Book Title: Shreemannagpuriya Tapagachhani Pattavali
Author(s): Jain Yuvak Mandal
Publisher: Jain Yuvak Mandal

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Page 7
________________ ॐ श्रीमन्नागपुरीय तपागच्छनी पट्टावली. - ॥ १ ॥ श्रीमन्तोऽर्हत्सिद्धा, -चार्योपाध्यायसाधवः सर्वे ॥ श्रेयःश्रियः समृध्यै, सन्तु सतां कार्यसिध्यै च सिद्धार्थभूपाल कुलोदयाद्रि, - प्रद्योतनः श्री त्रिशलांगजन्मा ॥ श्रीवर्द्धमानो भगवान् प्रवर्द्ध, - मानः श्रिया भव्यजनान् घिनोतु ||२|| श्रीइन्द्रभूतिममुखा गणेशा, नेकादशापि प्रयतः प्रणौमि ॥ विशेषतस्तेषु सुधर्मनामा, नमस्किग्रामर्हति तीर्थपत्वात् तीर्थे वीरजिनेश्वरस्य विदिते श्रीकोटिकाख्ये गणे, श्रीमच्चन्द्रकुले वटोरुहट्टहद्गच्छे परिम्लायिते || श्रीमन्नागपुरीयकायतपा प्राप्तावदातेऽधुना, फर्जद भूरिगुणान्विता गणधर श्रेणी सदा राजते अलौकिक गुणग्रामा - भिरामान्मुरिसद्गुरून् ॥ आचार्य भ्रातृचन्द्रा ख्या, - न्वन्देऽहं ज्ञानवृद्धये Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ॥३॥ 118 11 ॥५॥ www.umaragyanbhandar.com

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