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सज्जन तप प्रवेशिका...xxi
साध्वीजी के अथक परिश्रम एवं गुरु समर्पण का ही प्रभाव है कि वह अनछुए विषयों पर कार्य में सफलता प्राप्त कर रही हैं। वैसे भी सौम्याजी का प्रारम्भ से ही अध्ययन-अध्यापन के प्रति आन्तरिक उत्साह रहा है और वह ज्ञान योग को साधु जीवन की सफलता का मुख्य आधार मानती हैं। यही वजह है कि आज 30 वर्ष के दीक्षा पर्याय में भी लोकैषणा एवं लोक परिचय की भावना से
___मैं उनके लिए मंगल कामना करती हूँ कि वे गुरुवर्या श्री के पदचिन्हों का इसी तरह अनुकरण करते हुए शासन प्रेमियों को गूढ़ रहस्यों एवं अस्पष्ट तथ्यों से आलोकित करती रहें।
मंगलप्रार्थी आर्या शशिप्रभा श्री