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रुम्मिनदेई स्तम्भलेख
भाषा-प्राकृत-पालि लिपि-ब्राह्मी (ई०पू० तीसरी शती)
देवान पियेन पियदसिन लाजिन वीसति वसाभिसितेन 2. अतन आगा च महीयिते हिद बुधे जाते सक्य मुनी ति। 3. सिला-विगड-भीचा कालापित सिला-थभे च उसपापिते। 4. हिद भगव जाते ति लुमिनि गामे उबलिके कटे 5. अठ-भागिये च।
रुम्मिनदेई स्तम्भ लेख देवों के प्रिय प्रियदर्शी राजा ने अभिषेक के बीस वर्ष होने पर स्वयं आकर गौरव प्रदान किया क्योंकि यहां शाक्य मुनि बुद्ध उत्पन्न हुए थे। पत्थर की मजबूत दीवार बनवाई और पाषाणस्तम्भ स्थापित करवाया गया। क्योंकि यहां लुम्बिनि ग्राम में भगवान् उत्पन्न हुए इसलिए (इस ग्राम को)
बलि नामक कर से मुक्त कर दिया और (इसे छः भाग के स्थान पर)। 5. आठ भाग वाला कर दिया गया।
1.
कार्पस, 1, पृष्ठ 164-65। टिप्पणी-रुम्मिनदेई (लुम्बिनीदेवी) बुद्ध का जन्मस्थान तथा बौद्धों का पवित्र तीर्थ। ह्वेनसांग ने लुम्बिनी उपवन में स्थित एक अश्वशीर्षक अशोकीय स्तम्भ का उल्लेख किया था।
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