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रत्नत्रय का भेद, कारण तथा लक्षण सम्बन्धी कथन, अठारह दोषों का स्वरूप और तीर्थंकर परमदेव का स्वरूप आदि बताया है। छह द्रव्य, पंचास्तिकाय, सात तत्त्व और नौ पदार्थ का भी वर्णन है। नियमसार ग्रन्थ के विषय-विभाजन और उसके बारह अधिकारों , के नाम का सरल चार्ट (नक्शा)
नियमसार
मोक्षमार्ग या नियम
मार्गफल या नियमफल
सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान
सम्यक्चारित्र
1. जीव अधिकार 2. अजीव अधिकार 3. शुद्धभाव अधिकार
___4. व्यवहार चारित्र अधिकार
निश्चय चारित्र अधिकार
5. परमार्थ-
प्रतिक्रमण अधिकार
6. निश्चय प्रत्याख्यान अधिकार
7. परम
आलोचना अधिकार
8. शुद्धनिश्चय प्रायश्चित्त अधिकार
9. परम-समाधि
अधिकार
10. परम-भक्ति
अधिकार
11. निश्चय
परमावश्यक अधिकार
12. शुद्धोपयोग
अधिकार
2. अजीव अधिकार (गाथा 20-37 तक) इस अधिकार में पुद्गल के भेदों का वर्णन है।
यहाँ पुद्गल के दोनों भेदों का और उनके उपभेदों का वर्णन सरलता से समझाया है।
परमाणु : कार्य और कारण परमाणु को समझाते हुए कहते हैं कि जिस परमाणु से मिलकर यह स्कन्ध बना है वह कारण परमाणु है, लेकिन स्कन्ध को तोड़-तोड़कर जो सबसे छोटा परमाणु रह जाता है वह कार्य परमाणु है।
स्कन्ध में से जो परमाणु बनाया वह कार्य परमाणु है और परमाणु से जो स्कन्ध बना वह कारण परमाणु है।
स्कन्ध : स्कन्ध छह प्रकार के हैं(1) पृथ्वी, लकड़ी और पाषाण आदि जो स्कन्ध तोड़े जाने पर स्वयमेव
252 :: प्रमुख जैन ग्रन्थों का परिचय