Book Title: Rashtrabhasha Shabdakosh
Author(s): Sahityaratna
Publisher: Vora and Company Publishers Limited

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अध्याय] અનામત अध्याय- प्रकरण पु. सनम-वि० अपार पु० बेशुमार अध्यास- पारसी लोगोंका धर्म सनगर-वि० निर्बन्ध वि० बेरोकटोक गुरू पु. भनय- पु. कुकर्म पु० बदकारी अध्या२४-वि० श्रेष्ठ वि० अच्छा सनस- अग्नि स्त्री. आग अध्य-पु. मार्ग पु. रास्ता सबस-१० स्फूर्तिवान पु• फुर्तीला मनगण-वि० अनर्गल पु० अंट संट मनस-80 40 में ही खुदा हूँ भनय-वि० निरंकुश पु. बेकाबू अनवध-वि० सुन्दर पु. खूबसूरत अनधा-वि० बिना घड़ा हुआ, अनवरत-वि० निरन्तर पु. लगातार अनघड़ वि. सनान-10 उपवास (पु.) फाका सनाधिकारी-१० अनधिकारी पु. सन-40 निस्सीम ( वि० ) बेहद बेहकदार सहित-10 अहित पु. नुक़सान मान (ने) नास-10 अनानासका फल मन-वि० असंख्य वि. बेहिसाब मनम-पुं० कामदेव पु. सनय-वि० अद्वितीय वि. बेजोड़ सनत-वि० अपार वि. बेहद अनपत्य-वि०निःसन्तान पु० बेऔलाद मनात-वि० भावी स्त्री० अनयेत-वि० समीप वि० नज़दीक सनात्५-10 अनागरिकता स्त्री. अनभिज्ञ-वि० अज्ञान वि० अनजान मनाय-10 सीताफल पु. शरीफा अनभिमानिता-स्त्री. निरभिमानता मनाया२-पु. दुराचार पु. बदकारी स्त्री० सना-धान्य पु० अनाज मनो-वि० निर्भय पु० बेखौफ मनाउ-४० हानि स्त्री० नुकसान अनन्यस्त-वि० अशिक्षित पु० अनपढ़ अनाडी-कि. मूर्ख बेवकूफ अनन-वि० मेघविहीन पु० अनाथ-५० रक्षकहीन पु० यतीम अनमत्यु-वि० अप्रिय पु० नापसन्द सनायु-वि० निरंकुश पु० बेकाबू अनमनु-वि. अन्यमनस्क पु० उदास सना२-० अवमान पु० बेइज्जत थानमा-वि० अनम्र पु. बेअदब अनाहत-वि. अपमानित पु० अनय-पु. अन्याय पु० जुल्म भनाधार-वि. निराधार सनरय-० अनर्थ पु० सितम अनाम-पु. परमेश्वर पु० खुदा सनराधार-१० मूसलधार पु. मनामत-वि०धरोहर स्त्री० रेहन For Private and Personal Use Only

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