनी: सप्तदशेमासियाउत्तिमातुलभार्या: अष्टादशे अवशेषंमित्तणाइणियग संबंधिपरिजणंति मित्राणि मुहद: सातय:समानजातीया: निजका: स्वजनामातुलापुत्रादय: संबंधिन: खसरबालकादयः परिजनोदासीदासादिहन्दो तस्तान् मेपुत्ताछट्टेसुला सत्तमेजामाउयअट्टमेधूयाओ णवमेणत्त या दसमेणत्त यत्रो एकारसेण तुयावईबा रसमेणो अवारसमेउस्सियपतिया चउद्दसमेपिउस्सियाओ पारसमेमासियारोपड्यासोलस मेमासियानो सत्तरसमेमासियारो अवारसमेअवसेसंमित्तणाई णियगसयणसंबंधिपरिजणंअग्ग टीनावेटादसमेचाचरेपोनीनावेटावेटो ग्यारमेचाचरे आठदोहीनीनाभर्तारमायावारमेचाचरेदोहित्रानीभार्यातुइणीतेरमेचा चरेमाठफनाभ र चउदमेचाचरेआठवापनीवहिनफुडू पनरमेचाचरेआठमासीनाभ र सोलमेचाचरे८ मासामारे सत्तरमे चाचरेबाठमासोमारे अठारेचाचरेशेषथाकता वीजामिनसहजाति पोतानापुत्वादिन्यातिगोत्रीखजनमातापितादिविवाहीवागो 諾諾器器器器業業業業業業業業業茶業業業 For Private and Personal Use Only Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०टी० ၇ ၈ ထို सूत्र भाषा 黑米黑米米米米米米米米米米米米米米米 2 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अड्ढ े इहयावत्कारणावित्ते विच्छड़ियविपुलभन्त्तपाणे इत्यादिवडजणस्स अपरिभूए इत्येतदन्तंदृश्य दिन्नभद्भन्त्तवेयणन्तिदत्तंट घाय तिर कसप्पहारेहिंतालेमाणे कलुगंकाकणिमसाई खावेद् रुहिरपाणंचपाएद् तरणंसेभ गवंगोयमेतंपुरिसंपास २ अयमेयारूवे अज्झत्थिये ५ समुप्पण जावत हेवणिग्गए एवंव० एवं खलु अहंमं तेसेणंभंतेपुरिसेपुव्वभवेके आसोजावविहरद्र एवं खलुगो० तेणंका लेणंतेणं समएणं हेव जंबू ही०पुरिम तालेणामंणयरेहोत्था रि६३ तत्थणंपुरिमताले उदयेणामंरायाहोत्या महयातत्थणंपुरिमतालेनि तरादासदासीप्रमुख अभग्ग से णचोर आगलेमास्याघात की धाक सामहारेतावड़े करी करुणा शब्द करता काकणी सरीखापोतानामांसना कटकाकरीखवरावतारुधिरपांणीपावतायका तिवार पछी भगवंतगोतमे. ते पुरुषने देखेदेखीने एतादृशरूपएहवो अध्यवसायऊपनोयाव त्तिम आहारलेईनेनीसरीने भगवनपा सेआवे आवोनेट्रमकहे इमनिचे तुम्हारी | आज्ञापणिपामीने हे पूज्यक हिवोते हे पूज्य पुरुष पूर्वलेभवेकुण तो हवा पूर्वकर्मभोगवतो यावत्विचरे इमनिच हेगोतम तेकालतेसमानेविषे एहजजंबूद्दीपनेविषे भरत क्षेत्रने विषे For Private and Personal Use Only *米米米米米米米米米米米米米米米米 Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir AE वि.टी. सूख 器諜諜諜諜諜器需器業業業識業業業 तिरक्तरूपंवेतनं मूल्य येषांतेतथा तथातभतिं द्रम्मादिवर्तनं भक्त तुझतकाणादिकल्लाकलिंति कल्लेचआत्माकल्प च कल्पाकल्पेनु दिनमित्यर्थः कुद्दालिकाभूखनित्रविशेषा: पत्यिकापिटकानि वंशमयभाजनविशेषाः काकीउलीकोबकी भयरीकुकुटीच प्रसिड्डाः चंडकानिचप्रतीतान्येवेति तबएसयत्तितवकानिसुकुमारिकादितलनभाजनानि कवल्लौसयत्ति कवल्योगुड़ादिपाकभाजनानिकंदुमुक्ति नएणामंअंडयावाणियएहोत्थाअड्डजावत्रपरिभए अहम्मिएजावटुप्पडियाणंदे तस्सणंणिमियम डयवाणियस्स बहवेपुरिसादिम्पत्तिभत्तवेयणा कल्लाकल्लि कोहालियाोयपत्थियाएपडिएगेलद्पु रिमतालस्मणयरस्म परिपेरंतसुबहकाकडएयधतिअंडएयपारबइटेट्टिभिखगिमयूरि कुकुडिअंड तिहांपुरिमतालनामानगरहंतो ऋद्विवंततिहांपुरिमतालनगरनेविषे उदयनामाराजाहंतो मोटोतिहांपुरिमतानगरनेविषेनि नवनामाअंडवाणियोहंतो ऋविवंतयावत् कोई पराभवीनसके अधर्मजनविषेविचरछे जावत्आगलानेपाडुविधेआनंदपां मे तेनि नवअंडवाणियांने घणापुरुषमजूरीयाछे दीधोबोल्योहोइतेदामादितथादेतोकर्मकरनेमूल्य मजूरीतथाभातहतकणादिकरूपपछेते 業業需業器業業業業業業業業業業辦業需辦業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०सू० १.८ भाषा 米業業米米米米米米米米米米米米米米米 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एयचस्प सिंचेवबहुणं जलयरथलयर खहयरमाईणं अंडाद्' गेरह२पत्थियपडिगाद् भरे२ जेणेव नि एडवाणियए तेणेवडवा ०२ स्मियम्सचंडवाणियस्म उवद् तरणं तस्मणियम्स डवाणिय हवेपुरिसादिभए वहवेकाय अडएयजावकुकुड डएय अण सिंचबणं जलथल खेचरमाई अंडर तवएसुयकंदु सुयभज्जण सुयद् गालेसुय तलिंति भन्नंतिसोल्लि तितल्लिता भज्जतासो मजूरीयादिनप्रतेकोदाली भूमिकाखणवानेवंशमय मोटाभाजनविशेषडालाप्रमुख पडिकावंशमयलघुभाजनलियेलेईने पुरिमताल नगरनेसमीपे चिड ंदिशविदिशनेविषे षण्णाकाकनाई 'डा घुइड़नांदू डा पारेवोनाईौंडा टीटोडीनाई डावकनाई डाटेलनाई डाकू कड़ीनाई डा अनेरावली बीजाईषणा थलचरजलचर खेचरादिकदेई बीजाई इडालेलेइ ने मोटावंसनाभाजननाद्भांवंसनाभाज नभरेभरोइने जिहांनिन्द्रवचंडवांणीयोक तिहांचवे आवीनेनिज्ञ वडवाणीयाने आपेपोसेतिवार पछी तेनिवचंडवांणीयानेषणा पुरुष मजूरीया देतोपछ तेमजूरी यावणाकाकनाडा जावत्कूकड़ीना सामादिदेने अनेरावणाजलचर थलचर खेचर आदि For Private and Personal Use Only Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir **** * कंदवोमंडकादिपचनभाजनानिभज्जणएमुयत्ति भजनकानि कपराणिधान्यभाजनानि अङ्गाराच्चप्रतीताः तालत्तिमग्नौस्नेहेनभज्ज तिज विधानवोपचंति सोल्लियत्तिउदनमिवराध्यति खंडशोवाकुर्वन्तीति अंतरावर्णसित्ति राजमार्गमध्यभागवर्ति अंडियपणि ल्लितायरायमग्गं अंतरावर्णसि बडयपणियणं वित्तिकप्रमाणेविहरडू अपणोवियणंसणिपए अंडवाणियए तेसिंबहुहिंकाईअडएहिय जावकुकुडिअंडरहिय सोल्ल हिंतल्लिभज्ज सुरंच४ श्रा साएटविहर तएणंसेणिपएअंडएएयकम्म४ सुबहुपावंसमज्जित्ता एगवाससहस्स परमाउपाल देनेडातवानेविषे मोटाकड़ाहनेविषे सेकेकढाइमाघालौनेचंगारानेविषेसेके तैलादिकेकरोतले भुजेसेकेसोलाप्रोईने अंगारादि * केसे केतैलादिकेतलीनेकड़ादिकेसेकीने अंगारादिके मूलाकरीने राजमार्गेहाटनेविषे डानेव्यापारे आजीविकाकरतोथकोविच * रेछे चालेछ आपणपेपिणतेनिन्नव अंडवाणीयोतेषणा काकनाडाजावत्कूकड़ीनारंडाना मलाकरीने तलीनेसेकीने मुरादिक संघातेमाखादतोथकोविचरेछ तिवारपछीतेनिनवचंडवाणीयोएहवाकर्मकरीने४ प्रतिषण पापउपार्जीनेएकसहश्रबरसनोउत्क टो 器器器米器鉴諜米業諜諜諜諜器業搬業業業 भाषा *HEWINEKHNEW For Private and Personal Use Only Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 旅業業器影業器業業諜諜器業器器器器業業獎 एणति अंडकपण्यन सुरचेत्यादिप्राग्वत् जिभियभुत्तुत्तरागयाउत्ति जिमिताः कृतभोजना:भुक्तोत्तरं भोजनान्तरंगता उचितस्थाने त्ताकालमासे० तच्चाएपुढवोएउक्कोससत्तसागरोवमट्टितौएसुणेरड्एसुणेर यत्ताएउवबरण सेणंता श्रोअणंतरंउबट्टित्ता इहेवसालाडवीएचोरपल्लीए विजयस्वचोरसेणावइस खंदसिरोएभारियाए कुच्छिसिपुत्तत्ताएउववसतएणंसेखंदसिरोभारियाए अस्पयाक० तिण्हमासाणंबहुपडिपुस्पाणं इमेयारवेदोहलेपाउम्भूए धपाउणंताओअम्मयाअोष्ट जाणंबहुहिंमित्तणाइणियगसयणसंबंधिप आऊखोपालीनेकालनेसमेकालकरीनेत्रीजीनरकेउत्कष्टोसातसागरोपमनीस्थिति नरकनेविषनारकीपणेउपनोतिहांधीनांतरा रहितनीसरीनेदूहांसालाटवीचोरपल्लीनेविषेविजयचोरसेनापतीनेखंदसिरीभार्यानेकूखनेविषेषुत्व पणेऊपनोतिवारपछीतेखंदसिरी * भार्यानेएकदाप्रस्तावेत्रिणमामदाडाघणु प्रतिपूर्णयथकेएतादृशरूपएहवो डोहलोमनोर्थप्रगटथयोडतोधन्यतेमाता४ जेघणामित्र सहजातिपोतानापोत्रादिन्यातिगोत्रीखजनमातापितादिविवाहीवाणोतरादासदासीप्रमुखनो स्त्रीसंघातेअनेराचोरनीस्त्रीसंघातेप 課業業諾諾紫黑米黑米黑米黑米器器器業業 For Private and Personal Use Only Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 然業樂器樂業識繼器需業器器業業樂器業業 यास्तास्तथा पुरिसनेवस्थियत्ति कतपुरुषनेपण्या: संन्नट्वइत्यत्नयावत्करणादिदंदृश्य सबषडवम्मियकब या उप्पीलियसरासगणपट्टी यापिणडगेविज्जाविमलवरचिंधपट्टा गहियाउहपहरणावरणत्ति व्याख्यात प्रागिबेतिभरिएहितिहस्तपाशितैःफलेहिंति स्फुरकै नि बिहामितिकोणेयादासष्टः असिहितिखः अंसागएहितिस्कंध देशमागतैःटष्ठदेशबन्धनात् तोणेहिंतियरधिभिःसजीवेरितिसजीवैः रियणमहिलाएहिं अमहियचोरमहिलाहिं सद्धि संपरिवडाण्हाया जावपायछित्ता सव्वालंका रभूसिया बिउलं असणंपाणंखाइमसाइमंसुरंच! आसाएमाणे४ विहरजिमियभुत्त त्तरागयाओ पुरिसणेवत्थिया सरपद्धजावपहरणावरणाभरिएहिय फलएहिणिविद्याहिं असीहिं अंसागएहिं रिवरीथको स्नानकरीयावत्प्रायश्चित्तलेइ सर्वअलंकारपहिरीने घणं अन्नपाणीखादिम खादिममद्यादिकसहित५पाखादतीथकीवि चरेछ जौम्याभोजनकीधाअनंतर पुरुषवेशकरोनेपुरुषनाआभरनवस्त्रने इथीयार तेणेसन्नहवाटतथईनेयावत् खड़गादिकखेड़ादिक हथवास्थाभस्याहोइमोटाखेड़ा पडीयारथकौवाहिरकाढ्या खड़गतेणेकंधथापेतौरभरीभाथडीएतलेपूठे बांध्याभाथडापिणचसहित 帐業業养業業業兼差兼养業業業競業業辦灘業 For Private and Personal Use Only Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि टी. 繼業業業需器端端端端端端端端需開講 * कोश्यारोपितप्रत्यंचैधणहितिकोदण्डैः समुक्वित्तेहिंसरएहिं निसर्गार्थमुक्षिप्त :व्याप्त : समुल्लासियाहिंति समुल्लासिताभिः दामा हिंतिपासकविशेषे: दाहादितिकचित्तवप्रहरणविशेषैः दीर्घत्वंशाग्रन्यस्तदात्वरूपैः ऊसारिवाहिंति प्रलंबिताभिः अरूजंघाघण्टाभिः शिष्पत्तरेणवज्जमाणेणं गतवर्येणवाद्यमानेन महता उक्विडिसोहनायबोलकलरवेण उत्कष्टेवानंदमहाध्वनिः सिंहनादचप्रसिद्धःवो , लञ्चवर्णवनिवज्जितोवनिरेव कलकलश्च व्यकवचन: सएवतल्ल क्षणोयोरवः सतवातेनसमुद्दरवमयंपित्ति जलधिशब्दप्राप्तमिव तन्मय मिवेत्यर्थगगनमण्डलमितिगम्यते तंजअइंपित्ति तत्तस्मात् यद्यमपि इहयावत्करणादिददृश्य बाहिमित्तनाणियगमयणसंबं तोणेहिंसजीवहिंधणहिं समुखित हिंसरहिं समुल्लावेलियाहियदामाहिं लंवियाहिंउसारियाहिं उरुघंटाहिंछिप्पत्तरेणविज्जमाणे२ महयारउक्विटजावसमुद्दरवभूयं पिवकरेमाणोश्रो सालाटवीए धनुषकाढ़वानिमित्ते पाकर्षीमुकौइसरवांणपाठातंरेमुक्याशरगण चौकीधीदामातेपासकविशेष प्रहरणविशेषलांबीमेलीजंघा नीघंटा जेउतावलेमोटेशब्देवाजिनवाजिते मोटोमोटोउत्कृष्टोसमुद्रजिमगाजतोशब्दकरेतिमतथाजिमसमुद्रनीवेलउतावलीचालेति 業業辦業狀器業涨業器器兼職擺攤職業業業 For Private and Personal Use Only Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 张器器器黑米業業識繼器器需器諜諜器業器* धिपरियणमहिलाहिं अशाहिंइत्यादि दोहलंविणिएज्जमाणीमिति दोहदंव्यपनयामित्ति कटुइतिकृत्वाः इतिहेतोः तंसिदोहलंवि णेत्तितस्मिन् दोहदेहयावत्करणात् अविणिज्जमाणसिमुक्खाउलग्गाइत्यादि अट्टल्याणोवगयामियाइइत्य तंदृश्य तोमंसेविजयः चौरसेणापति: स्कन्दत्रियं भार्यापमुहंहतमनः सङ्कल्पां भमौगतदृष्टिका आध्यानोपगतां ध्यायंतीतिपश्यति दृष्ट्वाएवमवादीत् किस्म चोरपल्लीए सव्यत्रोसमंतानो लोएमाणीयोअहिंडमाणीयोश्दोहलंविणिंति तंजअ अहंपिव हुहिणाइणियगसयणसंबंधिपरियणमहिलाई अस्प हिंसालाडवीएचोरपल्लीए समोसमंताउ लोएमाणौओर अाहिंडमाणोओर दोहलंविणिज्जामित्तिकह सिदोहलंसि अवणिज्जमाणंसि - मगतिकर गालाटवीचोरपतिने सर्वदिशदिशनेविषे जोतीथकी हौंडतीगमनकरतीदोहलोमनोर्थपूर्णकरतेजोडंपिणघणानातीगो वीपोतानादासदासीनीस्त्रीसंघाते तथाअनेरीस्त्रीसंघातेमालाटबीचोरपल्लीनी सर्वविदिशदिशनेविषे जोतीथकोहौंडतीगमनकरती डंतिदोहलोनिवर्तावोइमकरीने तेडोलोमनोर्थपूरोअणथा तेअणपहुचते यावत् आध्यानध्यावालागौतिवारपछीतेविजयचोर 業業業業業業業黑黑米業業業業業器器業業 For Private and Personal Use Only Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि.टी. ११४ सृत्व भाषा 梁米米米米 ***** www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्वंदेवानांप्रिये उपहतमनः संकल्प त्यादिविशेषणाध्यायंतीति इदं वाक्यमनुश्रित्य सूत्रं गमनीयंइटिसकारसमुदपणंति ऋड्यावस्त्र जावयामि तरणंसेविज चोर सेणावद्र खंदसिरोभारियं उहयजावपासद् एवंवयासी किण्हंतु म्हदेवाउहयजावझियासि त एणंसाखंदसिरौभारियाविजयं एवंव एवंखलुदेवा मर्मतिरहं मासा जावयामि तणसेविजये चोरसेणावर खंदसिरोभारियाए अतियंण्यमसोञ्चारिणसम्मखंद सिरौभारियं एवंव० अहासुदेवाणुम्मियेद् एयम पडिसणे २ तयाणंसाखंदसिरोभारियाविजएणं सेनापतिबंदसिरीभार्याने आर्त्तध्यांनध्यातीदेखीने इमकहे किमतुम्ह देवानुप्रिया आर्त्तध्यांनध्यावालागी तिवारपछीतेबंदसिरी भार्याविजयचोरसेनापतीप्रतेदूमकहे इमनिश्चय हे देवानुप्रिया मुझनेगर्भने लिगमासथके यावत् आर्त्तध्यानध्या कुं तिवारपछी वि जयचोरसेनापती खंदसिरीभार्याने समीपे अर्थसांभलीने हीयेधरीने खंदसिरीभार्यामते इमक हेयथासुखऊपजे तिमरोहा रोमनोर्थपूरोकरोएहजअम्हारीआज्ञाके एअर्थखंदसिरीयेसांभल्योसांभलीने तिवारपछीखंदसिरीभार्याने विजयचोरसेनापतीयेच For Private and Personal Use Only 送送送》 Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra बि.टी० ११५ सूत्र भाषा www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुवर्णादिसंपदां सकारः पूजाविशेषस्तस्य समुदायोयः सतथा तेनदसरत्तट्ठिपड़ियति दशरात्रं यावत्स्थितिपतितां कुलकमागतं पुत्र चोरसेणावद्णा श्रभ्भणुखायासमाणौ हट्टतुट्टबद्ध हिंमित्तजाब अहियवहुहिं चोरमहिलाहिं सङ्घिौं परिवुडाण्हाया जावविभूसिया विपुलं असणं सुरंच५ आसाएमाणौ४ विहरइजिमियभुत्तु तरागयापुरिसवत्था सबजाव हिंडमाणी दोहलंविणिति तरणंसाखंदसिरीभारियासं पुणदोन्हलासमाणियदोहला विणियदोहलावोकिमदोहला संपुखदोहला तंगभ्भं सुहं सुहेणंपरिव श्रादधेयके हर्षोसंतोषपांमी षणामित्रज्ञातीलाप्रमुखनीस्त्रीसंघाते अनेरीपघिणी चोरनीस्त्रीयांसंघातेपरिवरीथकी स्नानकरीने यावत्याभरणपहिरीने घखोअन्त्रादिक महासंघाते५ श्राखादतीथकोविचरवालागी जीम्याभोजनकीधा अनंतर सुद्धथया पुरुषवेस करीनेपुरुषना आभरावस्त्र अने हथीयार तेणेकरी सन्नद्धवद्धहौंडतीगमनकरतीथकी डोहलोमनोरथपुरुकरबालागी तिवारपछीते खंदसिरोभार्या समस्तवांछितार्थपूरती तो वांछितार्थ डोह लोपहुचाडवाड ती वांछानिवत्तड तो विविक्षितार्थवांछावां कारण For Private and Personal Use Only EEEEEEEEE Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि.टी. 自涨涨涨涨涨業業業器業業業業業兼器業 जन्मानुष्ठानं अट्ठदारियाउत्ति अस्यायमर्थः जएणतस्मअगसेणकुमारस्म अम्मापियरो अभंगमेणकुमारसोरणतिरिकरणक्ष हड्तएणंसाखंदसिरोचोरसेणावणी णवणहंमासाणं बहुपडिपुस्पाणंदारयंपयाया तएणंसेवि जयचोरसेणावइ तस्सदारगस्सइड्डीसक्कारसमुदएणं दसरत्तपिडियंकरे तएणंसेविजयचोरसेणा वडूतस्सदारगम एकारसमेदिवसे विपुलंअसणं४उवक्षणावेदर मित्तणाआमंतएजावतस्वमि तणाइपुरोएवंव० जम्हाणंअम्हंइमंसिदारगंसिगभ्भगयंसिसमाणंसिइमेयारू वेदोहलेपाउम्भूए तेविछेदथयाती संपूर्णडोहलोथईथके तेगर्भनेसुखेश्वरीराखतीविचरेछे तिवारपछीतेखंदसिरीचोरसेनापतिनीनवमासवाड़ाबद्ध प्रतिपूर्णथपके बालकजनम्यो तिवारपछी विजयचोरसेनापतितेवालकनेमोटे मंडाणेऋविवसुसुवर्णादिपूजाविधेष तेहनोसमुदाय दशदिननौजन्मनीस्थितिकीधी तिवारपछीतेविजयचोरसेनापती तेबालकने इग्यारमेदिवमे घणोअन्नादिक नीपजाबेनीपजाबीने मित्र न्यातीगोत्री तेडेतेड़ीनेयावत् शब्दथकीजिमाड़ीजिमाडीनेफोफलपानदेईनेतेमिवन्यातीचागले दूमकहेजिवारचन्हारेएवालक 難漲养業养养涨涨涨涨涨涨涨涨涨涨涨涨 पाभा For Private and Personal Use Only Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विष्टी. चूल 器装器养業器業器業業業業蒸蒸業業 त्तमुत्तंसि अट्ठहिंदारियाहिं सद्धि एगदिवसेणं पाणिंगिण्हावेसुत्तियावत्करणाच्चेदंदृश्यतएणतस्म अभयसेणकुमारस्मसम्मापिय रोएवंदूमएयारूवं पौइदाणंदलयतित्ति अष्टपरिमाणमस्थेत्यष्टकेदाघोदानं वाच्यइतिशेषसन्नएवं अहिरमकोड़ीयोअट्ठसुवमकोड़ीयो इत्यादियावत् अट्ठपेमणकारियाओअन्नचविपुलधणकणगरवणमोत्तियसंखसिलप्पवालरत्तरयणमाइयसंतसारसाइवज्जमितिउप्पिं तम्हाणंहोउम्मरहंदारए अभंगसेणणामेणं तएणंसेअभंभसेणकुमारे पंचधाईजावपरिधावई तएणं सेअभंगसेणेणामकुमारे उमुक्बालभावेयाविहोत्था अट्ठदारियाो जावअट्टोदामोउपिंजड् तएणसेविजएचोरसेणावई अम्पया कालधम्मणासंजुत्त तएणंसेअसंगसेणकुमारे पंचहिंचोरसए गर्भगतगर्भछता एतादृशरूपएहवो डोहलोऊपनो तेमाट होज्यो अम्हारेवालकनो अभंगसेणनामकुमार तिवारपछीअभंगसेणक मारपंचधायेग्रह्योथको यावत्वधवालागो तिवारपछीते अभंगसेननामाकुमारबालभावथको मुकाणेथके आठकन्यापरणावीयावत् पाठदातदीधीसारवस्तुप्रसादऊपरसुखभोगवतोरहेतिवारपछीते विजयचोरसेनापतौएकदाप्रस्तावे कालप्राप्तसंयुक्ताहवोतिवारपछीते XXXXNNXXXXXANEMININENIN* भाषा For Private and Personal Use Only Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandie विष्टी 器端装器紫器端端端器器器端端業器 जति अस्थायमर्थः तएणसे अभग्गसेणेकुमारे उपिपासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुयंगमथएकिंवरतरुणिसंपउत्तेहिं बत्तीसवहएहिं हिंसद्धि संपरिवुडे रोयमाणेविजयस्म चोरसेणावस्म महयाइड्डीसक्कारसमुदएणं णौहरणकरेइर बहुहिलोइयाई मयाकिच्चाई करेइर कालेणंअप्पएजाएयाविहोत्था तएणसेअभंगसेणकुमारे चो रसेणावइजाए अहम्मिएजावकप्पागेण्हइश्तएणंतेजाणवयापुरिसा अभंगसेणचोरसेणावणाब हुग्गामघायावणाहिं तावियासमाणा अण्णमसद्दावेदर एवंव० एवंखलुदेवाअभंगसेणचोरसेणा अभंगसेणकुमार पांचसेचोरसंघाते परिवस्योथको रोतोयको विजयचोरसेनापती मोटौदिसत्कारने समुदायेकरीनेनौहरणकरे करीने घणाईलोकिकस्मृत्युनाकार्यकीधापछ कालांतरे अल्पसोगरह्यो एतावतासोगरहितथया तिवारपछीते अभंगसेनकुमारचोर सेनापतीथयो महाअधर्मीपापी यावत्महवलराजानामालमांहिथीमालली तथाभोगावतांविचाईलाई तिवारपछीतेजनपद देसनोलोक अभंगसेणचोरसेनापती घणांगांमघातकरावे तापनाई तापव्याहुतीपौडिवाहुती अन्नोअन्यतेडावेतेडावीनेमकहे 森業器業業業業業業業諜諜諜器器業業課类 For Private and Personal Use Only Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि.सु. 聚聚恶器器業業聚聚聚苯聚凝聚業業器装米糕; उवगेज्जमाणविउमाणुस्मएकामभोएपञ्चणुभवमाणेविहरति महत्वंतिमहाप्रयोजनमहग्धंति बहुमूल्य महरिहं महतोयोग्यमिति वईया पुरिमतालेणयरे पुरिमतालेणयरस्म उत्तरिल्लंजणवयंवहुहिं गामघाएहिं जावणिवणंक रेमाणेविहर तंसेयंखलुदेवाणुप्पिया महव्वलस्सरगो एयमविपवित्तए तएणंजणवयापुरिसा एयम अस्पमसंपडिमुणे महत्थं महग्यमहरिहं रायरिहपाहुडंगिरहद जेणेवपुरिमतालेणय रेतेणेवउ०२ जेणेवमहब्बलेराया तेणेबउ०२ महब्बलरणो महत्थ जावपाइडंउववरण इ करयल मनिचे हेदेवानुप्रियाअभंगसेण चोरसेनापती पुरिमतालनगरनेविषे पुरिमतालनगरथको उत्तरदिसनाजनपददेशना धणीग्रा ममायायावत् निईनकरतोथको विचरेछे भणीश्रेयनिने हे देवानुप्रियामहव्वलराजाने एसर्ववार्तावीनवी कहीई' तिवारपछी जनपददेसनालोक एसर्ववार्ताअन्योन्यमांचोमाहिसांभलीनेजमोट २ प्रयोजनेमुकीये बहुमूल्य उत्तममनुष्षयोग्यराज्य योग्यएसवोभेट णोलेईने जिहांपुरिमतालनगर तिहांबावेावीने जिहांमहबलराजा तिहांबावेमावीने महबलराजाने तेमोटे कार्यमुकीनेया EHINENEKENEMIEWEHEMENTREEKIKIMENEWANMENT भाषा For Private and Personal Use Only Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir *** *** 業業辈辈辈辈养鬆業聚聚業業养業業業养業業 ** दंड तिदण्डनायगंजीवग्राहं गरहाजिीवतं स्टहाणेत्यर्थः भडबडगरेणंतियोध'देनामगइति हिंति हस्तपासितैर्यावत्करणात् पल अंजलिंक महब्बलंरायंएवं तुभंबाइछाया परिग्गहियानिभ्भया णिविग्गा सुहंमुहेणंपरि वसित्तएसालाडवीचोरपल्लोए अभंगसेणेचोरसेणावई अम्हंबहुहिंगामघाएहियजावणिवणेकरे रेमाणेविहर तंदूच्छामिणंसामौतुम्भबाहुछायापरिग्गहिया णिम्भयानिरुबिग्गा सुहंसुहेणंप रिवसित्तएत्तिकट्ट,पायवडियापंजलिउडामहब्बलरायंएयम विपबंति तएणसेमहबलेरायासिंज यत्एहबोभेटणीसुक्यो हस्तअंजलिमस्तकेचढाबौनेमहवलराजाप्रतेइमकहे तुम्हारीबांहनौछवछोहितम्हारीवाहिवलगोभयरहि * तथका उहेगरहितथका मुखेसुखेवसौनेमालाटवीचोरपल्लीनेविषेअभंगसेनसेनापती अम्हनेषणागामघातकरछे यावनिईनकरतो थकोविचरेले तेमाट वांछुक हेस्वामीतुम्हारीबांहिनीछत्रछांहे तुम्हारीवांहेवलगा भयरचितथका देषरचितसुखेसुखेवसीये इम * कहेपगेलागी करपंजलीजोडीने महव्वलराजानेएअर्थवार्ताखरूपवीनव्योकह्यो तिवारपछीते महव्वलराजा तेजनपददेशनापुरुष ******** For Private and Personal Use Only Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि.सू. १२१ णवयाणंपुरिसाणंअंतिए एयम सोचाणिसम्मत्रासुरत्तेजावमिसिमिसेमाणेति बलियंभिउंडिंणि लाडेसाहह, दंडंसद्दावेदर एवंव० गच्छहणंतु देवा० सालाडविचोरपल्लिविलुपाहिं अभंगसे णचोरसेणाव जीवग्गाहंगिगहाहिर ममंउवम इिंतएणसेदंडेतहत्ति एयम पडिसुणेइर तएणं सेदंडेबहुहिंपुरिसेहिं सपद्धजावपहरणेहिंसद्धिं संपरिबुडेमगइएहिं फलएसिंजाव छिप्पत्तरेहिं वजमाणेणं महयाउक्तिहणायंकरमाणे पुरिमतालंणयरमझमझणं निग्गच्छद जेणेवसालाड 業業業养鼎鼎米米养業業器养業職業养業許 भाषा समीपेएमर्थसाभलौने दीयेधारीने शीघ्ररीसचढी थावात्मिसमिसरोसवसेसर्पनीपरेभयड़ेकरी विणखीढी निलाई चढ़ावीने दंड सेनापतीनेतेड़े तेडावीने इमकहे जावोतुम्हे हेदेवानुप्रिया थालाटवीचोरपनी विणासोलुखुंटोअभंगमेणचोरमेनापतौनेजीवतोग्रहो ग्रहीने मुझनेयांणीद्यो तिवारपीतेदंडसेनापती तहत्ति एवार्त्तासांभलीने परमाणकीधा तिवारपछीदंडसेनापनौई घणापुरुष सन्चबहसबाहवकतरविशेषपाखर यावत्यीयारवांधौने तेसंघाते परिवलोषको इथवास्थालीधा खेड़ाखड़गादिकडाग्रहीनेछि For Private and Personal Use Only Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org वि०० वोचोरपल्ली तणेवपहारेत्यगमणाए तएणतस्मअभंगसणावस्स चोरपुरिसइमोसे कहाएलस माणेजेणेवसालाडवीचोरपल्ली जेणेवअभंगसेणावई तेणेव उवागया करयलजावएवंब०एवंखलुदेवा पुरिमतालेणयरे महब लेणंरणामहया भडचडगरेणंपरिवारेणं दंडेाणएगच्छहणतुमंदेवा सा लाडविचोरपल्लिविलुपाहिं अभंगसेणचोरसेणावई जीवग्गाहिंगिरहेहि ममउवण हिं तएणसे प्रथीघ्रतरवाजिनवाजतेछते मोटाउत्कृष्टानादशब्दकरतोयको पुरमतालनगरने मध्यमध्यविचालेर नौसरेनीसरीने जिहांथालाटवी भाषा *चोरपल्लीतिहांमार्गेजातांतिवारपीतेअभंगसेनचोरसेनापतीनाचोरपुरुषे एहवीकथावार्तालाधेयकेजिहांसालाटवीचोरपल्लीजिहां अभंगसेनचोरसेनापतौतिहांबावेमावीनेहाथजोडीनेयावत्मकहेड्मनिचेहेदेवानुप्रिया पुरमतालनगरनो महव्वलराजा मोटो सुभटतेहनाईदसमूहपरिवारसहित दंडसेनापतीनाकटकने आज्ञाापीजावोतुम्हे हेदेवासुप्रिया थालाटवीचोरपल्लोलुंटीलगड़ी * मारीने अभंगसेनचोरसेनापतीने जीवतोग्रहो ग्रहीने मुझनेमांणीद्यो तिवारपछीते. दंडसेनापतीमोटासुभटदतेक्षनेपरिवारपरि 講灘跳跳漲漲漲漲暴涨涨涨器業業職業業業 業業業業業器默講講需辦業 業業業需業需業 For Private and Personal Use Only Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि . स दंडेमहयाभडचडगरेणं जेणेवसालाडवीचोरपल्ली तेणेवपहारेत्थगमणाए तएणसेअभंगसेणचोरसे णाबई तेसिंचोरपुरिमाणं अंतिएएयम सोच्चाणिसम्म पंचचोरसयाई सहावेइएवंव० एवंखलु देवापुरिमतालेणयरमहब्ब लेजाव तेणेवपहारेत्थगमणाएगए तएणंसेअभंगसेणेता पंचचोर सयाई एवंव० सेयंखलुदेवा० अह्मदंडं सालाडविंचोरपल्लि अंसंपत्तं तराचे वपडिसेहित्तए तएणताइपंचचोरसयाई अभंगसेणस्मतहत्ति जावपडिसुदूर तएणंसेअभंगसेणेचोरसेणाववि वस्यो जिहांसालाटवीचोरपल्ली तिवारपछीते अभंगसेनचोर तिवारपछीते अभंगसेनचोरसेनापतीने तेचोरपुरुषहेरूपुरुषनेसमी भाषा * पेएअर्थवा सांभलीने हीयेधारीने पांचसेचोरतेड़ावेतेड़ावीनेइमकह्यो इमनिचे हेदेवानुप्रियापुरिमतालनगरनोमहबलराजानो * सेनापतौकटकलेईने जिहांआपणीचोरपलीके ठावकौतेणेमारगे चाल्योछे सेनापतीनोकटकावेळे तिवारपछीते अभंगसेण तेपां चसेचोरप्रते इमकहे तेभणी यनिचे हेदेवानुप्रिया ब्रह्माते सेनानीनोकटक सालाटवीचोरपल्ली'पणपहुचते अणवतेवि 兼職兼業养業养業業業养業業業养業業業業業幕 KHEKHEME For Private and Personal Use Only Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि.