Book Title: Vipak Sutra
Author(s): Tribhagvan Vijay
Publisher: Calcutta Vishvavidyalaya

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Page 243
________________ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra बिटी० पररावकालसमएरावे:पूर्वभागेपश्चाद्भागेचेत्यर्थ: मज्जाइयत्तिपीतमद्याविरहियसयणिज्ज सित्तिविरहितेविजनस्थाने शयनीविर णदिराया सिरीएदेवीएमाइभत्त जावविहर तंएएणविधाएणणोसंचाएमि अहंप सण दिणा रणोसचिउरालाइभजमाण एवंसंपेहेर सिरीएदेवीए अंतराणियपडिजागरमाणौर विहर इतएण सासिरीदेवी असया मज्जावौंविरहिय सयणिज्ज सिसुत्ताजायायाविहोत्थाइमंचण देवद त्तादेवी जेणेवसिरोदेवी तेण वउसिरोदेवीमज्जावौयंविरहियंसयणिज्ज सिसुहपसुत्तंपासइदि हंपसनंदीराजामंधाते उदारप्रधानमनुष्यसंबंधीवाभोगभोगवौइमघालोचौविचारीने श्रीदेवीनेमास्यानोअवसरेश्जोतीयकोविचरे * छतिवारपछीतेश्रीदेवी एकदाप्रस्तावे मद्यपीधेतथान्हाये एकांतेजनरहितएकली सियानेविषेमतीथको निद्राने वसेतीएक्वेअवस रदेवदत्तादेवीजिहांत्रीदेवीवं तिहांआवेयाबीन श्रीदेवीन न्हवरावीने एकांतेजनरकितएकलीसियानेसूतीथकीसुखेदीठीदेखौन दिसिविदिसिअवलोकनकरीन जिहारसोईनोधर तिहांआवावीन लोहड़ानोदंडलीधोलेईन लोहदंडतव्योतपावीने तातोम 后涨涨涨涨涨涨涨業業罪業職業業兼器器鉴 भाषा For Private and Personal Use Only

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