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( ३३ )
अन्यथा दुराग्रहसे मुनीका कामादिकोके प्रवृ. त्तिहीमे तात्पर्यमानो तो यह विचारो महाकृपालु मुनि नरकके देनेहारे जीवोंके घोरसंसारहेतुमे रतिकरो एसे क्यों कहेगा ॥ ४॥
४॥ हे यक्ष कामदेव जिसका पुत्र सो कृष्णचंद्र कामाधीन है एसे-कहनेहार निर्लज्ज तथा बालबुद्धि समुझना चाहीये वह धर्मात्मा न जानना जो दुराग्रहसे कृष्णचंद्रको कामी कहोतोभी विचारकरो इस संसारमे जे मनुष्य अल्पमानी है तेभी स्वमान रक्षार्थ निषिद्धाचरण नहीं करते तो ईश्वरमानी जे ब्रह्मा शंकर कृष्णचंद्र सूर्येदु इंद्रादिक है ते कैसे निंदिताचार करेगे तथा कृपासिंध व्यास वाल्मीक नारदादिभी पुराणोंमेचांडालके कर्म जो सदाध्यानी शंकरादिकोकी निंदा रूपसो कैसे करेगे यांत कृष्णादि कामी तथा व्यासादिकोंकर तिन कामी देवतावोंकी निंदा केवल पामर कामीयोंके मुक्तिवास्ते है ___ ५॥ प्रश्नः-मंदबुड़ियोंके तथा ज्ञानीयोंके कौन कौन मित्र है ॥ उत्तरं ॥ मंदबुद्धियोंके पुत्रादि मित्र है ज्ञानीयोंका सर्वजगत् मित्र है...
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