टी. १२४ सूव भाषा ********** www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir होत्यादिभ्यं विशमदुग्गगहांति विषमं निम्नोन्नतं दुर्गदुर्गप्रवेशं गहनंरक्षगतरं संपलग्गेत्ति यो समारब्धहयमहियत्ति यावत्कर पुलं असणं४ उवक्वडावे२ पंचहिंचोर मए हिंसद्धिं रहाए जावपायच्छित्त भोयणमंडबंसितंविषु लंअसणं४ सुरंच५ आसाएमाणे४ विहर इजिमियमुत्तुत्तरागए वियणसमाणे आय॑तेचोक्खळे पर मसुद्भूएपंचहिंचोरसएहिंसङ्घि श्रल्लं'चम्मंदुरुह २ समजावपहरणे मगदूतेहिंजावर वेर्णपञ्चाव चालेथको जपाकोवालीयेमारीने तिवारपछी तेपाचसे चोर अभंगसेनचोर सेनापतीनो वचनत हतिकरीने यावत्सांभल्यो मान्योपर माणकीधोतिचारपछीते अभंगसेन सेनापतीने घणो अशनादिक ४ नोपजावेनीपजावीने पांचसे५०० चोरसंघातेनानकीधो विघ्नटालवा निमित्तेप्रायचित्तलीधो पछेभोजनमंडपनेविषे तेघणो अशनादिक४ मद्यसंघाते५ चाखादतोथको ४ बिचरेछे जीमीभोजनकोधाअनं तरचलूबादिकलेवेकरी चोखाथया अतही सौचवंतएसामान्यप्रकारे सिलीयादिकरीसमस्तप्रकारे सौचन्ड' ताथकापांचसे चोरसंघाते सन्नाहजीवरखीपहिरोटोपषाली हथीयारलेई हथोवासालीधाखेड़ा खगादिकयावत वाजितवाजतेपाछिलापडरसंध्यानेसमे साला For Private and Personal Use Only Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 柴業蒸蒸業業業業業業業兼差兼業 णादिदंदृश्यंयमहियपवरवीरवाइयनिवड़ियचिंधधयपड़ागंहत:सैन्यस्यहतमंतत्वात् मथितोमानस्यहतमत्त्वात्मथितोमानस्थमंधवत् * * प्रवरवीरा:सुभटाःपातिताविनाशितायस्यसतथानिपतिता:चिङ्गध्वजागरुडादिचिङ्गयुक्तकेतवःपताकायस्यसतथातत: पदचतुष्टयस्यक मधारय:दिसोदिसिंविष्यडिसेहितित्तिगसर्वतोरणेनिवर्तयतितथाअथामेत्तितथाविधस्थामवर्जितःअवलेत्तिशरीरबलवज्जित:अवीरि रोहकालसमयंसि सालाडवीचोरपल्लीयात्रो णिगच्छइ विसमदुग्गगहणंठिएगहियभत्तपाणिए तंदंडंपडिवालेमाणेचिद् तएणंसदंडे जेणेवअभंगसेणेचोरसेणावएए तेणेवउ०३ अभंगसेणेणं चोरसेणावणासद्धिं संपलग्गेयाविहोत्था तएणंसेअभंगसेणचोरसेणाव दंडंखिप्पामेवयमहि टवीचोरपल्लीथीनीसरेनीसरीनेप्रवेसडोहलोतथादुर्गस्थानकपर्वतकडिणादिग्रहीनेरल्ह्याभातपाणीग्रहीनेतेदंडमेनापतौनीवाटजोता हंतातिष्टे छतिवारपछीतेदंडसेनापती जिहांअभंगसेनचोरसेनापती तिहांआवेावीने अभंगसेनचोरसेनापती तेहनेसंघाते एकठो * हुओएतलेसंग्राममायोयुद्धकारवालागामाहोमाहितिवारपछीते अभंगमेनचोरसेनापतीनेतेदंडसेनापतीनेसीघ्रहणीने दहीनीपरे 器業職業業業業業業業業裝業業業業 For Private and Personal Use Only Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 端端端需牆講講業業業需牆端 वत्तिजीववीर्यरहित:मपुरिसकारपरक्कमेपुरुषकार: पौरुषाभिमानः सएवनिष्पादितस्वप्रयोजन: पराक्रमतवानिरोधादपुरुषकारपरा क्रम:अधारणिज्जमितिकट्टत्तिअवधारणीयंधारयतुमशक्यं स्थावाशक्यमितिकत्वाहेतो:उरेउरेणंतिसाक्षादित्यर्थ:सामेणयत्तिसामने यजावपडिसेहंति तएणसेदंडे अभंगसेणचोरसेणावयजावपडिसहिएसमाणे अत्यामेबलेबी रिएअपुरिसकारपरकमे अधारणिज्जे मित्तिकट्ट जेणेवपुरिमतालेणयरे जेणेवमहबलेरायातेणेब उ०३ करयलएवंव एवंखलसामोअभंगसेणचोविसमदुग्गगहषंटिए गहियभत्तपाणिए णोखल मानमथीने यावत्शब्दयकीदिसोदिसनसायोपाछोवाल्योतिबारपछीदंडने अभंगसेनचोरसेनापतीए मनोबलरहितकियो कायाव लरहितजीवप्रभावेजेकीजेतेरहित पुरुषनोजेअभिमानपराक्रमतेच्यको श्रष्टाडवो अभंगसेनचोरसेनापतीनो तेजधरवासमर्थनही इमचिंतबौने जिहांपुरिमतालनगर जिहां महबलराजातिहांआवेधावीने हाथजोडीने इमकहे इमनिश्चयस्वामी अभंगसेनचोर मेनापती विषमदुर्गस्थानकपर्वतनौकड़िणादिकक्ष करीने गइनतिहारह्योभातपाणीग्रहीनेतेमाटे नहीनिश्छतेसमर्थकिणेअतिहि 骤業業業聚影業業業業業業業聚聚業業業業業 For Private and Personal Use Only Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir * पिटौ. WIKIMEWHERWENERMIKHENNIEWEREKINERY मोत्यादनंभेयणित्तिभेदःस्वामिनःपदातिषुपदातीनांचस्थामिन्यः विश्वासोत्पादनंउपप्पयाणणत्तिउपप्रदानमभिमतार्थदानंजेविया मेष भिंतरगासीसगभमत्तियेपिचमेतस्थाभग्नसेनस्याभ्यंतरकाआसवमंत्रिप्रभृतयः किंभूताः सौसमभमत्तिशिष्याएवशिष्यकास्तेषां नमो भ्रांतिर्येषुतेशिष्यवमाविनीतयाशिष्यतुल्याइत्यर्थः अथवाशीर्षकंशिरएवशिर कवचंबातस्यभ्रमोव्यभिचारतयाशरीररक्षकत्वेनवातेशीर्ष सेसक्काकणसुबहएणवि आसवलेणवा हथिवलेणवा जोहबलेणवारहबलेणवा चाउरंगिणं पिउरंउरणंगिणहत्तए ताहेसामेणयभेदेणय उवप्पदाणणय वीसंभमाणेउपत्त याविहोत्था जेदंडे णयवियसअम्भिंतरगा सीसगसमामित्तणाइणिय सयणसंबंधिपरियणंच विपुलेणंधणकणगरयण पणे अवनेवलेकरीने हस्तीनेवलेकरी जोधमुभटनेवलेकरौ रथनेबलेकरी चोरंगिणीसेनानेवलेकरी ऊपराऊपरआवतोनहीग्रहीन सके तोजोवचनादिके संतोसौनेवमेकरे अन्योन्यभेदपाडीनेवस्खकरे तथाधनादिकदेईनेवस्थकरे विश्वासप्रतीते करीएतलेविश्वासपा तकरीने ग्रहीने जेहनाअभिंतर महिला जेहनाअभ्य तर मांहिला शिष्यसरीषा मित्वगोत्रीपोताना स्वजनविवाहीदासदासीव 茶茶茶茶茶茶茶茶然茶茶茶茶茶茶茶茶業業 घाभा For Private and Personal Use Only Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 儀器器端能涨涨涨涨涨涨涨涨涨涨涨涨涨涨涨涨 * माहतानितिष:भिनत्तीतियोग: तथामित्तनाइनियगेत्यादिप्राग्वभिदतिचौरसेनापतौस्ने भिनत्ति आत्मनिप्रतिवच्चान्करो तीत्यर्थ:महत्वाइतिमहाप्रयोजनानिमहगधाई तिमहमूल्यानिमहारिहातिमहतायोग्यानिमवापूजामहतिमपन्यापूजायेषांता नितयाएवंविधानिचकानिचित्केषांचिद्योग्यानिभवन्तीत्यारावारिहंति राजामुचितानिमहमहमहालियं ाड़ागारसालतिमईति महतीप्रशस्तामहतीचासौअतिमहालिकाचगुर्वीमहतिमहालिकातामत्यन्तगुरुकामित्यर्थ:कूड़ागारसालतिकूटसैवर्वतशिखरस्य वा संतसारसावएजेणंभिंदअभग्गसेणम्म यचोरसेअभिक्खण महत्थाई महग्धाईमहरिहाई पाहु डापेसेअभंगसेणंचचोरसे वीमभमाणे तएणसेमहबलेराया अस्पया० पुरिमतालेण्यरे एगं वासप्रमुखने घणेधनसुवर्णरत्नादिकछतीसारवस्तुदेवेकरीतत्कालतेने भेदउपायअनेअभंगसेनचोरसेनापतिने अभि०वारंवारजेमो टे प्रकारे प्रयोजनमुकीये महाअर्थनौबहुमूल्य उत्तमपुरुषनेयोग्य एवहवोभेटणोमोकलीने अभंगसेनचोरसेनापतिने विश्वासउपा ईयेतोझलाय तिवारपछीते महबलराजाये एकदाप्रस्तावे पुरिमतालनगरनेविषे एकमोटी अतिनीलांबपणे मोटीविस्तीर्ण पडल 業業業鬆鬆滌業業樂業業業器器震器器 For Private and Personal Use Only Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir EETENEXXXXXXXXXXXXXX* कारोयस्याःसातथासचासौसालाचेतिसमासोऽतस्ताअणेगखंभमयसंनिविट्ठपासायंदरिसणिज्ज अभिरूवं पडिरूवं व्याख्याप्राग्वत्त स्मु कतिअविद्यमानशुक्लग्रहणंयावत्करणादिदंदृश्य उत्करक्षेवगवादिप्रतिअविद्यमानराजदेयद्रव्यंअभड़प्पवेसकोटुंबिकगेहेषुराजवर्ग * वतांभटानामविद्यमानप्रवेशंअडंडिमकुडंडिमंदण्डोनिग्रहस्तेननिवृतराजदेयतयाव्यवस्थापितंदंडिमंकुदंडोअसंम्यग्निग्रहस्तेननिवृत्तं द्रव्यंकु दंडिमतेअविद्यमानेयत्रप्रमोदेसावदंडिमोचतस्तंअधपरिमंतिमविद्यमानधरिमंऋणद्रव्य यत्रसतथातंअधारिणज्ज चविद्यमा नाधर्मणंअणुछ यमुयंगं अनुकू तापानुपर्वणवादनार्थमुत्क्षिप्ताअनुतावावादनार्थमेववादकैरत्यकामदंगायनसतथा अमिलायमल दा महंमहमहालियं कूडागारसालंकरे अणेगखंभसयपासा४ तएणमहब्बलेरायाअस्पया० पुरिम तालेणयरउस्मुक्कंजावदसरत पमोय उग्धोसावेइश्कोडुबियपुरिसेसद्दावेदूर एवंव० गच्छहणंतु 养業業業業涨涨涨涨漲漲漲漲漲漲辦涨涨涨 पणे कूडानेयाकारतथाकूड़पासरूपशालाकरीने अनेकस्त भशतेकरीसंनिविष्टरहीछे योवायोग्य४ तिवारपछीतेमहबलवाना एक दाप्रस्तावे पुरिमतालनगरनेविषे दाणलेबाउनहीइत्यादि कयावत्दसदिनलगे प्रमोदनाउच्छवनानिर्घोषवजवाडोपड़हो कोर्ट विक For Private and Personal Use Only Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 職業諜諜器器器默諜諜諜諜諜器器器業器器業業 मंसम्मानपुष्कमालंगणियावरनाइज्जकलियंगणिकावरैर्नाटकियैर्नाटकपात: कलितोय:सतयातंत्रणेगतालाचराणचरियंअनेकैः क्षाकारिभिरामेषितमित्यर्थ:पमुड्यपक्कीलियाभिरामंप्रमुदित:प्रक्रीडितैश्च जनैरभिरमणीयमहारिहंति यथायोग्यंउदाहसयमेवगच्छे भभदेवासालाडवीएचोरपल्लीए तत्थणं तुम्भे अभंगसणंचो० करयलजाववयह एवंखलुदेवापुरिम तामहव्वल. उस्मुक्केजावदसरत्त पमोदउग्पोसिए तंकिरण देवाणु विपुलं असणं४ पुप्फवत्थगंधमल्ला, लंकारेय इहंहब्बमाणिज्जउदाहु सयमेवगच्छित्ता तएणंकोड बियपुरिसे महबलस्सरखोकरयल पुरुषनेतेडावेतेड़ावीने इमकहे जावोतुम्हे हेदेवानुप्रिया सालाटवी चोरपल्लौनेविषे तिहांतुन्हे अभंगसेनचोरसेनापतीहाथजोड़ी नेयावत्मकहो इमनिचे देवानुप्रिया पुरिमतालनगरनेविषे महबलराजाये दागलेवोनहीइत्यादिक यावत्दशदिनलगे प्रमोदना उच्छवनोनिर्घोषवजाद्योछे किमतुम्हनेहेदेवानुप्रिया विस्तीर्णशनादिकच्यारभेदपुष्यवस्तुगंधद्रव्यमालअलंकारादिकडूहां आणी दौनेकहोकिंवा स्वयमेवपधारस्यो तिवारपछी कोटं बिकपुरुषे महबलराजानोवचन हाथजोडीयावत्साभलेसाभलीने पुरिमताल 業茶業業業業樂業業業業業樂業業業業聚繼 For Private and Personal Use Only Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir *** * WEE KENREMENT ज्जाउताहोस्खयमेवगमिष्यथेत्यर्थःनाइविगिट्ठ हिंतिमनत्यंतदी:अहाणेहिंतिप्रयाणकैः सहेरितिमुखैमुखहेतभि:वसस्पिायरामेडिं तिप्रातरासकंप्रातर्भोजनंजएणविजएणवड्वातिजयेनविजयेनचपरिपूर्णांवईखेत्येवमाशिषप्रयुक्त इत्यर्थःननुतीर्थकरायनविहरंतितत्र जावपडिसुणेइर पुरिमतालाओणयराओ पडिश्णाइविक्कठेहिं श्रद्धाणेहिंमुहेहिपातरासेहिं जेणेव सालाडवीचोरपल्ली तेणेवउवा०२ अभंगसे० करयलजावएवंव एवंखलुदेवा पुरिमताल महब्बल स्मरखोउस्मुक्के जावउदाहु सममेवगछित्ता तएणसेअभंगसणे तेको बियपुरिसेएवंव० अहमदेवा नगरथकीनीसरेनीसरीने अतिउतावलोनही श्रद्धाणपंथनेथांनके मुखेकरीवासोवसतोजीमणीसीरामणीव्यालआदिकरतोजिहांसा लाटवीचोरपल्लीतिहां आवेवीने अभंगमेनचोरसेनापतीने हाथजोडीने जयविजयकरीवधाबीने इमकहेड्मनिश्चयहेदेवानुप्रिया पुरिमतालनगरनेविषे महबलराजाप्रमोदनोमहोच्छवमाद्योछे दाणजगातमकोछे दसदिनलगे तेमाट कहां खममेवपोतेपधार स्योतिवारपछीते अभंगमेनचोरसेनापती तेकोटुंबिकपुरुषनेइमकहे हेदेवानुप्रिया पुरमतालनगरनेविषे भापपोते पापणा For Private and Personal Use Only Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०सू० १३२ भाषा FREE www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुरिमता॰ सयमेवगच्छामिए कोड बियपुरिसे सक्कारेद्र२ पडिविसज्जेद्र तरणं सेअभंगसे बहुहिंमि तनावपरिबुडे रहा जावपायत्ति सव्वालंकारविभूसिए सालाडवीचोरपल्लीश्रो पडिणिक्खमद्र जेणेवपुरिमता० जेणेवमहव्यलेराया तेणेव करयलपरिग्गहियं महब्बलंरायंजएणं विजएणंबडा वेवावेत्ता महत्य' जावपाडर्ड उववम्प टू तणसेमह० अभंगसेणस्सचोरस्य तंमहत्य' जावपडि च्छद्दअभग्गसेणचोरसे सक्कारेद्रसमाणेई‍ बिसज्ज टू कूडागारसालव से अवसरहिंदलयद् तरणं वस्योपक्के कोडुंबिकपुरुषने वस्त्रतांबलादिके सत्कारसत्कारीने पाछोवालीमोकलीने तिवारपछीते अभंगसेनचोर सेनापति घणामि वन्यातीड़ाने परिवार सहित स्नानकरी यावत्प्रायवित्त सर्व अलंकारवस्याभरणादिकपहिरीने सालाटवी चोरपल्लीयकीनी रीने जिहांपुरिमतालनगरनेविषे जिहां महबलनामाराजा तिहांचा वेचावीने से हाथजोड़ीने ग्रहोंने महबलराजाने जयडवोख देशेविजयडवोप्रदेमे एहवावचने करीवधावेवधावीने मोटेषण प्रयोगे सुकौनेएहवोभेटयोस क्यो तिवारपछी तेमडवलराजा अभं For Private and Personal Use Only EXEE ******** Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि०सू० 網購業業業器需講講講講器 सेअभग्गसेणचोरसेणावडू महब्बलेणंरणा विसज्जिएसमाणे जेणेवकूडागारसाला तेणेवउ०२ तए णसेमह० कोडुबियपुरिसेसद्दावेदएवंव० गच्छहणतुम्भेदेवा विपुलं असणं४ उवक्खडावेइश्तबि पुलं असणं सुरंच५ सुबहपुरफगंधमल्लालंकारंच अभग्गसणस्सचोरसे कूडागारसालाएउवह तएणंतेकोडुबियपुरिमा करयलजावउवसई तएणंसेवभग्गसे बहुहिमित्तसद्धिसंपरिवुडे लाए गसेनचोरसेनापतीनो तेमोटोयावत्भेटणोलीधो अभंगसेनचोरसेनापतिने सत्कारेसन्मानदेईने मोकल्योकूड़ागारशालानेविषेवस तोआवासउतरवानोदीधो तिवारपछीते अभंगसेनचोरसेनापतिने मतबलराजाई मोकल्य थके जिहांकूड़ागारशाला तिहांमा व्योावीनेतिवारपछीते महबलराजाये कोर्टविकपुरुषने तेडावेतेड़ाबीनेइमकहे जावोतुम्हे हेदेवानुप्रिया विस्तीर्णअसनादिक नीपजावोनीपजावीने तेविस्तीर्ण प्रशनादिक४ मद्यमांसादिक अतिघणाफूलफलसुगंधमालाअलंकारअभंगसेनचोरसेनापति कूड़ा गारशालानेविषेमोकलो तिवारपछीते कोथुविकपुरुषे हाथजोडीने पूर्ववत्थशनादिकाणीवापे तिवारपछीतेअभंगसेनचोरसे 派諾業業器黑米黑米黑米業識繼業 भाषा **KX** For Private and Personal Use Only Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि०टी. 號號業業業業業叢叢叢叢叢業職業業兼義兼職: देशेपंचविंशतियोजनानिआदेशांतरणद्वादशानांमध्ये तीर्थकरातिशलान्नवैरादयोअनभवन्तियदाहपच्च प्यन्नारोगापसमंतिदूवेर मारीओअबुटिअणावुट्टिनहोइदभिक्ख इमरंति तत्कथं श्रीमन्महावीरेभगवति पुरिमतालेनगरे व्यवस्थितएवाभग्नमेनस्थपूर्ववर्णि जावसव्वालंकारविभूसिए विपुलं असणं४ सुरंचयू आसाएमाणे४ पमत्तविहरड् तएणसेमहको डुबियपुरिसेसद्दावेइएवंव गच्छहणंतुम्भेदे० पुरिमतालस्मणयरम्मटुवारा पिहितिश्अभंगसेण चोरसेणाव जीवग्गाहंगेरहंति महब्बलस्सरपोते तएणमह० अभंगसेणचोरोएतणविहाणेणंव नापती घणामित्रसंघातेपरिवस्योथको स्नानकरीपूर्ववत् सबअलंकारपहरीकरीने तेघणोअशनादिक४ मद्यादिकसंघातेआस्वादता जीमतायका प्रमादगाफिलपणे विचरेके तिवारपछीतेमहव्वलराजा कोडुबिकपुरुषने तेडावेतेड़ापौने धमकहेजावोतुम्ह अहो देवानुप्रिया पुरिमतालनगरना दरवाजानाहारनीपौलभेड़ोभेडीने अभंगसेनचोरसेनापतिने जीवतोग्रहोग्रहीने महम्बलराजाने आणीबापो तिवारपछीतेमहबलराजाये अभंगसेनचोरसेनापतिने एगोप्रकारेबध्यमारवानीआजादीधी इमनिश्चेहेगौतम अभंगसे 議养業業蒸蒸糕業業器紫藤業業叢叢叢叢叢器 भाषा For Private and Personal Use Only Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir *** वि.टी. ५ 繼業業識繼業業器端端樂器業業歌 तोव्यतिकर: संपन्नइत्यत्रोच्यते सर्वमिदमर्थान जातंप्राणिनांवकृतकर्मण:सकाशादुपजायतेकर्मच धासोपकमंनिरुपक्रमंचतत्रया निवैरादीनिसोपक्रमसंपाद्यानितान्य वजिनातिशयादुपशाम्यति सदौषधात्माध्यव्याधिवत् यानितुनिरुपकमकर्मसंपाद्यानि तान्यवश्य विपाकतोवेद्यानिनोपक्रमकारणविषयाणि असाध्यव्याधिवत् अतएवसातिशयसंपत्समन्वितानां जिनानामप्यनुपांतवैरभावागोसा झाणवेए एवंखल गोयमाअभंगसेणचो पुराजावविहर अभंगसेणेणंभंतचोरसेणावकालमा सेकहिंगच्छिहिंति कहिंउववज्जिहिंति गोयमाअभंगसेणचोरसे सत्तवौसंवासापर०अज्ज व तिभागावसेसेदिवसे सूलौभिसाकएसमाणे कालमासेका० इमौसेरयणप्पभाएउक्कोसेणंणेरड्एसुउव नचोरसेनापति पर्वेकीधाघणाकालना कर्मतेकर्मभोगवतोविचरेछे अभंगसेनहेभदंतहेपज्यचोरसेनापतिकालनेअवसरे कालकरीने किहांगच्छहि जास्ये किहांउपजस्य हेगौतमअभंगसेनचोरसेनापती सत्तावीसवरसनो उत्कृष्टोपाऊलोपालौने आजदिवसनेत्रीजे भागशेषथाकते सूलीयेभेद्योथको कालनेअवसरेकालकरौने एहिजरत्नप्रभापहलीनरके उत्कृष्टौस्थितिनरकनेविषेनारकीपणे उवव० 叢叢叢叢叢叢叢叢叢叢叢業兼差賺养羅叢叢業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shn Kailassagarsun Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org वि टी. 業業狀器器器器器器業器器器器器器器縣器 लकादयउपसर्गान्विहितवन्तति विपाकथुतेटतीयाध्ययन विवरणसमाप्त। छ। अथ चतुर्थेकिंचिलिख्यतेजपूर्णभंतेचउत्थरमउक्वे वज्जिहिंति सेणंताबोअणंतरंउवट्टित्ता एवंसंसारोजहापढमे जावपुढवीतोउवट्टित्तावाणारसीए णयरीएसूयरत्ताएपञ्चायाहिंति सेणं मच्छसोयरिएहिंजीवियानोविवरोविएसमाणे तत्थ ववाणा रसीएणयरोएसेट्टकुलसिपुत्तत्ताए पचाहिंतिसेणंतत्थ उमुक्कबालभावे एवंजहापढमेजावतकाहिं तिणिक्खेवो तड्यंअभयमंसम्मत्त ३ जणंभंतेचउत्थस्मउक्ख वोतणंकालेणतणसमएणंसोहंज कहतांऊपजस्य तेतिहांथी आंतरारहितनीसरीने इमजिमसगापुत्रभमस्य संसारमाहितिमजाणिवो यावत् पृथियोआदिनाभव तिहांधीनीस ने वाणारसीनगरीनेविषे सूकरपणे ऊपजस्य तेसवरनाजेपालकतेणे जीवतव्यथकीचकव्योथको तिहांबाणारसी नगरीनेविषे सेठविवहारौयानाकुलनेविषे पुत्रपणेऊपजस्य तेति हांगलभावथी मुकाणे थकेइमजिमप्रथमस्टगापुत्वदिक्षालेईनेया वत्आठकर्मनो अंतकरीनेमुक्तपुहचस्य बीजाअध्ययनना अर्थसंपूर्ण ॥३॥ जोहेपूज्य चउत्यकक्षतांचौथोनिक्वेषोअधिकारतेकला 業業業業業器鉴業業業業業聚業業業業業業業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 需器器諾器鬆鬆脆器鬆鬆辦縱 वोत्तिजणंभंतेइत्यादि चउर्थाध्ययनस्योपक्षेपस्यप्रस्तावनावाच्याइतिगम्य साचेयंजर्णभंतेसमणेणंभगवयामहावीरेणं जावसंपत्ते रणं दुहविवागाणंतच्चस्मअभयणस्म अयमझेपणत्ते चउत्यस्मणके अटेपमत्तत्ति सामभेददंडइत्येतत्पदमे दृश्यं सामभेददंडउवष्यया णनीईसपउत्तनयविहन्न सामप्रियवचनं भेद: नायकसेवकयोः चित्तभेदकरणं दंड: शरीरधनयोरपहारः उपप्रदानमभिमतार्थ णोणामंणयरोहोत्था रिद्धस्थिमिय तौसेणंसोहंजणोणयरीबहियाउत्तरपुरथिमेदिसौभाएदेवरम णणामंउज्जाणेहोत्था तत्थणंअमोहस्मजक्खायतणेहोत्था पुराणतत्थणंसोहंजणीएणयरीए महच्चं देरायाहोत्था महया तत्थणंमहच्चंदस्मरम्मो मुसेणणामंअमच्चैहोत्थासामभयदंडणिग्गहकुस लेतत्थ समाने विषे सोहंजणीनामांनगरीती ऋविवंतभयवर्जिततेसोहंजणीनगरीनेवाहिरउत्तरपूर्वने विचेईशानकूणे देवरमणनामाउ द्यान तो तिहांसमोहनाम यक्षनोदेहरोइंतो जीर्णधणाकालनोतिहां सोईजणीनगरीनेविषे महचंदनामाराजाहतो मोटोते महचंदराजाने सुखेननामा प्रधानहंतो वचनादिके संतोषीने अन्योन्यभेदठाकुरचाकरनेमाहोमांहिभेदपाड़े दंदमनावेनिग्रहा 紫紫熹業業業养業蒸蒸糕業業業叢叢叢叢鬃業 For Private and Personal Use Only Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 器器業器器器業樂器器器器架器器器器 दानं एतान्येवनीतयःसंप्रयुक्ताः येनसतथाअतएवनयेषु विधिप्रकारवेदितावाच्यः इत्यादिरमात्यवर्णकोदृश्यः महताडूत्यनेनमहताहि णंसोहंजणीएणयरीए सुदरसणाणामंगणियाहोत्था वस्पो तत्थणंसोहंजणी० सुभद्दे णामसत्य वाहेहोत्था अड्ड तस्मणंसुभद्दस्मसत्थवाहस्म भद्दाणामभारियाहोत्था अहीणतस्मणंसुभहस्ससत्थ० पुत्तभद्दाएभारियाएअत्तए सगडेणामंदारएहोत्था अहोणतणंकालेणंतणंसमएणं समणेभगवंमहा वौरेसमोसरणं परिसारायाणिग्गयाधम्मोकहियो परिसागया तेणंकालेणंतेणंसमएणं समणस्सजे ज्ञामनावराजानीइत्यादिकराजनीतशास्त्र कुचलके तिहांसोहंजणीनगरीनेविषे सुदर्शननामा गणिकाडतो तेहनोवर्णनजाणवो तिहांसोहंजणीनगरीनेविषे सुभद्रनामासार्थवाहतो सप्तभोग्याभवनहसुभद्रसार्थवाहनेभद्रानामाभार्यातौद्रीयेकरीपूर्णते सुभद्रसार्थवाहनोपुत्रभद्रा भार्यानोअंगजातसगडनामा बाकलहु तो इंद्रीप्रतिपूर्णतेकालतेसमानेविषे श्रमणभगवंतमहावीरसमो मखापरिखदाराजावांदिवानीसरया भगवंतेधर्मकथाकही परपरिषदापांकीवली तेकालतेसमानेविषे श्रमणभभवंतमहावीरदेवनो 業業养养养器聚器業業業業暴漲業業聚業業 For Private and Personal Use Only Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि०सू० . १३८ 器器崇器器器業業 तुअंतेवासौजावरायमग्गेउग्गा तत्थणंहत्थीबासीपुरिसे तेसिंणंपुरिसाणमझगयंपास एगस इत्थियंपुरिसंवउडगवंधणंउक्वत्तं जावउग्धोसणचिता तहेवजावभगवंवागरेइ एवंखलुगोयमा तेणंकालेणंतेणंसमएणं इहेवजंवूहीवेश्भारहेवासेछगलपुरेणयरहोत्था तत्थसिंहगिरीणामंराया होत्था महयातत्थर्णछगलपुरेणयरे छपिएणामंछागलिएपरिवसअड्डे अहम्मिएजावटुप्पडिया 茶業業業器器器器業業業業業需鬆鬆業器 भाषा वडोशिष्यगोतमसामी यावत्राजमार्गअवगायो एतलेराजमार्गेाव्या तिहांतीअश्वपुरुषते पुरुषांने मध्यगतदीठो एकस्त्रीयेकरी सहितपुरुषपाछेवांहे बांध्योकाप्याछेकांननाकजेहना एहवीउदघोषणाकरे राजानो राजानापुत्रनोवांकनहीपोताने कर्महणाइछ एहवोदेखीने चिंताऊपनीयावत्शब्दथकी तिमजभगवंततेहने वागरेडूक०कहे इमनिचे हेगोतमतेकालतेसमानेविषेएहजजंबडीप नेविषे भरतक्षेत्रनेविषे छगलपुरनामानगरहुतो तिहांसिंघगिरीनामा राजाहंतो म०मोटो तिहांछगलपुरनगरनेविषे विकए हवेनामेखाटकीकसाईवसेछे ऋच्छितअधर्मेकरीप्रवर्तेयावत्पाडुयेथयेआणंदपामेतत्यणतेन्निकनामेछागलियखाटकीनेघणाकाला For Private and Personal Use Only Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विटी० 業業業業叢叢叢叢業業業業業業 मवंतमलयमंदिरमहिंदमारे इत्यादीराजवर्णकोदृश्यः सुभद्दलवणेकालत्ति अयमर्थ: सुभद्दे सत्यवाहे लवणसमुह कालवाणासंप णंदेतत्थणंछपियस्स छागलियमबहवे अजाणयएलाणयरोभाणय वसभाणयससयाणयपसया णयसूयराणयसिंघाणयहरिणाणय मयुराणियमहिसाणिय सहस्सबद्धाणियजुहाणिय वाडगंसि सबिरुद्धाइ चिट्ट अप यतत्यवहवेपुरिसा दिपभभत्तवेयणा बहवेअएयजावमहिसेयसारक्षमा णासंगोवेमाणाचिठ्ठड् अप यसेबहवेपुरिसा अयाणयजावगिहंसिणिरुद्धाचिट्ठति अरण यसेवहवेषु वोकड़ातथाउरोझप्रसिद्द वृषभवलदससाप्रसिद्द अटवीनाचौपदविशेष सूकरप्रसिह सिंघादिकहरिणमयूरमहिषभैसा सौप्रमाण जथप्रमाणबांध्यासहस्रप्रमाणवांध्या अनेकलक्षादिप्रमाण जथ बाडानेविषे घणुरोक्याथकारहे अनेराईतिहांधणापुरुषने देतोकर्मक रनेमोलमजरीभातहतकणादिरूप घणावालयावत्महिषादिकराखताता भातपाणी येकरीगोपवीराखवीतिष्ट केअनेराईवलीषणा पुरुषकालीप्रमुख यावत् स्वयंपापणाघरनेविषेरु धोनेराख्यारहेछे अनेगवेषणापुरुषनेमोलमजूरीदेतोकरमकरमेणारनेघणाकाली 性器器業難兼職罪業業养業職業器兼職兼养業器 भाषा NEW For Private and Personal Use Only Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि.सू. 张器器諜器端擺業斐器器諜諜器器器器業 रिसादिमभभत्त बहवेअएयजावमहिसेयजीवियाग्रोविवरोविंतिश्मंसाईकप्पणीकप्पियाई करे इर छमियस्सछागलियस्सउवणे अप यसेबहवेपुरिसा ताईबयाई अयमंसायं जावमहिसमं साड्यंतवएसुयकवल्लीसुयकंदूसुय भज्जणाएसुयद्गालेसुय तलेतियसोलिंतिय तलिंताय३ रायम म्ग सिवितिंकप्प माणाविहरंति अप्पणेवियणं सेकसिएछागलिए एयकम्मेप्पविससं बहपावकम्म कलिकलसंसम्मजिणित्ता सत्तवाससथारं पर कालमासे० चउत्थोएपुढवीए उक्कोसणंदससागरो प्रमुखमहिषादिकजीवतव्यथको विणासेविणासौनेमांसनाकुरीयेकतरणीये कटकाकरकरौनेछनिकनामाखाटकोनेआणौद्य अनेरा तेषणापुरुषतेघणु कालीनोमांस पूर्ववत् महिषनोमांस तवानेविषेकड़िहिलादिकनेविषे मे टीकडाहीनेविषे कडिहिले जायअंगा रानेविषेसेकी ये मोटीकडाहीने विषेतलेतैलादिके तलौसेकोमलाकरीने तलौसेकौसलावरीने राजमार्गनेविषे आजीवकाकरतोषको विचरेछेत्रपणेपिणतेमिकनामा खाटको एहबोकर्मप्रधानएतलेअसुभकर्मएहजनेविषे घणोपापकर्मकलेशकरणमैलोउपार्जीने सात 薪器狀諜諜諜諜器鬆鬆業辦業器業茶業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि०० IEWEEKEEKEXXXX वमठिइएसु णरएसुणेरड्यत्ताए उववरण तएणंसुभहस्म सत्यवाहस्मभद्दाभारियाजावणिंदुयायावि होत्था जातादारगाविणिहायमावज्जइ तएणंसेकस्मिए छागलौए चउत्थौएपुढवीए अणंयरंउव ट्टित्ता इहेवसोहंजणौएणयरीए सुभद्दस्म सत्थवाहस्थ भद्दाएभारियाए कुच्छिसिंपुत्तत्ताएउववरण तएणंसासुभद्दासत्यवाही अपया० णवण्हमासाणंबहुपडिपुस्पाणंदारगंपयायातएणंदारगमअम्मा सेवर्षनो उत्कृष्टोपाऊखोपालीने कालनेसमेकालकरीने चौथीनरकनेविर्षे उत्कृष्टौदससागरोपमनीस्थिति नारकोरिषेऊपनो अपजीनेतिवारपछी सुभद्रासार्थवाहनी भाभार्यायावत् छतप्रसूताएतले मतवांझणीतीबालकजीवतानथी एहवाई ती जेतले बालकप्रसवीमरणपांमती तिवारपछीते छन्निकनामाखाटको चौधौनरकथकी आंतरारहितनीसरीनेइहांसोहंजणीनगरीनेविषेसभ द्रासार्थवाहनोभद्राभानीकुखिनेविषेपुत्रपणेऊपनोतिबारपझौतेसुभद्रासार्थवाहनोएकदाप्रस्तावे नवमासबहुप्रतिपूर्णडवेयकेवाल कजनम्योतिवारपछीवालकनेमातापितायेपूर्ववत्जनमनोकर्त्तव्यकौधोगाडलाहेठेमुक्योमुंकीनेवलौवलीमुंकाव्योपछेवलीग्रहाव्योएतले 業茶業業养業賺賺賺賺賺賺賺賺賺賺賺賺賺業 भाषा 米器飛黑米黑網 For Private and Personal Use Only Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra बि०सू० १४३ भाषा ************ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only 米米米米黑米米米米米米米米米 पियरो जायमेत्तंचेवसगडस्म हेट्टओठवेइ२ दोचंपिगिरहावे २ अणुपुब्वेशां सारक्वइ संगोवे संवड इजहाउज्झियए सुभद्द लवणेकालगया से विगिहा ओणिकडे तरणंसेस गडेदारए साओोगिहाश्रणि छूडेसमाणेसिंघाडगं तद्देवजाव सुदरसणाए गणियाएसडि संपलम्गेयाविहोत्था तरणंसेसुसेणेचमच्चे तंसगडंदारगंअण्णया॰ सुदरिसाएगणियाए गिहारणिकुभावे‍ सुदरिसणंगणियं अभिंतरए ठवेइ२ सुदरिसणाओगिहा ओणि भेसमाणे अस्मत्थकत्थईसुद्वाश् अलभप्रणयाक० रहस्सियंसुद लौधोलेईने अनुकमेजन्मदिनथकी राखती तो गोपवतीवस्व करोढांकती तथापालणादिकरीगोपवतो ती ती जमवीजेअध्ययने उपियानो संबंधी तिमजांणवोजिम सुभद्रसार्थबाह लवण समुद्रमध्ये कालप्राप्तडओपके अनुक्रमे भर्त्ता रनेदुक्खडवो दुखकरीनेर माताकाल कीधोतेसगड़बालकने राजादू घरथकीकाढीने घरपोते लीधोतिवारपछीते सगड़बालकपोतानाघरथकी काढे।थके सिंघाड़ा दिकमार्गे फिरतां जूवटादिकसातव्यसनसोख्योछे सुदर्शनागणिकाकेसाथ लुब्धङओडतो तिवारी दुग्धादिकेवधारती Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि. तु १४४ चाभा *業米米米米米米米米米米米 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रिसणागिहिंसि श्रणुष्पविसद् सुदरिसणाएसडि उदाराट्र भोग भोगाइ भुजमाणेविहरद्र इमंच णंसुसेणंअमञ्चेण्हाएजावविभूसिए मगुस्सवम्गुराए जेणेवसुदरिसणागणियागिहे तेणेव वा०२ पासइसगडंदारयं सुदरिसणारसहि उरालाइ भोगभोगाइ भुनमाणेपासद् श्रसुरुत्त जावमिसि मिसेमाणे तिव्रलियंभिउडिण्ड़िालेसाह इस गड़दारयं पुरिसेव्हिंगिण्हावे २ अट्ठजावमहियंकरेद्र तेस्रुसेणप्रधान तेसगड़बालक एकदाप्रस्तावे सुदर्शनागणिकावरथी कढावेकढावीने सुदर्शनागणिकासंघाते घरमांहिभोगार्थेअंते तुरीकरीराखी सुदर्शनागणिकानाघरथको कढ़ावेकढ़ावीने अनेरेथांनके किन्हांईसगढ़ पिपचितने रतिप्रमोदधैर्यच्चणलाभतोपा मतो एकदाप्रस्तावेप्रच्छन्नपणे सुदर्शनागणिकानाघर विषे प्रवेसकरेकरीने सुदर्शनागणिकासंघाते उदारप्रधानभोगभोगवतोथको विचरेछे एडवेप्रस्तावे सुसेण प्रधानस्नानकरी पूर्ववत्वस्त्रादिकपहिरीने मनुष्यनेपरिवारपरिवस्योथको जिहां सुदरिसनागणिका नावरनेविषे तिहांचवेचवीने दोठोसगडवालक सुदरिसनागणिका संघातेदारप्रधान भोग भोगवतोथको देखेदेखीनेशीघ्रका For Private and Personal Use Only 米米米米米米米米米米米米米米米米 Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra बि०सू० १४५ भाषा EEEE鮮鮮茶 www.kobatirth.org वउडगवंधणंकरेई जेणेवमहचंदेराया तेवउवार करयलनावएवं ब० एवं खलु सामौसगडेदारएममं अंतपुरिय सिवर तरणंसेमहच्चंदेराया सुसेणंचम एवंव० तुमचेवणं देवासगडस्मदार गस्मदं डनिवन्तेहिं तरणंसेसुसेणे मच्चे महत्व देणंरसाग्रम्भगुणाएसमाणे सगडंदारय मुदरिसणंचगणि यंएएणंविहाणेणंवब्भंआणवेद् तं एवं खलुगोयमासगडेदारयं तंपुरापोराणाणं दुच्चिरमाणंजावविह रीरीसचढ़ी यायत्मिसमिसायमान सर्प नोपरे सु साड़ामेलतोयको त्रिणलीकटी कुटीनिलाड़ चढ़ावीने सगड़बालकने पुरुषपासे झलावेझलाबीने ई ंटादिकेकरीनेमारयोतथा हाड़ प्रमुखनेभांगवेकरीने दहीनीपरेमध्योपाछीवा हेबांध्यो जिहांमहचंदराजाति आवेचावीने हाथजोड़ोनेयावत् इमकोइमनिचे हेखामीसगड़बालकने माहराअंतपुरनेविषे अपराधकस्योके तिवारपछी मह दराजा सुसेनप्रधानप्रतेइमको तुम्ह ईजहे देवानुप्रिया ताहरीइच्छाहोइ ते सगड़बालकने नेहबोजाणोते हवोदंडयो तिवारछौते सुसेणप्रधाने महचंदराजानी अनुवाद थके सगड़बालकने अने सुदर्शनागणिकाने एक प्रकारेकरीने बधवानीआमादोधी तेमा १३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only 米彩業業 Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie वि टी. १४६ 擺擺業業辦端需諜諜諜諜諜諜諜器盤器案 उत्तेयाविहोत्यत्तिमोयंतिमयोमयौंतत्तंतितप्तांकथमित्याहसमजोडूभूयंतिसमातल्याज्योतिषावतिनाभूताजातायातथातांभवया रसगडेणंभंतेदारए कालगएकहिंगच्छहिंतिकहिंउववज्जिइिंति गोयमासगडेणंदारएसत्तावरण वासापरमाउअज्जेवतिभागावसेसेदिवसेएगंमहंअउमयं तत्तसमजोभयं इत्थीपडिमअवतासा विएसमाणकालमासेमौसेरयणप्प णेरड्यताएउववज्जिहिंतिसेणंतत्रोअणंतरंउवट्टित्तारायगि हेणयरे मातंगकुलंसिजमलत्ताएपञ्चायाहिंतितएणंतस्सदारगस्मअम्मापियरोणिवत्तबारमस्मदिवस टेमनिश्चय हेगौतम सगड़बालक तेपूर्वेकौधाषणाकालना दुचीर्णपाडवाकर्मभोगवतोथको यावविचरेछे सगड़नामावालकहे पज्यकालकरीने किहांजास्य किहांउपजस्य हेगोतमसगड़बालकसत्तावनसवरसनोपरमउत्कृष्टो भाजयोपालीने भाजदिवसने बीजेभागेथाकते एकमोटीलोहमयलोहड़ानी तातीयग्निवर्णसारीखी स्त्रीप्रतिमाने तेसगडनेमालिंगनकराव्य थके कालनेसमेका लकरीने एहजरत्नप्रभाथिवीनेविषे नारकीपणे ऊपजस्य तेतिहांथीयांतरारहितनीसरीने राजग्टहीनगरनेविषे चंडालनाकुल 帳號蒸柴柴柴柴柴柴柴業蒸器紫禁崇凝器紫米漿 भाषा For Private and Personal Use Only Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir १80 विटी० साविएत्तिअवयासित:आलिङ्गित:जोब्बणविस्मइतिजोवणुगमणुप्पत्तेचलंभोगसमत्थेयाविभविस्मदतीत्येवंद्रष्टव्यमितितस्मतितएणंसा स्ममंएयारुवं णामधेज्जंकरिस्मंतिहोउणंदारएसगडेणामेणंहोउणंदारियासुदरिसणाणामेणंतए णसेसगडेदारए उमुक्कबालभावेजोवणगमणुपत्त भविस्मइतएणसासुदरिणाविदारियाउमुक्कबालभा वाविणायजोवणगमणपत्तारू वेणयजोवणणय लावणयउकिटाउक्किसरोरयाभविसईतएणसेस 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इत्येवंदृश्यंविमायत्तिएतदेवंदृश्यंविनायपरिणयंमित्तेणिक्वेवोत्तिएवंखलुंजंबूसमणेणंभगवयामहावीरेणंचउत्यस्म अमायणा अयमझेप मच्छवंधिएहिंवहिए तत्थ ववाराणसौए णयरीए सेट्टिकुलसिपुत्तत्ताए पञ्चायाहिंति बोहिंपव्य ज्जासोहम्मेकम महाविदेहेवासेसिभिहिंति ५ णिक्ख वोटुहविवागस चउत्थ अभयणंसम्म ४ जणभंतपंचमस्मअभयणस्मउक्ख वो एवंखलुजंबू० तेणंकालेणंतणंसमएणं कोसंबी णामणयरीहोत्था रिड बाहिंचंदोतरणेउज्जाणे सेयभह जक्ख तत्थणंकोसंबीयणयरीएसयाणि णारसौनगरीनेविषे सेठविवहारीयासेठनाकुलनेविषेऊपजस्य सम्यक्तपांमीचारित्रलेईने सौधर्मकल्प देवताथईने महाविदेहक्षेत्र नेविषे महाविदेहक्षेत्रनेविषे सीझस्ये मुक्तिजास्य अधिकारदुःखविपाकनो चौथाअध्ययननोअर्थसंपूर्णम् ॥४॥ जोहेपज्यपांचमा अध्ययननोअधिकारमनिचे हेजबतेकालतेसमानेविषेकोसंबीनयरी हतौद्धिवंत३ वाहिरचंदोतरनामा उद्यान तो तिहांखेत भद्रनामायक्षहुतो तिहांकोसंवीनगरीनेविषे सतानीकनामाराजाडतोमोटोहिमबंतपर्वतते सतानीकनामाराजा तेहनोपुत्रएगा 業器業聚灘業賺賺賺賺賺賺賺賺賺賺賺賺業 For Private and Personal Use Only Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सत्तेइत्येवंरूपंनिगमनवाच्यमितिशेषमुपयुज्यप्रथमाध्ययनानुसारेणव्याख्येयमिति अथपञ्चमेकिंचितिख्यतेरिउयत्तिएतेनेदंडभ्यरिउ एणामंरायाहोत्था महयाहिमवंत तस्मणंसयाणियस्मरणो मियावतौएदेवीएअत्तए उदयणेणामं कुमारहोत्था बहीणजवराया तस्मणंउदयणस्मकुमारस्म पउमावईणामंदेवाहोत्थातत्थणंसयाणि यस्मसोमदत्तणामपुरोहिएहोत्था रिउवेदेयजुवेदे४ तस्मथसोमदत्तस्मपुरोहियम्म वसुदत्ताणाम भारियाहोत्था तस्मणंसोमदत्तस्मपुत्त वसुदत्तात्तए वहस्सईदत्तणामंदारएहोत्था अहोणतेणं वतीदेवीनो अंगजातउदयननामाकुमारडतो समस्त इंद्रीकरीसहितयुवराजावापपूठ एहनोराजतस्मणंक० उदयनकुमारनेपो मावतीनामादेवौहंती तेसतानीकराजाने सोमदत्तनामापुरोहितहतो ऋजुवेदयजुर्वेदसामवेदनेविषे निपुणकुशलपंडिततेसोम दत्तपुरोहितने वमुदत्तानाभाभार्याती तेसोमदत्तनोपुत्रवमुदत्तानोअंगजातसहस्पतिदत्तनामबालकतोपंचेंद्रीसंपूर्णतेकालतेस मानेविषे श्रमणभगवंतमहावीरसमोसमातेकालतेसमानेविषे भगवंतगोतमस्वामीतिमनपूर्ववत्गोचरौकरतोराजमार्गअवगाह्यतिम *IKIWAKHERAMMAKEMA*** MEERHEA For Private and Personal Use Only Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 業繼業業樂業蹤器業識繼器樂業業繼器諾諾器 कालेणंतेणंसमएणंसमणेभगवंमहावीरसमोसरिए तेणंकालेणंतेणंसमएणंभगवंगोयमेतहेक्जावरा यमग्गं उग्गाढेतहेवपासाहत्यी.