Book Title: Pardeshi Rajano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 45
________________ (४४) ॥ ढाल त्रेवीशमी ॥ राग केदारो, मुंगर नलो दीगे शेजा तणो॥ए देशी॥ ॥ तेवार पड़ी गुरु श्म जणे, सांजलो राय ॥ वि चार रे॥जिम कोश तरुण पुरुष नवो, शिलप कला सूविचारो रे ॥१॥ केशीय मुनि हवे श्म नणे ॥ ए श्रांकणी ॥ नवीन कावड ग्रही अतिजली, लेश बीको नवो तेन रे ॥ वंशमय दोर जिहां अति नवी, नार वदिवा समरब रे ॥ केशी० ॥॥ हुवे घणु लोह प्रमुख तणु, राय कहे हंता एम रे ॥ तो गुरु कहे अहो रायजी, तेहिज तरुणज तेम रें॥ केशी० ॥३॥ जीरण कावड लेने, बली अतिघणु जेह रे॥ घण जीव खाधी जे चिहुं दिसें,बल नहीं जिहां किणे रेह रे ॥ केशी० ॥४॥ सिथिल जीरण बीको डे जिहां वंशमय जीरण दोर रे ॥ नार वहिवा सम रथ हुवे, लोह प्रमुख तणो घोर रे ॥ केशी ॥५॥ राय कहे समरथ नहीं, जार वहिवा जणी तेण रे॥ गुरु कहे राय कारण किशु, जीरण उपकरण जेण रे ॥ केशी० ॥ ६ ॥ शणिपरें जेह जीरण थयो, सहु थया जीरण जोग रे ॥ नार वहेवा समरथ नहीं, तरुण पण तेह संयोग रे॥ केशी॥ ७॥ तिण हवे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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