Book Title: Rashtrabhasha Shabdakosh
Author(s): Sahityaratna
Publisher: Vora and Company Publishers Limited

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनाम] [अनुनाद अनामय-वि० निरोग पु० तन्दुरुस्त अनिद्र-वि० सजग वि० जगा हुआ अनाभि-० अंत्यज पु० अछूत अनिभिष-वि० स्थिर वि० गैरमनकूला अनाभि-स्त्री० छिगुनी उँगलीके पास अनियत-वि० अनिश्चित वि० वाली उँगली स्त्री० अनिव-Y० पवन पु० हवा अनाभिष-वि. निरामिष पु० अनिवार्य-वि० अत्यावश्यक पु० महज अनाय-वि० अव्यवस्थित पु० बदइन्तजाम भनिध-वि० उत्तम पु० बढ़िया अनायास- सरलतापूर्वक पु० श्रासा- सनी-न० सेना स्त्री० लश्कर नीसे; आराम सना-वि० अपार वि० बेशुमार अनार-10 दादिम स्त्री० अनार अनीति-स्त्री० दुराचार पु० बदकारी अनारत-वि० निरन्तर वि. लगातार अनीश-वि० असमर्थ वि० लाचार अनारसु-10 एक पकवान पु० अनु:२१-१० अनुसरण पु० नकल सना-१० शुष्क पु० सूखा अनुष-न. पाकर्षण पु० खिंचाव सना-१० आर्येतर पु० जो आर्य अनुपा-स्त्री० दया स्त्री० मेहर जाति का न हो अनुत-• अनुकरण पु० नकल सनावर (त)-स्त्री. अज्ञान पु० नावा. अनुस-14० अनुकूल वि० मुश्राफिक सनाविद्ध-वि० न बौधा हुआ पु०। अनुम-घु क्रमश: पु० एकके बाद अनाविस-वि० स्वच्छ वि० साफ मनात-१० अजाच्छादित वि.न | अनुश-40 सदृश पु० यकस। ढेका हुआ अनुय२-० भृत्य पु० नौकर सनाट-स्त्री. दुष्काल पु० सूखा । अनुभ-पु. छोटा भाई पु० अनास्था-स्त्री. अश्रद्धा स्त्री० भनुपी-वि० आश्रित बि० मुहताज मनात-५० सजीव वि० निन्दा मनुशा-स्त्री० आज्ञा स्त्री० परवानगी अनाहा२-० उपवास पु० फाका अनुता५-५० पश्चाताप पु० अफसोस सनात-वि. अनिमंत्रित वि० मनुरी-स्त्री० पतली कमरवाली स्त्री० अनित-वि० गृहहीन वि० बेघर अनुहार-वि. निम्नाशय पु० तंगदिल साना-स्त्री. अवकृपा स्त्री. नामे- अनुपनि- पु र प्रतिध्वनि स्त्री० हरवानी मनुनाह For Private and Personal Use Only

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