आसेपरिसमज्झपरिसं चिंतातहेषपुच्छई पुब्बभवंभगवंवागरे एवंखलुगोयमा तेणंकालेणंतणंसमएणं इहेवजंबहीवेश्भारहेवासेसव्वोभद्दे णामंणयरोहोत्या रिहर तत्थणंसव्वोभद्दे णयरे जियसत्त णामंरायाहोत्था तत्थणंजियसत्तुस्मरणोमहेसरदत्तणाम पुरोहिएहोत्था विउवेदे४जाव अयब्बणकसलेयाविहोत्था तएणंसेमहेसरदत्त पुरोहिएजियसत्तुस्स जपूर्वलीधरेदेखीने हाथी अश्वघोड़ापुरुष माहिपुरुषदेखीने चिंताऊपनीतिमजपर्ववत् भगवंतनेपूछे पूर्वलोभवभगवंतेकह्यो इमान ऋहेगौतमतेकालतेसमानेविषे एहजजंबद्दीपनामाहौपनेविषे भरतक्षेत्रनेविषे सर्वतोभद्रनामा नगरीहुनी विवंत३ तिहांसर्व * सोभद्रनगरने विषे जितशत नामा राजाहतो तिहाजितशत्र राजाने महेसरदत्तनामा पुरोहितहंतो ऋजुवेदसामवेदयजुर्वेदयाव त्यथर्वणवेदतेहनेविषे कुशलपंडितनिपुणछे तिवारपछीते महेसरदत्तपुरोहित जितशत राजाने राज्यविनेकारणे दिनदिनप्रते 来業業業業業業業樂業縣縣諜諜器業業業業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०सू १५२ वाभा www.kobatirth.org 無 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रपो रज्जबलविवद्वणट्टयाएकल्ला कल्लि एगमेगंमाहणदारगंएगमेगं खत्तियदारगंएगमेगंवइस्सदा रगंएगमेगं सुहृदारगं गिरहावे २ तेसिंजीवतगाणंचैव हियंउडए गिरहावेइ२ जियसत्तस्मरणो तिहोमंकरेद्र२ तरणंसेमहेसरदत्त पुरोहिए अट्टमीच उद्दिसीसुदुवे२ माहणखत्तियवस्सुद्द चउ गृहंमासाणंचत्तारि२ छण्हंमासाणं अदृश्संवच्छ रस्मसोलस्सर जाहेर वियपंजियसत्तराया पर एकेकोब्राह्मणनोवालक एकेकोचलीनोबालक एकेकोवेसनोबालक एकेको नोबालकते हने ग्रहावेग्रहावीने तेहनोजीवतानु' ही यानोमांसपिंडलेवरावेलिवरावीने जितशत्रुराजाने शांतिनिमित्त होमकरेकरीने तिवारपछीते महेसरदत्तपुरोहित आठमचउदस ** नेविषेवेवे ब्राह्मनाबालकक्षत्रीनावालक व्यसनाबालकसूद्रनावाहक एवंद बालकच्यारिमासआवेतिवारे एवं १६ बालकमारेकट्ठमा आठ २एवं १२ ब्राह्मणादिकनाबालकमारे संवत्सरवर समावेतिवारे सोलेश्वालकमारे जिवारे एजितशत्रुराजाने पर दलनाकटक नोभयतथा चाट पने तिवारेतिवारेपिणते महेश्वरदत्तपुरोहित एकसो आठब्राह्मणनावालक एकसो आठक्षत्रिय नावालक For Private and Personal Use Only KEE Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir वि०० १५३ लेणंअभिभुज्ज ताहेतहिंवियणंसे महेसरदत्तेपु० असयंमाहणदारगणं असयंखत्तियदारगाणं अट्ठसयंवइस्मदारगाणं अट्ठसयंसुद्ददारगाणंपुरिसेहिंगिण्हावेइश्तेसिंजीवंताणंचवहयउडियानो गिराहावेइर जियसत्तुस्सरपो संतिहोमंकररतएणसेपरबलेखिप्यामेवविवंसवा पडिसेहिज्ज वातएणसेमहेसरदत्त पुरोहिएएयकम्म ४ सुबहुपावंजावसमन्जिणित्ता तीसंवाससयाई पर काल मासे पंचमाएपुढवीए उनकोसेणंसत्तरसागरोवमट्टिईणरएमुउववस सेणंतत्रोअणंतरंउवट्टित्ताइ भाषा HINEKHMMMINKENERFEMMMENEREMEMEEN एकसोपाठवांणीयांनाबालक एकसोआटपूनावालक एवं सर्व४३श्यया अनेरेपुरुषपासेलिवरावेलिवराईने तेहनोजीवतानोही यानामांसनो पिंडोग्रहावग्रहावीने जितशबुराजाने शांतिनिमित्ते होमकरकरीने तिवारपशैतेपरवलपछे पागलानोकटकततका विध्वंसपामे नसाड़े दिसोदिसे तिवारपछीते महेसरदत्तपुरोहित एहवाकर्मकौधा8 अतिहिषणापापकर्मयावत्उपार्जीने एकवर्ष मांहि१७४ सर्वाउखामांहि ५३५२०००एतलासासबालकमारे वीसवर्षनो परमउत्कृष्टोपाजयोपालौनेकालनेसमेकालकरी For Private and Personal Use Only Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि०स० १५४ हेवकोसंबीएणयरोए सोमदत्तस्मपु०वसुदत्ताएभारियाएपुत्तत्ताए उववस्पतएणंतस्सदारगस्मअम्मा पियरोणिवत्तबारसाहस्य इमएयारूवंणामधिज्जंकरे जमाणंअाइमेदारए सोमदत्तस्मपुत्तेवसुद त्ताएअत्तए तमाण होउअझ दारए बहम ईदत्तणामेणं तएणसेवहस्सईदत्त दारए पंचधाईपरि ग्गहिएजावपरिवड तएणंसेवह उमुक्बालभावेजोवणविस्पायहोत्था उदयणस्मकुमारस्म पियवा 兼譯叢叢躲器蒸蒸器兼業業蒸蒸器 नेपांचमीनरके उत्कृष्टोसत्तरसागरोपमनीस्थिते नरकनेविषे ऊपनोतेतिहाथी आंतरारहितनीसरेनौसरिनेएहजकोसंवीनगरीने * विषे सोमदत्तपुरोहित वसुदत्ताभार्यानीकूखे पुत्त्रपणे ऊपनो तिवारपछीते बालकनोमातापिता वारदिनअतिक्रम्य थके इम एता दृयरूपनामकरिस्य जमाटे अम्हारेएबालक सोमदत्तनोपुत्व वसुदत्तानो मंगजातमाटे अम्हीयम्हारे वालकरहस्पतिदत्तनामे तिवारपछीतेसहस्पतिदत्तवालक पंचधायेग्रयोथको यावत्वधवालागो तिवारपछीते वृहस्पतिदत्त बालकबालकभावथकीमुकाणो योवनगमनप्राप्तिहुमो तिवारतेउदयणनामकुमारने प्रियबालकमिव इंतो संघातेजन्मडो संघातेवध्यासंघातरजादिकक्रीड़ाराम 業兼兼兼業業業業業叢叢鬃养兼差兼職業漲暴號 भाषा For Private and Personal Use Only Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - वि.सू० १५५ 鬆業業業雛灘業業养素業業業聚器兼养業养業 लवयस्सपयाविहोत्था सहजायएसहवष्टियए सहपसुकीलियए तएणंसेसयाणिएरायाअस्पया का लधम्म णासंजुत्त तएणंसेउदयणेकुमारे वडहिंराईसर जावसत्यवाहप्पभिई हिंमधिं संपरिवुडे रोयमाणेकंदमाणे विलवमाणेसयाणियस्मरपो महयाइइडीसकारसमुदएणं णौहरणकरेश्वह इलोइया मयकिच्चाई करे तएणंसेबहवेराईसर जावसत्यवाहे उदयणकुमारंमहया रायाभि सेएणंअभिसिंच तएणसेउदयणेकुमारे रायाजाएमहया तएणंसेवहस्सईदत्त दारए उदयस्मरखो तकरी तिवापछीते सतानीकराजा एकदाप्रस्तावे कालधर्मपाम्या तिवारपछीते उदाईकुमार घणाराजाप्रधानप्रमुखयावत् सार्थवा हादिकप्रमुखसंघाते परिवस्योथको रोतोथकोआकंदकरतोयको विलापकरतो सतानौकराजा मोटीऋद्धिसमावि सत्कारसमुदायेक रीनेनौहरणकी करीने घणालौकिकस्मतकनाकार्यकीधा तिवारपछीतेघणाराजाप्रधान यावत्सेठसेनापतीसार्थवाह मिलीनेउदय णकुमारने मोट मंडाणे राजानो अभिषेकसौंच्योथको तिवारपछीते उदयणकुमारराजाथयो मोटोतिवारपछीहस्पतिदत्तवालक 莱業業業業器諜罪業講業業業業器諜諜業辦業業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir ****EX**KKEEKXHEREKHERE व्वेयजउव्वेयसामवेयअथव्वणवेयकुसलत्तिव्यक्तंचहिययउट्टएतिहृदयमांसपिण्डान्वेलासुत्तिमवसरेषुभवेलासुत्तियनवसरेषभोजनाथ यनादिषकालेष्वित्यर्थःकालेटतीयप्रथमप्रहरादौमकालेचमध्यानादौनकार्यविशेषेणाहराउत्तिरात्रौविथालेत्ति संध्यायांसंपलग्नेयावि पुरोहिएउदयणंस्मरणो अंतेउरेवेलासुय अवेलासुयकालेसुयत्रकालेसुय राउयबियालेयपविसमा णेशपया०पउमावईदेवीएसद्धि संपलग्गेयाविहोत्था पउमावईदेवीएसद्धिं उरालाईभोगभोगा भंजमाणविहर इमंचणंउदयणराया गहाएजावविभूसिए जेणवपउमावईदेवीतेणेवउवहस्स उदयनराजानोपुरोहित उदयणराजानो अंतेउरनेविषे अवसरनेविषे अनवसरनेविषयभोजनथयनादिकभोजनशयनादिककालली जेपरेप्रथमपहरे रात्रिनेपरे संध्यासमयनेविषेपेसतोथको एकदामतावे पद्मावतीदेवीसंघाते आसक्तयथोलुब्बयो पद्मावतीरा णीसंघाते उदारप्रधानभोगवायोग्यभोगभोगवतोयकोविचरेछे एहवेअवसरेउदायनराजा मानकरीनेयावविभूषितम्राभूषणपति रीनेनिर्वाषदमावतीदेवी तेवतिहांविचाबीनेरहस्पतिदत्तपुरोहितपदमावतीरांणीसंघानेउदारप्रधांनभोगभोगवतोथकोदौठोदे 罪恶黑業職業業業聚聚業業聚器業养業兼聽器 For Private and Personal Use Only Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie 業業需繼张然米米業業調擺米器業蹤器装器 इदत्तंपुरोहियंपउमावईएदेवीएसचिउरालाई भोगभोगाइ जमाणेपासश्त्रासुरुत्ततिबलियंभि उडिणिलाउसाह वहस्मदत्त पुरोहियंपुरिसेहिंगिराहावेइश्जावएएकबिहाणेणंवउझबाणवदूएवं खलुगोयमावहस्मदत्त पुरोहिएपुरापोराणाणंजावविहरवहस्सईदत्तणंभंतेदारएओकालगएक हिंगच्छिहिंति किहिंउबज्जिहितिगोयमा वहस्सईदत्तणंदारएपुरोहिए चउसटिबासाईपर० अज्जवतिभागावससेदिवसे सलोभिणकएसमाणकालमासेमीसेरय संसारोतहेवपुढवौतोह खीनेमीघ्ररीसचढावीकोधसहित त्रिवलीचकुटीनिला चढांबीने वाहमाइदत्त पुरोहितने पुरुषपामेग्रहावग्रहावीने पूर्ववतएणविधा * नेवाचारेकरी वधवानीमारवानीचाज्ञादीधी मखलनिश्चेहेगौतमवहम दत्तपुरोशितपूर्वजन्मांतरघणाकालनाकीधातकर्मपर्ववत भोगभोगवतोयकोविचरेछे वहस्पडू दत्त हेभदंतवालक हाथीकालकरौने किहांजास्य किहांजपजस्ये हेगौतमवहाददन बालक पुरोहित चौसट्ठवरसनोपरमउत्कृष्टो पाजयोपालीने आजदिक्सने बीजेभागेशेषदिवसथांकते एतलेचौथेपडरेस्लीभित्रकीधेयक भाषा For Private and Personal Use Only Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि.सू. थिणाउरेणयर मियत्ताएपञ्चाइस्स सेणंवत्थवाउरिएहिं बचिएसमाणेतत्थेवहत्थिणाउ० सेठ्ठिकु लंसिंपुत्तत्ताएषोहिंसोहम्मेकप्मे महाविदेहेसिभिहिंति णिक्खेवो पंचमंअझयणंसम्मत्त ५ जर्णभंते छस्सउक्स वोएवंखलुजंबू० तेषंकालेणंतेणंसमएणं महुराणयरोभंडौरेउज्जाणे सुदरि सणेजक्वेसिरिदामेराया बंधुसिरोभारियापुत्तणं दिवद्धणेणामकुमारे अहीणजावजुवरायातस्मणं कालनेसमेकालकरीने एहजरत्नप्रभापहलीनरकेजास्य पछेतिमजसंसारमाहे गापुवनीपरे भमस्य पृथिव्यादि तिहाथीनीसरी * नेहस्तिनागपुरनेविषे लगपणे उपजस्थे तेहगतिहांवागुरो इण्य थके तिहांजहथियापुरनगरनेविषे सेठनाकुलनेविषेपुत्रपणे समकितयामौचारित्रलेई सोधर्मकल्प देवताथईनेमहाविदेहक्षेत्रनेविषेसीझस्य मुक्तिजास्य निक्वेपोचधिकार पांचमाअध्ययनना अर्थसमाप्त ॥५॥ जोहेभदंतपूज्य छट्ठाअध्ययननोअधिकारकहीयेछे दूनिचे हेजबतेकालतेसमानेविषे मथरानगरीतीभंडीर नामाउद्यानहु तो तिहांसुदर्शननामायक्षनोथानकहंतो औंदामनामाराजातेहनेबंधी एहवेनामेभार्याहतीतेहनोपुत्र नंदिव 諜罪業課業業器業業業業茶業業業業需霖業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie वि.टी. १५८ 需器器點繼驚器需端端器器器器端 होत्याआसक्तःअथषष्टेकिञ्चिलिख्यते चित्तंबहुविहंतिआश्चर्यभूतंबहुप्रकारचेत्यर्थःअलंकारियकम्मतिक्षुरकर्मासट्ठाणेसुत्तिशव्यास्थान भोजनस्थानमन्त्र स्थानादिषुवाआयस्थानेषुवाशुल्लादिषुसब्बभूमियासुत्तिप्रासादभूमिकासुसप्तमभूमिकावासानासुपदेषुवाअमात्यादि सिरिदामस्ससुबंधुणामंअमच्चे होत्था सामदंडभेयतस्सणंसुबंधुस्मअमच्चस्स बहुमित्तीपुत्तणामंदार एहोत्था अहीणतस्मणसिरिदामस्मरणो चित्तेणामंअलंकारिएहोत्था सिरिदामस्मरखो चित्तव हुविहंअलंकारियकम्म करेइमाणे सव्वट्टाणेसुसव्वभूमियासु अंतेउरेय दिपवियारे याविहोत्था छननामाकुमारसमस्तद्रीयेप्रतिपर्ण पूर्ववत्युवराजाले बापपूठ तेहनो राजतेश्रीदामराजानेसुवंधुनामाप्रधानई तो वचनादिके संतोषीवस्थकरे अन्योन्यमांहोमांहिभेदपाडीवस्यकरे धनादिकडंडीवस्थकरे तेमुबंधुप्रधानने वडमिनौनामा वालकहंतो समस्त *द्रीडूकरीपूर्णतेत्रौदामराजानेचित्रनामानाई अलंकारनोकरणहारडतोत्रीदामराजानोपाश्चर्यकारीविचित्रप्रकारे अलंकरपणेवि धेकरीनेअलकारकर्मएतावतानाई करतोथको सर्वप्रकारेसर्वस्थानकशिज्जा भोजनादिकनेविषे सर्वभूमिकाप्रसाद कोठारघरादिक 作業兼差兼差賺賺賺賺賺賺賺業業業業業聚落 भाषा For Private and Personal Use Only Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तेणंकालेण तेण समएण सामीसमोसड्डे परिसारायायणिग्गो जावगया तेणं कालेण तेण समए णसमणस्म जे? जावरायमग्गंउगाढे तहेवहत्थीवासेपुरिसे तेसिंचणंपुरिसाण मझगयं एगपुरि संपासइर जावणरणारोसंपरिवुडं तएणतंपुरिसंरायपुरिसा चचरंसितत्तसि अउमयंसि समजो इयंसिसिंहासणंसि णिवेसावे तयाणंतरचणं परिसाणंमभगयं बहुहिंअयकलसेहिंतत्तहिंस 諾器崇器器器鉴器器業器紫器器器器器器誰器 器樂器搬業器端業张器器點點點點業 भाषा विषेचंतेउरनेविषे राजायेदीधीछे आवाजावानी आनाएहवोजेनाई तेकाल तेसमानेविधे स्वामीश्रीमहावीरसमोसस्या परिषदा राजावांदिवानीसस्या पूर्ववत्वांदीधर्मकथासांभलीपाछीवली तेकालतेसमानेविषे त्रमणभगवतमहावीरदेवनो बड़ोशिष्यपूर्ववत्राज मार्गअवगाह्योअवगाहीने तिमजहाथी घोड़ापुरुषने तेपुरुषने मध्यगत एकपुरुषदीठोदेखीने पूर्ववत्नरनारीपरिवारपरिवस्योथको तिवारपछीतेपुरुषनेराजानापुरुषतेपुरुषचाचरैचोहटानेविषेतातोउष्णलोहमयएतावतालोहनोपणकेहवोअग्निमयअग्निसमानएह वोसिंघासनहनेविषे निवे०कहतांवसायो तिवारपछीवलीपुरुषनेमध्यविचाले घणालोहमयलोहनाकलस तातोअग्निसमानएकेक For Private and Personal Use Only Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir H विटी पुदिनवियारेत्तिराज्ञानुज्ञातसंचरण अनुज्ञातविचारणोवाकलकलभरिएहिंतिकलकलायतइति कलकलंचूर्णादिमिश्रजलतद्भतैःत संयोमयंइत्यादिविशेषणंहारंपिणईत्तिपरिधापयन्तिकिंकृत्वेत्यायोमयंसंदंसकंग्टहीवेतितनहारोष्टादशमरिकःअवहारंतिनव सरिका यावत्करणात्तिसरयंपिणहंति पालंज पिणइंति कडिसुत्तयंपिणहतीत्यादि दृश्य स्त्रियरकंप्रतीतं प्रालंबोझ बनकं कटीसूत्र हव मजोइभएहिं असं गयाणं तंवभरिएहिं अप्मतउयभरिएहिं अप्प सोसगभरिएहिकलशभरिएहिं अप्प खारतेल्लभरिएहिं महयाश्रायाभिसेएणं अभिसिंच तयाणंतरचणं तत्तअउमयं समजो भयं अउमयसंडासगंगहायहारंपिणवइतयाणंतरचणंहारंवहारंजावपट्टमउडचिंतातहेवनाव * तांबानोउष्णरसभरीनेएकेकतरूयानोउष्णरसभरीनेएकेकसीसानोउष्णरसभरीनेचर्णादिके मित्रउष्णउष्णपांणीभरीनेएकेकखारसहि * ततेलभरीनेमोटेमंडाणेकरीनेराजाभिषेकद्योराज्याभिषेककरावेतिवारपछीवलीतातोलोहमयअग्निसमानकरीनेतेस्योंलोहमयसंडा सेग्रहीनेलेईनेहारपट्ठारसरोपहिरायोतिवारपछीवलीअट्ठारसरोहारअईहारनवसरोयाबत्तीसरोलोसमयमस्त केपाटोवांध्योमुकुट 繼器器縣器默默器器鬆鬆糕點器器需 業樂業業業器器業業業樂業業狀器器繫器業 माषा For Private and Personal Use Only Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि.टी. सूत्व #EXREKHEREKKKHWEREE** व्यक्त पट्टतिललाटाभरणं मुकुट शेखरक: चिंतातहेवत्ति तंपुरुषदृष्टा गौतमस्य विकल्पस्तथैवाभूत् यथातिप्रथमाध्ययने तथाहिणमे दिवाणरयावाणेरड्यावा अयंपुणपुरिमेणिरयपडिरूवियंवेवणं वेएइत्ति यावत्करणादेवं दृश्यंअहापज्जत्त' भत्तपाणंपड़िगाहेदून्जे वसमणेभगवतेणेव उवागच्छडू इत्यादिवाच्यम् वागरेत्तिकोसौजन्मांतरे भासौदित्येवं गौतमः पृच्छतिभगवांस्तु व्याकरोतिकथय ___ वागरे एवंखलुगोयमा तेणंकालेण तेशंसमएणं इहेवजंबूहीवेरभारहेवासे सौहपुरेणामणयरहो त्या रिश्तत्थण सौहपुरेसोहरहेणामंरायातस्मणं सोहरहस्मरखो दज्जोहणणामंचारगपालएहो स्था अहम्मिएजावटुप्पडियाणंदे तस्मण दुज्जोहणस्म चारगपालम इमेएयारुवे चारगभंडहोत्थात सर्वलोहमयएतलासर्वहारतपाबौनेमस्तकेघाल्यातेपुरुषनेदेखीनेगौतमस्वामीनेतिमजचिंताऊपनीभगवंतचागलेसर्ववातकडीप छभगवतेकह्योमनिश्चेहेगौतमलेकालतेसमाविषेएहजजंबद्दीपनेविषे भरतक्षेत्रनेविषेसौहपुरनामानगरडतोद्विवंततिहांसों हपुरनगरनेविषेसौंहरथनामारांजाईतोतेसीहरथराजानेदुर्योधननामाचोरनोरक्षपालकभाषसीनोनायकई तोएतलेकोढवालय 龍諜諜業業器器業张業器諜米米器端縣器 भाषा For Private and Personal Use Only Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि०सू० स्मण दुजोहणस्मचारगपालस्सबहवे अयकूडीओ अप्पेगइयात्रो तंबंभरियात्रो अमे गयात्रोत १६३ उयभरियानो अप्प गइया सौसमभरियात्रोअप्प कलकलभरियाबोअप्प खारतेल्ल० अगिणीकार्य सिअहहियाअोचिट्ठतितस्मणंटुज्जोहणस्मचारगपालस्सबहवेउहियात्रोत्रासमुत्तभरियात्रोअप्यह त्थीमु०अप्प उट्टमु० अमे गोमु०अप्मेएलयमु० अप्प महिसमु०बहुपडिपुस्मायोचिइतस्मणंदुजोहण भाषा * धर्मोपापीयावत्माठेकी येअणंदपामेतेदुर्योधनकोटबालनेएतादृशरूपएहवोचोरनेबांधिवानोकोटवालनाउपगरणताहदुर्योधनको टवालनेघणीलोहनीकडीभाजनविशेषडतीएकेकत्रांबानोउष्णरसभरीकरीएकेकतस्यानोउष्णरसकरीनेभरीएकेकसीसेकरीनेभरी एकेकचूर्णादिकेमिश्रउष्णषांणीभरीनेएकेकखार तेलसहितभरीनेअग्निकायेउष्णकरीउकालीउष्णकरोमू क्यारेतिहां दुर्योधनकोटवा लनेषणाभाजनविशेषपढाई सेनामे तथाघडालघूमाटलीअश्वनामूत्रतेणेकरी भरीएकेकहाथीनामूलतेणेकरीभरी एकेकऊंटनेमत्रभ रोएकेकगोमवेकरीभरीएकेकउर्णादिकनेमूवेभरीएकेकउर्णादिकने मूत्वेभरी एकेकमहिषनेमूत्रेकरीभरीघ[प्रतिपर्णकांठाताईभस्या 器業器器器装器器業業器装器業業業業業業 售辦擺業养养職業兼業养業兼職养業蒸养業業 For Private and Personal Use Only Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि.टी. 樂器器器器默諾諾維深諜器業業器點點辦 तिचारगपालेत्तिगुप्तिपालकः चारभंडेत्तिगुप्त्य पकरणं हत्यंदुयाणत्ति अनिकाष्ठादिमयबंधनविशेषाः एवंपादांदुकान्यपि हडीणिय तिहडय:खोडका:पुंजत्तिसशिखरोराशिः निगरतिराशिमात्र वेणुलयाणत्ति स्थलवंशलतानांवेत्तलयाण न्ति जलवंशलतानां चिंच त्तिचिंचालतानां अंबलिकाकवानां छिवाणन्तिलक्षाचर्मकशानां कसाण्यत्ति चर्मयष्टिकानां वायरामीणति वजारमयोवटादि स्मचारगपालस्मबहवे हत्थंडुयाणयपायंडुयाण्यहडोण्ययाणियलाणयसंकलाणयपुंजायगिराय समिखित्ताचिट्ठतितस्सणंदुज्जोहणमचारगपालमबहवेवेणुलयाणयचिचारिबाणंकसाणयवायरा सीणयपंजाणिगराचितितस्सणंदज्जोहबह वेसिलाणयलउडाणयमोग्गराण्यकम्गरायपुजाणि तिष्ठ रहेछ तेहदुर्योधनकोटवालने घणाहायनाबंधन पगनाबंधन खोडोनामएप्रसिद्ध मोटीसांकलतथामोटी वेडीसामान्यसांकल इत्यादिकतेहनाढिगलासमूहतिष्ठ छे तिहांदुर्योधनकोटवाल घणीजलवांसनीलताकाष्ठरवेत्वनीलता आंवलीनीकांब चर्मनौवाधरी नाड़ीचर्मनीवाकनीरासि ताड़वानिमित्तइत्यादिकतेहनाढिगलासमूहतिष्ठ के तेहदुर्योधनकोटवालने घणीलघुशिलापाचणामयमो. 樂議器器需器業樂業獸器器是誰器識器 भाषा For Private and Personal Use Only Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 猴 वि. टी० १६५ सूत्र भाषा EXE www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्वं मयसिंदूराणिताड़नप्रयोजनानि तेषांषु नास्तोष्ठन्तीतियोगः सिलाणयत्तिपदां लोउड़ाणयत्तिलगुडानां मोगराणयत्तिव्यक्तकणं गराणएत्ति केपाणीयेयनंगरा बोहिनिचलीकरणपाषाणास्तेकानंगराकानंगरावाईषन्न' गराइत्यर्थः तएवं मेत्तिएतस्यस्याने ताणं गराचितस्वणं दुज्जोहणचारगपालस्वरताण्यवागरज्जुण्य बालमुत्तरज्जुण्यपुं जाणिगरारासंचि दृद्रतस्वणंदुज्जो॰ बहवेअसिपत्ताण्यकरपत्ताण्यखुरपत्ताणयकलंबची रमत्ताण्यपु जाणिगरा तस्व दुज्जो॰ वहवेलोहखौलणायकडसक्कराण्य अलिपत्ताण्यपूजाणिगरा० तस्मणंदु॰ वहवेसुञ्चोण harstarकड़ी मुहरतथामोगरीप्रसिद्ध नांगरनोपाषाण जेणेवाहण एकठामे रहे इत्यादिकते हनां ढिगलासमूहतिष्ठ तेहदुर्योधन कोटवालनेषणीताती अतिपातलीवरसमोटीतथा राशिविशेषकनीराखडी सहितवालनीरासड़ी इत्यादिकतेहना ढिगलासम् हशिष्ठ के दुर्योधन कोटवालने घणाखडग करवत करवतकुरीत थापाळणोचीरवानाशस्त्रविशेष इत्यादिकते ह नाढिगलासमूह तिष्ठ छ े तेहदुरयोधनकोटवाल घणालोहनाखीला वांसनीशिली वोठीनाअंकूराने आकारे इत्यादिकतेच नाढिगला समूहतिष्ठेक तेदु For Private and Personal Use Only Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०टी० १६६ सूत्र भाषा K************* www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ति मन्यामहे एतस्य वसंगत्वात् पुस्तकान्तरे दर्शनाञ्चेतिअसिपत्ताण्यत्तिअसीनांकरपत्ताण्यप्तिककचानांखर पत्ताणयत्तिक्षुराणांक लंबचीरपत्ताणंतिकलंवचीरंशस्त्रविशेष: कडसराणयत्तिवंशशला कानांचम्मपट्टाणयत्तिवर्षाणां चलिपत्ताणयत्तिच लीनांवृश्चिक पुच्छा यभंडणाण्यकोट्टिलाण्यपु जाणिगरा० तस्मण ं दु०बह बेसत्याण्यपिप्पलाण्यकुहाडाण्यणहच्छेयणा णयदम्भाणयपुं' जाणिगरा० तस्वण से दुज्जो० सौहर हस्सर स्पोबह वेचोरेयपारिदारियगंठीभेदेयराया बकारीयअस्मधारतेयबालघातेयवोसंभघातेयजूदूकरेय खंडपट्टे य पुरि सेव्हिंगिण्हावे उत्ताण पाडेद् र्योधनकोटवालवहवेघणोसूई डांभवानाशस्त्रविशेष कोटीलानान्हामुद्गरइत्यादितेहनासमूह तिष्ठ के ते दुर्योधनकोटवालधणीगुप्ती त्रविशेषलघुकर पलाकातर कुहाड़ोप्रसिद्धनख दननहरणी डांभवानाशस्त्रविशेष तेव्हनासमूह तिष्ठ क े तिवारपछीते दुर्योधनको टवालसिंधरथराजाना षणाचोरते सामान्यवस्तुग्राहीने परस्त्रीलंपटने धूषरादिकस जेगांठ अंगथकी के देतेहन राजानाअपराधी म ऋणोषणोजेहन ते ऋणानाभंजकने बालघातकन विश्वासघातीने जूवारीने धूर्त्तपुरुषने अनेरा पुरुषपा से ग्रह विग्रहाव For Private and Personal Use Only ********** Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie - विटी EMEENEMIKRENAMEEKKEEKEKIN*** कृतीनांदभणाणयत्तियै रग्नि प्रतापितैलॊशलाकादिभि:परशरीरेअंकउत्पाद्यतेतानिदंभकानिकोट्टिल्लाणंति इस्खमुहरविशेषाणांस त्याणयत्ति प्रच्छन्नकानांपिप्पलाणयत्ति हस्थक्षराणां कूठारनखच्छ दनकानिदर्भाश्चप्रतीता अणाचारएति ऋणधारकान् खंडपट्टे इत्तिवान्अप्प गएत्ति अप्य ककान्कांश्चिदपीत्यर्थः पेज्जेत्ति पाययत्ति अप्पेगयाणं तेणंचेवउवीलंदलयत्ति तेनेवअवपीडशेखरं लोहं दंडेणमुहविहाउद अमेगएए तत्ततवंपज्ज इ अप्पतोयंपज्ज इ अप्पसौसगंपज्ज इ अप्पक लकलंपज्न इ अप्प खारतिल्ल पज्ज इ अप्प तेणंचेवअभिसैगंकरे अप्प उत्ताणएपाडे आसमुत्तं पज्ज अप्य हत्यिमुत्तं पज्न इ जावएलामुत्तं पज्ज अप्प हिवामुहंपाडेइ बलस्सवम्यावेद अप्यते चीतानांखोने लोहदंडेमुखफाडीने एकेकने तातोत्रांबोपाईजे एकेकने तरूवोपाई अष्य एके कनेसीसोपाई एकेकनेचर्णादिक घालौनेतातोपांणीपाडू एकेकने खारसहिततेलपाडू एकेकनेतेणेजकरीसौंचेअभिषेककरएकेकने चीतापाडीने पासघोड़ानोमूत्र एकेकनेहाथीनोमूत्रपायावत्वोकड़ानोमूत्रपाई एकेकने ऊधेमुखेपाडीने सड़सड़वमावेपालोनखावेनखावीने एकेकन तेमाथे 希業業業器諜諜諜諜諜端器器器業器器 For Private and Personal Use Only Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विटी 器器器器器器點點業業器器業器器瓷器 * मस्तकेतस्यारोपणात् उपपोडावा वेदनांदलयत्ति करोतिसंकोडियमोडियत्तिसंकोड़ितासङ्कोचिताका:मोडिताचवालितांगाः इति इन्होतस्तान् भष्य गइएहत्वच्छिन्नएकरइत्यत्रयावत्करणादिददृश्य पायच्छिन्नएकमच्छिमएएवं नकउट्ठजिन्भसीसच्छिमएइत्यादिस ___णंचेवउवीलंदयद् अप्प हत्थंडुयाहिंबंधावेइ अप्प पायंडुयाणबंधावे अपहड़िबंधणंकरे आपे ___णियलबंधणंकरे अप्पेसंकोडियकरे अप्पेसंकलबंधणंकरे अप्पेहत्थिच्छिणएकरे जावसत्यो वाडिएकरे अप्पेवेणुलयाहिय नाववायरासौहियहणावेद अप्पेउत्ताणएकरेइर उरेसिलंदला देईन भारादिकपीड़ाकरे एकेकन हथकड़ीपहिरावे एकेकने पगेलघुवेडीपहिरावे एकेकन खोडामाहेपगधाले एकेकनमोटीसां कलतथामोटीवेडीपहिरावे एकेकनेस'कोच्यामोद्यावलगी अंगस कोचीन भेलाअंगकरे एकेकने सांकलेकरीवांधे एकेकन हाथछेदी नेछेदकरावे यावत् शब्दयकी अंगोपांगादिकशस्त्र करीविदारे खड़ादिकेगलवर्तनादिकर एकेकनेवांमनीलतानपणे पूर्ववत्वासनी रासड़ीकरीहणावे एकेकनेचौतासुवारे सुवारीन होयेसिलामु कावेमुकावीन पछेतेऊपरलाकड़ोम'कावयेउ'पासे पुरुषपासेचंपा * 端需梁器需米粥需蹤器黑柴器器器架牆 For Private and Personal Use Only Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandie वि.टी. 業蒸蒸業業業業業業叢業業業業器 * त्योवाडिएत्ति शस्त्रावपाटितान् खङ्गादिनाविदारितान् अप्प गइएवेणुलयाहियइत्यत्र यावत्करणात् वेत्तलयाहिय चिंचालयाहियडू त्यादिदृश्य उरेसिलंदलावेइत्यादि उरसिपाषाणंदापयति तदुपरिलगुड़दापयति ततसंपुरुषाभ्यालगुड़ो भयप्रान्तनिविष्टाभ्यांलगुड़ मुक्त पयति अतीवचचलयति यथाऽपराधिनोस्थीनिदल्यन्तइतिभावः तंतीहिययावत्करणादिदंदृश्यंवरत्ताहियवागरजूहिएत्यादि अग वेश्लउलंधुभावेइपुरिसेहिंउकंपावेदू अप्पतंतौहियनावसुत्तरज्जुहिय हत्थेसुयपादेसुयबंधावे अगडंमिउचूलंपाणगंपन्जेअप्पेसिपत्तेहियनावकलंबचौरपत्तहियपच्छायेखारतेल्ल णंअभं गावेअप्पणिलाडेसुयश्रवट्ट, सुयकोप्परेसुयजाणुसुय खलुएसुयलोहकीलएसुयकडसकरासुयदला वेएकेकनेतांतादिदेई पर्ववत्सूत्रसहितवाल नौरासतेणेकरीनेहाथचरणबंधावेकूबामांहिउधेमाथे सोचौमुकेवलीपाछोलेई इमपां णीपाईएकेकनेखनादिकेयावतकलंबशस्त्रविशेषपच्छावेखारतेलेचोपड़ावेएकेकनेनिलाडनेविषे धुंटकाने विषेक क्षणीनेविषेगोडानेवि पगनातलान विषे लोहनाखोलारक्षनीपरेशरीरमांहिप्रक्षेपे कांकराचंपावेड़ाभवानीसिलीतएकरीनेडांभवोनीलोबांस आपके 岩體鬆滌業業器器業業業漲漲漲暴漲暴涨業業 For Private and Personal Use Only Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०टी० १७० सूत्र भाषा www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डंसिन्तिकूपेओचूलावलगंति अधः शिरसि उपरिपादस्य कूएजलेबोलणा कर्षणंपन्न इत्ति पाययन्ति खादयतीत्यादिलौकिकी भाषाका रयतीति तुभावार्थ: अवटूसुयत्तिकाटिकास खलुएसन्ति पादमणिबंधेसु अलएभं जावेदूति वृश्चिककंटकान्शरीरे प्रवेशयतीत्यर्थः सूई उत्तिसूची: डंभणाणियत्ति सूचीप्रायाणिडंभकारकाणि हस्तांगुल्यादिषु कोटिल्ल हिंत्तिमुद्गरकैः आउडावेत्ति चखोटयति प्रवेश वेद् अलभंजावेद अप्पसूतीउयदंभणाणिय हत्थंगुलियासुयमः यंगुलिया सुयकुट्टिएहिं श्रउडा वे भूमिकं यावे अप्रेसत्थिहिय जावणहछेदणएहिय अंगंपळावेद् दभभेहियकुसेहियउल्ल दम्भेन्हिय वेढावेद्यंवंसिदलयद् सुसमाणेचडचडस्मउप्पाडेद्र तरणंसे दुज्जो हणचारएण्यकम्मे ४ कनेलोहनीस ईलेईन े शस्त्रविशेषतेणेकरी हाथनी चांगलीन विषेप्रक्षेपीने पगनी आंगुलीने विषेप्रक्षेपौने मोगरादि केकरीनेकूटावे कूटावीने सूचीसहितआंगुलीये भूमिखियावे गाढ़ीवेदना उपावेएकेकन शस्त्र करीयावत् नखक दनी नहरणोद् करी करादिकेचंग पछाबीन डाभते मूलसहितकुशते मूलर हितनोलाडामसु वोरावीने तावडेस बारीन े स केथके तडतडउतावलोडपड़ा वेचामडीति For Private and Personal Use Only 雜雜雜類 Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra बि.