Book Title: Pardeshi Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 33
________________ (३) ॥३॥ वचन वचन तुं माने तेहy रे, राय कहे न सुणुं कान ॥ साधुजी साधुजी तो नांषे कुणकारण शहां रे, अशुचि तणो अहिगण ॥ राय० ॥४॥ जगवन् जगवन् हुँ तिहां किम उनो रहुं रे, ईणी परें जाणो राय ॥ ताहरी ताहरी दादी धरम करी घणो रे, बहुलो पुण्य उपाय ॥ राय ॥ ५॥ अम तणी अमतणी कहेणी ते थई देवता रे, पोतरो तुं ३ तास ॥माणस माणस लोकमां वां थाववा रे, पण श्रावी न शके पास ॥ राय ॥६॥ थानक था नक चिहुं ईण वांडे देवता रे, श्राववा माणस लोग ॥ उपनो उपनो नवेरो ते देवलोकमां रे, श्राववा न लहे जोग ॥ राय० ॥ ७॥ देवता देवता संबंधि का मने जोगमा रे, मूर्षित हुवे अति गृह ॥ मनुष्य मनुष्य संबंधि कामने जोगमां रे, नाव देवनी बुद्धि ॥राय० ॥ ७॥ प्रथम प्रथम थानक ए जपनो दे वतारे, श्राववा वांजे चित्त ॥ वेगशुं वेगयुं ते श्रावी न शके यहांकणे रे, बीजे प्रेम विखित्त राय ॥७॥ देवता देवता संबंधि प्रेम नवो थयो रे, बूटो मूल गो नेह ॥ थानक थानक विचारो त्रीजुं ईणी परें रे, श्रावी न शके तेह ॥ राय० ॥ १० ॥ मुहूत्ते मु Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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