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country are numerous in places where x Jain is now never seen. Further south, in the Deccan, and the Tamil countries, Jainism was for centuries a great and ruling power in regions where it is now almost unknown.”
अर्थात् ' खोज का क्षेत्र बहुत विस्तीर्ण है। आजकल जैन धर्म के पालने वाले बहुतायत से राजपुताना और पश्चिमभारत में ही पाये जाते हैं। पर सदैव ऐसा नहीं था। प्राचीन समय में यह महावीर का धर्म आजकल की अपेक्षा कहीं बहुत अधिक फैला हुआ था। उदाहरणार्थ, ईसा की ७ वीं शताब्दि में इस धर्म के अनुयायी वैशाली और पूर्व बंगाल में बहुत संख्या में थे। पर वहां आज बहुत ही कम जैनी हैं । मैंने स्वयं बुन्देलखंड में वहां ११ वीं
और १२ वीं शताब्दी के लगभग जैन धर्म के प्रचार के बहुत से चिह्न पाये । उस देश के कई ऐसे स्थानों पर बहुत सी जैन मूर्तियां पाई जाती हैं जहां अब एक भी जैनी कभी दिखाई नहीं पड़ता। दक्षिण में आगे को बढ़िये तो जिन तामिल
और द्राविड़ देशों में शताब्दियों तक जैन धर्म का शासन रहा है वहां वह अब अज्ञात ही सा हो गया है"। और भी उनका कहना है:
'I feel certain that Jain stupas must be still in existence and that they will be found if looked for.
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