टी. १७१ सूत्र भाषा 黑黑黑黑黑張張業業業業業業業業業業 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विहराणिय यतीत्यर्थः भूमिकंड्यावेइन्ति अंगुली प्रवेशित सूचीकैईस्त भूमिकंडूयनेम हा दुःखमुत्पद्यतइति कृत्वा भूमिकंड्रयनं कारयतीति दहिय त्तिदर्भासमूला: कुमेहियत्ति कुशानिलाः कुत्ति कुमारे अंतराणियत्ति अवसरान्विद्दाणियत्ति अल्पपरिवारत्वानि ति विजनत्यानि एवं खलुजंबू इत्यादिनिक्षेपोनिगमनं षष्ठाध्ययनस्य यावत् अयमट्ट इत्यादिबेमिप्ति ब्रवीम्यहं भगवतः समीपेतुष्य सुबह पावं समनिणित्ता एगतीसंवासस या परमा० कालमासे० छट्टीएपुढवीएडको संवावीसंसा गरोवमाइ ठिईएस र एमडववरण सेतओतरंउव्वट्टित्ता हेवमहुराएणयरोए सिरि दामस्मरणो बंधुसिरीएदेवीए कुच्छि सिपुत्तत्ताएउववस्य तरणंबंधु सिरोणवगृहंमासां बहुपडि वारपछीतेदुर्योधनकोटवालएहवे कर्मकरतूते करीने अतिषणुंपापउपार्जीने ३१ इकत्रीसेवर सनोपर मउत्कृष्टोचाऊ खोपालीने काननेसमेकालकरीने छट्ठोनरकष्टथियो' उत्क टोबावीससागरोपमनी स्थिते नारकीपणे ऊपनो तिवारपकी आंतरारहितनीसरी नेआहिजमथुरानगरीनेविषे श्रीदामराजाबंधुसिरीदेवीरांणीने कूखनेविषेपुत्त्रपणे ऊपनो, तिवारपछीबंधुसिरी नवमास बत For Private and Personal Use Only 張黑米米米米米米米米米米米米米米米米 Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०सू० १७२ भाषा 米米米米祟祟 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुण्माणं जावदारगंपयाया तरणंतस्मदारगस्त अम्मापियरोबित्तवारसाहे इमंएयारूर्वणामधज्ज करेद्रहोउणंअम्हंदारगेणं दिसे येणामेणं तरणं सेणं दिसे कुमारे पंचधाईपरिबुडे जावपरिवद तर णंसेणंदिसेणेकुमारे उमुक्कबालभावे जावविहरद् जावजुवराया जाएयाविहोत्या तरणंसेदिक मारेरज्ज यजावअंतेउरेयमुच्छिए ४ इच्छसिरिदामंरायं जौवियाविवरोवित्ता सयमेवरज्जसि पूर्णथयेथके पूर्ववत्बालकप्रसव्योजनम्यो तिवारपछीवालक मातापिताये वारदिन अतिक्रम्य हवोएतादृशरूप नामकोधोडं जो अम्हारेबालकनो नंदीसेणनामकुमार तिवारपछीते नंदीमेणकुमार पंचधाइ ग्रोथकोयावत् बधवालागोतिवारपछीतेनंदिमेणकुमा रम्'काणोबालभावथको अनेयोवननोप्राप्तिथई यावत्एहबोथको विचरे के पूर्ववत् लघुराजा हवो युवराजाके पितापूठेतेहनोराज तिवारपछीतेनंदिसेणकुमार राज्यविषे यावत् अंतपुर नेविषे मूर्च्छापांम्यो४ वांछे श्रीदामराजानेजीवतव्यथकी रहितकरीएतलेमा रीपोतेआपणे राज्यलक्ष्मौभोगबुंराज्यकर तोड' तो पालतोड तोविचरे तिवारपछीते नंदिसेणकुमार श्रीदामराजानो अवससरमा For Private and Personal Use Only Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir - वि० 旅器器鬆鬆業器装縣業器端業業諾業 रिंकारेमाणेपालेमाणेविहरडू तएणंसेणंदिसेणकुमारेसिरिदामस्मरखो अंतरंअलभमाणेश्रणया० चित्तं अलंकारियंसहावेइर एवंव० तुमणंदेवाणु सिरिदाम सव्यहाणेसुसबभूमियामुय अंतउरेय दिपवियारे सिरिदा० अभिक्खणं अलंकारियकम्म करेमाणेविहर तरहंतु देवासिरिदाम अलंकारियंकरमाणेगौवाए खुरंणिवेसेहिं ताणंअहंतुह्म अदरज्जियंकरस्सामि तुमंत्रम्हेहिंसद्धि उरालेभोगभोगाई जमाणेविहरिस्मडूतएणंसेचित्त अलंकारिएणं दिसणस्म कुमारस्सवयणंएय रिवानो अणपांमतोथको एकदाप्रस्तावे चित्रनामाचलंकारनेतेडावेतेड़ाबीने इमकहे तन्हदेवासुप्रिया बौदामराजाना सज्यास्था नकभोजनादिकनेविषे प्रसादभूमिकाने विषे अंतपुरनेविधे राजायेदीधीछे पानाजेहने श्रीदामराजानो अभि० वारंवार अलंकार . नाईकर्मकरतव्यकरतोथको विघरके तेमाटेतुम्हे हेदेवानुप्रिया श्रीदामराजानो अलंकारचुरकर्मकरतांथका गलानेविषे खुरसा * रेएतलेमार तिवारहतझने अईराजीयो करे कहताकरिस्यों तुम तुम्ह अहसंपाते उदारप्रधानभोगवतोथको विचरये तिवार 器器耗张業職業养業業涨業業辦業職業業業職業 माधा* For Private and Personal Use Only Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir - वि सूः १७४ OC म पडिसुणेइर तएणंतस्सचित्तस्सअलंकारियस्म मेयारूवे जावसमुपज्जित्थाजदूर्णममंसिरिदामे गयाएयमबागमेइ तएणंममंणणज्ज केणअसुभेणंकुमरणेणं मारिस्मत्तित्तिकभीए ४ जेणेव सिरिदामेराया तेणेवउ०२ सिरिदामंरायरहस्मिएगं करयलजावएवंव० एवंखलुसामी णदिसणे कुमारेरज्जेय जावमुच्छिए४ इच्छ इतुम्भेजीवियानो विवरोवित्तासयमेवरज्जे सिरिकारेमाणेपाले 器端紫器樂器樂器樂業業業業諜諜諾 * पछीतेचित्रनामानाई ये नंदिसेणकुमारनो वचनएअर्थसांभलीने प्रमाणकरे तिवारपछीते चित्रनामानाईने एहयोअध्यवसाययाव त्ऊपनो जोमाहरीश्रीदामराजा एवार्त्तानोअर्थजांणस्य तिवारपछीते सुमनेनजांणीये केणेपाडूये कुमरणे मारस्य दूमकरीनेवी पहनोथको४ जिहां श्रीदामराजाके तिहांआवेावीने श्रीदामराजाने छांनोएकांत हाथजोडीने यावत्मकहेड्मनिचे हेखांमीनं दिसेण कुमारराज्य निविषे पूर्ववत् मूर्ध्वागतयोथको वांछेछ तुझनेजीवतव्यथी रहितकरवोमारवो पोतेराज्य श्रीकरतोयकोपा लतोथकोविचरे के तिवारपछी श्रीदामराजा चित्रनामानाईने समोपेएअर्थवार्तासांभलीने हीयेधारीने शीघ्ररीसचढ़ी४ याच 業業業業業職業养养業养業聚器兼職兼業業業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि०सू० -- - १७५ माणेविहरहतएणंसेसिरोदामेराया चित्तस्मनलं० अंतिएएयम सोचाणिसम्म आसुरुत्तेष्ठजावसा हट्टणं दिसेणंकुमारं पुरिसेहिंगिराहावे एएणविहाणेणंबझ प्राणवेद एवंखलुगोयमाणंदिसे णेपुत्ते जावविहरणंदिसेणेकुमारे दूओचुत्रोकहिंगच्छिहिंति कहिंउववज्जिहितिगोयमाणंदिसे णकुमारे सट्टिवासाईपरमा० कालमा० इमौसेरयणप्पभा० संसारोतहेवतत्तोहत्थिणाउरेणयरेम च्छताएउववज्निहिंतिसेणंतत्थमच्छिएहिंवधिएसमाणेतत्थेवसटिकुलेबोहिंसोहम् कप्प महाविदेह भाषा 樂器器器器諾器業器器端端樂器器鉴器器業 器樂器諜諜諜諜諜業業器業業業器装器業業 त्रिणलौटी कुटौचढ़ावीने अनेरापुरुषपांहिग्रहावीझालीने एगोप्रकारेविधाने आचारेवधेछे मारेले तेइमनिश्चय हेगोत मनंदिसे णकुमारपुत्र पूर्ववत्विचरेदु:खभोगवतो नंदिशेणकुमार इहांथीचवीने किहांजास्य किहांउपजस्य हेगौतमणदिसेणकुमारसाठवर सनोपरमउत्कृष्टोपाऊखोपालौने कालनेसमे कालकरीने एहजरत्नप्रभाथियोनेविषे संसारमांहिटगापुत्वनीपरेभमस्य तिहाथी नौसरीनेहस्तिनागपुरनेविषे मछलापणे उपजस्ये तेतिहांथीमाछौगरे पकड्योतो तिहांसेठनाकुलनेविषे बोधपामी सौधर्मकल्प For Private and Personal Use Only Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि.टी. 黑端需辦繼牆牆洲器狀諾諾諾器 तिकरंविदित्वेत्यर्थः षष्ठाध्ययनविवरणम् समाप्तम् ॥६।। अथसप्तमेकिञ्चिलिख्यतेजदूर्णभंतेत्यादिरुक्षेप: सप्तमस्याध्ययनस्यवाच्यति वासेसिझिहिंति झिहिंतिमुचिहिंतिपरिणिवाहितिएवंखलुणिक्षेवोछह स्मअभयणस्मअयम उपपत्त तिमिछट्ट अभयणंसम्मत्तंह जणंभंतेउक्खे वोसत्तमस्सएवंखलजंब तांकालेणंतणंसम एणं पाडलिसंडेणयरे वणसंडे उज्जाणे उंबरदत्त यक्व तत्थणंपालिसंडेणयरे सिद्धत्थरायातत्थ णंपाडलिसंडेणयरे सागरदत्तसत्यवाहेहोत्था अड्ड गंगदत्ताभारिया तस्मणसागरदत्तस्मपुत्ते गंग देवताथईने माविदेहक्षेत्रे चरम भवपांमीमुक्तिजावानो योग्यस्य उपनेकेवलेजीवादिस्वरूपझस्य भवोपग्राहिकर्मथकीमुका स्ये कर्मक्षयतेथके शांतभत होस्य इमनिश्चय हेजबूअधिकारकट्टाअध्ययनना एअर्थप्ररूप्याइतित्रवीमि छट्ठोअध्ययनसंपूणम् ॥६॥ जोहेभदंत अधिकारसातमो इमखलनिश्चेजब तेकालतेसमानेविषे पाडलीसंडनामानगरंडं तो वणसंडनामाउद्यानके उबरदत्त नामायक्ष तिहां पाडलीषंडनामानगरनेविषे सिद्धार्थराजाहु तो तिहापाडलीसंडनगरनेविषे सागरदत्तनामासार्थवारतोष्वि 業兼器業業兼差兼糕業叢業業業蒸蒸業業業兼器 For Private and Personal Use Only Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 茶 वि. टी० १७७ सूत्र भाषा 米米米米米米華 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कच्छुल्लति कंडूमंतं उदरेयंउदरिकं जलोदरिकं भगंदरियंति भगंदरवतं सोफिल्ल तिसोफक्तं एतदेवसविशेषमाह सुयमुहसुहत्यंति दत्ताभारियात्त उंबरदत्तेगामंदारएहोत्या अहौण तेणंकालेशंतेर्णसमरणं समोस रणंजाव परिसागया तेणंकालेणं तेणं मरणं भगवंगोयमं तहेवएजेणेवपाडलिसंडेणयरे तेणेवड पाडलिसं डंणयरेपुरत्थिमेणटुवारेणं अणुष्पविसन्ति तत्थणंपासइएगंपुरिसंकच्छ ल्ल कोटियंदोउयरियं भगं दलियंअरिसिल्ल’कासिल्ल’सासिल्ल' सूयमुह' सूयहत्थं सूयपायं सडियहत्थंगुलियं सडियपायंगुलि वंत गंगदत्ताभार्या ते सार्थवाह सागरदत्तनोपुत्र गंगदत्ताभार्यानो अंगजात वरदत्तनामावालक तो समस्तद् ट्रीसहिततेकालतेमा नेविषे महाधीरसमोसख्या यावत्परिखदाधर्मकथा सांभलीपाकोवली तेकालतेसमानेविषे भगवंतगौतमस्वामी तिमजपूर्ववत्जहां पाड़लीखंडनामानगर तिहांचवे आवीने पाड़लीसंडनगरने पूरबदिसिने दरवाजे प्रवेशकर तिहांपूर्वनेदरवाजेदीठोएकपुरुषखाज महितकोढसहितजलोदरकरीसंयुक्त भगंदररोगसहित हरसरोगसहित खाससहितसोफवायसोजा सहित वायेकरीसूजोमुख सूजा For Private and Personal Use Only ***** Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 業業器器器業業器縣業器器端鬆業 शूनसुखपूनहस्त थिविथिवेंतित्तिमनुकरणशब्दोयं वणमुहकिमिउतुयंतपगलंतपूवरुहिरंति ब्रणमुखानिकमिभिरुत्पद्यमानानिउई व्यध्यमानानिप्रगलत्पूरुधिराणियस्य सतथातं लालापगलंतकन्ननासंतिलालाभि:क्ल दतंतुभिःप्रगलंतोकौँनासाचयस्थसतथातंच यंसडियकरपणासियं रसियाएयपूएणय थिविथिवित्तंवणमुहं किमिउम्ण यंतपगलंत पूयरहिरंला लापगलंतकमाणासं अभिक्खणं पूयकवलेयरुहिरकवलेय किमियकवलेय वममाईकटाई कलुणा वीसरा कुवमाणंमच्छियाचडगरपहगरेण अणिज्जमाणमग्गं फुट्टहडाहडसौसं दंडंखंडवसणं हाथसज्यापगसडीछेहाथनी आंगुली सड़ी केपगनीयांगुली सड़ाछेकांननासिका रसोयेकरी पौरूडूकरी थिथिवकरतोषणु शब्द करेले ब्रणमुखजे गुंबड़ानेमुखे तिहाथोकमतेरुधिरसहितकमपडेछे झरेछे पौरुयेलोही लालामुखधकी झरेछेकाननाकवलीगलेछे वारंवारएकलौराधिनाकवलीया लोहोनाकवलीयानि:केवल नि:केवलकृमिनाकवलीमुखनेविषेवमतोथकोकलेशकारीवचनदयामणो कुरुणाऊपजे पाडवावचन रोवतोथकामाखीनादसमूहभणभणती मार्गेतेरनेकेड़े जादूछे फुटीहांडीसरीखोमाथोएतलेमाथाना 帶繞業業業業業業兼糕鬆滌漲漲漲漲漲叢叢叢報 For Private and Personal Use Only Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir - KENEMENEANINMMENKEWWWHIKEKEKHEKENE भिक्षणंति पुन:पुन:कट्ठाइतिक्लेशहेतुकानिकलुणा तिकरुणोत्पादकानिवीसराईतिविरुपध्वनीनीतिवचनानीतिगम्यतेकूयमाणंति * कूजंतंअव्यक्त भणतंशेषं प्रथमाध्ययनवत्नवरंदेहंबलियाएत्तिदेहवलिंइत्यस्याभिधानंप्राकृतशैल्यादेहंबलियाईएदेहवलियाएपाडलत्ति * पाडलिसंडामोनगरायोपडिनित्तिपडिनिक्समत्तिदृश्य जेणेवसमणेभगवंमहावीरेतेणामेव उवागच्छगमणागमणाएपडिक्कमडू ई-पथिकौंप्रतिकामतिइत्यर्थः भत्तपाणंथालोएड्भत्तपाणंपड़िदंसेइर समणेणंभगवया अन्भणुमाएयावत्करणात् समाणेइतिदृश्य विलमिवपन्नगभूएअप्पाणणं आहारमाहारेति यात्मनाहारमाहारयति किंमत:सन्नित्याह पन्नगभूतोनागकल्पोभगवान्याहार खंडमल्लखंडहत्यगय गिहेर देहं बलियाएवित्तिकप्मेमाणेपासर तदाभगवंगोयमे उच्चणियजाव अडअहापज्जतंगिण्हइर पाडलोसंडाअोणयरात्रो पडिणिक्वमइ२ जेणेवसमणेभगवं तेणेवउ० केसविकरावीखस्याछेतेभणी एहयोमस्तकदीसेविचेयकोवस्त्रस्य दंडियानीपरेखंडखंडवस्त्रनाथेगलादीनाछेअसंपूर्णएक्वोवस्त्रपहियो भागोसरावलोपाहारने अर्थमांगोखाडोपांणीने अर्थे हाथलेईनेघरे देहनावलनिमित्ते एतलेदेहधरिवानेनिमित्ते आजीवकाकरतो 张業器器諜業業業業業諾諾業器業默默業器業 For Private and Personal Use Only Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie * विटी १E. 聚聚業業業業業業鬆業業業素業業器紧紧器 स्वरसोपलम्भार्थ अचवर्णात् कथंभूतमाहारं बिलमिवअसंस्पर्शनात् नागोहिबिलमषंस्य,शात्मानंतवप्रवेशयत्येवं भगवानप्या * हारमशंस्प शन् रसोपलम्माननपेक्ष: सन्नाहारयतीति दोचंपित्तिहितीयांवारांबटुंगाउब्वे यपाढएत्तियायुर्वेदोवैद्यकशास्त्र कौमार भत्तपाणंपडिदंसेइसमऐण अभभणमाए जावविलमिवपपगभए अय्याणणं आहारमाहारेसंज मेण तवसाअप्माण भावेमाण विहर तरण सेभगवंगोयमे दोच्चंपिछट्टखमणपारणगंसि पढमाए पोरसीएसज्माईजावपाडलिसंडंणयरंदाहिणिल्ल णंदुवारेणं अणुप्पविस्मद् तंचेवपुरिसंपासर थकोगौतमस्खामौयेदौठो तिवारपछीभगवंतगौतम ज'चनौचकुलनेयावत् अटणकरताफिरतां यथामावाहारले लेईने पाड़ली * संडनगरथी नौसरेनीसरीने जिहांभगवंतत्रमणमहावीर तिहांबावेधावीने भातपाणी घालोईने भातपांणोदेखाडीने श्रमणभग *वंतमहावीरनी पाग्यापामेथके जिमसर्पविलमांहिसरलपणेपेसे तिमडावागालथी जीमणेगालेजीमणागालथौड़ावेगाले अणसंच रतोयको आपणपे आहारकरे१७ भेदेसंयमकरी१२ भेदेतपकरी प्रापणीआत्माभावतोयकोविचरेके तिवारपीतेभगवंतगौतमस्खा भाषा For Private and Personal Use Only Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि०० कच्छल्लतहेवजाव संजमेणंविहर तएणसेगोयमे तच्चंछटुंतहेवजावपञ्चथिमिल्ल एंटुवारेणं अणु प्पविसमाणे तंचेवपुरिसंकच्छ ल्ल पासर चउत्थंछटुंउत्तरेणं इमेज्झथिएसमुप्पस अहोणंइमेपु रिसेपुरापोराणाणंजावएवंव०एवंखलअहंभंते छट्टस्मजावरियंते जेणेवपाडलिसंडेणयरे तेणेवउ०३ पाडलिपुर पुरथिमिल्ल णंदुवारणंअणुपविठू तत्थराएगपुरिसंपास कच्छ ल्लंजावकप्पेमाणेतंज भाषा 差業叢器聚器漲漲漲器業業業兼職兼养鬆諾 装浆凝聚繼器機器兼器装業業講器蒸蒸業茶業 मीबीजाछट्टनेपारणे पहलीपोरसौई समायबीजीमोरसौई ध्यानध्यावेगुरुनीभाग्यामांगीनेयावत्पाडलीसंडनगरनादक्षिणदिसिने दरवाजेप्रवेशकौनो तेणेपूर्वोक्तप्रकारेपुरुषदीठो खाजसहित तिमहिजयावत् पूर्वोक्ताहारादिकलेईने संयमतपकरीविचरेके तिवा रपछीगौतमत्रीजाछट्ठनेपारणे तिमजपूर्वोतन्यायेयावत् पश्चिमदिसिनेदरवाजे प्रवेशकोध थके तेणेपूवोक्तप्रकारेपुरुषठीकरासहित दौठोचोथाछट्ठनेपारणेउत्तरनेदरवाजेपठो एचवोअध्यवसायऊपनो अहोआश्चर्य हाहाखेदेएपुरुष षणाकालनाकमकीधाभोगयेोरम कहेड्मनिश्चई हेभदंतछट्ठनेपारणे यावत् र्याये गोचरीजाताथकां जिहांपाडलीसंडनगर तिहांबावेमावीनेपाडलपुरने परवदि For Private and Personal Use Only Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भिच्चंतिकुमाराणांबालकानां भतीपोषणे साधुकौमारभृत्य तष्विशास्त्र कुमारभरणस्यक्षीरस्यदोषाणांसंशोधनार्थ दुष्टमुन्यनिमित्ता हाअहंदोच्चंछट्टपारणए दाहिणिल्ल दारए तहेबतच्चं पञ्चत्थिमेणंतहेवते अहंचउत्थंकट्टपारणए । पाडलिउत्तरदारेअणुप्प० तंचेवपुरिसंपासामिकच्छ लजाववित्तिकप्पे माणेविहरचिंताममपुव्व __ भवेपुच्छावागरे एवंखलुगोयमा तेणंकालेणंतेणंसमएणं इहेवजंबूहीवेहीवेभारहेवासे विजयपुरे णामंगायरहोत्था रिद्ध तत्थविजयपुरणयरे कणगरहेणामंरायाहोत्थातस्मणंकणगरहस्मरणो सिनेबारणे पैठो तिहांएकपुरुषदीठो हाथमाहेठीकरासहित यावत्भीखमांगतोथको तिमजई बीजाकट्ठनेपारणे दक्षिणदिसिने दरवाजे तिमजलीजाछट्ठनेपारणे पश्चिमनेवारणेतिमजहु चौथ छट्ठनेपारणे पाड़लीपुरनेउत्तरनेदराजेपैठो तेणेपूर्वोक्तप्रकारे पुरुष * दीठो हायमेठीकरासहित पूर्वोक्तभिक्षावृत्तिबाजीकाघरघरनेविषे विचरतोदेखीने चिंताजपनीमुझने भगवंतनेतेहनोपर्वभवपूछौ * योभगवंतेकह्यो इमनिश्चेहेगौतमतेकाल तेसमानेविषे एहजजंबूहीपनामाहीपनेविषे भरतक्षेत्रनेविषे विजयपुरनगरनेविषे कनकरथ 张業議器業業業業業業業業業業業器器器器器 For Private and Personal Use Only Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir www.kobatirth.org वि टी. १८३ 器需器器器業需辦牆擺擺器器器器需牆業 नांव्याधीनामुपशमनार्थचेतिरमालागेत्ति शलाकाया:कर्मशलाक्य तत्प्रतिपादकतन्त्रमपिशालाक्य तट्विजईजडगतानारोगाणांव णबदनादिसंश्रितानामुपशमनार्थमितिर सल्लहत्तेतिशल्यस्यहत्याहननं उद्दारइत्यर्थः शल्यहत्यातत्प्रतिपादकंशास्त्र शल्यहत्यमिति३ कायतिगच्छतिकायस्थज्वरादिरोगग्रस्तशरीरस्यचिकित्मारोगप्रतिक्रिया यत्राभिधीयतेतत्कायचिकित्म वतत्तवहिमध्यांगसमाश्रितानां ज्वरातीसारादीनांगमनार्थमिति: जंगोलोत्तिविषविधातक्रियाविधायक जंगोलमगदंतन्त्रतहिसर्पकोटलूनादष्टविषविनाशार्थविविध विषसंयोगोपशमनार्थंचेतिधुभयविज त्तिभूतानांनिग्रहार्थं विद्याशास्त्र भूतविद्यासाहिदेवासुरगन्धर्व यक्षराक्षसाद्य पसृष्टचेतसांशांतिक मवलिकरणादिभिः ग्रहोपशमनार्थ:रसायणेत्तिरसोऽसतरसंस्तश्यायनं प्राप्तिःरसायनंतद्विधयःस्थापनमायुर्मेधाकरणं रोगापहरण समर्थ च तदभिधायकंतन्वमपिरसायनं ७ वाईकरणेत्ति अवाजिनोवाजिनः करणवाजीकरणं शुक्रवईनेनावस्य वकरणमित्यर्थः धमतरीणामेवेज्जेहोत्था अगाउवेदेपाढएतंजहाकोमारभिच्चं१ सालागेर सल्लकहत्त कायतिगि । राजाहंतो रिवंतते विजयपुरनगरनेविषे कनकरथनामारानाडं तो तेकनकरथराजाने धनंतरीनामे बैद्यहं तो आठप्रकारे 業兼差賺賺养業職業業業涨涨涨涨养 सुव भाषा For Private and Personal Use Only Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विभाग 器器器需器端諾端端端諾諾諾器器樂 * आयुर्वेद्यकशास्त्र तेहनापाठकजाणछे तेक हेके कुमारबालकने खौरादिकपोषणकरता जेदोषशून्यचित्तादिउपजे तेहनोविशुद्धकरि वोतथाकोमारं• कुमारवालकनेतिते पोषिवो जिहांसाधुभलते कुमारभतशास्त्रदुष्टस्तन्यनानिमित्तशास्त्र तथा अनेव्याधिनोउप शमावानाशास्त्र तथावलीवीजे प्रकारेएहनोअर्थकहेछ बालकनेखीरादिकपोषणकरीनेदोषऊपजेतेहनेविसङ्घकरे१ जेरोगकांनआखि कानादिकनासिलाई येकरीसमेसिलाई फेरवीमुलकरिषानो शास्त्र तथाकर्मशलाका तेहनो कहयोछे तिहां तेसलाकाजाणिवानो *शास्त्र तेसंजीवनेउईजेरोगश्रवणमुखादिकेाश्राले तेउपशमावानाशास्त्रतथा शिलाकाई करीउपसमावेशस्त्रखङ्गतीरादिघावशल्य * उहरनकरिवानो जेशास्त्रतथा शल्यनुहणवुतेशल्य हत्याते कहिवानोशास्त्र तेशल्य हत्यशास्त्रसा. शल्यकाढे ३ ज्वरादिरोगग्रस्तथरीर HE नीरोगक्रियाजेसास्त्रनेविषेकही येतेकायतिगिच्छाशास्त्रजेअंगमांहिआश्रयाले तेज्वरअतीसारादितेउपशमावानासास्त्र तथाचरादि रोगसर्वतिगिच्छानो सास्त्रज्ञानादिपणु ४ जंगोलविषघातकसास्त्रसर्पवीकुलूतादिविषविनासारविविधविषनासंजोग उपशमनार्थशा स्वविषसर्वादिपड़ीगणो५ मतविद्याभूतदेवता सरगंधर्वादिके व्यायानेसंतिकवलिकरणादिकेकरीउपसमाविवानोजाणदं रसात रसतेहनु अयनप्राप्ततेरसायनतेवेड प्रकारेतेहनीस्थापनाएकआऊखोमेधानो करनहारवीजो रोगअपहरवासमर्थतेहनोरसाय HWINNEAREEWWWHENRNAMMEHANE For Private and Personal Use Only Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि. टी० १८५ सूत्र भाषा 黑黑黑黑 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तदभिधायकंहिशास्त्र' अल्पक्षीय विशुष्करेत सामाप्यायन प्रसादोपजननिमित्त' प्रहर्षजननार्थं चेति ८ सिवहत्येत्तिआरोग्यकरह स्तः सुहहत्येत्तिशुभहस्तः प्रशस्तकरः सुखहेतुहस्तोवा लन्ड हत्येत्ति दक्षहस्तः राईस रइत्यत्रयावत्करणात् तलबरमाडंबिय कोडं विय से fat' दुबला गायत्तिकृशानां हीनबलानांया गिला गाणयतिक्षीण हर्षाणां शोकजनितपीडानामित्यर्थः वाहियापत्तिव्याविश्विर स्थायीकुष्टादिरूपः ससंजातोयेषां ते व्याधितावाधिताया उष्णादिभिरभिभूता अतस्त षांरोगियाणंति संजाताः चिरस्थायिन्वरादि दोषाणां केषांएवंविधानामित्याह सराहाणायत्तिस्वस्वामीनां अण्णाहाणायन्ति निस्वामीनां समणाणयत्ति गैरिकादीनां भयाण च्छा४जंगोले५भूयवेज्न द्द'रसायणे ७ वाजीकरणे सिवहत्थे सुह हत्थेल हु हत्थे १० तरणंधणंतरौवेज्ज ननीपजाविवानोजांण वाजी करवो शुक्रने वाधवेकरीने अखनी परेकरवो तेकहवानो सास्तच पक्षीणशुकने उपजावानिमित्ते अहर्षउपजावानिमित्त एशास्त्र तथा सुक्रनेवधारवे करीएतले असुकने सुककरवोट नीरोगजेहनोहाथतथा सुखकारी अमृतसमान जेहनोहाथक्के. लघुहलवोतत्कालसमाधियाइ १० तिवारपछीते धनंतर वैद्य विजयपुर नगरने विषे कनरथराजानो अ'तेउरीने अने For Private and Personal Use Only Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि.टी. १८६ सूत्र भाषा 米 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यत्ति तदन्येषां कोड़ियाणयत्ति कापालिकानां आउरागंति चिकित्सायामविषयभूतानां अप्प गईयायांमच्छ मंसाद् उवदिसइइत्ये विजयपुरेणयरेकणगर हम रोते उरे अस्म सिंचब हुगंराईसर जावसत्थवाहणंण सिंचबणंदु व्वलालय गिला गाण्यवाहियाण्य रोगियाण्यसणाहाण्यग्रणाहाण्यसमणाण्यमाहणाणयभि क्खुणा'णयकरोडियाण्यकष्पडियाण्यचउराण्यत्रप्प गइयाणमच्छ मंसाई उवदिसद् अप्पेकच्छभ मं० श्रपगाह मं० अप्प मगर मं० अप्प सुसमार० श्रयमं साई एवं एलारोज्झासूयरभिगससयगोमंसा रावणा युवराजाप्रधानसेनापती यावत् सार्थवाहने अनेरावणाइक दुर्बलते हीनबलधातरहितने रोगेकरीपीयाछे व्याधितेचिर कालरोगीकोढादिक रोगज्वरादिक सनाथने अनाथने शाक्यादिकताप सविशेष ब्राह्मणने अनेकभिचारीने कापड़ीने भगवावस्त्रराखे कापड़ीने रोगचिकिच्छाना अजाण बोलव्योनजाइ तेहने चिकित्साकरतो थकोएकेकने मच्छनामांस उपदेसे एके कनेकछवानो मांसउपदेसे एकेकनेगा हनोमांसउपदेसे एकेकने मगरमच्छोमांस एकेकने सुसमारजलचर विशेष एकेकने अजानोमांस' For Private and Personal Use Only 米粥業黹米黹業業譟米米米米業黹 Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि.टी. 器器器器器業業業器黑茶器紫器器器器 तस्यवाक्य स्थानुसारेणाग्रेतनवाक्यानिऊह्यानिमत्मा: कच्छपा: ग्राहा:मकरा:संमुमारा: अजा:एडकाः रोमा:शूकरा:हगा:शश का:गाव:महिषा: तित्तिराः वर्तकाःलावका:कपोता:कुकुटा: मयूराश्वपतीता: मन्त्र ति अहमेवमन्य : नियगकुच्छिसंभूयाईतिनिजा महिसमं० अप्पतित्तिर० अप्प वटकलावक कवोतकुक्कुडमयूरअप सिंचबहुणं जलयरथलयरखह यरामाईणमं० अप्पाणवियम्सेधमतरीवेज्जे तेहिंमच्छमंसेहिय जावमयर० अमेहियबहुहिंज लयरथलयरखहयरमं० मच्छरसएहिय जावमयररसएहिय सोल्ल हियतिलिहिय भज्जिएहि यसुरंच५ आसाएमाणे४ विहर तएणसेधसंतरौवेज एयकम्मेष्ठ सुबहुपावंसमज्जिणित्तावत्ती इमएलानो रोझगोमाः सूयरनो गनोमांस ससानोमांस गायनोमांस महिषनोमांस एकेकनेतितरनोमांसउपदेसे एकेकनेब टेरनोमांस लावकनोमांस पारेवानोमांस कूकड़ानो मोरनो एआदिदेईने अनेराघणा जलचरथलचर खेचरनोमांसआदिदेईने मांसउपदेसे अनेयाषणपणिते धनंतरौवैद्य तेपूर्वोक्तषणोमच्छनोमांस यावत्मोरनोमांस अनेराजीवघणा जलचरथलचरखेचर 米業業業諾業器需諾諾諾需諾叢叢器黑茶業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विसू १८८ 端端需紫米紫器器梁端諜業 ससयाई परमाउँपालइत्ता कालमासे० छोएपुढवीए उक्कोसंबावीसंसागरोवमा उवबसतएणं गरगाउवट्टित्ता इहेवपाडलिसंडेणयरे सागरदत्त सत्यवाहे गंगदत्ताभारिया जायणिंद्रयाविहो त्था जाजाजायादारगा विणिघायमावज्जति तएणतीसंगंगदत्ताएसत्थवाहिए अपयालपुव्यरत्ता वरत्तकालसमयंसि कुटंवजागरियंजागरमाणे अयंअभत्थिए४ समुप्पस एवंखलुबहंसागरदत्ते नोमांस मच्छरमेतले पूर्ववत्मोरनेर सेतले मलाकरी तलीने भुंजीनेसद्यादिकसंघाते५ खावतोथको विचरले तेधनतरीवैद्य एर वेकर्मकरीत्राचारप्रवर्ततो घणापाप उपार्जीने वतीसमे३२००० वर्षनोपरम उत्कृष्टोग्राऊखोपालीने कालनेसमे कालकरीने छट्ठी नरके उत्कृष्टाबावीससागरनीस्थितिनागरकीपणे ऊपनो तिवारपछीनरकथकीनीसरीने एहजपाडलीसंडनगरनेविषे सागरदत्त सार्थवाहने गंगदत्ताभार्या सतवच्छामतवांझणीती जेजेवालकजणती.तेमरणपांमे एतलेबालकतत्कालमरेतिवारपछीतेगंगदत्ता सार्थवाही एकदाप्रस्तावे मध्यरात्रिने समये कुटुंबचिंताकरतीथको एहयो अध्यवसाय४ ऊपनोइमनिश्च' सागरदत्तसार्थवाहस 羅繼器能浴器器業器紫器器器器諜諜繼 भाषा For Private and Personal Use Only Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०टी० १८२ स्त्र भाषा 米米米米米米米米米米米米米米米米面 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पत्यानौत्यर्थःस्तनदुग्धलुब्धकानि यानिता नितथामधुरसमुल्लापकानि मन्मनप्रजल्पितानि स्तनमूलात्कचा देशभागमभिसरति मुग्धका णंसत्थवाहेणंसङ्घि ं बहुहिंवा साई उरालाई माणुस्वगाइ' भोगभोगाई भुजमाणेविहरद्र णोचवणं दारवादारियवा पयामितंधरपाडताच श्रमासं पुणा कयत्थाओ कयपुरमा श्रोकय लक्खणाओसुलद्धेणं तासिंम्प्रयाणं माणुस एजम्मजौवियफले जासिंमस्पणियगकुच्छिंसंभूयगा इथणदुद्दलुडगाद्रममणपयंपियातिं थणमूलकक्वदेस भागंश्रुतिसर माणगाइ मुगाई पुणोयकोम घाते घणावरमलगे उराला प्रधान मनुष्य संबंधीया भोग भोगवतोय की विचरेके प्रवर्त्ते नहीडं बालकबालिका जनम्यानही तेधन्य तेवालकनीमाता संपूर्णपुन्यकीधो वस्त्रादिकेकरीकीधा सर्व प्रयोजन तेणे जन्मांतरतेणे कीधारतापुन्यकीधा सर्वफलनीसंपदानालच गाभलुंलाधोमनुष्यजन्म तेपुत्त्रनीमाताये मनुष्यजन्मनोचनेमनुष्यजीवतव्यनोफलहूई समानुंजे माताने आपणीकूखनापोतानाबालक आणायणनादूधनालोभी सुमणावचनबोलतां मुमणाटाकरे स्तनसमीपेकक्ष देशेभागका क्षप्रदेशधावे ऊतरताखोलाथकी मुग्धस्त्री For Private and Personal Use Only 米米米米米米米米米米米 Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir बिटी० 器器點器器器器端業樂器器樂器盤器潔器 नीतिपुनश्शकोमलंयत्कमलं तेनोपमाययोतीतथाताभ्यांहस्ताभ्यांग्रहीत्वाउत्मनिवेशितानिददतिसमुल्लापकान् सुमधुरान्थब्दत:पुन: पुन:मंजुलप्रभणितान् मंजुलानिकोमलानि प्रभणितानि भणनारंभायेषु तेतथातान् अपुबत्तिअविद्यमानपुण्यायत: अकयपुन्नात्ति अविहितपुण्या अथवाअपुन्नत्ति अपूर्णापूर्णमनोरथत्वात् एत्तोति एतेषां वालकचेष्टितानां एगयरमविएकतरमपि अन्यतरदपौति कल्ल इत्यत्वयावत्करणात् पाउप्यभायाएरयणीए फुल्ल प्पलकमलकोमलुमिल्लिए अपंडरेपभाएइत्यादिदृश्य उट्ठिएसहस्परस्मिमिदि णयरेतेयसाजलंते इत्येतदंतं तत्रप्रादुःप्रभातायां प्रकाशनप्रभातायां फुलं विकसितं यदुत्पलं पतस्य कमलस्य चहिरणस्यच कोमल लकमलोअमेहिहत्थेहिंगिबिहउणउच्छगणिवेसियाई दितिसमुल्लावएसुमहुरेपुणोपुणणेमंजुलप्पभ णिएअहम् अधणाअपुस्पाअकयपुरमाएत्तोएकतरमविणपत्तातंसेयंखलुममंकल्लंजावजलंतेसागरदत्तं बलीरलेतांमेहतासुकुमालकमलसरीखो हाथे ग्रहोपकड़ीने उत्मगखोलेवैसारे दीजे सकोमलवचनेकरीवाचामोठे वचनेकरीवली वलीसनेहवचने तथाकोमलवचनेवोले तेभणीहं अधन्यपुण्यरहितपुन्यकीधोनही एहमाहिपुत्रपुत्रीनपांमी तेमाट श्रेयनिश्चेमुझने 業業器需業業業業業業業樂業諾諾器器型 For Private and Personal Use Only Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie विटी 着雅諾羅羅諾雅蒂器業業张张张義器兼器 मकठोर उन्मीलितं दलानां नयनयोश्चोन्म षो यत्रतत्तथा तवशेष व्यक्त जायंचत्ति यागंपूजायात्रां वादायवदानभायंच लाभस्यांशंथ सत्थवाहंापुच्छित्ता सुबहुपुष्फवस्थगंधमल्लालंकारंगहायबहिमित्तणाइणियगसयणसंबंधि परिजणमहिलासद्धिं पाडलिसंडाओमयरात्रो पडिणिक्वमित्ता बहियाजेणेवउंबरदत्तस्मजक्ख स्मजक्वायतणे तेणेवउ०२ तत्थणंउंबरदत्तस्मनक्खस्स महरिहंपुप्फचणकरेइर जाणुपायवडियाए उवाएत्तए जणंअहंदेवाणुप्पिया दारगंवादारियवा पयामितोणंअहंजावंचदायंचभाय चअक्ख कालसर्यऊगेथके सागरदत्तवार्थवाहनेपछीने अतिषणाफलवस्त्रगंधमालाचलंकार ग्रहीनेषणामित्वनीन्यातनीपोतानीखजननीविवा होनीबीजाईजननीस्त्रीसंघाते पाड़लीसंडनगरथकी नीसरीने बाहिरजिहां उवरदत्तयक्ष अनेयवनोथांनकतिहां आवेधावीनेति काउ'बरदत्तयक्षने महायोग्यपुष्कनी अर्चाकरेकरीने गोड़ाभूमिस्थापीनेपगेलागीने उपायकरू जोह अहोदेवानुप्रियापुत्रपुत्री जणस्यतोहंतम्हारीमाज्ञाकरीपूजाअर्थयात्रादानपर्वदिनादिलाभनोभोगमक्षयदेवभंडारभरस्युंजीर्थ उद्धारकरवेतथावधारस्युएइ 器樂業籌器器業業業業業業業業業課業器業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra विटले. ११२ सूत्र भाषा 張製鮮鮮類 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्वयणिहिंचन्ति देवभांडागारं अणुव ढिस्मामित्ति वृद्धिनेष्यामि अतिकट्टु एवं कृत्वा वाइयंति उपयाचितं वाणित्तएत्ति उपया यणिहिं'च अणुवडृ स्मामित्तिकट्ट उववाय उवाइणित्तए एवं संपे२ कल्ल जावजलते जेणेवसागर दत्तेसत्थवाहे तेणेवड०२ सागरदत्तं सत्थवाह एवंव० एवं खलु हंदे ० तुम्मेहिं सत्थिंजाव णपत्तातंदू त्थामिणंतेदेवा॰ तुम्भेव्हिंअम्भणुखाया जावडवाइणित्तए तरणंसेसागरदत्ते सत्यवाहे गंगादत्त भारि यंएवंव० ममंपिणंदेवा एसच्चैवमणोर हे कहम तुमंदारगंवादारियां वा पयारज्जाभिगंगदत्तं भारि वोकरीने द्रष्टवस्तुनो याचबोतेयाचस्यो एहवोचितवेचिंतवीने कालप्रभात सूर्य उगे जिहां सागर दत्तसार्थवाह तिहां आवेद्यावीने सागरदत्तसार्थवाहने घूमकहे इमनिच हं अहो देवानुप्रिया तुझ्संघाते भोग भोगव्यापुगकोरू एकर्टून पांमीतेमाट माहरो छाछे अहोदेवानुप्रिया तुमारीचाज्जायेकरी यावत्यचसमीपेजईने दृष्टवस्तुनोयाचबोतेयाचस्यों तिवारपछी तैसागरदन्तसार्थवाहतेगंग दवाभार्याप्रते घूमकहे मुझनेपदेिवानुप्रिया एहजमनोर्थके किमइतु कुमार तथाकुमारी प्रसवोसजणीस गंगदत्त भार्या अर्थ For Private and Personal Use Only ********** Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विष्टौ. MEHEKENREEEHEKRRERNAMENTARIKE चिमिति कयकोउयमंगलत्ति कौतुकानि मघौपुड्कादौनि मङ्गलानि दध्यक्षतादीनि उसपडसाडियन्ति पटप्रावरणं साटकोनिब यंएयमअणुभाइ तएणंसागंगदत्ताभारियाएएयम अभ्भणुमायासमाणौ सुबहुआवमित्तलाई सद्धिं ताश्रोगिहाअोपडिणिक्खमहर पाडलिसंडंणयरं मझमज्झणंणिगच्छदूर जेणेवपुक्खरिणी तेणेवउर पुक्खरिणीएतीरे सुबहुपुपफगंधमल्लालंकारंठवेइर पुक्सरिणीउगाहेदर जलमज्जणंक रेनलकिडंकरदर राहायाकयकोउयमंगला उल्लपडिसाडिया पुक्खरिणीपच्चत्तरइश्तंपुष्फंगिगह नौमनुवादीधौतिवारपछीतेगंगदत्ताभार्याई एअर्थ नीअनुज्ञापाम्य थके एणीएकयावत् मित्रादिकनीस्सीसंघाते पोतानाधरथकी नौसरे नौसरीने पाडलीषंडनगरने मध्यमध्यविचालेर नौसरेनीसरीने जिहांपुक्खरणीवावड़ीतिहांबावेमाबौने पुक्लरिणीनेती रेअतिषणाफूलबस्त्रगंधमालाअलंकारप्रमुखस्थापेस्थापीनेपुक्वरिणीमांहिपेठी जलेकरीमज्जननांनकीधोपांचोमांचिकौड़ाकरमान करीनेकीधाकोतकामंगलीकभणी द्रोवदहीमाथे पालेभालावस्पचिरीने पुष्करिणीवावड़ीयकोपाछीनीसरेनीसरीने तेपुष्यादिकग्र 農業業業暴業搬業職業蒸蒸業業業养業 भाषा १७ For Private and Personal Use Only Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir १५४ 器黑米業業柴柴柴罪業業聚苯灘灘業職業聯辦 इश्जेणेवउंबरदत्तस्मजक्सस्सजक्खायतणे तेणेवउ०उंबरदत्तस्मजक्सस्मालोएपणामकरेइश्लोम हत्थंपरामुसइर उंबरदत्तंजक्वंलोमहत्थएणं पमज्जइर दगधाराएअभ्भुक्व दर पम्हलगाइलट्टी वत्थाई परिहे। महरिहंपुण्फारहाणं वत्थारहाणंमल्लागंधा चुरणार हणकरदार धूवंडहर जाणुपायपडियाएवंव० जणंअहंदेवा० दारगंदारियं पयामि तोणलावउवाणरजा __ मेवदिसिंपाउम्भूया तामेदिसिंपडिगया तएणंसेधमतरीवेज्जे ताोणरगाो अणंतरंउवट्टित्ता होनेजिहाँउबरदत्तयक्षयनेयक्षनो देहरोस्थानक तिहांगावेगावीने उंबरदत्तयक्षनीप्रतिमाने देखीने प्रणामकरेकरीने पउज गीग्रहेग्रहीने उबरदत्त यक्षनीप्रतिमापोजणी करी प्रमाप्रमार्जीने दगपांणीनीधाराये सोचीनेसुबालोवस्त्र तेणेकरीथरीरल ह्योलहीने सपेदवनपहिरावीने मोटानेयोग्यफलचढावे वस्त्रचढावमालाचढावेगंधचढावेचूर्णादिकनीपूजाकरीने धपउखेप्यो गोड़ा वरांणीथईनेपगेपड़ी इमकहे जोहू अहोदेवानुप्रिया पुत्रतथापुत्रीजीसतोहंपूर्वत्भागदेस्योतेइच्छावांछा पूरीकरौसजोदिसथकी * 辦課業张諜諜諜諜端端辦業業需諜端米諾業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि.