Book Title: Vipak Sutra
Author(s): Tribhagvan Vijay
Publisher: Calcutta Vishvavidyalaya

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Page 221
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie विटी २१५ 其罪業業業業業業業养業業業業業兼差兼米茶 नवमेकिञ्चिल्लिख्यते अगवत्ति इदमेवंदृश्य अभगयमूसियपहसिएविवअभ्युगतोच्छ तानि अत्यन्तोचानि प्रहसित्तानीवहसित जावसूलभिज्जमाणंपासइइमेअझथिए४ तहेवणिग्गएजावएवंव०एसिणंभंतेत्थिया पुन्वभवेकामा सौएवंखलुगो० तेणंकालेणंतणंसमएणं इहेवजंबूद्दीवे भारहेवासेसुपति→णमंणयरहोत्यारित महासेणेराया तस्सणंमहासेणस्मरणो धारणौपामोखं देवीसहस्संउरोहियाविहोत्था तमणम हासणस्मपत्ते धारिणोएदेवीएअत्तए सीहसेणेणामकुमारहोत्था अहौणजवराया तएणं तस्ससौ माहेमध्यगतदौठी एकस्त्रीपाछीवांहेवांधी काप्याकाननासिकादिक पर्ववत् मूलीयेदीजतीदीठीदेवीनेएहवोअध्यवसायऊपनोतिम जपाकोबल्योभगवंतनेयावत् इमकह्योएह हेभगवंतएस्त्रीपर्वभवेकोंणडंती इमनिश्चेहेगौतम तेकालतेसकानेविषेएहजजंबद्दीपनामा हीपभरतक्षेने सुप्रतिष्ठनामानगरहंतो ऋद्धिवंतमहासेनराजा तेमहांसेन राजानेधारणीप्रमुखराणी सहसनो अंतेउरडतोते महामेनराजानोपुत्रधारणौराणीनो अंगजातसोहसेननामाकुमारडतो अतुलरूपयुवराजा तिवारपछीते सौहमेनकुमारनेमाता 蒜器装装暴涨涨涨涨涨涨涨涨涨涨涨涨涨涨 भाषा For Private and Personal Use Only

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