Book Title: Vipak Sutra
Author(s): Tribhagvan Vijay
Publisher: Calcutta Vishvavidyalaya
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वि.टी.
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* वित्यय सचप्रत्य के खजायाभ्योदत्तवानिति महयाइत्यनेननमहयाहिमवंतमतमलयमंदरमहिंदसारेइत्यादीराजवर्णकोदृश्य भी
एणसेमहासेणेराया अणया० कालधम्मुणा० णौहरणरायाजाएमहयातएणंसेसोहसेणेरायासा माएदेवीएमुच्छिए४ अवसेसाओदेवोत्रो णोआढाहिणोपरिजाणाहिं अणाढाइमाणे अपरिजाण माणेविहर तएणतासिएगुणगाणं पंचण्हदेवीसया एकूणाई पंचमाइसयाई इमीसेकहाएलस
हाईसमाणियाए एवंखलसीहसेणेरायासामाएदेवीएमुच्छिए४अहंधूयाश्रोणोबाढाइणोपरिजा स्वत्य कार्यकीधा सौहमेनकुमारराजब टोराजाथयो मोरोराजानोवर्णन तिवारपछीतेसोहसेनराजा एकसामादेवीऊपरमूर्छित इओ शेषवीजौराणीने आदरनद्य अनुमोदेनहीवचनादिकेपणसंतोषेनही आदरणपांमती वचनादिकेसंतोषमणपामती विचरेछ तिवारपछीतेएकेऊणीपांचसे राणीनी एकेऊणीपांचमेधाइमातातेणे एहयौपूर्वोक्तवार्त्तानो अर्थलाधेयके मनिश्चेसौरसेन राजाएकसामाराणीसमूच्छितो अम्हारीवेटीनेादरनदीयेवचनादिके पिणसंतोषेनही भादरमांनअणपामतीथ की विचारले
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