सू० १८५ ___इहेवजंबूहोवेर भारहेवासे पाडिलोसंडेणयरे गंगदत्ताए कुच्छिसिपुत्तत्ताए उववस तएणंतीसे गंगदत्ताएभारिया तिरह मासाणं बहुपडिपुरणाणं अयमेयारूवे दोहलेपाउभ्भूए धपाउणंतानोत्र म्याश्रोनावफल जाओणविपुलं असणं४ उवक्खडावेइर बहुहिंजावमित्तपरिबुडाओ तंविपुल असणं४ सुरंच पुप्फजावगहाइपाडलिसंडंणयरं मझमज्झणपडिणिक्षमइ जेणेवपुक्खरिणी भाषा 樂器器樂業器需柴柴業諾柴米器業業器業 आवोहंती तेदिसनेविसेगडू तिवारपछीधणंतरीवेद्यतेनरकथी आंतरारहितनौसरीने एहजजंबद्दीपनामाहीपनेविसे भरतक्षेनेपा * डलीसंडनामानगरनेविशे गंगदत्ताभार्यानीकू खनेविषे पुत्रपण अपनो तिवारपछीतेगंगदत्ताभार्याने विणमास घण प्रतिपूर्णषये थकेएतादृशरूपडोहलोऊपनो धन्यतेवालकनीमातापूर्ववत् जीवतव्यनोफलटीधो जेषणोविस्तीर्णसनादिक४ नोपजावेनौपजावीने * घणोपूर्ववत्मित्रकुट'बौनीस्त्रीसंघाते तेषणोअशनादिक४ मद्यादिकई पुष्कादिकग्रहीने पाड़लीषंडनगरने मध्यमध्यविचालेथनीस * रेनीसरीने जिहांपुष्करिणीवावड़ी तिहांधावेवावीने पुष्करिणीमांहिपेसेपेसीने स्नानकरे यावत्अपसुकनटालिवाने निमित्तली 派樂業業諾张業業業器器業業業業職業業業諾米 For Private and Personal Use Only Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि सू० १२६ भाषा 米米米米讌米米米米米米 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तेणेवउ०२ पुक्खरिणौउगाहेदूर रहायानावपाय च्छित्ताओ तंविपुलं असणं४ बहुहिंमित्तण्हाईजा वसङ्घि' आसाए४ दोहलविणेद् एवं संपेहेद्र कल्लंजाबजल ते जेणेवसागरदत्तसत्थवाहे गंगदत्ताभा रियाए एयम जाणई तरणंसागंगदत्तेणं सत्थवाहेणं अम्भणुग्णायासमाणौ विपुलं असणं ४ उ क्खडावेइ तंविडलं असणं सुरंचसुबहु पुष्कपरिगिरहावे इश्वड हिंजाव ण्हायाकयत्रलिकम्माजेणे वज्रं चरदत्तजक्वस्मजक्त्वा यतणे जावधूवंड हेदू२ जेणेवपुक्खरिणी तेवड०२ तरणंताओमित्त जावम धीमंगलीक निमित्त तेषणुं चसनादिक४ बहुषणोमित्रनीन्यातिभीत्री यावत्संघातेच्याखादतो डोहलो निवर्त्तावो इमविचारीनेका लप्रभातेजाजल्यमांनसूर्यङगेधवे जिहां सागरदत्तसार्थ वाहगंगदत्ताभार्याने एअर्थ मी अनुज्ञादीधीतिवारपछी तेगंगदत्तासार्थं वाहनी आज्ञापामिथके घणोअशनादिक४ नोपजावेनोपजावीने तेषणु अशनादिक४ मद्यादिकचतिघणुं पुष्पादिकग्रहौने घणीस्त्रीसंघाते यावत्स्नानबलिकर्मकरी जिहांउ बरदत्तयतनुं यज्ञायतनदेहरोतिहां आवेवावीने प्रतिमां अगले पूर्ववत् धूपदत्योदहीने तिहांपुष्क For Private and Personal Use Only 黑米米米米米黑米黑米黑業平 Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि.सू. हिलाओ गंगदत्तासत्थबाहिं सव्वालंकारविभूसियंकरेइतंसागंगदत्ताताहिमित्त हिंबहुहिंण यरमहिलाहिंसहिं तंविपुल असणंठ सुरंच आसाएमाणी४ दोहलविणेदर जामेवदिसिं० तामे वदिसिं० त सागंगदत्ताभारिया पसत्यदोहलातंगम्भंसुहंसुहेणंपरिवसइतएणंसागंगद०णवण्हमा साणंजावदारयंपयायाडियाजावणामे जम्हाणंअम्हंमेदारए उंबरदत्तस्मजक्खस्मउवाईयलद्दतेतं 諾熊器灌装狀叢業業業器諜器業张業器款 रिणीवावडीतिहां भावेघावीनेतिवारपछौते मित्रसगासंबंधीनौस्त्रीसंघाते गंगदत्तासार्थवाहणीये सर्वालंकारसिणगारकरीनेतेगंग दत्तातेमित्वअनेरौन्यातिनीषणीनगरनी महिलासंघाते तेषणोअशनादिक४ मद्यादिकाखादतीथकी8 डोलोनिवर्तायोनिवती * वीने जिणदिसथकोचाईहुती तिमजपाशीवली तेगंगदत्ताभार्या तेप्रसस्तड़ोहलामनसापूरीकरतीथकी तेगर्भनेसुखेसुखेधरीराखवा लागौतिवारपछीतेगंगदत्ताभार्या नवमासे यावत्पुत्रजनम्योपछ जन्म नौस्थितिकोधीपछेनामनौथापना जेभणीचम्हारेएपुवब रदत्तयक्षनौपजायकी एणेउपायेकरौनेलाधो तेमाट होज्योबालकनो उबरदत्तनाम तिवारपछीते उबरदत्तपुत्वपंचधायेग्रह्योथको 紫紫器業業茶業紫米業業業報業業業業業叢業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 柴器諾黑繼業業需點驚米謊器器需繼擺盤器米 होऊणंदारए उंबरदत्तेणामेणं तएणसे उबरदत्तेदारए पंचधाईपरिग्गहिए परिवडइ तएणंतस्स बरदत्तस्सदारगस्य अण्णया० सरोरगंसिजमगसमगमेव सोलसरोगायंकापाउम्भूयातंजहा सासे१ खासेर जावकोतएणसे उंबरदत्त दारएसोलसरोगाईकहिं अभिभूएसमाणे सडियहत्थं जाव विहरइएवंखलुगोयमा उंबरदत्त दारए पोरापुराणाणं जावविहर तएणंउबरदत्त दारएका लमासे कहिंगच्छिहिंति कहिंउव० गोयमाउंबरदत्त वायत्तरिवासाई परमा० कालमासे० वधवालागो तिवारपछीते उवरदत्त दारगस्मवालकने एकदाप्रस्तावे सरीरनेविसे समकाक्षएकसाईज सोलसमोटारोगमातं कादिप्रगटथया तेकहेछ सास १ खास २ पूर्ववत् कोढसोलमो तिबारपछौ 'बरदत्तबालक सोलेरोगमातंकेकरीने पराभव्योव्या प्योइंतोहायादिकसयाछे यावत्विचरेछे इमनिचे हेमोतम उबरदत्तबालक पूर्वजन्मनाषणाकालनाजीर्णकर्मयावत् विचरेछे * तिवारपछी उबरदत्तबालककालनेसमे कालकरीने किहांजास्य किहांउपजस्य हेगौतम उंबरदत्तवालक बजुत्तरवरसनोपरमउ 兼職兼差兼差兼職兼賺賺賺賺賺紫紫紫器 भाषा For Private and Personal Use Only Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विटी MEXKRWENEERINEERINKINEWHERH सनंपम्हलत्ति पम्हलसुकुमालगंधकासाइयाएगायलट्ठी मोबूहद्दत्तिद्रष्टव्यं एवंवत्ति एवंवयासौत्यर्थः सप्तमाध्यवनविवरणसंपूर्णम् ।। इमीसेरयणणेर इयत्ताएउव० संसारोतहेवपुढवीए तोहत्थिणाउरेणयरे कुकुडत्ताएपञ्चायाहिति जायामित्त चेव गोछिल्लवहिंति तत्थेवहत्थिणाउरणयरे सेट्टीकुलंसिबोही सोहम्मेमहाविदेहेसि झिहिंति निक्लेवो सत्तमंअभायणंसम्मत ७ जणभंते अट्ठमस्सउख्खेवो एवंखलुजंब० तेणं कालेणंतेणंसमएणं सोरियपुरणयरं सोरियवडिंसगंउज्जाणं सोरियजख्खो सोरियदत्तोरायातस्म स्कृष्टोमाऊखोपालौने कालनेसमेकालकरीने एहजरत्नप्रभाटथवीपहलीनरके नारकीपणे उपजस्य पछे संसारमाभिमस्येतिमज जिमचगापुत्रथिवीआदिभमस्य तिहांथी नीसरीनेहथिणा पुरनगरनेविषे कूकड़ापणे ऊपजस्य जातमानजनम्योथको गोठिलपु रुषेवध्योहंतो तिमजहथिणापुरनगरन विषे सेठनाकुलने विषउपजीनेबोधपामो सौधर्मकल्पेदेवताथमहाविदेहक्षेवेसीझस्येमुक्ति जास्य निक्षेपअधिकारसातमांअध्ययनना अर्थ समाप्त ॥॥ जोहेपूज्यभदंत पाठमोउक्ख वोअधिकारमनिश्चयजंबू तेकालतेस 煤業辦業兼職兼薪雞業職業業職業賺賺賺賺業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandie विष्टी. णंसोरियपुरस्मणयरस्सबहिया उत्तरपुरथिमेदेसीभाए एत्थणंएगेमच्छंधपाडएहोत्था तत्थणंसमु हृदत्तेणार्ममच्छ परिवसह अहम्मिएजावटुप्पडियाणंदे तस्मणसमुहदत्तस्स समुद्ददत्ताणार्मभारि याहोत्था अहोणतस्मणसमुदत्तस्समच्छ धस्मपुत्तेसमुहदत्ताएभारियाएअत्तए सोरियदत्तणामेदा रएहोत्या अहीणतेणंकालेणंतेणंसमएणं सामीसमोसरे जावगया तेणंकालेणंतेणंसमएणं जेनेजाव HEHEHREEKREKANKRWERENEKKEREHEN ****NIKMEHEREMEMENHAN भाषा मानेविषे सोरीपुरनगरळतो तिहांसोरीवसिगउद्यान तिहांसोरीयनामायक्ष तिहांसोरियदत्तराजातेसोरियपुरनगरनेवाहि रउत्तरपूर्वन विचालेईशानकूण एकडूहां माछीनोपाडोहंतो तिहांसमुद्रदत्तनामे मांछोगरवसतो अधर्मीपापिष्टयावत् दुष्टकौई आणंदहर्षपामे तेसमुद्रदत्तमाछोगरने समुद्रदत्तानामे भारियाभार्याती इंद्री येकरौयहीनते समुद्रदत्त माछोनोपुत्रसमुद्रदत्ता * भार्यानो अंगनातमोरियदत्तनामापुत्रहंतो रुपर्वतद्री येकरीअहीनतेकालतेसमानेविषेखामीमहावीरसमोसयापछेपरिखदायां दौनेपालीवलीते कालतेसमान विषेवड़ोशिष्य गौतमयावत्सोरियपुरनगरनेविषे उचनीचकुलनेविषेमर्यादाईजोयेजेहवोसामदाणी For Private and Personal Use Only Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि०४० 都躲器器器继器器業牆默器器器器器器業器號 सोरियपुरणयरे उच्चणीयअहापज्जत्तं समुदाणंगहायसोरियपुरात्रोणयरात्रोपडि० तस्ममच्छध पाडगस्म अदूरसामंतेणं वौवयमाणे महमहालियाए मणस्मपरिसाण मझगयंपास एगपुरि संसुक्क भुक्खणिम्मंसं अट्टिचम्मावणा किडिकिडियाभूयं णोलसामागणियत्थं मच्छकंटएणंगलए अणुलग्गेण कट्ठाईकलुणाई वीसराई कुउकूवमाणं अभिक्खणं पूयकवलेय रुहिरकवलेयकिमि कवलेहिय वममाणंपासहर इमेअभत्थिए४ पुरापुराणाणं जावविहर एवंसंपेहेइर जेणेवसमणे पाहारग्रहीने सोरियपुरनगरथकीनीसस्यानीसरीने तेमाछोगरनापाडाने समोपेअतिवेगलानही पंथअतिकमतानेजाताने मोटी अतिहीषणी मनुष्यनीपरिखदानेमध्यगतदौठो एकपुरुषसकोलोहोना क्षयथकोक्षधाये पौधोमांसरहितहांडचांवड़ीविणठी किडि किडीमतहाड़खड़खड़वालागा आलोवस्त्रपहियोनीलोसाडोपहिय इंते माछलानोकांटोगलेलागोछे कलेशकारीयावचनदौनवच नदयामणावचन पाडूवावचन कूकूयाटावचन वारंवारराधिनाकोगलाकुरला लोहीनाकुरला कमिलटा सहितवमननायतोथको 蒸業諾器器器装米諾諾業業需諜業業器器業業张 भाषा For Private and Personal Use Only Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir बि.टी. नुव 器樂器器業業兼紫凝聚聚業業涨涨涨涨柴柴業 अष्टमेचकिंचिल्लिख्यते मच्छि वित्ति मत्मबंध: मरहमच्छाइत्यत्व यावत्करणात् खवलमच्छाजुगमच्छाविन्भिडिमच्छाहलिमच्छाइत्या ३जावपुब्वभव पुच्छाजाववागरणं एवंखलुगो० तेणंकालेणंतेणंसमएणं इहेवजंबूद्दीवर भारहेबासे णदिपरेणामणयरहोत्था मित्तेराया तस्सएंमित्तस्स सिरीनाम महाणसिहोत्था अहम्मिए जावटु प्पडियाणंदेतस्सणं सिरीयस्ममहाणसियस्म बहवेमच्छियायवागुरियाय साउरियायदिनभत्ति कल्लाकल्लिं बह वेसणहमच्छायजावपड़ागाइपड़ागेयअएयजावमहिसातेय तित्तरेयजावमयूरेव जी एहवोअध्यवसायजपनो पूर्वजनमनांघणाकालनाकर्म यावत्भोगवतो थकोविचरेछे इमविचारोआलोईने जिहांश्रमणभगवंततिहां आवीने पूर्ववत्पूर्वभवपख्यो यावत्पूख्य भगवंतेकह्यो मनिहेगौतम तेकालतेसमानेविषे एहिजब होपनामाहीपनेविषे भरतक्षे वनेविषे नंदीपुरनामानगरहंतो तिहामित्रराजा तेमिनराजाने सिरीयोएसवेनामे रसोईयोडतो अधर्मीपापीपूर्ववत् दुष्टकौधे आणंदपामे तेसिरीयारसोईदारने घणाएकमाछीमाछलानावधणहारवागुरीचौपदारणादिकवधणहारपंखीतित्तरादिकनाबधक 諾諾装器器器諾諾諾諾業業業業器業業器罪業 WTUT For Private and Personal Use Only Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विष्टी० दिलंभणमच्छापड़ागामच्छाइत्य नरंतंदृश्य मत्स्यभेदाचैतेरूढिगम्याः अएययावत्करणात् एलयेण्य रोज्झयसूयरेयमिगेयतिदृश्य तित्तिरेयइत्यत्र यावत्करणात् वट्टएयलावश्यकपोतेयकुकुडेयइतिदृश्यसयह खंडियाणियान्मखंडोकतानिवदृत्ति वृत्तखंडिकतानिच वियाओविवरोवेति सिरीयस्म महाणसियस्म उवणे असायसे बहवे तित्तराय जाव मयूराय पंजर सिसस्पिरुडाचिट्ठति अपयवहवेपुरिसा दिपभित्तिए बहवेतित्तरेय जाब मयूरेय जीविय एचवणिम खेर सिरियस्समहाणसियस उवव इतरण सेसिरीएमहाणसिए बहुण जलयरथल खाटकीदीधामहीनामजूर साटेभोजननेसाटे दिनदिनप्रतेषणानान्हासूममच्छयावत्छालीयावत् महिषभैसादिकतित्तरादिकयाव तमयरादिकजीवतव्यथौरहितकरीने सिरीयानामा रसोयाने आंणोआपे अनेरातेषणातित्तरादिकयावत्मयूरादिकपिंजरानेविधे राखताथकातिष्ठ के अनेरावलीवीजाषणापुरुषदेतोकर्मकरनेमोलमजरी इत्यादिकघणातितरादिक यावत्मयूरादिप्रमुखजीवताय कानेपांखरहितकरपांखखोसीनांखे सिरायानामारसोईदारने पाणीवापे तिवारपछीसिरीयनामासुपकारघणाजलचरथलचरखे 訴器業器業諜諜諜諜業業課業器業器器業 For Private and Personal Use Only Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra विटणे. २०४ खूल 米米米米米米諾諾諾 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दहति दीर्घखंडितानिच रहात्ति इवखंडितानिच हिमपकाणियन्ति शीतपक्कानि जंगमकाणि धमपकाणियन्ति रूढ़िगम्यमा aruकाणियत्ति वायुपक्कानि कालाणियत्ति हेरंगाणियत्ति रूढिगम्यं महिद्वाणियन्ति तकसंसृष्टानि आमलरसियाणियचामलकर संसृष्टानि मुद्दियारसियागान्ति होकारसंसृष्टानि एवंकपित्यरसिकानि दाड़िमर सिकानि मच्छर सिकानि तलितानितैलादिनाऽ यरखहयरमंसाद्रं कप्पणी कप्पिया करेइर तंजहासरह खंडियाणियवट्ट दोहरहस्म हिमपक्का जिम्मषम्म मारुयपक्काणिय कालाणिय हरंगारियमहिद्वाणिय आमलरसियाणियामुद्दियाकवि ट्टादालिमरसिया मच्छर सतलियाणिय भब्जियासोल्लिया उवक्वडावे२ स यब हवेमच्छरसण्य चरनोमांसकातरणी' कटका करेकरीने तेकहेछ सूक्ष्मकटकाकरे वाटलाखंडदीर्घ खंडलघुखंडसीतलताढ रूढगम्यतावडेपच्या वायरेकरीनेपच्याक तकेखर यातयात केकरो संस्कारच्या मामलबाट रमेखरडे एतले आमलीनेर सेकरीद्राखनेर से करीकौठनेरसेकरी दाड़िमनेरसेकरीसंस्कारया माळ्लानेरसेकरीसहिततैलादिके संस्कारीने तथातैलादितल्या अग्न करीसे केसला For Private and Personal Use Only करीपकतेपच्याजमयादि 米米米米米米米米米米米米 Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०टी० २०५ छत्र भाषा: www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ग्वौसंस्कृतानि भञ्जियाणियत्ति अग्निनाभ्रष्टानि सोल्लियाणियत्ति सूलपक्कानिमच्छर सएयत्ति मत्स्यमांसस्य संबन्धिमोरसानाएणि व्जरसएयत्ति म्टगमांसरसान् तित्तिरत्ति तित्तिररसकान् यावत्कारणात् वट्टयरसएया लावयरस एयमित्यादिह हरिवसागंति पत्र एणिज्जरसएयतित्तररसस्य जावमयूररसण्य अस्प' चविउलंहरियसागं उवक्खडावे मित्तस्मरणो भोयणमंडवंसि भोयणवेलाए उवणे प्मणावियणंसेसिरीएमाहणसिए तेर्सिंचबहिं नावजलयर थलयरखहयरमंसेहिं रसएहियहरियसागेहिय सोहियतल्लिय भज्जियसुरंच आसाएमाणे ४ करेएणेप्रकारेमांसनीपजावीने अनेरावलीधणामाछलारसमाकलामांस संबंधीयोरस म्टगादिकपसूनामांस संबंधीयोरस तित्तरादिक पंखीनामांससंबंधीथोरस पूर्ववत् मयूरादिकपंखीनोरसअनेरोवलीघणो हरितनीलोवर्णेसागतथावनस्पतीसागमोपावीने मित्रराजा नेभोजनमंडपेभोजनस्थानके भोजननीवेलाये आगे आपणपेपोते तेसिरीयोस्याररसोईयो तेषणोपूर्ववत् जलचरथलचरले चर नोमांस तेहनोरस सूलाकरीहरितसागनीलेवर्णे सूलाकरीतलीने सेकीनेमद्यादिकई आखादतोथको४ विचरेके तिवारछौतेसि १८ For Private and Personal Use Only 小張紫米米米米米米米米粥黹柒 Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि.डी. २०६ भाषा 米米米米 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शाकंजघव इत्यस्यायमर्थ: जलयर मंसे हिंघलयर मंसेहिं खहयर मंसेहिंतलिभज्जियेति श्रयमर्थः तलिए हिंमज्जिएहि यचिंतत्तिमनोर थोत्पत्तिर्वाच्या धन्त्राचणंताओ अम्मयाओोकयत्याओ इत्यादिरूपायथागंगदत्तायाः सप्तमाध्ययनोक्ताया: आपुच्छन्ति भर्तुराष्टच्छ विहरद् लएण सेसिरोएमा सिए एयकम्मे४ सुबह नावसमज्जिणित्ता तेत्तिसंवाससयाई पर० का लमासे॰ छट्टीएपुढवीएडववस् तरण सासमुहृदत्ताभारिया ट्र्यिाविहोत्था जायाश्दारगाविणि घामावज्जति जहागंगदत्त एचिंता अपुच्छ गाउवाइयदो हलाजावदारगंपयाया जावजम्हाणं' अ रीयोनामारसोईयो एहवेकरतूत आचारेकरी४ अतिषग्णो पूर्ववत् उपारजीनेतेवीमेवरसनोपर मउत्क, टोआऊखोपालीनेकालनेसमे कालकरीने कट्टीनरके ऊपनोतिवारपछीते समुद्रदत्ताभार्या मृतवांझणीङ ती जेनेवालकजणतीतेतले ते बालकविनासपामलाम्टत्यु पांमताजिमगंगदत्ताभार्याने चिंताऊपनीजेधन्नानंताओ अम्मयाओसिंमन्त्र इत्यादिकजिमसमुद्रदन्त भर्त्तारिनेपूकीने जिमसोरीदत्त यक्षनाउपायथकी मांग्योए पुत्रनोतिमड़ोह लोगंगदत्तानेविणमासे पूजाकरवाडोहलो ऊपनोपके नवमासेपुत्रजनम्यो तिमजसोरीय For Private and Personal Use Only 小 張業米業業業業業米米米米米 Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 樂器器需鬆樂器樂器樂器器需辦業 तंइच्छामिणं तुम्भेहिं अभणुनाया इत्यादिकाउवाइयति उपयाचितंवाच्य दोहदोपिगंगदत्तायाववाच्यति एगडियाहिंति नौभिः महंमेदारएसोरियस्म उवातियाणडए तमाण होउअह्म दारए सोरियदत्तणामेण तएणसेसोरि यदत्त दारए पंचधाइ जावउमुक्कबालभावेविणाय परिणयमित्त जोबणेहोत्था तएणसेसमुदत्त अमया०कालधम्म णासंजुत्त तएणसेसोरियदत्त दारए बहहिमित्तरोयमाणे समुदत्तस्मणौहर शंकर अया० सयमेवमच्छ धमहत्तरंगत्तं उवसंपज्जित्ताणविहरडू तएणंसेसोरियदत्तेदारए दत्तयक्षनीपूरी यावजिवारेअम्हारेएबालक सोरीयदत्तयक्षनीपूजाकरौने पुत्रमाग्योतेपुत्वलाधो तेमाटेङज्योअम्हारेवालकसोरिय दत्तनामा तिवारपछीसोरियदत्त बालक पंचधायेग्रह्योथको यावत्वधवालागोबालभावथकीमुकाणोविज्ञाननी प्राप्ति भरयोवन थयो तिवारपछोते समुद्रदत्तमछांधएकदाप्रस्तावे कालधर्म कालप्राप्तहबो तिवारपछीते सोरियदत्त पुत्रघणामित्रसंघाते रोतोथको समुद्रदत्तनो नौहरणकरकरीनेसत्य कार्य एकदाप्रस्तावे पोतेआपणपेमहत्तरमाछीनो अधिकारपणो अंगीकारकरीने विचरवा 器器兼職兼職業兼兼擺攤漲漲漲漲漲漲職兼職計 For Private and Personal Use Only Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि. टी० २०८ सूत्र भाषा *** www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दहगल हिदूत्यादि एगट्ठियं भरेंतीत्येतदंत रूढिगम्य' तथापिकिंचिल्लिख्यते हृदगलनंहृदस्यमध्ये मत्स्यादिग्रहणार्थं भ्रमणं जलनि: सारणंवाऋदमलनं हृदस्यमध्येपौनः पुण्य नपरिभ्रमणं जलेवा निःसारितेपंथमर्दनं इदमर्दनं थोहरादिनिक्षेपेण ऋदजलस्य विक्रिया मच्छ धेजाएअहम्मिए जावदुप्पडियाणंदे तएतस्म सोरियमच्छ धस्म बहवेपुरिसादिन्नभत्तिकल्ला कल्लि गद्वियाहिं जणं महादिश्रगाहिंति बहु हिंदहगलणेहिय दहमलणेहियद हमद्दोन्हिय दहमहणेहिय दहवहणेहिय दहपवणेहिय पयचुल्ल हिय पंचपुलेहियनंभाहिय तिसराहियभि लागो तिवारी सोरियदत्तमाकीम हत्तरङओ अधर्मी माछीपापिष्ट जावशब्दथकीपाडयेकीधे आणंदमामे तिवारपछीतेसोरिय दत्तभहन्त्तरने बहवेषणापुरसमहीनासाट भातपाणीसाट दिनदिनप्रतेएककाष्ठनीनावेवेसीने जीवने मोटीनदीमांहिपेसीने घणूंम च्छादिग्रहणार्थपरिभ्भ्रमणकरिबोजल थकी काटे मच्छादिकवलीवलीद्रहमध्ये भ्रमवोतयाज लथी काढीकादे में करीमस लेद्रहनोपांणीतोडे जौवांनिमित्तेथोहरदुग्धादिकेमर्दवो तरुशाखादिकेकरी जलनोड़ोहलबोवाहली आदिकखणीनेद्र हथकी पांणीकाढवा प्रतिहीनल For Private and Personal Use Only ****** Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विटी 裝業茶業業器業業养器業業兼差業業蒸蒸業 करणंङ्गदमथनं दजलस्वतस्थाषाभिविलोड़नं दवहनं खतएवङ्गदान्जलनिर्गमः इदप्रवहणं दजलस्यप्रकृष्टं वहनप्रपंबुलाद योमत्स्यब धनविशेषा गलेयित्ति गलानिबिडिशानि वकबंधेहियत्ति बल्कलबंधनैः सूत्रबंधनैर्वाल बंधनैश्च तिव्यक्त मच्छखलएकरिति सराहियधिसराहिय विसराहियहिल्लौरोहिय जालेहियलल्लिरोहिय भल्लरोयगलेहिय कूडपा सेहिय वनबंधेहियमुत्तबंधेहिय बालबंहिय बहवेसरहामच्छ यजावपडागापडायगिराहतिर .. एगट्ठियात्रोभरेर कलंगाहितिर मच्छखलएकरड्रायवं सिदलयंति अप यतेवहवेपुरिसादि नोकाढवोमच्छवंधनविशेष इत्यादिकीरजालविशेषमच्छवंधनविसरोजाल भिसरादिकजाल विसरादिकविसरादिक हिल्लीरादिक जालेकरीललरीझल्लरीइत्यादि कमच्छझालबानोउपायगलेवड़सौई करीने मच्छबंधनपासवालरुखनौछालनाबंधनसबनाव धन * केशनाबंधनतेणेकरौने घणासन्हादिकसर्वमच्छनीजाति यावत्पड़ागादिकमच्छनेपूर्वोक्तबंधनविशेषतेणेग्रहीने नावाभरेभरौनदीने * *तटे आणमाछलानाखलाकरकरीने तड़केतावडेसकावानेदिये अनेरातेहनाधणापुरुषदेतो मूलमजूरीभातरतादिकतेमजूरी ताव 叢叢業蒸养养業業業蒸蒸养养業業業蒸蒸業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०सू० २१० माषा 黑張張業業業業業 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सभत्तिभत्तवेयणा आयवंतत्तएहिंसत्थेहिं सोल्ल हियमज्जिएहिय रायमग्गं सिवित्तिकम्म माणे विहरद्र तरणंतस्मसोरियदत्तस्समच्छं धयस्म अस्या० मच्छसोल्ल यतलिएभज्जिए श्राहारेमाणस्स मच्छकंटएगलएलग्गेयाविहोत्थाम हयाएवेयणाए अभिभू एसमाणेकोडु' बियपुरिसेसहावेद्द एवंव० गच्छहणंतुभ्भेदेवा सोरिय पुरेणयरे सिंघाडगजावपहेमु महयासह देणं उग्घोसेमाणेरे एवंवदह एवंखलुदेवासोरियदत्तस्समच्छकंट एगलएलग्ग जंजोणं दूच्छ इविज्जो वासोरियम च्छिया मच्छकंटगं ड्रानासूकामाछलाना सूलाकरी अग्निसके राजमार्गवृत्तिवेचतोयको विचरेप्रवर्त्ते तिवारपछीते सोरियदत्तनामामाछीनोम हत्तरएक दाप्रस्तावे मच्छनासूलादिक तलीमेकी आहारकरतांथकाने मच्छलोकांटोगले विलगो एतले तोके तिवारपछीते सोरियदन्तमाछीमो टौषणीवेदनायेपीयोथको कोट' विकसेवकपुरुषप्रते तेड़ावेतेड़ावीने घूमकहे जावोतुम्हे देवानुप्रिया सोरियदत्तमाछीनापुरनगरने विषे सिंघाड़ादिकयावत् मोटापंथनेविषे मोटे मोटे शब्दे निर्घोषपाड़ताथका इमक होइमनिश्च सोरियदन्तमाकीने मच्छनोकांटोग For Private and Personal Use Only 米米米米米祟業米米米米米米米米米米米米 Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 器装器器器器需器器器諾器紫器崇器諾器 त्तिष्ठडिलेष मत्स्यपु जान् कुर्वत्ति वम्मणेहियत्ति वमनंस्वतःसंभतं छद्दोहियत्ति छह नंद्रवादिद्रव्यप्रयोगकृतं उवीलणेहियत्तिअवपी डनंनि:पीड़नंकवलग्राह: गलकंटकापनोदाय स्थ लकवलग्राहणं मुखविमर्दनार्थवादंष्ट्रादधःकाष्ठखंडदानं शल्योद्धरणं यन्त्रप्रयोगकंट गलाश्रोणिहरित्तए तस्मणंसोरियविपुलं अत्थसंपयाणंदलयद् तोएंकोड बियपुरिसे जावउग्यो ___ सइतोबहवेविज्जायमंएयारूवं उग्घोसणंउग्धोसेज्जंतंणिसामेइश्जेणेवसोरियगिहे जेणेवसोरि यमच्छधे तेणेवउ०३ बहुहिंउम्पत्तियाहियष्ठ इच्छतिसोरियमच्छधे मच्छकंटगंगलाोणीह लेलागोछे जेको वांछे वैद्यवैद्यनापुत्र सोरियदत्तमाछीने मच्छनोकांटोगलायकी काढ तेवैद्यनेसोरियदत्तमाछीषणीअर्थसंपदाल मोदीये तिवारपछीतेकोट वीपुरुषे यावत्तिमजनि!षपाद्यो तिवारपछीतेषणेवैद्य एतादृशरूपएहवोरूप एहवोनि!षपाड़ताथ काउदघोसमाभल्योसांभलीने जिहांसोरीयदत्तमाछौनोघर जिहांसोरीयदत्तमाछी तिहांआवेधावीने घणीउत्पातकीवविजेअणदी ठीअणसांभली अणबेदौआपणीमतिकरीनेविसवअर्थवांछ सोरीयमाछीने मच्छनोकाटोगलाथकीकाढवाने औषधनेपायवेकरीस 業樂業業業器器業業器器器業業器需器諾 For Private and Personal Use Only Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि.टी. २१२ सूत्र भाषा E www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कोद्धारः विशल्यकरणं औषधसाभर्थ्यादितिणी हरित्तत्तेत्तिनिः कामयितु विसोहित्तएन्ति पयाद्यपनेतु अष्टमाध्ययनविवरणं ॥ ८ ॥ अथ रित्तएवाविसोहित्तएवा पोचवणं संचारत्ति गोहरितएवाविसोहित्तएवा तर सेत्र हवे विज्जायना हेणोसंचाएद्र सोरियस्ममच्छ कंठ गगलाओ गौ हरित्तरवा तासंता३ जामेवदि संपाउम्भूया तामे वदि॰तएणंसेसोरियमच्छ' वे विज्न पडियारणिविण े ते दुक्ख म हया अभिभूए सुक्के जावविहर एवं खलुगोयमा सोरियपुरापोराणाणं जावविहरद्सोरिए गंभंतेमच्छ घेद्रओ कालेमासे० कहिंग ल्परहित गलोनिर्मलकरवानेन हीसमर्थकांटो काढवाने एतावताकाढीन सकेपरं विशुद्धकरीनसके तिवारंपछीतेवणे५वैद्य ४ जिवारे परंनसके मोरियाकीनेमच्छनोकांटोगलाथकी काढवानेविषे तिमजया काकांचा लेनही जिणदिथियो आव्याड' तातिमजतेदिसे गयातिवारपक्की तेसोरियमाकीनो कांटोकाढवाने वैद्य हाथभाटक्याएरोगकांटारूप अम्हारे वसिनथी तेो दुखेकरीषणुं व्याप्योथको रुधिरसहितविचरेछे इमनिश्च गौतम सोरियमाको पूर्वजन्मनावणाकाल नाकर्म यावत् भोगभोगवतोविश्वरेके सोरियनामा हेभ For Private and Personal Use Only KK Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 2 ***KKIMEHEKHIKEKEKREK च्छिहिंतिकहिंउववज्जिहिंति गोयमासत्तरिवासाइंप० कालमासे० इमौसेरयणप्य संसारोतहे वजावपुढवी ततोहत्थिणाउरेणयरे मच्छुत्ताएउव० सेणंतत्रोमच्छीएहिं जीवियानोविवरोवेदूत त्थेत्रसेट्टिकुलंसिबोही सोहम्मेमहाविदेहेसिज्झिहिंति ५ णिक्ख वोअट्टमंअभयणंसम्मत्त८ जद् भंतउक्ख वोणवमस्स एवंखलुजंबू० तेणंकालेणंतणंसमएणं रोहोडएणामणयरहोत्यारियर पुढ माछीदूहाथी कालनेसमेकालकरीने किहांजास्य किहांजायउपजस्य हेगौतमसत्तरवरसनुपरमउत्कृष्टोपाउखोपालीने कालने * समेकालकरोने एहजरत्नप्रभाथिवीनरके उपजस्य संसारमाहितिमज सगापुत्वनीपरेभमस्ये यावत्ष्टयवी तेथकोनीसरीनेतिवा * रपछीहथिणापुरनगरनेविषे माछलापणेउपजस्य तेमालाने तिहांथकी जीवतव्यथकौमुकाव्य ते तिहांनसेठनाकुलनेविषेउप जस्खे बोधपामीसौधर्मकल्पे उपजीने महाविदेचनेविषेसीझस्य अधिकारबाठमाअध्ययननाअर्थसंपूर्ण ॥८॥ जोहेपूज्य उखेबोकेर * बोनवमोअध्ययनम निश्चेहेजंब तेकालतेसमानेविषे रोहौड़नामानगरहंतो ऋद्विवंतपुढवीवडंसकनामाउद्यानहु तो तिहांधरण भाषा ** For Private and Personal Use Only Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि०सू० १४ वौवडिसएउज्जाणेधरणेजक्खे वेसमणदत्तोराया सिरीदेवीपूसणंदीकुमारे जुवरायारोहीडएणय रेदत्तणामंगाहावईपरिवसद् अड्ड कण्हसिरोभारिया तस्सणंदत्तस्म धूयाकण्हसिरोएअत्तयादे वदत्ताणामंदारियाहोत्था अहोणजावउविसरोरा तेणंकालेणंतेणंसमएणं सामौसमोसड जाव परिमाणिग्गया तेणकालेणतणंसमएणं जे? अंतेवासौछट्टखमण तहेवजावरायमग्गंउगाढेहत्थी आसेपुरिसेपासइ तेसिंपुरिसाणं मझगयंपासद् एगंत्थियं अवउडगबंधणं उरखत्तकरपणासं * नामायक्षतिहां वैश्रमणदत्तराजा तेहनेश्रीदेवीपूसनंदीकुमारजुवराजा तिहारोडीडनगरनेविषे दत्तनामागाथापतीवसेछ रहेछ धनवंततेहनेकन्ह सिरीभार्याले तेदत्तगाथापतौनीबेटी कण्हसिरौनीअंगजात देवदत्तानामापुत्री हुतीसमस्तद्रीयेकरीप्रतिपूर्ण यावत्उत्कृष्टोप्रधानशरीरडतो तेकालतेसमानेविषे स्वामीवईमानसमोसस्या पूर्ववत्परिखदावांदिवानीसरीने पालीगई तेकालते समानेविषे वड़ोशिष्यगौतमस्वामी छट्ठनेपारणे तिमजपूर्ववत् गजमार्गअवगाह्यो प्रतियोविहां हाथोघोड़ापुरुषघणादीठा तेपुरुषां 米器器業器默默紫器端器需器器器需蹤器 भाषा 器器業業茶器器業業器業業業業器器器器業 For Private and Personal Use Only Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie विटी २१५ 其罪業業業業業業業养業業業業業兼差兼米茶 नवमेकिञ्चिल्लिख्यते अगवत्ति इदमेवंदृश्य अभगयमूसियपहसिएविवअभ्युगतोच्छ तानि अत्यन्तोचानि प्रहसित्तानीवहसित जावसूलभिज्जमाणंपासइइमेअझथिए४ तहेवणिग्गएजावएवंव०एसिणंभंतेत्थिया पुन्वभवेकामा सौएवंखलुगो० तेणंकालेणंतणंसमएणं इहेवजंबूद्दीवे भारहेवासेसुपति→णमंणयरहोत्यारित महासेणेराया तस्सणंमहासेणस्मरणो धारणौपामोखं देवीसहस्संउरोहियाविहोत्था तमणम हासणस्मपत्ते धारिणोएदेवीएअत्तए सीहसेणेणामकुमारहोत्था अहौणजवराया तएणं तस्ससौ माहेमध्यगतदौठी एकस्त्रीपाछीवांहेवांधी काप्याकाननासिकादिक पर्ववत् मूलीयेदीजतीदीठीदेवीनेएहवोअध्यवसायऊपनोतिम जपाकोबल्योभगवंतनेयावत् इमकह्योएह हेभगवंतएस्त्रीपर्वभवेकोंणडंती इमनिश्चेहेगौतम तेकालतेसकानेविषेएहजजंबद्दीपनामा हीपभरतक्षेने सुप्रतिष्ठनामानगरहंतो ऋद्धिवंतमहासेनराजा तेमहांसेन राजानेधारणीप्रमुखराणी सहसनो अंतेउरडतोते महामेनराजानोपुत्रधारणौराणीनो अंगजातसोहसेननामाकुमारडतो अतुलरूपयुवराजा तिवारपछीते सौहमेनकुमारनेमाता 蒜器装装暴涨涨涨涨涨涨涨涨涨涨涨涨涨涨 भाषा For Private and Personal Use Only Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir * मारब्बानीचेत्यर्थः मणिकणगरयणचित्तेइत्यादि एगचणंमहंभवर्णकरेति अणेगखभसयसंनिविट्ठमित्यादि भवनवर्णकसुन दृश्यं पंच सयाउदाउत्ति हिरण्यकोडिसुवर्णकोडिप्रभृतीनां प्रेषणकारिकांतानोपदार्थाना पंचपंचशतानि सिंहसेनकुमारायपितरौदत्तवन्ता हसेणस्मकुमारस्म अम्मापियरोअण्णया० पंचपासायवडिंसयाई करे अभ्भूगए तएणंतस्ससोहसे णस्मकुसारस्म अस्पया० सामापामोख्खाणंपंचण्हरायवरकण्हगसयाणं एगदिवसेणंपाणिगिराहा वेदपंचसयउदात्रो तएणंसोह. सामापामोहिं पंचहिंदेवौसएसिद्धिं उमिनावविहरत पिता एकदाप्रस्ताव पांचप्रासादशिखरबंध घरकराया अतिहोऊचा तिवारपछीते सौरसेनकुमारने एकदाप्रस्तावे सामाप्रमु खदेवी पांचसे५०० मोटीराजानीप्रधानकुमारीकन्या एकेदिवसे पाणिग्रहणकरायो पांचसेहिरण्यकोड़ि पांचसेग्राम पांचसेहाथी इत्यादिकपांचमेसर्ववस्तुदोधाछे तेसोहकुमार तिवारपछौसामाप्रमुख ५. प्रांचसेदेवीराणीसंघातेमाथे प्रासादऊपरपंचप्रकारे विषयसुखभोगवतोयको विचरेके तिवारपछीतेमहासेनराजा एकदाप्रस्ताबे कालप्राप्तड़वो पत्य पाग्यो भनेकप्रकारेनौहरणकौधो 作業業兼差兼職職業漲漲漲漲漲漲漲漲漲業業 業器端器裝 For Private and Personal Use Only Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि.टी. 器器器樂器讓業業器業業器鉴業業 * वित्यय सचप्रत्य के खजायाभ्योदत्तवानिति महयाइत्यनेननमहयाहिमवंतमतमलयमंदरमहिंदसारेइत्यादीराजवर्णकोदृश्य भी एणसेमहासेणेराया अणया० कालधम्मुणा० णौहरणरायाजाएमहयातएणंसेसोहसेणेरायासा माएदेवीएमुच्छिए४ अवसेसाओदेवोत्रो णोआढाहिणोपरिजाणाहिं अणाढाइमाणे अपरिजाण माणेविहर तएणतासिएगुणगाणं पंचण्हदेवीसया एकूणाई पंचमाइसयाई इमीसेकहाएलस हाईसमाणियाए एवंखलसीहसेणेरायासामाएदेवीएमुच्छिए४अहंधूयाश्रोणोबाढाइणोपरिजा स्वत्य कार्यकीधा सौहमेनकुमारराजब टोराजाथयो मोरोराजानोवर्णन तिवारपछीतेसोहसेनराजा एकसामादेवीऊपरमूर्छित इओ शेषवीजौराणीने आदरनद्य अनुमोदेनहीवचनादिकेपणसंतोषेनही आदरणपांमती वचनादिकेसंतोषमणपामती विचरेछ तिवारपछीतेएकेऊणीपांचसे राणीनी एकेऊणीपांचमेधाइमातातेणे एहयौपूर्वोक्तवार्त्तानो अर्थलाधेयके मनिश्चेसौरसेन राजाएकसामाराणीसमूच्छितो अम्हारीवेटीनेादरनदीयेवचनादिके पिणसंतोषेनही भादरमांनअणपामतीथ की विचारले भाषा १८ For Private and Personal Use Only Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बिटी. 業蒸蒸养業雜灘業業業業 यात्तिभीयातत्याजेणेवेत्यर्थउहयावत्करणादिदंदृश्य उहयमणसंकष्याभमौगयदिट्ठीयाकरयलपलत्यमुही अट्ठमाणोवगयत्ति उम्फे __णइतंसेयंखलुअम्हंसामादेवी अग्गिपभोगेणवा विसप्पोगेणवासत्थप्पोएणवा जीवियानोवि वरोवित्तएएवंसंपेहेदर सामादेवीएतराणिय लिहाणियविरहाणिय पडिजागरमाणोश्रोविहरं तितएणसासामादेवीए इमीसेकहाएलवासमाणेएवंव० एवंखलुममपंचमहंसबत्तौसयाई इमोसेक हाएलट्ठ समाणे अगम एवंव० एवंखलसोहसेणेराया जावपडिजागरमाणीत्रोविहरंतितंणण तोत्रयनिश्चयअम्हे जोसामादेवीने अग्निनेप्रयोगेविषनेप्रयोगे शस्त्रनेयोगेकरी जीवतव्यथकीरहितकोजे एहवोविचारविचारीनेसा मादेवीनो अंतरअवसर अल्पपरिवारादिकविरहेएकलो जोतीथकीप्रवर्तेके तिवारपछीते सामाराणी एहवीपूर्वोक्तवार्त्तानोअर्थ लाधेयके इमकहेड्मनिश्चयमुझने एकेऊणीपांचसेसोके एहवीकथावार्त्तानो अर्थलाधेयके माहोमांहिदूमकहे इमनिश्चेसौक्षमेनरा जाअमारीबेटीनेमानतोनी तेमाटे सामानेशस्त्र करीमुझने मारिवानिमित्ते अवसरजोतीथकीविचरेछे तोनजाणीये मुझनेकेणे भाषा * ***** * For Private and Personal Use Only Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 器架業器器装器業樂業樂器器器器器器業器 एउप्फोणियंति सकोपोध्नवचनंयथाभवतीत्यर्य: इतोनंतर वाक्यस्यएकैकमक्षरं पुस्तकेधूपलभ्यते तच्च वमवगंतव्य एवंखलुसामीममंएगू ज्जतिणंममंकेण कुमरणेणंमारेस्मतीत्तिकट्ट,भौया जेणेवकोवघरेतेणेवउवा० उहयनावझियाइ तएणंसेसोहसे णेराया इमीसेकहाएलइट समाणे जेणवकोववरएजेणेवसामादेवी तेणेवउ०२ सामा देवीउहयजावपासइर एवंव० किण्हंतुर्मदेवा उहयंजावझियाइ तएणंसामादेवीसौहसेणेणंरा याएवंवुत्तासमाणा उपकेणउण्फेणियं सीहसेणरायएवंव० एभंखलुसामी ममएकूणपंचसवत्तीस कुमरणमारिस्य इमकहेवीहनीभपांमीपछेजिहांकोपनु घरजेकोपतेतिहांज जे सोतेकोपधरनेविषेमावीने पार्तध्यानकरवालागी तिवारपछीते सोहसेणराजा एहवीर्वासाभलीजेसामाराणीकोपघरेवेठाकेसोहसेणराजा जिहांकोपनोघर जिहांसामारांणीतिहां * आवेधावीने सामाराणीने आर्तध्यान करतोयावत्दौठीदेखीने इमकहे किस्थाभणीत'देवानुप्रिया बार्तध्यानध्यावेछे तिवारपछी *तेसामादेवीसौंहसेनराजाप्रते इमवोलीथकी कोधेकरीजफणतीकलकलती सौहसनराजाप्रते इमकहे इमखलुनिश्च स्वामी मुभने 长業業業养养業業職業業养养养業賺賺賺賺業署 For Private and Personal Use Only Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir विटी २२० 器深紫器點器需器鬆鬆器器器紫器器器器 णगाणंपंचगह सवत्तीमयाणएगणपंचमाई सयाड्डूमौसेकहाएलबहाई सवणयाए अन्वमन्त्र सहावेतिश्एवंवयासौएवं खलुसीहसेणे रायासामाएदेवीएमुच्छिए४अम्हधूयाउणोआढाइनोपरियाणचणाढाएमाणेअपरियाणमाणेविहरजातियावत्करणाच्च दंदृश्य तंसेयंखलअम्हसामंदेविं अग्गिपयोगेणवाविसप्पयोगेणवा सत्थपयोगेणवा जीवयाउथिवरोवित्तएएवंसपेहिंति संपेहिताममं अंतरा याई एकूणपंचसवत्तौसयाणं इमोसेकहाएलवएसवणयाए अण्णमण सहावेइएवंव० एवंखल सौहसणेराया सामादेवीएमुच्छिए४ अ धयात्रोणोआहाजाव अंतराणिय छिहाणियजावप डिजागरण मज्जणंममंकण कुमरणणंमारसइत्तिकट्ट भौया४ झियामितएणंसेसोहसेरा * एकेऊणीपांच से सोके अने रके उणीपांच से सौकनीमातानी एहबीकथावातलाधीसांभलीकांननेविषे मांहोमांहिएकठोपांचसेएके उणीमिलीने इमकहेदूम निश्चय सीहसेणराजा सामारांणीनेविषेमूर्छितम्टवछे४ अम्हारीधूवावेटीने आदरमाननधौदेतोडूमवि चारीनेमुझनेमारिवाभणी छिद्र देखे यावत् शब्दथकीजोतीथकीविचरेछतेमाटे नजांणीएमुझनेकेणे कुमरणमारस्य इमकरी बोहनी 器器器貓樂器課業黑米紫器默梁器器器采茶器 মাদা For Private and Personal Use Only Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि टी. 業業器鬆鬆業業器鬆鬆業業業器器需辦業業器 णिपडिजागरमाणी उविहरति तननज्जदूर्णमामीममकेणडू कुमरणरेणं मारिस्मतीत्तिक भीयाध्यावत्करणात्तत्थतसियाउबिगा ओहयमणसंकप्याभभिगदि ट्ठिया इत्यादिदृश्य वत्तीहामित्ति यतिष्य नयित्ति नभवत्ययंपक्षोयदुतकत्तोत्ति कुतचिदपिशरीरकस्य अवाधोवाप्रवाधोवाभविष्यति तत्र भावाधईषत्पीड़ा प्रवाध: प्रकृष्टापौ.वतिकट्ठति एवमभिधायअणेगखंभत्ति अनेकस्त भथतमन्त्रि __ यासामादेविएवंव० माणंतुमंदेवा उहयजावझियाहिंति अहसंतववत्तौहामि जहाणंतवणत्थि कत्तोविसरीरस्मश्राबाहेवापवाहेवाभविस्म इत्तिकट्ट,ताहिंद्याहिंसमासासति तोपडिणिक्खम इकोडुबियपुरिसेसहावेदर एवंव० गच्छहणंतुमभेदेवा० सुपइट्टियस्सनयरस्म बहिया एगंमहंकू थकी आरतध्यान ध्यावोको तिवारपछीते सौहसनराजा सामादेवीने दूमकहे मकरोतुमे हेदेवानुप्रिया आर्तध्यान ध्यावोमा * तिमवर्तस्यो जिमताहराशरीरनेकाई अवाधानहीथाइ अबाधातेथोड़ा अतिहौषणीपीड़ा नहीथास्य इमकरीने तेहनदृष्टव लभव THE चनेकरीने संतोषे तेतिहाथकीनीसरेनीसरीने कोट'विकपुरुषप्रते तेड़ायेतेडावीने दूमकहेजावो तुम्हे हे देवानुप्रिया सुप्रतिष्ठनगर 義米糕業器業業蒸蒸業業業業業業業業兼業养器 भाषा For Private and Personal Use Only Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि टी. ******* विष्टांइत्यर्थः पासाइत्यनेनपासाईयं दरिसणिज्ज अभिरुवंपडिरूवमितिदृश्यं जदूवियसासरज्जमुकत्ति यद्यपिसावकीयराज्यशुक्ला डागारसालंकरेह अणेगखंभपासा४ करेहर ममएयमाणत्तियंपञ्चप्पिणहतएणतकोडुबियपुरिसा करयलजावपडिसुणेदर मुप्पइट्टियस्मणयरस्मबहिया पञ्चच्छिमेदिसौभाए एगेमहंकूडागारसालंजा वकरेड अणेगखंभपासाड्या जेणेवसीहसणेराया तेणेवउ०२ तमाणत्तियंपञ्चप्पिण तएणसेसौ हसेणेराया अस्पया० एगुणगाणंपंचगहंदेवीसयाणं एगुणाई पंचमाईसयाई आमतेइतएणतासिं बाहिरएकमोटीकूडागारशालाकरो अनेकथांभेकरीसहितनीपजावोदेखवायोग्यकरौनेकरावीने माहरोएदिसविभागेाग्यापाशी आणीसू पो तिवारपछीते पादेशकारीपुरुष हाथजोडीनेवचनप्रकर्षेसांभलेसभिलीनेसप्रतिष्टनामानगरथी बाहिरपश्चिमदिसनेवि भागेएकमोटीकूड़ागारशाला पूर्ववत्करे अनेकथांभेकरीसहितदेखवा योग्यकरीने जिहांसीहसनराजा तिहांआवेावीने तेका मकरीनेराजानी आग्यापाछोर पे तिवारपछीतेसोहसेणराजा एकदाप्रस्ताबे एकेजणीपांचसे पटरांणी पांचसेएकेणीतेहनीधाय * ***** * For Private and Personal Use Only Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir वि० *** *** E R एगणपंचगहंदेवोसयाणं एगणपंचमाईसयाई सौहसेणेणंरणा आमंतियाईसमाणाईसव्वालं कारविभूसियाई करे जहाविभवेणंजेणेवसुपइ?णयरे जेणेवसौहणेराया तेणेवउ०२ तएणसे सौहसणेराया एकूणपंचदेवीसयाणं एकूणपंचगहमाई सयाणं कूडागारसाल श्रावसहंदलयइतए णंसेसोहसेणेराया कोडुबियपुरसेसद्दविदर एवंव० गच्छहणंतुभ्भेदेवा विउलंअसणंट उवणेहसु बहुपुण्फवत्थगंधमल्लालंकारंच गारसालंसाहरडू तएणतेको विय तहेवजावसाहरहतएणं * मातानिहतरीनेतेडावे तिवारपछीते एकेअगोपांचसे पटराणी एकेऊणीपांचसेधायमाता सीहसेणराजा आमंन्त्र निइंतरी तीतेड़ीने सर्वसिणगारसहितविभूषाकीधी यथाविभवधनानुसारेण एतलेयापणसारुयाभरणपहिरावी जिहांसुप्रतिष्टनगरजि हांसोहसनराजा तिहांबावेमावीने तिवारपछीतेसौइसेनराजा एकेऊणीपांचसेपटराणीमने एकेऊणीपांचसे धायमाताने कूड़ा गारसालाये आवसहकहतां उतारोदीधो तिबारपछीते सौहसेनराजा कोडुबियपुरिसनेतेड़ातेड़ावीने इमकहे जावोतुम्ह देवानु 紧兼縣縣業業業業業業業器暴涨涨涨涨涨涨涨 भाषा KENIMAWENEMINIKM For Private and Personal Use Only Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir तासिएगुणगाणपंचएहंदेवौसयाणं एगुणपंचरहमाइसयाई जावसव्यालंकारविभूसियाई तंविउ लंअसणंठ सुरंच आसाएमाणाट गंधब्बेहिणाडएहिय उवगीयमाणाविहर तएणसेसीहसे णेराया अद्धरत्तकालसमयंसि बहुहिंपुरसेहिंसपरिवुडे जेणेवकूडागारसाला तेणेवउ०२ कूडागा रसालाएदुवाराई पिहेइ कडागारसालानोसमंताअगणिकायंदलयंति तएणतासिंएगुणगाणं पंच 法器兼義兼業業業職業業業競業業業業業兼職器 प्रियाविस्तीर्णसनादिक तिहाभूको अतिघणावस्त्रफूलगंधमाला अलंकारकूड़ागारसालानेविषेसाहरोमू को तिवारपछीतेकोर्ड बियपुरुषतिमजयावत्म के असमादिके तिवारपछी तेएकेऊंगी पांचसेपटराणी एकेऊणीपांचधायमाता पूर्ववत्सर्वसिणगारस हितविभषाकीधी तेषणोअशनादिक मद्यादिकसंघाते आस्वादतीथकी गंधर्वे ववीसबडनाटकेकरी गातीथकोप्रमोदेवर्त्ततीथकी विचरे के तिवारपछी तेसोहनराजा अईरात्रिनेसमे घणापुरुषसंघाते परिवस्त्रोथको जिंहांकूड़ागारमाला तिहांबावेमावौनेकूड़ा गारसालानांहारदाक्याएतलेहारदेईने कूड़ागारसालाई सर्वदिसेचौफेरअग्निदीधी तिवारपछीतेएकेऊ यी पांचसेपटराणी एके 蒸業器器器茶器黑米黑米業器器器架業器業梁 भाषा For Private and Personal Use Only Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir * वि.सू. २२५ 端端樂器需端端端端端 रहंदेवौसयाणं एगुणगाणपंचमाईसयाईसौहरणो आलोबियाईसमणाई रोयमाणा३ अत्ता णा असरणाई कालधम्मुणासंजुत्ताईतएणसेसोहसेणेराया एयकम्मे४ सुबहुजावसमज्जिणित्ता चउत्तीसंवाससयाइपरमाउपाल इत्ता कालमासे० छट्टोएपुढवौए उक्कोसेणंबावीसंसागरोवमाई द्वितौउववस सेणंताबोअणंतरंउव्यट्टित्ता इहेवरोहीडएणयरेदत्तस्मसत्थवाहस्स कराहसिरौएभारि याएकुच्छिंसिदारियताएउववस तेणंसाकण्हसिरीणवरहमासाणंजावदारियंपयाया सुकुमालजा 1 जणीपांचसेधायमाता सीहसनराजाये अग्निलगाखेड ते रोतांआकंदकरता दुखहरतारहित सुखकरतारहितकालप्राप्तयति बारपछीतेसोहसेनराजा एहवेकर्मकरवेकरी अतिहीषणोपापउपारजीने चउत्रीसमेवरसनोपरमउत्कृष्टो पाउखोपालौनेकालने समेकालकरीनेछट्ठीनरके उत्कृष्टो बावीससागरोपमनोस्थिति अपनोतेतिहांथी आंतरारहितनीसरीने एहजरोहीड़नगरनेविषे दत्तनामासार्थवाहनी कन्ह सिरीभार्यानी कूखेपुवीपणेऊपनी तिवारपछे तेकन्ह श्रीनवमेमासे यावत्दारियंपुवीजनमो सुकुमाल 繼紫米米米業器器端端器業架諜蒸米器 भाषा 器器洲狀 For Private and Personal Use Only Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir नार वि.सु. वसुरूवंतएणतौसेदारियाए अम्मापियरोणिवत्तबारसाहियाए विउलंअसणं४ जावमित्तणामधेनं करेहोउणंदारियादेवदत्ताणामेणं तएणंसादेवदत्ता पंचधाईपरिग्गहिया जावपरिवड्डा तएणं. सादेवदत्तादारिया उमुक्कबालभावे जोवणेणयरूवेणयलाणेणय जावईवर उक्विटाउक्सिरीरा जायायाविहोत्था तएणंसादेवदत्ताभारिया अस्पया० राहायाजावविभूसिया बहहिंखुज्जाहिंजावप शरीरयावत्सरूपवंत तिवारपछीतेपुत्रीना मातापिताये बारमेदिन अतिक्रम्ये थके विस्तीर्णअसनादिकनीपजावीने यावमित्रन्या तिजिमाडीने नामनीथापनाकीधी होजोपुत्री देवदत्तानामा तिवारपछीतेदेवदत्ता पंचधायेग्रहीथकी यावडिपामवालागीति वारपछी ते देवदत्तापुत्री वालभावथकीमूकाणीथकी योवनवडूकरीरुपेकरीलावन्य करी यावत्अतिहीशोभतीथको उत्कृष्टोप्रधानश रीरवंत तिवारपछीते देवदत्ताकुमारिका एकदाप्रस्तावेनानकरीयावत् सिणगारपहरीविभूषितथई घणीकुजादासौयेयावत् परिवरीथको ऊपरेपिरणीनेविषे आकाशनेविषे सुवर्णनेतारखचितदडीयेरमतीधकौविचरेछे एहवेअवसरवैश्रमणदत्तगजामान भाषा E** For Private and Personal Use Only Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir वि०स० 誰器器需諜諜諜諜米業器器業器業张業 रिक्खित्ताउप्पिं आगासतलगंसिकणगतिंदूसएणकौलमाणोएविहरमंचणवेसमणदत्तेरायाण्हा याजावविभूसिए प्रासंदरुहबहहिंपुरिसेहिंसंपरिबुडेआसवाहणियाएणिज्जायमाणेदत्तस्मगाहा वइस्मगिहस्म अदूरसामंते वीयवंयमाणेणंतएणसेवेसमणेराया जाववौईवयमाणे देवदत्तंदारियंउ प्पिागासतलगंसि कीलमाणीपासइर.देवदत्ताएदारियाए रूवेणयजोवणेयलावणणय जाववि म्हएकोडुबियपुरिसेसद्दावेदर एवंव० कस्खणंदे० एसादारियाकिंवाणामधे जेणं तएणतेकोड विय करीयायसिणगार पहरीविभूषितथईघोड़ वैसे घणापुरुषसंघातेपरिवस्योथको अश्ववारनेतथा अश्वनेकौड़ाकराववानेजातेथकेदत्त - नामागाथापतीनाघरनेसमीपे जातेथके दिठौतिवारपछीतेवेसमणराजाये यावत्यावाथकां देवदत्ताबालिकाऊपरेपौरणीनेविषे आकाशनेतले सुगर्णतारखंचितदडीडूरमतीथकोदेखेदेखौने देवदत्ताकुमारिकानेरुपेकरी यौवनेकरी लावन्य करी विस्मयो अहोरूपइति कोड बियादेशकारीपुरुषनेतेडावेतेड़ावीने इमकहे केहनीहेदेवानुप्रिया एषादारिका किसोएहनोनामछे तिवार WTETT For Private and Personal Use Only Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि.सु. २२८ 米器器業業帶崇器諜米器業樂器糕柴 पुरिसावेसमणराया करयलएवंब. एसणंसामौदत्तसत्यवाहस्मधूयाकण्हसिरिअत्तया देवदत्ताणा मंदारियारवेणय जोवणेयलावणेणय उक्किहाउकिसरीरा तएणसेवेसमणेराया पासवाइणिो पडिणियत्तेसमाणे अभिंतरट्टाणिज्जेपुरिसेसद्दावेदर एवंवगच्छहणंतुभ्भेदेवा दत्तस्मधूयंकरहसिरी अत्तयंदेवदत्तदारियं पुसणंदिस्मज्वरो भारियाएवरेह जवियसयंरज्जसुका तएणसेअमितरता . पछीतेभाग्याकारीपुरुष वेसमणराजाने हाथजीडीने इमकहे एहहेस्वामीदत्तसार्थवाहनी धूयावेटीकाहसिरीमंगजातदेवदत्ता नामादारिकापुत्री रूपेकरी जोवनकरी लावण्य करी प्रधानशोभायमानशरीर तिवारपछीवेसमणराना अचवाहनतथाघोड़ार माडौनेपाकोवल्योथको अभ्यंतरपुरुषतेडावेतेडावीने दूमकहे नावोतुम्हे देवानुप्रियागाथापतीतीनौबेटौकम्हसिरौनी अंगजातदेव दत्तानामापुत्री पसनंदीयुवराजानेकाने भार्यापणेवरोमांगो प्रद्यपितेकन्याआपणेसर्वराजदौधेलहीये तथापिजईनेमांगोतथा आपणाराजनेविषेपटराणीकरस्युं तिवारपछी ते अभिंतरहाणीयापुरुषने वेसमणराजा एहवोवचनकोथके हर्षपांमौहाथजोडीने 業器器黑米黑米黑業業業樂器業器器器 भाषा - For Private and Personal Use Only Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि०० णिज्जापुरिसावेसमणरणो एवंवुत्तसमाणा हटकरयलजावएवंपडिसुणेर बहाया जावसुद्धप्यावे संपरिवुडा तएणंदत्तस्सगिहे तेणेवउ० तएणंसेदत्तेसत्यवाहे तेपुरिसेएज्जमाणपास दूर हट्टास णाश्रो अभ्भुट्टे सत्तकृपयाईअभुग्गए पासणेणंउवणिमंतेइर तेपुरिसेासत्थेवीसत्ये सुहासणवरग एएवंव०संदिसंतुणंदेवाणुप्पिया किंमाममणपोयम्तएणतेरायपुरिसादत्तं सत्यवाहंएवंव अम्हे णंदेवातवधूयंकण्हसिरोअत्तयं देवदत्तंदारियंपूसणंदिस्सजुवरणोभारियताएबरेमोतंजवणसिदेवा पर्ववत् इमसभिलेसांभलीनेस्नानकरीने यावत्भलावस्त्रपहिरीनेसन्मुखपरिवस्या तिवारपछीतेदत्तगाथापतीनोघर तेणे तिहांआवे भाषा पता * आवीने तिवारपक्कीतेदत्तसार्थवाह तेपुरुषने आवतोदेखेदेखीने हर्षितहूयोपासणथीउठीने सातआठपगलामहिमोगयो आसण आमंत्रीदीधोवैसवाने तेपुरुषनेगतिनोश्रमअपनोहतोतेरहितहुयो सुखासनेवैटोथको इमकहेआदेशद्योहेदेवानुप्रिया किमाग * मनकौधोकिसेप्रयोजनेप्राध्या तिवारपछीतेरापुरुषेदत्तसार्थवाहप्रते इमकहेअन्ह हेदेवानुप्रिया तुम्हारीपुत्रीकन्हसिरीअंगजातदेव 养業業养养業养养养業漲漲漲漲漲器業業 繼業業業業業器業業兼差兼業業業業叢叢鬃業 १० For Private and Personal Use Only Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि टी. 派黑米黑米黑米艦機器業業業業業需器器業 खकीयराज्यलभ्येत्यर्थः जुत्तवत्तिसंगतंपत्तंबत्तिपान वा अवसरप्राप्त वासलाहणिज्जवत्ति माध्यमिदंसरिसोवत्ति उचित:संतोगोवधू जुत्तवापत्तवासल्लाहणिज्न वा सरिसोवासंजोगोदिज्जंउणदेवदत्ताभारियापूसणंदिस्सजुवरगोभणदे वाणुप्पिया किंदलयामोसुक्कं तएणंसेदत्तेतेअम्भिंतरट्टाणपुरिसस्मएवंव० एवंचणंदेवा ममंसुक्कंजय वेसमणदत्तेराया ममंदारियाणिमित्तेणंअणुगेरहदूर तेहाणपुरिसेविउलेणं पुष्फवत्थगंधमल्लालंका रेणंसकार पडिविसज्ने तएणंसटाणपुरिसे जेणेववेसमणेराया तेणेवउ०३ वेसमणस्मरखो एय दत्तापुत्रीपूसनंदीयुवराजाने भार्यापणेवरवामांगवासाव्याछांतेमाडेजोजाणेहेदेवानुप्रिया एयुक्तोछ एपात्रछएश्लाघनीयछेतथावत वरनोसरीखोसंयोगले द्योदेवदत्ताकन्याभार्यापणे पसनंदीयुवराजा कहोतेकन्यानेहेदेवानुप्रियाकिस्योंदीजेदानद्रव्यादिकतिवारपछी * तेदत्तगाथापती तेअर्भितरमाहिलारहणहारपुरुषप्रते इमकहे एहजहेदेवानुप्रिया माहरेसुकदानद्रव्य जेभणीवेसमणदत्तराजाये मममाहरीदीकरीने निमित्ते एहबोअनुग्रहप्रसादकरतोवोजोस्युं जोईएछ तेअभ्यंतरहाणीयापुरुष घणापुष्कवस्त्रसुगंधमालामल 来諜諜諜諜諜器業諜諜諜業業器器業業業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra विष्टी' २३१ रुव भाषा 「黑米米米 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वरयेारिति आयंतित्ति आचांतोजलग्रहणात् चोकडेत्तिचोक्षः सित्युले पाद्यपनयनात् किमुक्त भवति परमसदूभ इत्ति अत्यन्तं पूची भूतइति सहाययावत्करणादिदंदृश्य कयवलिकम्म कयकोउय मंगलपायवित्तं सव्वलंकारेति सुबह मित्तइत्यत्त्रयावत्करणान्मित्तणा मणिवेदेव तरणं दत्त गाहावई अणया० सोभर्णसितिहिकरणदिवस णक्खत्तमुत्तसि विडलं सिअसणं४ उबक्वडावे२ मित्तणाश्रमंतेहार जावपायच्छित्ते सुहासणवरगए तेयंमित्तसङ्घि संपरिवुडेतंविउलंअसणंg आसाएमाणा४ एवं चणंविहरद् जिमियमुत्तत्तरागए श्रायंते तंभित कारकरीने सत्कारेपाछोमोकले तिवारपकतेद्वाणपुरुष जिहांवेसमणराजा तिहांआवेचावीनेवेसमणराजाने एवार्त्तापूर्वोक्तनिवे दसर्वकही तिवारपछीते दत्तगाथापती एकदाप्रस्तावे सोभनीकभलीतिथिभलोकरण भलोदिवसभलोनक्षत्र भलोमुहर्त्तएतले सुभयोगे विस्तीर्ण असनादिकनीपजावेनोपजावीने मित्रन्यातियमंत्र निड तरेतेड़ीने स्नानकरी यावत् मंगलीक निमित्ते प्रायच्छित्तसुहास णवैठाथका तेभित्त्रन्यातिसंत्राते परिवस्योयको तेविस्तीर्ण अशनादिक ४ आखादताथका ४ दूमविचरे के जीम्या अनंतर चलूलेवानोठाम For Private and Personal Use Only ******* Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि. टी० २३२ सूत्र माषा 「業 榮 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir णियगसयणसंबंधिपरिजनेणत्तिदृश्य सब्बिड्डीएइत्यत्रयावत्करणादिदंहस्य सव्यजुईएसर्वयुक्त्याभरणादिसम्बन्धिन्या सर्वयुक्त्याव उचितेष्टवस्तुघटनालक्षणया सव्ववलेनसर्वसैन्ये न सव्वसमुद्दायेणपौरादिमीलनेन सव्वायरेणसर्वोचितकृत्यकरणरूपेण सव्वविभूईए सर्वसंपदासव्वविभूसाए समस्तशोभयासव्वसंभमेणप्रमोदकृत्यौत्स क्यो न सम्बपुष्पगंधमलालंकारेणं सव्वंतूरसहसन्त्रिनाएण सर्व सूर्यशब्दा नांमीलनेयःसंगतो नितरांनादो महान्घोषस्ता नित्यर्थः अल्प ष्वपिऋद्ध्यादिषु सर्वशब्दप्रवृत्तिर्दृष्टा अतश्राह महताइदीएमहता णाइ ं विउलंगंधपुष्फजावअलंकारेणं सक्कारेद्र२ देवदत्तं दारियंज्ञायं जावविभूसियं सरीरंपुरिस सहस्मवाहिणोयंदुरुहिए२ सुबहमित्तनावसद्धिं संपरिवुडेसव्वड्डीए जावसव्वर वेगं रोहिडगंणयरंभ पांणीनोकोगलाकरीसुचि थईनेते मित्रन्यातीने घणोसुगंधमालादिकयावत्अलंकारकरी सत्कारेसत्कारीने देवदन्तापुत्त्रीने स्नानक रावौमे यावत्सिणगारपहिरावौने विभूषितशरीरकीधो जेभिवकासहखपुरुषवहे तेणींशिविकाइवेसारीने घणामित्रन्यातीयावत् संघातेपरिवस्याथका सर्वऋद्धिंकरी यावत् सर्ववा जितनेशब्दे वाजते रोहिड़कनामानगरने मध्यमध्यविचाले जिहविसमणराजानो For Private and Personal Use Only ***************** Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandie विटी 米器端需器端器光器端端器器器諾諾器端器 जईए मच्याबलेणं महयासमुदएण महयावरतुड़ियजमगसमगपवाइएणंजमगसमगत्तियुगपदेतहिशेषेणार संखपणवपडहभेरिझ बरिखरमुहिडडुक्कमुरवमुगदुदुहिनिगघोसनाइयरवेणं तवसंखादीनांनितरांघोषोनिधोषोमहाप्रयत्नोत्पादित:शब्दःनादितध्वनि मावएतद्दयलक्षणोयोरवः सतयातेनेति सेयापीएहिति रजतसुवर्णमयैरित्यर्थः सिरीएदेवीएमायाभत्तेयाविहोत्यत्ति त्रियादेव्याः ज्झमझणं जेणेववेसमणेरणोगिहे जेणेववे० तेणेवउ० करयलजाववदावेदर वेसमण० देवदत्तंदा रियंउवण इतरण सेवेसमा देवदत्तंदारियंउवणीयंपासर विउलंअसणं ४उवक्खडावेश मित्त णाामंतेजावसकारेर पूसणं दिकुमारं देवदत्तंदारियंपट्टयंदुरुहेइर सेयापोएहिकलसेहिम घरजिहांवेसमणराजा तिहांआवेावीने हाथजोड़ी यावत्वधावेवधावीने वेससणराजाने देवदत्ताकुमारिकायांणी कौएतले सुपौतिवारपछी तेवेसमणराजा देवदत्तापागलेमुकीदेखीने हर्षपांम्योथको घणोअसनादिक४ नोपजावेनीपजावीने मित्रन्याति है कुटंबसमस्तामंत्रीने तेडीजीमाडीने यावत्सत्कारमत्कारीने पसनंदीकुमारअने देवदत्ताकन्याने पाटेवे सायावरकन्या वत भाषा For Private and Personal Use Only Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir - वि.सू० २३४ 諾諾米樂器器業業業業業樂業諾器業業 ज्जावेदर वरण वच्छाई करेइर अग्गिहोमंकरे पसण दिकुमारदेवदत्ताएदारियाए पाणिगिला वेद तरण सेवेसमणदत्तराया पूसण दिस्मकुमारस्म देवदत्त दारियंसव्वड्डौएजावरवेणं महयाइड्डौ सक्कारसमुदएणपाणिग्गहण करे देवदत्ताएभारियाए अम्मापियरोमित्तलावपरियणंच विउलं असणं ४ वच्छगंधमल्लालंकारयसबारे जावपडिविसज्ज इ तए सेपूसणं दिकुमारे देवदत्ताएदा रूपानापीतसोनानामाटी आदिककलशतेणेकरीन्हवराव पछेपरणवायोग्यप्रधानवस्वादिकपहिराव्या अग्निहोमकस्यो सनंदीक मारअनेदेवदत्ताकुमारिका हाथग्रहावोकर मेलावो एकठोकौधो तिवारपछीतेवेसमणदत्तराजा पूसनंदीकुमारने देवदत्ताकन्याने सर्वट्विकरी यावत्वाजिबनेशब्द करो मोटोऋद्धिपणे सत्कारेवस्त्रादिकेतहने समुदायेकरी पाणिग्रहणकस्यापछे देवदत्ताकन्या भार्यापणेमातापितादिकने मिवन्यातियावत् नफरचाकरने विस्तीर्णअसनादिक४ वस्त्रसुगंधमल्लालंकारादिक देईनेसत्कारसत्का रीनेयावत्पाछामोकल्या तिवारपछीतेपूसनंदीकुमार देवदत्ताभार्याकन्यासाथे प्रासादऊपरफूटतेवाजिनमादलवाजिते वनीसवड 諾業業業業業業業業諜諜罪業業辦業業器繼器 भाषा For Private and Personal Use Only Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विटी. मातेतिबद्धमानबुद्ध्याभक्तः मार्टभक्तचाप्यभूदिति कल्लाकलं तिप्रात:२ गंधवट्टएणं तगंधचूर्णेनजिमियभुतत्तरागयाएत्तिजेमितायांकृत ___ रियाएसट्विंउपिपासायफुट्टयत्तीसउपगिज्जश्त्ताजावविहरइतएणतीसेवेसमणेरायाअणया का ___ लधम्मु०णीहरण जावरायाजाएपूसणं दी तएण से सण दिराया सिरीएदेवौएमायाभत्तेयाविहो त्थाकल्लाकल्लिजेणेवसिरीदेवी तेणेवउ०३ पायपडण करेइश्त्तासयपागसहस्सपागेहितेल्लेहिंअम्भि गावेद अट्टिसुहाएमससुहाए तयासुहाएरोमसुहाए चउविहाए संवाहणाइसंवाहावेर सुरभिणा भाषा * नाटकपड़तेथकेयावत्सुखभोगवतोयको विचरेतिवारपछीतेवेसमणराजा एकदाप्रस्तावेकालप्राप्तहुयोराजानोनीहरणकोधोयावत् * पसनंदीराजबैठोराजाथयोतिवारपछोतेपूसनंदीराजासिरीदेवीमातातेमातानोभक्तडवोदिनदिनप्रते जहांसिरीदेवौतिहांबावेमा * वीनेपगेपड़वोकरेकरी नेपछेसतपाकसहस्सपाकतेलतेणेकरीचोपड़ावेहाड़नेसुखकारीमांसनेसुख० चांवडीनेसुखकारीरोमने सुखका रीएचिहंप्रकारे मर्दनकारावेतेमर्दनकरावेकराबीनेसुरभिसुगंधउगटणेपीठीतथागंधचूर्णेकरीउगटावेउगटावीने त्रिणपणीनेकरी 業業競業業業兼職業聚器器 燥器素养聯辦業業業業兼器兼漲漲漲漲器器 KEKENERH For Private and Personal Use Only Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०टी० २३६ सूत्र भाषा www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भोजनायां तथाभुक्तोत्तरमागतायां स्वस्थानमितिभावार्थ : उदारान्मनो ज्ञानभोगान् भुंजानो विहरति पुव्यरत्तावरन्तति पूर्वरात्त्रा गंधव एवढावे तिहित्तिणिपाणीए गृहवराव उद एव्हिंमज्जा वेदूर तंजहाउसिणोदएण सीओ दएणंगंधोदण्णं विडलंअसणं४ भोयावेयोसि रोएदेवीए लायाए जावपायद्वित्ताए जावजिमियत्तत्त रागयाए तत्रोपच्छाह्लाइभ जेहिवा उरालाई 'माणुस्मगाई भोगभोगाइ भुनमाण विहरतांती सेदेवदत्तादेवीए अस्मया • पुव्वरत्तावर त्त० कुटु' बजागरियं ० इमेयारू वेअज्झत्थिए४ एवंखलुपूस म्हबरावेन्हबरावीने तेकहे उष्णपांणीसीतलयाणी गंधोदकसुगंधपांणी न्हवरावेषणाचसनादिक४ भोजनजीमाड़ीने इमसिरी देवtन्हवरावे यावत्प्रायवित्तलेवराजीयावत्जिमाड़ीने राजथानके आवो आपण स्नान करावे पकेजीमे उद्दारप्रधान मनुष्य संबंधीया उदारप्रधानभोगभोगवतोथको विचरे तिवारपछी ते देवदत्ता देवी एकदा प्रस्तावे रात्रिनेसमे पाऊले भागे कुटौं बजागरिकाजागतीकी एतादृशरूपएहवोच्चध्यवसायऊपनोइमनिच पूसनंदौराजा सिरीदेवीमातानो भक्तिच यावत् विश्वरेके तेहनेविघातक रोमकुंड For Private and Personal Use Only Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra बिटी० पररावकालसमएरावे:पूर्वभागेपश्चाद्भागेचेत्यर्थ: मज्जाइयत्तिपीतमद्याविरहियसयणिज्ज सित्तिविरहितेविजनस्थाने शयनीविर णदिराया सिरीएदेवीएमाइभत्त जावविहर तंएएणविधाएणणोसंचाएमि अहंप सण दिणा रणोसचिउरालाइभजमाण एवंसंपेहेर सिरीएदेवीए अंतराणियपडिजागरमाणौर विहर इतएण सासिरीदेवी असया मज्जावौंविरहिय सयणिज्ज सिसुत्ताजायायाविहोत्थाइमंचण देवद त्तादेवी जेणेवसिरोदेवी तेण वउसिरोदेवीमज्जावौयंविरहियंसयणिज्ज सिसुहपसुत्तंपासइदि हंपसनंदीराजामंधाते उदारप्रधानमनुष्यसंबंधीवाभोगभोगवौइमघालोचौविचारीने श्रीदेवीनेमास्यानोअवसरेश्जोतीयकोविचरे * छतिवारपछीतेश्रीदेवी एकदाप्रस्तावे मद्यपीधेतथान्हाये एकांतेजनरहितएकली सियानेविषेमतीथको निद्राने वसेतीएक्वेअवस रदेवदत्तादेवीजिहांत्रीदेवीवं तिहांआवेयाबीन श्रीदेवीन न्हवरावीने एकांतेजनरकितएकलीसियानेसूतीथकीसुखेदीठीदेखौन दिसिविदिसिअवलोकनकरीन जिहारसोईनोधर तिहांआवावीन लोहड़ानोदंडलीधोलेईन लोहदंडतव्योतपावीने तातोम 后涨涨涨涨涨涨涨業業罪業職業業兼器器鉴 भाषा For Private and Personal Use Only Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि.