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बनारस ।
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श्वे. जैन मंदिर है। तथा भेलपुरा में श्री पार्श्वनाथ तेईसवें तीर्थकर का जन्म स्थान है। वहां पर दो दि० जैन मंदिर हैं एक दिग० श्वे० मिश्र मंदिर है। पीछे के दि० जैन मंदिर में कई प्राचीन पाषाण की दि० जैन मूर्तिये हैं । कई पर संवत् भी नहीं है। इन से प्रगट होता है कि यहां पहले एक बड़ा दि० जैन मंदिर रहा होगा।
बनारस से ५ मील के करीब सिंहपुरी है जहां श्री श्रेयांशनाथ ग्याहरवे तीर्थंकर का जन्म हुआ था। यहां भी दि० जैन मंदिर बना है। वहां खुदाई करने से जो बौद्ध प्रतिमाएं निकली हैं उनमें एक दो जैन मूर्तियां भी हैं जिनसे यहां प्राचीन मंदिरजी का होना सिद्ध है। बनारस से १०-१५ मील गंगाजी के तट पर चंद्रपुरी में श्रीचंद्र प्रभु पाठवें तीर्थकर का जन्मस्थान है यहां भी दि० जैन मंदिर है ।
डा० फुहरर की रिपोर्ट से मालूम हुआ__ (३ मधुवन-परगना नाथूपुर तहसील सगरी । आजमगढ़ से उत्तर पूर्व ३२ मील । एक खेत में एक ताम्रपत्र मिला है जो गुप्त समय की लिपि में है। इसमें लिखा है कि स्थानेश्वर ( थानेश्वर ) के राजा हर्षवर्धन ने अपने पिता प्रभाकर वर्धन, माता यशोमति देवी, ब भाई रामवर्धन के सम्मान में मागसर बदी ६ सं. २४ हर्ष, व सन् ६३१ में एक ग्राम दो ब्राह्मणों को दिया।
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