Book Title: Rashtrabhasha Shabdakosh Author(s): Sahityaratna Publisher: Vora and Company Publishers Limited View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 3] [अक्षत [] सभात-पु. दुर्घटना स्त्री• इत्तिफाक 8-10 दुःख पु. तकलीफ अवि-वि. आकुल-व्याकुल पु. मध्य-वि. केशहीन:पु. गंजा घबराया हुआ भ-वि. निरर्थक पु० वेकार भाई-24018० व्याकुल होना अ. मटविट-वि० अतिभयंकर पु० क्रि० घबराना खौफनाक मा-वि• सुखदुःखसे परे वि. 3313131-सी हैकड़ी ली. मगरूरी भा-वि. अकर्मण्य पु० बेकार 43314-स्त्री. अडान पु० मगरूरी। अभी-१० निष्काम पु• बेमतलब 12- हेकको स्त्री. मगरूरी मा-पि. देहहीन पु० बेबदन पता- छुट्टीका दिन पु० २५४२त (4)-१० व्यर्थ अ० फ़जूल भय-वि. अवर्णनीय पु० बेध्यान सार-वि. मनको न सुहानेवाला वि. ५३५-२० निष्कपट पु. सात-वि० कुसमय पु० बुरा वक़्त ४५२-वि. सबसे महान् पु. माती-पु' सिक्ख धर्मका एक वर्ग पु. १४५५-२० विना सेला हुश्रा वि० ४१४-पु. एक चमकीला पत्थर पु. भ७२९ीय-१० न करने लायक बि. अत्य-वि० अकरणीय पु. १४राम-न• मान पु• इज्जत मा-श्री अवकृपा स्त्री० नामेहरवानी राण-वि० अतिभयंकर पु० खौफनाक १४२टि-वि० खाऊ पु. पेटू भाट-Y• सुपारीका पेड़ पु. ४२१-१० निर्दय पु. बेरहमा । 483--वि० कठोर पु. सहत रु-वि• झुककर बैठा हुआ वि० २५७२५४२-.मग चाहे दंगसे अ. सम-न• अधम कर्म पु. बदकारी A8-9ी• बुद्धि स्त्री. अक्स अभी-वि० दुष्ट पु० बदकार मन-सी अनइन स्त्री० तबातनी -स्त्री. बुद्धि सौ. अम अपरिपत-वि. सत्य पु० रूपह सम-वि० अनियमित वि. बेसिलआस-पु. द्वेष पु. जलन सिलेवार P4स२-१० प्रायः अ. अक्सर अक्ष- खेलने का पात्रा पु.; आँख सी२-वि० रामबाण पु० अक्सीर भक्षण-न. चावलोंसे भरा पात्र पु. भात-१० हठात् थ० अकायक क्ष त-३० प्रखंड वि. चावल For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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