टी. 吳業業業养業業業業業業業業業养業养業業業养 हितशयनीयंतनपरामुसतिग्रङ्गाति समजोड्भयंति समस्तुल्योज्योतिषाऽग्निना भूतोजातोय: सतथारोवमाणीउत्ति अश्रुविमोच नात्दूहान्यदपिपदद्वयमध्ये यं तद्यथाकंदमाणीउ आक्रंदशब्दकुब्वत्यः विलवमाणीउत्ति विलापान्कुर्वत्यः आमुरुत्तेत्ति आशुशीघ्रं सालोयंकरेदूर जेण वभत्तधरे तेण वउ०२ लोहदंडंपरोमुसदर लोहदंडतावेइर तत्तसमजोइभूयंफ ल्लकिंमयमाण संडासएण गहायजण वसिरोदेवी तेण वउसिरोएदेवीएअपाणसिपक्खेवेइतएण सासिरौदेवीमहयार सद्देणारसित्ता कालधम्मु० तएणसैसिरीदेवीए दासचेडौओप्रारट्टियस हसोचाणिसम्म जेणेवसिरोदेवी तणेवउ०३ देवदतिं देवि तत्रोअवकम्ममाणिपास जेणेवसि ग्निसरीखोकस्यो के सूनाफूलसमानसंडामेकरीग्रहीने जिहांश्रीदेवी तिहांधावेआबौने श्रीदेवीनीयोनिनेविषेप्रक्षेप्योयोनिमाहि चांपीघाल्यो तिवारपछीतेश्रीदेवीरांगी मोटे मोटे शब्द पारडीपछे कालप्राप्त हत्ये पांमी तिवारपछीतेश्रीदेवीनीदासीयेआर डाटशब्दसांभलीनेहीयेधरीने जिहांत्रौदेवौ तिहाआवेआवौने देवदत्तादेवीने तिहाथीनासतीथकीदौठीदेखौनेजिहांत्रौदेवौतिहां 樂業業業業業業業業業業業業課業雜 भाषा For Private and Personal Use Only Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra बिष्टी. २३८ सूत्र भाषा www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रुष्टःकोपेनविमोहितः इहान्यदपि पदचतुष्क दृश्य तद्यथारुद्वेत्ति उदितः रोषः कुविएत्तिप्रवृद्धकोपोदय: चंडिकिएन्ति प्रकटितरौद्र रौदेवीतेणेव ०२ सिरिदेवीणिमाणं णिच्चे जोवविप्पजट पास हाहाहो कन्नमित्तिक दृ.रोयमाणौ३ जेणेवपूसणंदौराया तेणेव १२ पूसणं दौरायाएवंव० एवं खलुसामी सिरीदेवीदेव दत्तादेवीए अकालेचेवनीबियाओविवरोविया तरणंसेपूसणंदीराया तासिंदासचेडीणं अंतिए एयमट्ठ'सोच्चाणिसम्ममन्हया माइसोएणं अफण समाणेफर सुणियत्त विवपं चगपायवेधसधरणौ dedicated उखासादिकप्राणरहित जीवचेष्टा कंपनादिरहित जीवरहितदीठीदेखीने हाहाकारकीधो अहोचाचर्यमोटोआ कार्य ओमकहीने रोती आकंदकरतीथको जिहां पूसनंदौराजातिहांआवे आबीने पूसनंदौराजाप्रते इमक हेइमनिश्च हेसांमीश्री देवौदेवदत्तादेवौने अप्रस्तावे जीवतव्यथकी रहितकीधी तिवारपछीते पूसनंदीराजाये तेदासीने समीपे अर्थवार्त्ता सांभलीहीये धरीनेषणोमातानेसोगेकरी व्यापोड तो फरसी करीने काप्योजिमचांपानो वृक्ष किम हेठोपडेतेहनीपरे धरतीतलानेविषे तिमज For Private and Personal Use Only EK EX Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०सु० २४० भाषा 張黑米黑米米米米米米米米米米瀠瀠 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तलंसिसव्वंगेहिंसपिपडिये तरणंसेपूसणंदौराया मुहुत्त तरेणं आसत्थेसमाणे बहुहिंराईसरजा वसत्थवाहाहिं मित्तजावपरणेण्यसङ्घि रोयमाणे३सिरौएदेवीएइडिएणी हरणंकरेद्रश्चासुरत्त ६'देवदत्तं देबिंपुरसेहिंगिण्हावे५२ एएणंविहाणेणंव मंत्राणवेई एवंखलुगोयमा देवदत्तादेवीपुरा जावविहरदेवदत्ताणंभंते देवीईओकालमा सेका० कहिंगच्छिहिंति कहिंउव० गोयमा असौय रमजासवांगवरतोदूं पड्योतिवारपकी पूसनंदीराजाएकमुहर्त्तने यांतरेवस्यचित्त बोथको षणाराजाप्रधानादिक सार्थवाह मि वन्यातियावत्दासादिमंधाते रोतो चांपातकरतो श्रीदेवी सातानो मोटीऋद्धिकरी नोहरणकीधोकरीने शीघ्रकोपसहित देव दत्तादेवीत्वे अनेरापुरुषपाहेझलावे झलावीने एणेप्रकारे विधाने चाचरे वध्यमारवानी आग्यादोषी इमनिचे हे गौतम देवदत्ता देवी पूर्वलाघणाकालना कर्मभोगवतीविचरे देवदत्ता हे पूज्य देवीराणी कालसमेकालकरीने किहांजास्य कहांऊपजस्य हेगौतमची ८०वरसनो परम उत्कृष्टो आऊखोपालीने कालनेस मेकालकरीने एहिजरत्नप्रभा पहिलोनरकनेविषे नारकीपणे ऊपजस्येतिहांथी For Private and Personal Use Only Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विटी रूपःमिसिमिसीमाणत्ति कोपाग्निनादीप्यमानव नवमाध्ययनविकरणं समाप्त ॥५॥ अथदशमेकिञ्चिल्लिख्यते जहातेयलितिज्ञा 繼器器器器器器黑茶器器器 वासाई पर० कालमासे० इमौसेरयणप्पभा० णेरियताएउवबरण संसारोवणस्मद् तत्रोत्रणंतरंउ व्यट्टित्ता गंगपुरेणयरेहंसत्ताए पञ्चायाहितिसेणं तत्थसाउणिएहिंबधिएसमाणे तत्थेवगंगपुरेसेडि बोहौसोहम्म महाविदेहेसिभिहिंतिपूणिक्खेवोणवमंअभयणंसम्मत्तंजर्णभंते समणेणंभगवया महावीरेणं दसमस्मउक्खेवो एवंखलुजंबू० तेणंकालेणंतेणंसमएणं वड्वमाणपुरेणामेणयरहोत्था मोकलीजाववनस्पतौलगेजपजस्य वाउतेउघाउमेउपजस्थ तिहाथोआंतरारहितनीसरीनेगंगपुरनगरनेविषे हंसपणऊपजस्य तेहं * सनेतिहासपंखौनावधकचिड़ीमारतेणे बधकीधेथके तिहांगंगपुरनेविषे सेठनेकुलेऊपजी बोधपांमीसौधर्मकल्ये देवताथई महावि देह सौभास्य ५ अधिकारनवमाअध्ययननाअर्थसंपूर्णकह्या ॥५॥ जोहेभदंतश्रमणभगवंतमहावीरदेव दशमाअध्ययननाकुणम र्थकह्यामनिश्च जंबतेकालतेसमानेविषे वईमाननामानगरहोतो विजयवर्द्धमानउद्यानतिहां मानभद्रयक्ष विजयमित्रराजाराज्य 烧業業茶業养業業業業叢叢躲器端業業業識器 भाषा For Private and Personal Use Only Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि०० २४२ 器業装諾器器器業器米業諜罪業器業樂 विजयवद्धमाणेउज्जाणेमणिभद्दे जक्खे विजयमित्तराया तत्थणंधणदेवणामसत्थवाहेहोत्या अड्डे पियंगुभारिया अंजूदारियाजावसरीरासमोसरणं परिसाणिग्गया जावपडिगया तेणंकालेणते [समएणं जेडेजावअडमाणे जावविजयमित्तस्मरणोगिहस्स असोगवणियाएअदरसामंतण वौइव यमाणेपासहर एगइत्थियंभुक्तभक्वणिम्म संकिडिकिडिभयंअद्विचम्मावणडणीलसालगणियत्यं कट्ठाई कलुणाई विस्मरावमाणंपासइश्त्ताचिंतातहेवजावएवंव० एसणंभंतेत्थिया पुब्बभवेका करछेतिहांधनदेवनामा सार्थवाहतो ऋडिवंतप्रियंगुभार्वाहंती अंजनामा पुत्रौउत्कृष्टोप्रधानशरीरभगवंतसमोस्यापरिखदावां दिवानीसरी यावत्धर्मसांभलीनेपाछीवली तेकालतेसमानेविषे ज्येष्ठगौतमस्खांमीयावत् गोचरीनेअटणकालकरता पूर्ववत्विजय मित्रराजानाघरना अशोगवाडौनेसमीपेअतिकस्य जातेथकेदौठौदेखौने एकस्त्रीमकोलोहोनाक्षयथको क्षधाव्यापीथकीमांसरहित कड़कड़ीभूतहाड़खड़खड़वालागा तथाहाडचांमडीविणठीकुहोगया पालोवस्त्रपहिरायोभीनीसाड़ी पहिरायाथको कलेगकारीया 業兼紫紫兼職賺賺賺賺賺職業器兼義兼牆 भाषा For Private and Personal Use Only Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०खू० २४३ भाषा EEE装茶装米米然EE www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सिवागरणं एवंखलुगो० तेणंकाले ' ते समएण हेवनं० भारदेवासे इंदपुरेणामंणयरेतत्थ गंद्र ददत्त राया पुढविसिरिणामंगणियावरण तरणंसापुढविसिरिगणिया इंदपुरेणयरेबहवेरा सरजावप्पभियो बहुहिंच सप्पयोगेहिय जाव अभियोगित्ता उरालाई 'माणुस्वगाद्र भोग भोगा इ'भुजमाणेविहरद्र तरणंसापुढ विसिस्गिणिया एएकम्माएयसकम्माः सुबहुपावंसमज्जिणित्ताप बचनदीयामणावचन विरूपपाडूयावचन कुक्क्याटकरतीथकी देखीनेगौतमने चिंताऊपनी तिमजपूर्ववत्पूर्व लीप रेश्मक हेते हे भदंत एमस्त्रीपूर्वभवेकुणडौंती भगवन् कहे के इमनिश्च हेगौतम तेकालतेसमाने विषे एहजजंबूद्वीपद्दीपनेविषे भरतच वनेविषे इंद्रपुरना मानगरने विषे तिहाइ द्रदत्तराजाराज्जकरेके पुढवी श्रीनामागणिका ती तेहनोवर्णन तिवारपछीतेपुढ़वीश्रीगणिका इंद्रपुर नगरमेविषे षणाराजाप्रधानसेठसेनापती यावत्पुरोहितप्रमुख घणाचूर्णादिकने प्रयोगे पूर्ववत् अनेरानेव सिकरीने उदारप्रधान मनुष्यसंब ंधीयाभोगभोगवतीथको विचरेके तिवारपछीते पुढ़वीश्रीगणिका एहवाकर्मकरी एहवापापकर्म ४ अतिहीषणुंपापयावत् For Private and Personal Use Only EEEEEEEEEEEEEEEEEE装 Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie विटी ताधर्म कथायां यथातेतलिमुतनामा अमात्यः पोट्टिलाभिधानां कलादस्तषिकादारवेष्ठिमुतां आत्मार्थयाचयित्वात्मनैव परिणतया णत्तीसंवाससयाई परमा० कालमासे छुट्टोपुटवौएउक्कोसे णेरड्यत्ताएउववरणासाणंतोउव्वट्टि त्ताइहेववद्धमाणेणयरे धणदेवस्मसत्यवाहस्म पियंगुभारियाए कुच्छिसिदारियताएउ० तएणं सापियंगुभारिया णवण्हंमासाणंदारियंपयाया णामंअंजूसेसंजहादेवदत्ताए तएणंसेविनयेरा याआसवाहणियाए णिज्जायमाणे जहावेसमणदत्त तहाअंजूपासणवरं अप्माणोअट्टावएवरे उपारजी पैतीस३५से वर्षनोपरमउत्कृष्टो आउखोपालौने कालनेसमेकालकरीने छट्ठीटथवीएतलेछट्ठीनरकनेविषे उत्कृष्टीरसागर नीस्थितेनारकीपणे ऊपनौतेतिहाथकी नीसरीने एहजवईमानपुरनगरनेविषे धनदेवसार्थवाह प्रियंगुनामाभार्यानी कूखिनेविषे पुवीपणेऊपनौतिवारपछीते प्रियंगुनामाभार्या नवमेमासे पुत्रौजनमीपछे अंजएहवोनामदीधो शेषसर्वजिमदेवदत्तानीपरजांणि वोतिवारपछीतेविजयराजा अश्ववाहनतथाघोड़ाखेलाविवारमाविबाजाताथका जिमवेसमणदत्तराजायेदेवदत्तादौठी तिमविजय 器黑茶器黑米諾諾諾器器擺業業器諧器 भाषा HEME* For Private and Personal Use Only Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०सू० २४५ भाषा www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जहातेतलीजाव अंजूयेदारिया सङ्घि उम्पिं जावविहरद्वतएणंतौसे अंजूदेवीए अणया०जोणीसूले पाउम्भूण्याविहोत्या तरणंसेविजयेराया कोडंबियपुरिसेसहावे. एवंव० गच्छहणं देवावगमाण पुरेणयरेसिंघाडगजावएवंवयह एवंखलुदेवा विजएचंजू देवीए जोणीसूलेपा उभ्भूए जो द्रच्छसि वाह् जावउग्घोसइतएणंसेत्रहवेवेज्नावा इमंएयारूवंसोच्चाणिसम्म जेणेवविजएराया तेवड ०२ राजायेअंजूकन्यादीठीएविशेष आपण अर्थेवरोपाणीग्रहणकीधो जिमतेतली प्रधानेपोटलापरणीने विचारयोतिम अंजू स्त्रीसंघातेभवन ऊपरभोगभोगवतोविचरे तिवारपछीते अंजूदेवीने एकदा प्रस्तावेयोनिने विषे मूलरोग प्रगटथयोड' तोतिवारपछी ते विजयराजायेको टं बिकपुरुषनेतेड़ावे तेड़ावीने इमको जावोहेदेवाण प्रियावर्द्धमानपुरनगर नेविषे सिंघाड़गतिक चौकने विषेयावत्मक हो इमनि देवानुप्रिया विजयराजानी अंजूदेवीनी योनिनेविषेसलप्रगटथयो जोबाइक वैद्यनापुत्ररोगटाले तेहने राजा घणो यावत् तेहने घणोद्रव्यदीयेवोनिर्घोषपड़ावो तिवारपछी ते बणावै द्यवे दाना पुत्ररह वोएतादृश रूपसांभलीही येधरीने जिव्हां विजयराजातिहांचावे For Private and Personal Use Only 黹闔噐黹黹噐業業黹米米業 Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि.सु. ४ अंजूएदेवीए बहवेउप्पत्तियाहिं४ बुद्धिहिंपरिणामेमाणाइच्छतिअंजूएदेवीएजोणीसूले उवसामि तेणोसंचाएइ उवसामित्तए तएणतेबहवेविज्जाय, जाहेणोसंचाएद् अंजूएदेवौए जोणीसूलेउव सामित्तए ताहेतातंता जामेवदिसंपाउ० तामेवदिसं०प०तएणसाअंजूदेवौतायेवेयणाएअभिभूया समाणी मुक्कामवाणिम्साकठ्ठाकलणाई वौसरा विलवदूएवंखलगो अंजदेवीपुराजावविह 米米米米器需器器需器器器端繫業業講講 業業業業業器諜諜業業業 वीनेअंजूदेवीनोरोगटालवाभणी घणीपरेउत्पातकीपादि8 बुद्धिपरिगमावताथकावांछिवालागाअंजदेवीनोयोनिनोसलरूपरोग उपशमाविवाटालपरंनहीसमर्थ तेरोगउपशमाविवा तिवारपीतेषणावैद्यवैद्यनापुत्र जिमसमर्थनही अंजूदेवीनीयोनिनोसलरोग उपशमाविवानेविषे तिमजतेवेद्यशरीरेखेदपांमी मननेविषेखेदपांग्यापले जिदिसोचाव्याहता तिमजतेदिसेपाकागया तिवार पछीतेअंजूदेवौतेहवीवेदनाई व्यापौषकीपराभवीथको सुकाणोक्षुधाये व्यापीथकीमांसरहित कलेशकारीयावचन दीनदयामणा NE वचनविरूयापाड्यावचन विलापकरके इमनिश्चहेगौतमअंजू देवीपूर्वलाकर्मभोगवतीविचरेछे अंजूनामाहेभदंतदेवीकालनेसमेका भाषा HEME For Private and Personal Use Only Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि . 業器業業兼差兼差業業蒸养养業業养养等 ___ रअंजूणभंतेदेवीएकालमासे० कहिंगच्छिहिंति कहिंउववजहितिगो० अंजूर्णदेवी णेउवासा इंपर० कालमासे० मौसेरयणप्प० णेरइयत्ताएउववरण एवंसंसारोजहापटमोतहाणेयव्वंजाववण स्मईसाणं तोअणंतरंउव्वट्टित्ता सव्वोभणयरेमयूरत्ताए पच्चायाहिंति सेणंतत्थसाउणिएहिं वहिएसमाणेतत्थेवसव्वोभणयरे सेट्टिकुलसिपुत्तत्ताए पञ्चायाहिंति सेणंतत्थ उमुक्कतहारूवाणं थेराणंअंतिएकवलिंबोहिंबझिहिंति पयज्जासोहम्मेसेणंतानो देवलोगाओ आउक्खएणकहिं लकरीने किहाजास्य किहां ऊपजस्य हेगौतमभंजदेवीनेऊवरसनो परमउत्कृष्टो आऊखोपालीने कालनेसमेकालकरीने एहज रत्नप्रभापहलीनरकेनारकीपणे ऊपनीइमसंसारमाहिभमसी जिमप्रथमअध्ययने हगापुत्रतिमजजाणवोपिणहाएतलोविशेषनर * कथीनीसरीजाववनस्पतीतिहांलगे उपजस्य वाउतेउपुढ़वौएमाहिनऊपजेतेतिहांथी आंतरारहितनीसरीनेसर्वतोभद्रनगरमोरपणे अपजस्येतेमोरने तिहांथाकुनकेचिड़ीमारेमास्य थके तिहांज सर्वतोभद्रनगरनेविषे सेठनाकुलनेविषेपुत्रपणे अपजस्य तेपत्ततिहां * भाषा For Private and Personal Use Only Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 然需器器端 諜諜諜諜諜諜諜諜諜擺器 * नेवमयपीति दशमाध्ययनविवरणम् ॥१०॥ तत्समाप्तौचसमाप्त प्रथमश्रुतस्कंधविवरणमिति अथद्वितीय श्रुतस्कंधस्यप्रथमाध्ययनेकिं गच्छिहिंतिकहिउव. गो महाविदेहेवासे जहापढमेजावसिभिहितिजावतकाहिंति एवंखल जंबूसमणेणं जावसंपत्तेणं दुहविवागाणंदसमस्सअज्भयणस्स अयम परमत्तेसेभंत दुहविवागेदस सुअज्झयणेसुपढमोसुयक्खंधोसम्मत्तो १० अहबोयसुयखधं तेणंकालेणंतणंसमएणं रायगिहेणयरे गुणसिलेचेहए मुहम्मोसमोसड़े जंबजावपज्जवासंति एवंव. जहणंभंतसमणणं जावसंपत्तणंदह वालभावथीमुकाणोथको तथारूपस्थिवरनेसमीपे केवलसमक्रितरूपधर्मसमझीने दिक्षालेईपालीने सौधर्मकल्प देवताथईने तेदेव लोकथकीमाऊखोपूरोकरीने किहांजास्ते किहांऊपजस्ये हेगौतममहाविदेहक्षेत्रनेविषे जिमप्रथमम्गापुत्र सीझस्य तिमअंजसी भस्य पूर्ववत्अष्टकर्मनेअंतकरीने इमनिश्च हेजंब श्रमणभगवंत यावत्मुक्तिप्राप्तहुवातेणे 'दुःक्वविपाकनादशमाअध्ययननाएअर्थकथा * नकप्ररूप्याइमजहेभदंत दु:क्वविपाकनादशअध्ययननो प्रथमश्रुतस्क धसमाप्तपरोकहो ॥१०॥ हिवेहेपूज्यवीजाश्रुतस्कंधनोअर्थकहो 樂器器茶器器諜諜諜影器端業器茶器茶業裝業 For Private and Personal Use Only Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०सू० २४८ भाषा 鮮茶 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विवागाणंश्रयमठ्ठे पण्णत्त सुहविवागाणंभंते समणेणं जावसंपत्ते के पत्त तरणं से सुहम्मे अणगा रेजंबू अणगारं एवंखलुजंबू समरीणं जावसंपत्ते सुह विवागाणं दस ज्भयणाप० तं जहासुबाहु १ भद्दणंदौश् सुजाए३ सुवासवे४ तहेवजिणदासे५ धणपत्तियह महव्वलो७ महणंदौ८ महचंदे वर दत्त १० जणंभंतेसमणेणं जावसंपत्तणं सुहविवागाणं दस अन्यणाप० पढमस्वणंभंतेअज्झयण तेकालतेसमानेविषे राजग्टहनगरड तो गुण सिलनामा उद्यान सुधर्मस्वामी समोसा पकेजंब स्वामी सेवाभक्तिविनयकरीसंयुक्त थकाइमकहे जोहेभदंतपूज्य श्रमण भगवंतयावत् मुक्तिमाप्तवातेो दुःखविपाकना एयर्थप्ररूया सुखविपाकना पूज्यश्रमण भगवंतसु क्तिप्राप्तडवातेणे कोंण अर्थकह्या तिवारपछी सौधर्म अणगार जंबू अणगारमते इमक हेदूमनिश्च जंबू श्रमण भगवंतमुक्तिप्राप्तवातेणे सुखविपाकना दशअध्ययनप्ररूया तेकहेछ, सुवानो अध्ययन भद्रनंदीनो अध्ययन सुजातनो अध्ययन सुवास वनो अध्ययन तिमज जिणदासनोअध्ययन धनपतिनो अध्ययन महव्वलनो अध्ययन भद्रनंदीनो अध्ययन महचंद्रनोअध्ययन बरदत्तनोअध्ययन जो For Private and Personal Use Only Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वि.टी. २५० NEWEEKE*WWWWHEREKAWIKEHENEHEKHEL चिल्लिख्यते सव्वोउयत्ति दूदंएवंदृश्य सव्वोउयपुष्फफलसमिरम्मेणंदणवणष्यगासे पासाईए तंसितारिसगंभिचारुभवणंसीति तस्ि स्ममुहविवागाणं जावसंपत्तणं के अटे पणत्त तएणंसेसुहम्मे अणगारे जंबूअणगारंएवंव० एवंखलु जंबू० तेणंकालेणंतणंसमएणं हत्यौसौसणामणयरेहोत्था रि६३ तत्थणहत्थसीसस्मणयरस्सबहि याउत्तरपुरच्छिमेदिसीभाए एत्थणंपुप्फकरंडए णामंउज्जाणेहोत्था सव्वउयतत्थणंकेयवयणमाला पियस्मजक्खस्सजक्खायतणेहोत्था दिब्बेतत्थणहत्थीसौसेणयरे अदौणशत णामंरायाहोत्था महया हेपूज्यश्रमणभगवंतयावत् मोक्षप्राप्तहुवातेणे सुखविपाकना दशअध्ययनकह्या तेमध्ये प्रथमअध्ययन हेभदंतहेपूज्य सुखविपाकना श्रमण भगवंतमुक्तिप्राप्तहुवातेणे किसांअर्थकह्या तिवारपछीते सौधर्मअणगार जंबअणगारप्रते इमकहे इमनिचे जंब तेकालतेस मानेविषे हस्तिशीर्षनामानगरतो ऋदिक्त३ तेहस्तिशीर्षनगर नगरनेवाहिर उत्तरपूर्वदिशिविचे शानकूणे इहांपुष्फकरंड नामाउद्यानडतो सर्वऋतुनाफलफलतिहांपामौजे तिहांकृतमालवनप्रियनामा यक्षनोयचायतन देहरो इंतोप्रधानतिहांहस्ति 港業業兼差兼業業养养業兼職兼職兼職养業器 भाषा For Private and Personal Use Only Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra विटी ५ स्तादृशेराजलोकोचितेवासम्टहे इत्यर्थ:जहामेहजम्मणति ज्ञाताधर्म कथायां प्रथमाध्ययने यथामेषकुमारस्य जन्मवक्तव्यतोक्ताएवम सापिसावाच्यति नवरंयकालमेघदोहदवक्तव्यतानास्तीह मबाहुकुमारह यावत्करणदिदं दृश्य बावत्तरीकलापंडिएणवंगसुत्तप ___ अदौणसत्तु स्मरणो धारणौपामोक्खाणंदेवीसहस्सं उरोहेयाविहोत्था तएणंधारणीदेवी अग्णया० तंसितारिसगंसि वासभवर्णसि सौहंसुमिणंजहामेहजम्मणं तहाभाणियवंणवरं सुबाहुकुमारंजा वअलंभोगसमत्थंवाविजाणंतिर अम्मापियरोपंचपासायडिंसगसयाई करेइर अभ्भुगयभवणंएवं शीर्षनगरनेविषे अदौनशव नामा राजाहुतो मोटोअदीनशत्रु राजाने धारिणीप्रमुखदेवीसहसहजारमंतःपुरतो तिवारपछीते धारिणीपट्टराणी एकदाप्रस्तावे तेराज्ययोग्यधरने विषेतथाजेगलेकहस्य तेहवापुन्यवंतांणीयांने वसवायोग्यधरनेविषेमध्य रावखनमाहिसिंहदौठो जिममेघकुमारनोजन्ममहोच्छवडवो तिमसुवाडकुमारनोमहोच्छवजाणिवो एतलोविशेष सुबाहुकुमार यावत्भोगभोगविवायोग्यसमर्थडवो जांणीने मातापिताये पांचसेप्रासादशिखरघरकराव्या करावीने तेषांचसेमध्ये एकअतिउंचो भाषा For Private and Personal Use Only Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विष्टौ. २५२ पड़िवोहिएनवांगानि श्रोत्रर चक्षुर प्रोणर रसना त्वरमनोरलक्षणानिसप्तानिसंतिप्रतिबोधितानियौवनेन यस्यसतथाअट्ठारस देसीभासाविसारएइत्यादि जावलंभोगसमत्ये जाण्याविहोत्या तएणंतस्मसुबाडमकुमारस्म सम्मापियरोसुबाहुकुमारंवावत्तरीक लापंडियंविति विद्यालचारिं जाणंतिजाणित्तापं चप्रासादावतंसकशतानि कारयंति किंभतानीत्याह अभुग्गत्ति अग्गियमूसिय पहसियेइत्यादिभवणंति एकचभवनंकारयति अथप्रासादभवनयोः कःप्रतिविशेष:उच्यते प्रासादः स्वगतायामापेक्षयाद्विगुणोफ्यः भवनंत्वायामापेक्षयापादोनसमुच्चयमेवेति इहचप्रासादाबधनिमित्तं भवनंचकुमारायेति एवं जहामहाबलस्मत्ति भवनवर्णकोविवाह वक्तव्ययाच यथाभगवत्यांमहावलस्योक्ताएवमस्यापिवाच्या केवलंतत्रकमलश्रीप्रमुखानामित्युक्तमिह तुपुष्पचूड़ाप्रमुखानामितिवाच्य मेतदेवदर्थयवाह नबरमित्यादितहे वत्तियथामहाबलस्य त्यर्थ: पंचसोदाउइत्यादि पंचसयाई हिरणकोडोणं पंचसयाईसुव 諾諾器需諾諾器業諜諜諜諜業業需業器諜號 जहामहब्बलस्म रणोणवर पुप्फचूलापामोक्साणं पंचण्हरायवरकण्हसयाणं एगदिवसेणंपाणिं भवनकराव्यो जिममहबलराजानेपांचसेकन्यापरणावी एतलोविशेष पुष्पचलाप्रमुख पांचसेराजानीप्रधानकन्यानो एकेदिवसेपा For Private and Personal Use Only Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि टी. Us 熊業業諜諜諜諜業樂業鬆鬆擺辦 सकोडीणमित्यादिदानं वाच्य इहयावत्करणादेवंदृश्यं तएणसेसुवाडकुमारेएगमेगाएभारियाएएगमेगंहिरकोडिंदलयइत्यादि * वाच्यं यावत्यन्न चविपुलं धणकणगरयणमणिमोत्तिय संखसिलप्मवालमाइयंदलयइतएणसे सुवाडकुमारेति उप्पिंपासायवरगएप्र * सादबरस्योपरि स्थितइत्यर्थः फुट्टहयावत्करणादिदं दृश्य फुट्ठमाणेहिं मुइंगमस्यएहिं स्फुटद्भिर्य दङ्गमुखपुटै रतिरभसास्कालना * *दित्यर्थः वरतरुणीसंपउत्तेहिं वरतरुणीसंप्रयुक्तौ बत्तीसडूबवे हिंनाडएहिं हानिशक्तिनिवहात्रिंशत्याननिवरित्यन्ये उपगिन गिराहावेइतहेवपंचसयदावोजावउप्पिंपासायवरगए फट्टजावविहर तेणंकालेणं तेणंसमएणंस मणेण भगवंसमोसरणं परिसाणिग्गया अदौणसत्त जहाकोणिएणिग्गए सुबाहविजहाजमालोज णिग्रहणकराव्योतिमजपांचसेपांचसेसुवर्णदातबहुनेदीधीयावत्प्रासादऊपरेपंचविषयसुखभोगवतोथकोतिहारहेछेबत्तीसबङ्घनाटिक वानिवजोतोयकोविचरकेतेकालतेसमानेविषेश्रमणभगवंत महावीरदेवसमोसस्या परिखदायांदिवानीसरोअदीनशत्रुराजाजिमको णिकतेराजानीपरेवादिवानीसयोसबाडकुमारपीणजमालिनीपरेतिमरथवेसीवादिवानीसयोयावत्धर्मकथाभगवंतेकहीपरधर्मसां * 器器需器能樂器艦器端業器器器樂器器器器 For Private and Personal Use Only Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विष्टौ. २५४ माणेर उवलालिज्जमाणे२ माणुस्मएकामभोगेपच्चणभवमाणेत्ति जहाकोणिएत्ति यथाऔपपातिके कोणिकराजा भगवहंदनायनिर्ग च्छत्वर्णितएवमवमपिवर्णयितव्यतिभाव: सुवाहुविजहाजमालीतहारहेणनिग्गउत्ति अयमोंयेनभगवतीवर्णितप्रकारेण जमाली भगबनागिनेयभगवदनायरथेन निर्गतोयमपि तेनैवप्रकारेणनिर्गतइति दूच्यावत्करणादिदं दृश्य भगवतीवर्णितप्रकारेण जहाज मालीसमणमभगवयो महावीरस्मछत्ताइछतं पडागाडूपाड़ागं विज्जाचारजभएयदेव उवयमाणेयउप्रयमाणेथपासति पासित्ता रहायोपच्चोकहदूर समणंभगवमहावीरवंदईत्यादि हट्ठत्तिहह अतीवतुष्टः उट्ठाएति उट्ठाएउट्ठदूच्यावत्करणादिदंदृश्य उट्टि हारहेणंणिग्गएजावधम्मोकहिओरायापरिसागया तएणसेसुबाहुकुमार समणस्मभगवत्रोअंतिए धम्म सोच्चाणिसम्महतले उठाएउ दत्ताजावएवंव०सहहामिणंभंते निग्गंथेपावयणं जहाणंदेवाण. भलीराजापरिषदापाकीवली तिवारपछीतेसुबाहुकुमार श्रमणभगवंतमहावीरदेवनेसमोपे धर्मसोच्चासांभलीने हियेधरीनेहर्षसं तोषउपनो उद्योउठीने यावत्मकहतोइबो सजा हेभदंतनिग्रंथप्रवचनजिममहोदेवानुप्रियातुम्हारेसमीपे घणाराजाप्रधान 器業業業業業業業業柴業諜罪業業業業業諾嬰 भाषा For Private and Personal Use Only Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि. टी० २५५ सूत्र भाषा 搖樂業 黑業業業業 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्तासमणं भगवं महावीरंवंदनमंसद् दित्तानमंसित्ता सहामिणंभंते निग्ग इत्यादि यत्सूत्र पुस्तकेदृश्यते तद्वच्यमाणवाक्यानु सारेणावगन्तत्र्यं तथाहि सहा मिणं भंते निग्गंथंपावयां पत्तियामिणं भंते निग्ग थं पावयगंज हाणंदेवाणुष्मियाचंतिए बहवेराई सरतलवरमाडंबियकोटुंबिय सेट्ठिसत्यवाह पभिईयो मुडेभवित्ता आगाराओ अणगारियंपव्ययंति गोखलुच हंत हा संचाएमिपव्वइत्तए तिएवह से राई सर जावप्यभियो मुडेभवित्तंा अगाराश्रोणगारियपब्बया गोखलुहंत हा संचारमिमु' डेभवित्ता गागारा अणगारियंपव्यत्तिए श्रहण देवाणुप्रियाणं तिरपंचाणु ब्वयंसत्तसिक्खावद्वयं दुवालसविहंगिहिधम्मं पड़िवज्जिस्यामि श्रहासुदेवाणु प्पियामापविद्ध यावत् पुरोहित आदिमुं डभावयईने ग्टहस्थवासथकी अणगारथईप्रत्रज्या लेईने नहीनिचेड' तिम समर्थसु डभावथईने ग्टहस्था वासकांड़ीअणगारनी प्रब्रज्या लेईनसकु'ड' देवानुप्रियातुम्हारी समीपे पांच अणुव्रत सातशिख्यावत एवारे प्रकारे ग्टहस्थनोधर्मचंगी कारकरस्युं जिमतुमने सुखउपजे तिमअहो देवानुप्रियाधर्मनेविषे प्रमादकरमातिवारपछीते सुबाहुकुमार श्रमण भगवंतमहाबीर देव For Private and Personal Use Only 殺殺殺殺殺殺殺殺 紫黑, Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 縣業张张縣器業器需辦業業器器 * अहणंदेवाणुप्पियाणं अंतिएपंचाणुव्वयंसत्तसिक्खावयंगिहिधम्म पड़िवज्जामि अहासहंदेवाणुप्पियामापडिबंधति भगवचनं तमेवचदमेवंदृश्य तमेवचाउग्घंटं पासरहंजामेवइत्यादित्वेवं दृश्य जामेवदिसिंपाउनभएतामेवदिसिंपड़िगएत्ति इंदभई इत्यत्रया वत्करणात् णामंअणगारेगोयमगोत्तेणं इत्यादिदृश्य इटेत्ति इष्यतेस्मतीष्टः सचतत्कृतविवक्षितकृत्यापेक्षयापिस्यादित्याह इष्टरूप: ___ करेइतएणंसेसुबाहुकुमारेसमणस्मभगवनोमहावीरस्मयंतिए पंचाणुब्बयं सत्तसिक्खावयंदुवा लसविहिं गिहिधम्म पड़िवज्जइश्त्ता तमेवदुरुहइश्ता जामेवदिसं० तामेवदिसंपडिगएतेणंकालेणं तेण समएणजे इंदभईजावएवंव० अहोणंभंतेसुबाहुकुमारे इठे इट्टरवेकंतेकंतरूवेपिएपियरूवेम * नेसमीपे पांचपूअनुव्रत सातथिक्षात्रतएवारहप्रकारे ग्रहस्थमोधर्मअंगीकारकरे करीने तिमजतेरथेवेसे सीने जिमजेदिसथीमा * व्योहंतोतिमजतेदिसपाछोगयो तेकालतेसमानेविषे वडोशिष्यगोतमखामौद्रभूती सुबाहुनोरूपदेखीनेमकहे अहोअतिआश्चर्य कारीसुवाडकुमारइष्टबल्लभइष्टरूपदर्शनपणि इष्टछे अभिलाषवायोग्यएहनोदर्शन सदाएहस्यु प्रेमउपजे प्रेमकारीरूपसर्वलोकने 業賺賺賺賺業業兼業業業紧器攀凝聚聚器業 For Private and Personal Use Only Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विटी 業器器器端需繼器器器器器縣樂器器装器然 दृष्टस्वरूपइत्यर्थदृष्टइष्टरूपोवाकारणवशादपिस्यादित्याह कांत:कमनायः कांतरूपः कमनीयस्वरूपः शोभनारस्वभावश्चेत्यर्थः एवविधा पिकश्चित्कर्म दोषात्परेषां प्रीति नोत्पादयेदित्यतमाह प्रियप्रेमोत्पादकः प्रियरूप:प्रीतिकारिखरूपः एवंविधञ्चलोकरूढ़ितोपिस्या *दित्यताह मनोज्ञःमनसांत: सवेदनेनशोभनतयाज्ञायते इतिमनोन: एवंमनोज्ञरूपः एवंविधश्चैकदापिस्यादित्यताह मणामेति मनसासम्यतेगम्यते पुनपुन: संस्मरणतोय: ससमनोमः एवंमनोमरूपः एतदेवप्रपंचयबाह सामेत्ति अरौद्रःसुभगोवल्लभः पियदंस गुण मणामेसोमेसुभगे पियदंसणे सरूवेबहुनणस्मावियणंभंते सुबाह्रकुमारेड कते सोमे४साहु जणस्सवियणभंते सुबाहुकुमारे इव इवरूवे जावसरूवेसुबाहुकुमारणं इमेयारूवेउरालामाणुस्स सुंदरएसर्वलोकने मननोहर्षनोकारणसोम्यवंत चंद्रमानीपरेसोभाग्यवंतछे प्रेमकारीसंदरदर्शनछे सरूपसोभनाकारले घणालोक नेपिण हेभदंतपूज्यसुबाहुकुमार इष्टवल्लभलागेकमनीय सोम्यअरौद्र साधुजनने पिणहेभदंतहेपूज्य सुबाहुकुमारवल्लभ इष्टरूप वल्लभलागेछ५ यावत्सरूपसोभनाकार सुबाहुकुमार हेपूज्य एतादृगरूपप्रत्यक्ष उदारमगुष्यसंबंधीविघर आभरणादिकेणेपुन्ये माषा For Private and Personal Use Only Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि.टी. २५८ छत्र गषा www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गोत्ति प्रेमजनकाकारः किमुक्त भवति सुरूवेत्ति शोभनाकार सुखभावोवेत्ति एवंविधचैकजनापेचयापिस्यादित्यत आह बहुजणा वीत्यादिएवं विधश्च प्राकृतजनापेक्षयापि स्यादित्यतयह साडजणमवीत्यादिदूमाएयारूवत्ति प्रयं प्रत्यक्षाएतद्रपा उपलभ्यमानस्वरू पैत्त्रिमेत्यर्थः किम्मालङ्घन्ति केन हेतुनोपार्जिता किखापत्तत्ति केनहेतुना प्राप्ताउपार्जितासती प्राप्तिमुपगता किया अभि समन्त्रागयत्ति प्राप्तापिसतीकेन हेतुना आभिमुख्येनसांगत्य नच उपार्जनस्य च पञ्चाङ्गोग्यतामुपगतेति केवाएसआसिपुव्वभवेहयाव त्करणादिदंदृश्यं किंनामएवाकिंवा गोएणं पयरं सिवागामंसिवासन्निवेसिवा किंवादच्चा किंवाभोचा किंवा कच्चा किंवा समाय रित्ता रिडोकिखालडाकिणापत्त । किणाअभिसमखागयाकोवाएसचा सिपुव्वभवेजावसमस्यागयाएवंखलगो० करीनेलाधा किमप्राप्तहुई भोगवे केणेहेते सनमुखहुई भोगपणे पडती कुणएड तो पूर्वलेभवे यावत्शब्दे किंनामएवा किंवा गोएं कयरं सिवासन्विवेसिवाकिंवादच्चा किंवाभोचा किंवासमा रित्ता कमवात हारूवम समयममा हणावा अंतिएएगमविधायरियं सुययणं सोञ्चाणि सम्मसुवाणा कुमारेण इमेयारूवा उरालामग्युमिड्ढीलद्वापत्ता अभिसमन्त्रागएत्ति इमनिचे गौतमतेकाल तेस For Private and Personal Use Only 專業業業懟懟懟米米米米。 Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandie बि.टी. २५८ 「業兼差差業業業凝聚業業業業茶業兼差兼器 * कमवातहारूवस्मसमणस्मवा माहणमवा चंतिएएगमवि आयरियं सुवयणसोच्चानिसम्म सुबाहुणाकुमारेणइमाएयारूवाउरालाम णुस्मिड्ढोलहापत्ताअभिसमन्वागयत्ति जादूसंपन्नाडूइयावत्करणादिदंदृश्य कुलसंपन्नावलसंपन्नारूवसंपन्ना एवंविणयमाणसण चरित्तलज्जालाघवसंपन्ना उयंसीतेयंसी बच्चसीजसंसोत्यादिगा दूइज्जत्ति गामाणुगामंदूइज्जमाणाइतिदृश्य द्रवंतोगच्छतइत्यर्थःज तेणंकालेणंतेणंसमएणंइहेवजंबूहीवेश्भारहेवासेहत्थिणाउरणामणयरहोत्थारिदश्तत्थणहथिणा उरणयरेसुहमेणामंगाहावदूपरिबसअड्डतेणंकालेणंतेणंसमएणं धम्मघोसाणामंथेराजाइसंपणा जावपंचहिंसमणसएहिंसद्धिं संपरिबुडापुब्बाणुपुब्बिंचरमाणेगामाणुगामंदूइज्जमाणे जेणेवहत्यि मानेविषे एहजबहीपनामाहौपे भरतक्षेत्रनेविषे हस्तिनागपुरनामानगरडतो रिश्वत तिहांहस्तिनागपुरनगरनेविषे सुमुख नामागाथापती वसेछ ऋविवंत तेकालतेसमानेविषे धर्मघोसनामास्खबिर जातितेमातानोपक्षतेणे संपन्चयावत्पांचसेत्रमणसंधाते परिवस्खोथको पूर्वानुपूर्वअनुक्रमे विचरतांथकां ग्रामानुग्रामविचरताथका निहांहत्यिण्णापुरनगरनेविषे जिहां सहसावनउद्यानछे 卷紫凝聚器業業業業業業業業器暴涨業業業業 भाषा For Private and Personal Use Only Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra बि०टी० २६० सूत्र आषा 米米米米米米鰵 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हागोयमसामीति द्वितीयाध्ययनदर्शित गौतमस्वामिभिचाचर्या ज्ञायेनायमपि भिक्षाटनसामाचारोंप्रयुक्त इत्यर्थ: सुहा ये रेति णाउरेणयरेजेणेवसहसंत्रव णेउज्जाणेतेणेव ०२ चहापड़िरूवं उग्गहंउगिरहद् संनमेणंत वसा अप्पा ण भावेमाणे विहरद् तेण काले ते समण 'ण' धम्म घोसाण थेराण अंतेवासी सुदत्त णामं श्रणगा रेउरालेजावतेयलेसे मासेमासेण खममाण विहरदू तसेसुदत्त अणगारे मासखमणस्यपारणगंसि पढमंपोरिसीएसञ्झायं करेद्र जहागोयमसामी तहेवधम्म घोसेथेरे आपुच्छर जावअडमाण समु तिहांच्या वेचावीने यथायोगवस्तुपाटलास ज्या संथारादिक अभिग्रहणाचे नाचीने १२ भेदे संयमकरी पोतानोआमाभावतायकाविच रेछ तेकालतेसमानेविषेधर्मघोषस्थविरनो शिष्यडतोस दत्तनामाअणगार उदारप्रधानयावत् तेजोलेश्यातेणेकरीसहितमासमास खमणनिरंतरतपकरतोथकोविचरे के तेसुदत्त कुमार अणगार मासखमा नेपारणेपढमपचिलोपोरसी ये खाध्यायक रेजिम गोतमस्वामी तिमजधर्मघोषस्य विरने पूछीने पूर्ववत्हथिणापुरनेविषेचटणकरतोसुमुखनामागाथापतीनाघर नेविषेपेठोतिवारपछी तेसुमुखनामा For Private and Personal Use Only *EET Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०टी० * २६ १ चल भाषा 米米米米罴業業 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धर्म्म घोषास्यविरानित्यर्थः धर्मा शब्दसाम्याच्छन्द हयस्याप्य कार्थत्वात् पड़िलाभियामीति तुट्ठ इहेदं द्रष्टव्य ं पड़िलामेमाणे हस्मगाहावइस्सगिन्हं अण, पविट्टे तरण सेसुमुहे गाहावइकुलेसुदन्त अणगारेएज्जमाणं पासद्ह तु आसणाओ अम्भुट्टे दूर पायपीटा ओपञ्चमह२ पार यामुयदू२ एगसाड़ियं उत्तरासंगंकरे इ२ मुदत्त'अणगारं सत्तद्रुपया अणुगच्छद्र तिक्ख त्तो यान्हिण पयाहिण करेद्र‍ वं दणमंस इ२ विउलेण'असणं'४ पड़िलाभेसामौतितुट्टे तरणं तस्मसमुहस्सतेण दव्वसुद्ध णं दायकसुद्द पि गाथापतीसुदत्तअणगार साधुने आवतोदेखीने हर्षसंतोषपामी वेसवाना आसणथकी ऊठेऊठीने पादपीठथको मीपादुकापगथीउतारीस केस कीने एकसाटिकपकेबड़ीनो उत्तरासंगकरेकरीने सुदत्तअणगारने सातआठपगलासामु होजाईने त्रिणवारजीमणापासाथकी प्रारंभीने प्रदक्षिणाकरीनेवांदीगुणस्तवी विस्तीर्ण अशनादिक प्रकारनो प्रतिलाभस्यो तिवारेतुष्टमांन थयोपडिलाभवालागो तिवारपछीतेस मुखगाथापतीद् तेद्रव्यशुङ्खमासुकमनोग्यंचाहार करीदातार उदारगुणे करीसहिततथापोते For Private and Personal Use Only ऊतरेऊतरीनेपग. 米米米米米米米米米米米米米米米米米米張 Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir - - विटी 器樂器器器業業器端端點燃器器器業繼點。 * तह पडिलाभिएवितुहत्ति तस्मसुद्धमस्मत्ति विभक्तिपरिणामात्तेन सुद्धमेनेति द्रष्टव्य तेनेति अशनादिदानेन दव्वसुईणतिद्रव्यत: * सुद्धेन प्रासुकादिनेत्यर्थः इहान्यदपि गाहगसुवण दायगमुद्दति दृश्य तत्र ग्राहकमुच यत्र ग्टहीता चारित्रगुणयुक्तः दायकशुद्धतयत्नदाता औदार्यादिगुणान्वितः अतएबाहतिविहेणंति उक्तलक्षणप्रकारत्रययुक्त न तिकरणशुद्दे णंति मनोवाकाय लक्षणकरणत्रयस्य दायकसंबंधिनो विशुद्धत येत्यर्थः एवं प्राइक्खत्ति सामान्येनाचष्टे इह चान्यदपि पदवयं द्रष्टव्य एवंभा* ग्गाहसुद्धण तिविहेणं तिकरणसुद्धण सुदत्त अणगारे पडिलाभिएसमाण संसारपरित्तीकएम ण स्माउएणिबंधे गिहंसियंसेमाई पंचदिवाई पाउम्भूयाई तंजहावसुहारट्ठी दसद्धवरकुसु मेणिवातिए चेलवकर बाहयानोदेवटुंदुनीया अंतरावियणं आगासंसिअहोदाण ? यह धणीसझतो प्रतिग्राहकसुद्धचारित्रगुणेकरी संयुक्तपूर्वेकह्या जेविणप्रकारतेणेकरीसंयुक्तदातारनामनवचनकायाये करीविणसुद्ध करीने मुदत्तनामाअणगारने प्रतिलाभताथका संसारपरित्यागकयोअनेमनुष्यनोआजखोवांध्योपछेषरनेविषेपांचव्यप्रधानवस्तुमा 業業課業眾米業業需誰業業業業諾諾器業 For Private and Personal Use Only Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०टी० २६३ सूत्र भाषा 張業業業業業業淓淓業漴業讌愨黹讌罴讌罴業 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सइत्तिविशेषतआचष्टे एवंपन्न वेत्ति एवं परूवेति एतच्च पूर्वोक्तपदद्वयस्यैव क्रमेणव्याख्यानार्थं पदद्धयमवगन्तव्यं अथवा चाख्यातीत तथैवाभाषतेतुव्यक्तवचनैः प्रज्ञापयतीति युक्तिभिर्योधयति प्ररूपयतीतिभेदतः कथयतीति, धन्नेदेवाणुष्मियाशुडमेगाहावई इत्यत्त्र त्थिणाउरेसिंघाडग जावपहेसु बहुजणोअपमस्सस्स एवं चायक्वदूर धरण ण' देवाणुम्मिए सुमुहेण गाहावनावधपण देवा० सुमुहेगाहाबद्बहुहिंवासस्याद् आउयंपाले कालमासे० इवह त्थिणाउरेणयरे अदौणसत्तुस्मरखोधारिणो देवी कुच्छि सिपुत्तत्ताएउवबरण तरणं'साधारिणौदेवौ गठई कहे के सोनीयानीटटिई १२ ॥ कोड़िपांचप्रकारफूल नीटटिड वस्त्रढाल्याएतलेवस्वनोदृष्टिहुई आकासे देवता आहणीक जाड़ीदेवदुंदुभी अंतराले अंतरीक आकाशनेविषे राहीने मोटोदानदीधो एहवोनिर्घोषशब्दपायो हथिणापुरनगर नेविषे सिंघाड़ादि कत्रिक चोकचञ्चरराजपंथयावत् तेहनेविषे षणा जनलोकमांहोमांहिम कहिवालागा धन्यहे देवाणुप्रिये सुमुखगाथा पत्तीजे एडवो दानदीधोजे गोदानदृष्टिथई तेमाट धन्य हे देवानुप्रिया सुमुखगाथापती जेणेएहवो साधुपड़िलाभ्यो घणावरसना सईकड़ालगे आऊलो For Private and Personal Use Only 米米米米米米米米米米米米米米米米米米 Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विष्टी. 展業兼差兼养骤器聚器業業業器器兼养業器業 यावत्करणादिदंदृष्य पुत्र देवाणुप्पियासमुहेगाहावई एवंकयस्थ शंकयलक्षणेणंमलबेणं सुहमस्मगाहावइस्मजम्मजीवियफलेज रमणंइमाएयारूवाउरालामाणुस्मिड्ढोलहापत्ता पभिसमन्वागयत्ति तंधणंदेवाणुप्पिया सुमुहेगाहावईइत्यादिपूर्ववत्प्रदर्शितमे सयणिज्जसि सुत्तनागरानोहोरमाणौर तहेवसौहपास सेसंतंचेवजावउप्पिंपासाइविहरतं एवंखलुगो सुबाहुणाइमाएयारूवामाणुस्सरिदौलवा३ पभूण तेसुबाहुकुमारे देवाणुप्पियाण अंतिएमुंडेभवित्ता अगारोत्रणगारियंपव्वदूत्तए हंतापभूतएण सेभगवंगो समण भगवंमहावी रंवंदणमसइर संजमेण तवसा अप्माण भावेमाणेविहर तएणसमणेभगवंमहावीर अस्पया०ह * पालौने कालनेसमेकालकरौने एहजहथिणापुरनगरनेविषे अदौनशत्रुराजानी धारिणोदेवीनी कूखनेविषेपुत्रपणेऊपनोतिवार * पछीधारिणीदेवी शिज्यानेविषे सूतथिकांकाईउ'घतांकाई जागतांईषत् निद्रामावते तिमजपूर्ववत् केसरीसिंघस्वप्न दौठो श्रेषसर्व * पूर्वलीपरेजन्ममहोच्छवपाणिग्रहणजाणिवो प्रासादउपरसुखभोगवतोविचरेके तेभगौडमनिचे हेगौतम सुवाडकुमारएतादृशरूप 業業蒸蒸器器業業業講業業業業業業業需業需 भाषा For Private and Personal Use Only Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०सू० २६५ भाषा ********** www.kobatirth.org त्यौसौसाओणयराओ पुष्करंडा ओउज्जाणाओ केयवणनक्खायणाओ पड़िनिक्खमश्वन्हिया जणवयविहारविहरद् तरणंसेसुबाहुकुमारे समणोवासनाए अभिगयनीवानीवे जावपडिला मेमाणेविहरद्र तरणंसेसुबाहु कुमारे श्रण्या० चाउहस्समुद्दिद्वपुष्पमासिणीस जेणेवपोसहसाला Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एहवीमनुष्यनीऋद्धि लाभोपामीनेपोहतोसमर्थक हेभदंत हे पूज्य सुवाङकुमार अहोदेवानुप्रिया तुम्हार समीपेमु डभावथईनेग्टह स्थावासछांड़ीनेअणगारनी प्रब्रज्यालेस्य हांगौतमसमर्थक तिवारपछीतेश्रमण भगवंत गौतमश्रमण भगवंतमहावीर देवनेवदिवांदीने नमसकार करीने संयमेतपेकरीने पोतानो आत्माभावताथकाविचरवालागा तिवारपछी ते भगवंतमहावीरदेव एकदाप्रस्तावे हस्ति शीर्षनगरथकी पुष्ककरंडउद्यांनथकी केतनयक्षनास्थानकथकी नोसरेनोसरीने बाहिर जनपददेशने विषेविहारनिमित्ते विचरे छेतिवारपछीतेसुवाळकुमारश्रावकथयो जाण्याछे जीवादिकनवपदार्थजेणे यावत् साधुसाधवीनेनिर्दोष आहारादिक प्रतिलाभतो थकोविचरेके तिवारपछीतेसुवा डकुमार एकदा प्रस्तावे चउदिसे आठ मेअमावस्यापूनिमते हविषे जिहांपोषधशालाक तिहांआवे २३ For Private and Personal Use Only Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandie वि टी. ६ 10. 流器黑業諾器端端端辦業器器器器樂器架 वेहपदपंचकंनिगमनतयावसेयं अभिगवजीवाजीवे इच्यावत्करणादुवलजपुत्रपावेइत्यादिकं महापरिग्गरिएहिं तवोकम्म चिप्या तेणेवउवार पोसहलालंपमज्जइर उच्चारपासवणं भूमिपडिलेहेइर दम्भसंथारंसंथरहर दम्भसं थारंदुरुहइर अट्टमंभत्तगिण्हइर पोसदसालाएपोसहिए अट्ठमभत्तिएपोसहं पडिजागरमाणेविह र तस्ससुबाहुस्मकुमारस्म पुव्वरत्तावरत्तकाल. धम्मजागरियंलागरमाणस्म इमेथारुवे अज्झत्थि एयू धरणाणंतेगामागरणगर जावसणिवेसा जत्थणंसमणे भगवंमहावारविहर धपाणंतेराईसर * भावीने पोषधशालानेपूजेपूंजीने वड़ीनीतिलघुनौति भूमिकांपहिलेहीनेजोईने डाभनोसंथारोपाथरेपाथरीने डाभनेसंधारेवेसे वेसीने अट्ठमभक्ततपग्रहीने पोषधशालानेविषे पोसासहितहो अष्टमभक्तिअनेपोसहपालतोहंतो दोषटालतोषकोविचरेछ तेसुवा डकुमारने मध्यरात्रिनेसमेधर्मजागरिकाजागतोयकोएतादृशरूपएहयोअध्यवसाऊपनो५ धन्यतेगामागरपुरपाटणनगरयावत्सन्नि वेसरायप्रमुख जिहांश्रमणभगवंतमहावीरदेवविचरेछे धन्यतेराजाप्रधानप्रमुख जेणेत्रमणभगवंतनेसमीपेमुडाभावथईने जावत् 派器默課業装器諾器米諾諾器器器器需業器崇 भाषा For Private and Personal Use Only Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विटी सूत्र 米漿黑黑黑黑黑米業需器器需柴米米 NE गंभावेमाणेविहरई एतदन्त हसं चाउहसमुदिपवमाएसिडूणीसुत्ति मनोद्दिष्टा अमावभ्यागामागरदूहयावत्करणात् नगरकबड़ मडंबखेड़दोणमुहपट्टणनिगमासमसंवाहसचिवेसाइतिदृश्य राईसरहेवदृश्य राईसरतलवरमाडंबियकोडंबियसेडिसत्ववाहप भियोति मुंडाइयावत्करणात् इदंदृश्य भवित्तापागारात्रो अणगारियंति पुव्वाणुपुबिदर यावत्करणादिदंदृश्य चरमाणो __ जेणसमणस्मतिएमुडा जावपव्वयंति धरणाणतेराईसर जेणंसमणस्मअंतिएपंचाणुव्वतियं जावगि हिधम्मंपड़िवज्जइ धपाणंतेराईसरजेणंसमणस्स अतिएधम्मसुणेइ तंजहा जणंसमगभगवंमहा वौरे पुवाणुपुब्बिंजावटूइज्जमाणे इहमागच्छ ज्जा जावविहरिज्जा तोणंअहंसमणस्स अतिए साधुनीप्रव्रज्याले धन्यतेराजाप्रधानप्रमुखजेणे श्रमणभगवंतनेसमोपेपांचअनुब्रतादिक यावत् ग्टहस्थधर्मपड़िवजे धन्यतेराजायुवरा साधुनोप्रवज्य जादिकजेश्रमणभगवंतने समीपेधर्मसांभलेतेकहेछे जेमाट जोत्रमणभगवंतमहावीरदेवपुव्वाणुपुविअनुक्रमेयावविहारकरताथका दूहांबावीने यावविचरस्य तोत्रमणभगवंतने समीपेमुडदिक्षालेईने यावत्साधुनीप्रवज्याल्योतिवारपछीते श्रमणभगवंतमहा 業諜諜業業業業業樂業業業業業张器器業業器 भाषा For Private and Personal Use Only Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandie वि टी. 米器器黑米黑崇器黑黑黑黑黑黑黑黑黑 गामाणुगामंतिजहापढ़मंति यथेवाध्ययनेप्रथमंजमालीनिदर्शनेननिर्गमतोयमुक्तस्तथाद्वितीयनिर्गमेश्यनगराविनिर्गतइतिवाच्य मुडेभवित्ताजावपब्बएज्जा तएणं समणेभगवंमहावीरे सुबाहुस्मकुमारस्म इमंएयोरूवंअभत्थि यंजाववियाणित्ता पुवाणुपुबंजावदुइज्जमाणे जेणेवहत्थोसोसेणयरे जेणेवपुप्फकरंडएउज्जाणेजेणे वकयवणमाला पियस्मजक्खस्मजक्वायतणे तेणेवउवार अहापडिरूवं उम्गहंउगिरिहत्ता संजमेणं तवसाजावविहर परिसारायानिग्गयो तएणतस्ससुबाहुस्मकुमारस्स तंमहयाजहापढमंतहानि वीरदेवसुबाहुकुमारनो एप्रत्यक्षएतादृशरूपएहवो अध्यवसायअभिप्राययावत् जाणीने अनुक्रमे यावत्ग्रामानुग्रामविचरतांथका जिहांहस्तिशीर्षनगरजिहां पुष्पकरंडकउद्यान जिहांकृतमाल प्रियनामावक्षयनेयक्षनोस्थानकतिहां पावेमाबीने साधुनेयोग्यअव * ग्रहमांगीनेजाचेजाचीने संयमतपेपोतानो आत्माभावता यावत्विचरेके परिखदाराजाबांदिवानीसस्या तिवारपछीतेसुबाहुकुकार तेमाटे मोटे आडंबरे जिमवीजीवेलावादिगयोतथा भगवंतेधर्मकथाकही पोपरिखदाराजासर्वपाशावल्या तिवारपछीते सुबाहक 需繫業業業業業業業業業器器器器器 भाषा For Private and Personal Use Only Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि टी० २६८ 新器業器器諜諜諜業器器業業業器業業器器業 उभयवसमानोवर्णकथइतिभावःइरियासमिएइत्यत्नयावत्करणादिदंडग्य भासासमिएएवंमणगुत्तेश्गुतिदिएगुत्तबंभयारीघाउक्ष ग्गयाधम्मोकहिओ परिसारायागया तएणसेसुबाहुकुमारे समणसंभगवो अंतिएधम्मोच्चाणि सम्म हट्ठजहामेहो तहाअम्मापियरोापुच्छड्.निक्खमणाभिसेखो तहेवअणगारेजाए इरियासमि एजावबंभयारी तएणसेसुबाहुणगारे समणस्मभगवश्रो तहारवाणंथेराणं अंतिएसामाइयमा याईएकारसगाई अहिज्जइश्वहिंचउत्थछट्टम तवोविहाणणं अप्पाणंभावित्ताबहुवा मारश्रमणभगवंतने समीपेधर्मसांभलीहियेधारीने हर्षपांम्योजिममेषकुमार तिमजमातापिताने पूछीने दिक्षानोमहोच्छवसर्वतिम जमेघकुमारनौपरेअणगारथयो ईर्यासुमितादिकसहित यावत् ब्रह्मचारीतिवारपछीते सुवाइअणगार श्रमणभगवंतमहावीरदेव तथारूपस्थिवरनेसमीपे सामायिकमादिदेईने इग्यारेअंगभण्याभणौने घणीपरेतपकर्मउपधानचौथछट्टअट्ठमादिक तपनौविधेपोता नोआत्माभावतापछे बहुइघणावरधनो सामान्यपर्यायपालीने एकमासनौसलेखनाकरीपोतानोआत्मास्यो साठभक्कनोअणसणछे WINE**WERINEMAINMENIMECEMEHEKIKEKEE माधा For Private and Personal Use Only Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि.टी. 凝聚鞋業業業業業業業影業業業業業業業業 एणतिवायु:कर्मा द्रव्यनिर्जरणेनभवक्वएणंदेवगति बंधनदेवगत्यादिक द्रव्यनिर्जरणेनठिक्वएणतिआयुष्कादिकर्मस्थितिविगमनेन अणंतरंचयंचइत्तत्तिदेवभवसंबंधिमंदत्यनेत्यर्थः अथवाअनंतरमायुः क्षयाद्यनन्तरंचयंति च्यवनंचइत्तत्तिच्य त्वामहाविदेहेहयाव साइसामसापरियागंपाउणित्ता मासियाएसंलेहणाए अप्माणंभूसित्ता सदिभत्ताईअणसणांई के दित्ता आलोइयपड़िते समाहिपत्ते कालमासेकालंकिच्चा सोहम्म कप्मे देवत्ताएउववस सेणंभंते ताअोदेवलोगानो आउक्खएणंभवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरंचयंचइत्ता माणुस्सं विग्गहलभि हितिकेवलंबोहिंबुभिहितिर तहारुवाणंथेराणं अंतिएमुडेजावपब्बइस्मइ सेणंतत्थबहुहिवासाइ दीनेमापणादोषप्रगटकरीने मिछामिदुकड़ादिकेपडिकमीने भावसमाधिपाप्तथईने कालनेसमेकालकरीने सौधर्मदेवलोकेदेवतापणे अपनोहेभदंततेदेवलोकथकी देवतानोपाजखोक्षयकरौनेदेवतासंबंधीयाभवक्षयकरौनेदेवतानानामकर्मस्थितिक्षयकरीनेांतरा * रहिततिहाथको देवतासंवधीयोशरीरम कौनेमनुष्यनोशरीरपणे विग्रहकरीनेदेवतापणेपामे केवलबोधधर्मपामीनेश्तथारूपथिवरने 講業業業業龍諜業業業業業樂器器業業 For Private and Personal Use Only Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Po वि.टी. २७१ सूत्र भाषा ******** www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्करणात् सेजाइदूमाद्'कु लाइ भवंति अढाइ तिम्रट्ठाई दित्ताई' अपरिभूयाद्' इत्यादिदृश्यदूति द्वितीयश्रुतस्कन्धम यमाध्ययनविवर् सामपरियागंपाणिहिंति चलोयपड़िक ते समाहिपत्ते कालमा से० " सर्णकुमारकम्प देवत्ताए उववस्पेतओमाणुस्स पव्वज्जा वंभलोएमा शुस्तं महामुक्कळे माणुस्म' आरणए माणुस्म सव्वगसिद्धिं सेणं तश्रोचणंरंउव्वट्टिता महाविदेहे जाव अड्डाजहादटपट्टूस सिज्झिहिंति एवंखलुजंबूसमणेणं जावसं पत्ते सुहविवागाणं पढमस्त ज्यणस्स श्रयमप० त्तिवेमि इतिपढमं श्रयणं सम्मत्तं |१| समीपेमु डथईने यावत्प्रवज्यालेस्य तेतिहांघणावरसनो चारित्रप्रव्रज्यापालीने आलोईपड़िकमी समाधिपांमी कालनेसमेकालक रीने सनत्कुमारदेवलोकेदेवतापणे ऊपजस्य तिहां की चवीने मनुष्यभवपांमीने प्रव्रज्यालेपालीने ब्रह्मदेवलोकेदेवता वलीमनुष्यभव पांमीनेमहाशुक देवतावली मनुष्य भवपांमीने चरणदेवलोके देवता मनुष्यभवपांमीने सर्वार्थसिद्धिदेवताथास्य कौआंतरारहितनी सरेनीसरीने महाविदेहक्षेत्रे मोटाव्यवहारीयानाकुलने विषे जिमद्रढपईनो अपढमोजीव तिमजसीकस्य इम तेदेवतातिहांथ For Private and Personal Use Only 馬米米米米米米米米米米米米米米米米米米 Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsunl Gyanmandir www.kobatirth.org वि.सू. वितियस्मउक्लेवो एवंखलुजंबूतेणंकालेणं तेणंसमणेणं उसमपुरणयरेथूभकरंडगंउज्जाणेधोज क्खोधणोवहोराया सरस्मईदेवी सुमिणंदंसणंकहणा जम्मंबालत्तणंकलाउय जोवणेपाणिग्गह णंदाउपासादंभोगायं जहासुबाहु स्म णवरंभहनंदीकुमारे सिरोदेवीपामुक्खाणपंचसया सामी स्ससमोसरणं सावगधम्म पुब्बभवपुच्छा महाविदेहे पुंडरिगिणोणयरी विजयकुमारजगबाहुति 器器器業器器器器業業業業器業業諾器業 需器器器深紫紫器業講講米米米米業業艦米器 भाषा निश्चेहेजंबूत्रमणभगवंत यावत्मोक्षप्राप्तडवातेणे सुखविपाकना पहिलाअध्ययनना एअर्थप्ररुप्याइतिववीमौइतिप्रथमअध्ययनसमा प्रथयो ।। वीजाअध्ययननोअधिकारकहेछ इमनिचे हेजंबू तेकालतेसमानेविषे उसभपुरनामानगरजिहांधूभकरंडनामाउद्यान धन्नोयक्षधन्नावहराजानी सरस्वतीदेवीपट्टराणी खनदौठोराजाई सुप्रपाठकनेकह्यो जन्ममहोच्छक्वालपणे कवलवधनादिकवद्ध र तरकलानोजांणगुरुसमीपेसौखबो योवनवयनवयंगसूताजाग्यातिवार ५००कन्यापरणावी दातपांचमेकोडिहिरख्यनीकोडिसुवर्ण नीकोडि५० मुगटइत्यादिकसर्व५. पांचसे प्रासादभोगएसर्वजिमसुबाहुनौपरे जाणवो एतलोविशेषभद्रनंदीकुमारतेशने श्रीदेवी For Private and Personal Use Only Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वि०सु० २०३ भाषा www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्थकरेपडिलाभे माणुस्माउनिवड हंउप्पण से जहा सुबाहुस्स नावमहाविदेहे सिज्झिहिति मु चिहिंतिपरिनिव्याहिंति सव्वदुक्वाणमंतं करिहिंतिवित्तियं अभयण सम्मत्तं । २ । तञ्च स्वउक्खेव श्रवौरंपुरंनयरं मणोरमंउज्जाणं वीर कण्हमित्तेराया सिरिदेवी सुजातेकुमारे बलसिरीपा मोक्वाण' पंचसया सामीसमोसरिए पुष्वभवपुच्छा उसुयारेण्यरे उस दत्त गादावई पुण्फ दत्त राणी प्रमुख५०० से पट्टराणी भगवंतसमोसख्या श्रावकधर्मांगीकारकस्यो पूर्व भवभगवंतने गौतमपूच्या महाविदेहक्षेत्र नेविषे पुड रगिणीनामानगरी विजयनामाकुमारमहाविदेहक्षेत्रने विषेजुगवाड विहरमांनतीर्थंकरप्रतिलाभ्या प्रतिलाभतांधकामनुष्यनोमाऊ खोवांध्यो इहांऊपनो शेषसुबाहुकुमारनीपरजाणिवो यावत् महाविदेहक्षेत्रनेविषे सौभस्य केवलज्ञांनपामी सर्बज्ञहस्ये सर्वकर्मना दुखक्षयकरीनेशीतलीभूतस्य शरीरमाणासीदुग्खनो अंतकरिस्य बीजाअध्ययनना अर्थसमाप्तथयो । २ | वीजा अध्ययननो अधिकार कहेछे बीरपुरनगरमनोरमनामाउद्यान वीरकण्ड मित्रराजा श्रीदेवीतेहने राणोजातनामाकुमारने बलश्रीप्रमुख ५०० पांचसे For Private and Personal Use Only Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि . म . अणगारपडिलाभे माण स्माउनिबड्व इहउप्पखे जावमहाविदेहेसिभिहिति ।। सुहविवागत इयंअभयण सम्पत्त । ३। चउत्थस्सउक्ख वो विजयपुरंणयरं णदणवण उज्जाण असोगोज क्खोवासवदत्तराया कण्हादेवौसुवासकुमारे भद्दापामोक्ख पंचसयादेवीजावपुवभवोकोसंवीण यरोधणपालोराया वेसमणभद्दे अणगारेपडिलाभिए इहंजावसिद्ध चउत्थंअभयणंसम्मत्त ४ 器器器蒸器業需米諾諾器業器業器器器器諜案 भाषा 兼業器業業器業業業業需辦講業業業業諾業業業 कन्यापरणावी भगवंतसमोसस्या पूर्वभवपूथ्यो इक्षुकारनगर ऋषभदत्तनामागाथापती पुष्कदत्तअणगारने प्रतिलाभतांथका मनुष्य नोआऊखोबांध्योहांऊपनो यावत्महाविदेहक्षेत्रेसीझस्य ।। सुखविपाकनानीजा अध्ययननाअर्थसमाप्त 1 चउथाअध्ययननो अधिकारकहेछ विजयपुरनगर नंदनवननामाउद्यान अशोकयक्षवासवदत्तनामाराजा कृष्णादेवीसुवासवकुमार भद्राप्रमुखपांच मेरांणीपरिणावी यावत्पूर्वभवे कोसंबीनगरी धनपालराजा वेसत्रमणभद्रयणगारने प्रतिलाभ्यो दूहांयावत्मुक्तिसिद्धथयो चौथा अध्ययननाअर्थसमाप्तथयो ।४। पांचमाअध्ययननो अधिकारकहेछ सोगंधिकानगरी नौलासोगउद्यान सुकालनामायक्ष अप्रतिहत For Private and Personal Use Only Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि०० २७५ WHENEHEATHERWIKEKHAKKAMMEHEYENER पंचमस्मउक्खेवो सोगंधियाणयरोणीलासोगउज्जाणं मुकालोजक्खोअप्पडिहयोरायासुकरहा देवीमहचंदेकुमारे तस्मअरहदत्ताभारिया जिणदासोपुत्तो तित्थगरांगमणं जिणदासोपुब्वभवोम झिमियाणयरी मेहरहोरायासुहम्मे अणगारेपडिलाभिए जावसिद्धे पंचमंअभयण सम्मत्त ५ छट्ठस्मउक्खेवो कणगपुरणयर सेयासेयं उज्जाणे वीरभद्दोजक्खो पियचंदोरायासुभद्दादेवी वेस मणकुमारजवरायासिरीदेवी पामोक्खाण पंचसया तित्थगरागमण धणवईजुवरायपुत्तो जावपुग्य राजा सुकृष्णादेवी महचंदकुमार तेहने परहदत्ताभार्यास्त्री जिणदास पुत्व तीर्थंकरसमोसया जिणदासनो पूर्वभवपूख्यो मजिक मिकानगरमेषरथराजा सुधर्मा अणगारने प्रतिलाभ्यो यावत्मुक्तिमाप्तहुना पंचमामध्ययनमा अर्थसमाप्तथयो । छट्ठामध्ययननो अधिकारकहेछ कनकपुरनामानगर तशोकनामाउद्यान वीरभद्र्यक्ष प्रियचंद्रराजा सुभद्रादेवी वैश्रमणकुमार सुवराणाश्री देवीप्रमुख५०. पांचसेकन्या परिणावी तीर्थंकरसमोसस्या धन्यवतीयुवराजानो पुत्त्रपूर्ववत्पूर्वभवेपूच्यो मणिवयानगरी मित्रराजा 機器業蒸蒸糕業業蒸蒸养業業業养業業業器器 भाषा For Private and Personal Use Only Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org वि०सू. भवंमणिवयाणयरीमित्तोराया संभूतिविजएअणगारे पडिलाभिएजावसिद्धे छटुंअभयणसम्मत्त सत्तमस्म उक्लेवो महापुरणयरं रत्तासोगंउज्जाण रत्तपालजक्खो बलेरायासुभद्दादेवीमहबलेकु मारेरत्तवतोपामोक्खाण पंचसया तित्थगरागमण जावपुव्वभवो माणीपुरणयरंणागदत्तेगाहाव ईइंदपुरअणगारेपडिलाभिएजावसिद्धे.सत्तमंअभयण सम्पत्त७ अट्ठमस्सउरखेवो सुघोसंणयरं 紫禁讓業業業職業業業職業器兼差兼職兼差業 HWARENERMINKEKENIWREKKIKA भाषा संभूतविजयणगारने प्रतिलाभ्यो यावत्मुक्तिप्राप्तहयो छट्ठाअध्ययननो अर्थसमाप्तसंपूर्णथयो।। सातमाअध्ययननोअधिकारकहे छेमहापुरनामानगररत्तासोकनामाउद्यान रक्तपालयत्त क्लनामाराजा सुभद्रादेवीमहबलकुमार रक्तवतीप्रमुख५. पांचसे कन्या परणावी तिथंकरसमोसस्या यावत्पूर्वभवपूछ्यो भाणीपुरनगरनागदत्तनामागाथापती इंदपुरअणगारनेप्रतिलाभ्यो पूर्ववत्मोक्ष प्राप्तडवोसातमाअध्ययननो अर्थसमाप्तडवो ॥ पाठमाअध्ययननोअधिकारकहेछसुघोसनामानगरदेवरमणनामाउद्यानवीरसेन यक्षअर्जुननामाराजा तत्त्ववतीराणी भद्रनंदीकुमारने श्रीदेवीप्रमुख ५०० पांचकन्यापरणावी पूर्वलोभवपकीयो महाघोषनामा For Private and Personal Use Only Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वि.सू. 鬆鬆繼器縱需講業業驚業點器需器默業 देवरमणंउज्जाणवीरसेणोजक्यो अज्जुणोरायातत्तबईदेवीभद्दणंदीकुमारे सिरौदेवोपामोक्खाणं चसयाजावपुब्वभवे महाघोसेणयरेधम्म घोसेगाहावद्धम्म सोहेअणगां० जावसि अट्टमअन्झयणंस मत्तं ८णवमस्मउकखेवश्रोचंपाणयरोपुपमह उज्जाणेपुरणभह जक्खादत्तरायारत्तवईदेवीमहचंदे कुमारजवरायासिरिकतापामोक्खाणंपंचसयाजावपुब्बभवोतिगिच्छिणयरीजियशत्तूरोयोधम्मवि रतिशणगारेपडिलाभिएजावसिद्धे णवमंअभयणंसम्मत्तं जणंदसमस्सउक्खेवोएवंखलुजंब० नगरधर्मघोषनामागाथापतीधर्मसिंघमणगारने प्रतिलाभ्योयावत्मिकथयाअष्टमाअध्ययननोअर्थसंपर्णम् नवमाअध्ययननोअधिकार कहेछेचंपानामनगरीपर्णभद्रउद्यानपूर्णभद्रयक्षदत्तनामाराजारक्तवतीदेवीमहचंद्रकुमारयुवराजा श्रीकंताप्रमुखपांचसेकन्यापरणा * वीपूर्वलोपरेपूबलीपरेतिगिच्छानगरीजितशत्रराजाधर्मविरति अणगारनेप्रतिलाभ्योपूर्ववत्मिकथयानवमाअध्ययननोअर्थसंपूर्णकह्यो ५ जोदशमाअध्ययननोअधिकारकहेछेड्मनिश्चेहेजबूतेकालतेसमानेविषे साएयनामानगरहूतोउत्तरकुरनामाउद्यानपासामियो 紫紫蒸养养業暴涨涨涨涨業業業兼涨涨涨养業 For Private and Personal Use Only Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir बि.टी. व 装業課業業業業業器業業業养業業業業業業業 णंएवमुत्तराणिनवाप्यनुगन्तव्यानीतिसमाप्तविपाकथुताख्य कादशांगप्रदेशविवरणं दूहानुयोगयदयुक्तमुक्ततवीधनाद्राक्यरिशोधयंत तेण कालेण तेण समएण साएयणामणयरहोत्था उत्तरकुरुउज्जाणेपासामियोजकलोमित्तणदीरा रायासिरिकतादेवी वरदत्त कुमार वीरसेणापामोक्खाणपंचसयादेवीतित्थगरागमणंसावगधम्मंषु __वभवोसयदुवारेणयरे विमलवाहणेरायाधम्मईअणगारे पडिलाभिएमाणुस्माउबंधेहंउप्पण सेसंसुवाहुस्मचिंताजावपज्जाकप्यंतरेतोजावपव्यज्जाकप्यंतरेतोजाव सट्टसिद्धतोमहावि यक्षमिवनंदीराजाश्रीकंतादेवी घरदत्तकमारवीरसेनाप्रमुखपांचसेकन्यापरणावीतीर्थकरसमोसवाखावकनोधर्मचादसोपूर्वभवली योशतदुवारनगरविमलवाहनराजातेणे धर्मरुचिमणगारने प्रतिलाभ्योमनुष्यनोआखोवाध्योहाऊपनोशेषसर्वसुबाहुनीपरेपोष धनेविषेचौंतव्योपूर्ववत् दीक्षालीधीदेवलोकचढ़तेपहिले देवलोके३।५।७।४।११ देवलोकेयावत् सर्वार्थ सिद्धे देवताथास्येतिहाथीचवीने महाविदेहक्षेत्र पूर्वलीपरेमीझस्व इमनिचे हेजबू श्रमणभगवंतपूर्ववत्मोक्षप्राप्तहुवातसुखविपाकनादशमाअध्ययननाअर्थकह्या 樂器器器端端端樂器器器端端帶紫米米米諾 भाषा For Private and Personal Use Only Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir बिष्टी 縣器縣樂樂器需搭器樂器樂需牆牆器器樂 नोपेक्षणंयुक्तिमदन येन श्रीजिनामेभक्तिपरायणानां कृतिरियंसंविग्नमुनिजनप्राणौजिनेश्वराचार्यच रणकमलचंचरीककल्पश्रीम दभयदेवाचार्यस्येति अक्षरमात्रपदस्वरहीनं व्यंजनसंधिविवर्जितरेफंसाधुभिरेषममक्षमितव्य कोऽवनमुह्यतिशास्त्रसमुद्र । संपूर्ण। देहे जावसिज्झिहिंति एवंखलुजंबू० समणेणंजावसंपत्तेणं सुहविवागाणदसमस्सअझयणस्मअयम उपपत्ते सेवंभंते सुहविवागेदसबभायणा दसमंअभयण सम्पत्त १० एकारसमंअंगसम्मत्त ११ णमोसुयदेवयाएविवागसुयस्मदोसुयक्खंधादुहविवागदसअज्झयणासुहबिवागदसअझयणाएकार सगादससुचेवदिवसेसुउद्दिसिज्जंति एवंसुहविवागोविसेसंजहाायारस्म इतिविवागसुयंसमत्तं । प्ररूप्यासंपूर्णअर्थ कह्योश्रेयहेभदंत इमसुखविपाकनादशमध्ययनकह्यादशमाअध्ययननाअर्थसमाप्तहुवो१• इग्यारमोअंगअर्थेकरीने संपूर्णथयो ।११। नमस्कारहवोश्रुतदेवतानेविपाकर्तनादोश्रुतस्कंध दु:खविपाकनादशअध्ययनसुखविपाकतेहनापिणदसअध्ययन इग्यारमोअंगहनादशअध्ययन दिवसनेविषेवाचिवाइमजसुखविपाकजांणवाशेषजिमआचारांगनीपरे इतिश्रीविपाकसूत्रसमाप्त । 業業業辦諜諜諜器器諜諜諜装器然諾諾諾 For Private and Personal Use Only Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir For Private and Personal Use Only